अंडा फटने के बाद गर्भावस्था के लक्षण – अंडा फटने के बाद गर्भावस्था के लक्षण के बारे में मैंने आप लोगों को बताना चाहा है और हमें आशा है कि आप लोगों के समक्ष जो जानकारी में आप लोगों के सामने रखना चाहता हूं तथा उनके लक्षणों को बताना चाहता हूं आप लोगों को बड़ा ही अच्छा लगेगा और आप उसके बारे में बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर पाएंगे जो आप लोगों के समक्ष नीचे लिस्ट के माध्यम से रखा गया है अंडा फटने के बाद गर्भावस्था के लक्षण के बारे में।

अंडा फटने के बाद गर्भावस्था के लक्षण
अंडा फटने के बाद गर्भावस्था के लक्षण | शुरू होने का समय |
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रक्त स्राव और ऐठन | गर्भधारण करने के 6 से 12 दिन के |
स्थान अथवा निप्पल पर सूजन | गर्भधारण करने के 1 या 2 हफ्ते बाद |
थकान महसूस करना | लगभग 1 हफ्ते बाद |
मूड स्विंग | गर्भधारण करने के 1 हफ्ते अथवा 2 हफ्ते बाद |
बार-बार पेशाब आना | गर्भधारण करने के लिए कथा 8 हफ्ते तक |
जी मिचलाना उल्टी होना | गर्भधारण के 4 से 6 हफ्ते बाद तक |
कुछ खाद्य पदार्थ खाने की इच्छा होना | गर्भधारण करने के 6 से 12 हफ्ते के अंदर तक |
वजन में बदलाव | पहले तिमाही में |
सीने में जलन | पहली तिमाही में |
सिर दर्द होना | पहले तिमाही में |
सांस लेने में तकलीफ होने | पहले तिमाही में |
कब्ज होना | पहली तिमाही में |
पीरियड के कितने दिन बाद ओवुलेशन होता है (how many days after period does ovulation occur in hindi)
पीरियड के कितने दिन बाद ओवुलेशन होता है इसका मतलब यह हुआ कि पीरियड के कितने दिन बाद गर्भधारण करने की संभावना होती है इसके लिए किन बातों का होना जरूरी होता है इन पहलुओं पर हम आप लोगों को जानकारी देना चाहते हैं
बहुत सी महिलाएं अथवा पुरुष इस गलतफहमी में रहते हैं की गर्भधारण करना एक सामान्य प्रक्रिया है लेकिन हम आप लोगों को बताना चाहते हैं कि यह एक सामान्य प्रक्रिया नहीं है कि हम शारीरिक संबंध बना लिए तो गर्भधारण करने संभव है इसीलिए इसके बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए मैं आप लोगों को यह समझाने आया हूं की जब महिलाओं में पीरियड आने लगता है
पीरियड को गांव तथा देहातों में महावरी के नाम से भी जाना जाता है इसके आने के कुछ दिन बाद अथवा उसी दिन महिला के अंडा से से एक अंडोत्सर्ग निकलता है जिसे ओवुलेशन के नाम से जाना जाता है जब तक यह प्रक्रिया ना हो जाए आप लोगों को या विश्वास नहीं करना चाहिए
कि हम गर्भ धारण कर सकते हैं अथवा करवा सकते हैं क्योंकि अंडोत्सर्ग ओवुलेशन निकलने के 24 घंटे तक ही जीवित रहता है जबकि महिलाओं के शरीर में 4 से 5 दिन तक जीवित रहता है इन सारी चीजों को बताने के बाद मैं आप लोगों को महिलाओं के मासिक चक्र के बारे में बताना चाहता हूं
बहुत सारी महिलाओं में मासिक चक्र 28 दिन का होता है तो उन महिलाओं के 12 से 14 दिन के बाद ओवुलेशन होता है जबकि कुछ महिलाओं का मासिक चक्र 30 दिन का होता है जिसमें 14 से 16 दिन के बाद ओवुलेशन होता है इस प्रकार से हम आप लोगों को यह बता सकते हैं कि बिना ओवुलेशन के गर्भ धारण करना संभव नहीं होता है इन सारी चीजों को बताना आपकी जानकारी के लिए बहुत उपयोगी होगा और हमें आशा है कि आप लोगों को बहुत अच्छा लगेगा।
- अगर आप अपने 3 महीने के मासिक चक्र को जोड़ें यानी 18+33+26=87 दिन।
- अब इस चक्र के जोड़े को 3 से गुणा करें तथा औसत निकाल ले तो 87/3=29 दिन का निकलता है।
- यही औसत आंकड़ा आप के मासिक चक्र तथा महिवा रा का दिन मान लिया जाता है 29 दिन लगभग होता है।
- ओवुलेशन पीरियड मासिक धर्म चक्र के शुरू होने के 7 दिन बाद तथा मासिक धर्म चक्र शुरू होने के 7 दिन पहले तक रहता है इस बीच में गर्भधारण करने की संभावना ज्यादा होती।
अंडा फटने के बाद कितने दिन हम गर्भवती प्राप्त करने की कोशिश कर सकते हैं (how many days after egg burst can we try to get pregnant)
अंडा फटने के कितने बाद हमगर्भावस्था को प्राप्त करते हैं तथा प्राप्त करने की कोशिश करते हैं इस विषय पर मैं आप लोगों को जानकारी देना चाहता हूं तो सबसे पहले आप लोग को मैं बताना चाहता हूं कि अंडा पटना अर्थात अनुदेशन कहो ना इसका समय सीमा पीरियड के समय सीमा पर निर्भर करता है क्योंकि पीरियड के मध्य में है अंडा फटने का समय होता है जैसे कि पीरियड का समय चक्र मासिक चक्र 28 दिन का है तो 14 दिन में अंडा फटने की संभावना होती है अगर मासिक चक्र 30 दिन का है तो 16 दिन में अंडा फटने का भावना होता है और इसी के मध्य प्रेगनेंसी होने की संभावना बढ़ती है मैं आप लोगों को यह बता दूं कि हर बार एबलेशन नहीं होता चक्र में एक ही बार एबलेशन होता है जो सक्सेसफुली होता है और यह 24 घंटे तक ही शरीर में सेक्स हो जाता है लेकिन महिलाओं में गर्भधारण करने की स्थिति 6 दिन के बाद संपूर्ण होती है इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि अंडा फटने तथा पीरियड आने तथा ओवुलेशन की एक निश्चित समय सीमा होती है इसी समय में गर्भावस्था धारण करने की संभावना सबसे अधिक होती है और इस प्रकार से मैं आप लोगों को इसके बारे में जानकारी देता हूं।
ओवुलेशन कब और क्या होता है।
अगर आप गर्भधारण करना चाहते हैं तो आप लोगों को ओवुलेशन के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक होगा इसके समय को भी जानना आप लोगों के लिए अत्यंत आवश्यक होता है इसलिए मैंने आपको पॉपुलेशन के बारे में बताना चाहा है
अगर आप मां बनना चाहती हैं या इसके लिए प्रयास कर रही हैं, तो आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि आपके मासिक धर्म के दौरान कौन से दिन हैं जब आपके गर्भधारण की संभावना सबसे ज्यादा होती है। संभावित दिनों को ओवुलेशन पीरियड कहा जाता है। यदि आप किसी भी प्रकार की जन्म नियंत्रण विधि या गर्भनिरोधक का उपयोग नहीं कर रही हैं, तो आपके गर्भधारण की संभावना आमतौर पर 25 से 30 प्रतिशत होती है, हालांकि यह परिस्थितियों के आधार पर व्यापक रूप से भिन्न हो सकती है।
ओव्यूलेशन के समय और उसके आसपास आपके गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक होती है (मासिक धर्म का वह समय जब आप सबसे अधिक उपजाऊ होती हैं और निषेचन की सबसे अधिक संभावना होती है)।
ओव्यूलेशन तब होता है जब मासिक धर्म के दौरान अंडाशय से एक अंडा निकलता है। अब यह अंडा शुक्राणु द्वारा निषेचित हो भी सकता है और नहीं भी। यदि अंडा निषेचित हो जाता है तो आप गर्भवती हो जाती हैं और यदि यह निषेचित नहीं होती है तो अंडा टूट जाता है और आपके मासिक धर्म के दौरान गर्भाशय की परत गिर जाती है और वह निकल जाती है। इसलिए गर्भधारण करने के लिए ओवुलेशन के संकेतों को पहचानना बहुत जरूरी है।
अब सवाल यह उठता है कि – आपको कैसे पता चलेगा कि आपका ओवुलेशन पीरियड आ रहा है या चल रहा है? यहां हमने कुछ मुख्य ओवुलेशन लक्षण दिए हैं जिनसे आप पता लगा सकते हैं कि आपका ओवुलेशन पीरियड है या नहीं, साथ ही आप यह भी जान सकते हैं कि आप ओव्यूलेट कब करेंगे।
Ovulation Meaning in Hindi: ओव्यूलेशन का अर्थ है अंडाशय से एक परिपक्व अंडे का निकलना, यह प्रक्रिया हर महीने होती है। इस समय के आसपास एक महिला के गर्भवती होने की सबसे अधिक संभावना होती है।
आमतौर पर महिलाओं का मासिक चक्र 28 से 35 दिनों का होता है, इस चक्र में ओवुलेशन पीरियड में कुछ खास दिन ही आते हैं। आम तौर पर, एक महिला की अवधि समाप्त होने के 12 से 16 वें दिन को ओव्यूलेशन अवधि कहा जाता है।
ओवुलेशन कब होता है तथा उसके लक्षण
महिलाओं के जन्म के समय उनके अंडाशय में लगभग 20 मिलियन अंडे होते हैं और यौवन के समय यानी उनके मासिक धर्म की शुरुआत तक लगभग 50000 अंडे ही बचे होते हैं। मासिक धर्म चक्र के पहले भाग में हर महीने, अंडा विकसित होता है और धीरे-धीरे परिपक्व होता है। माहवारी खत्म होने के कुछ दिनों बाद महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन बनना शुरू हो जाता है, जो गर्भाशय की परत को मोटा करने में मदद करता है, जिससे शुक्राणु के लिए अनुकूल वातावरण बनता है। धीरे-धीरे, एस्ट्रोजन में वृद्धि होती है और यह एक अन्य हार्मोन, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) में वृद्धि को ट्रिगर करता है। एलएच की वृद्धि के कारण अंडाशय से अंडा निकल जाता है और महिला ओव्यूलेट करती है (एलएच वृद्धि के 24 से 36 घंटे बाद)। इस दौरान यदि अंडाणु शुक्राणु से मिलता है और शुक्राणु अंडे को निषेचित करने में सफल हो जाता है, तो महिला गर्भधारण करती है और यदि अंडा निषेचित नहीं होता है, तो यह गर्भाशय की परत से मिल जाता है और मासिक धर्म के दौरान गर्भवती हो जाती है। शरीर छोड़ देता है। निषेचन की अनुपस्थिति में, यह प्रक्रिया फिर से होती है जो अगले मासिक धर्म की शुरुआत की ओर ले जाती है।
- शरीर का तापमान थोड़ा कम होना फिर बढ़ना
- सर्वाइकल म्यूकस का अंडे की सफेदी के समान पतला, चिकना और स्पष्ट होना
- सर्विक्स का कोमल होकर खुल जाना
- पेट में नीचे की और हल्का दर्द या ऐंठन होना
- सेक्स करने की इच्छा बढ़ जाना
- योनि में सूजन आना
- LH में वृद्धि होना
ओवुलेशन के बाद निषेचन के लक्षण
ओवुलेशन के बाद निषेचन के बहुत सारे लक्षण होते हैं जो की प्रेगनेंसी को कंफर्म करने के लिए लाभदायक होते हैं इन सारी बातों को ध्यान में रखकर मैं आप लोगों को उनके बारे में जानकारी देना चाहता है तथा अब लेशन के बाद निषेचन के लक्षणों के बारे में जानकारी देना चाहता हूं जो नीचे लिस्ट के माध्यम से दिए गए हैं।
- बार-बार पेशाब आना तथा संयम होना।
- पेट फूलना तथा कब्ज की समस्या होना।
- मॉर्निंग सिकनेस होना।
- ब्लड प्रेशर बढ़ाना।
- चक्कर आना।
- जी मिचलाना।
- पाचन की समस्या होना।
- ब्लीडिंग होना।
- स्वाद बदल जाना
- ब्रेस्ट में सूजन एवं दर्द होना।
- मूड स्विंग्स
- तनाव होना।
Ovulation के बाद सफेद स्राव (White discharge after ovulation)
अंडोत्सर्ग ओवुलेशन के बाद सफेद सराव तवा सफेद पानी का स्राव होना कोई समस्या की बात नहीं है लेकिन इससे बहुत सारी महिलाएं घबरा जाती हैं और परेशान हो जाती हैं इसीलिए मैं आप लोगों को यह बता रहा हूं कि वह बोले सन के बाद सफेद स्राव एक निश्चित समय तक होता है और उसके बाद बंद हो जाता है यह दो प्रकार से हो सकता है एक तो यह स्वाभाविक रूप से होता है और दूसरा या बीमारी के लक्षणों को भी व्यक्त करता है तो अगर स्वाभाविक रूप की बात किया जाए तो यह अंडोत्सर्ग ओवुलेशन के बाद शुरू हो जाता है और कुछ समय के बाद खत्म हो जाता है तथा अगर बीमारी के लक्षण के बारे में बात करें तो यह रिलेशन के बाद शुरू होता है और इसमें लुकेरिया की मात्रा उपलब्ध होती है जो कि हमारे शरीर में खुद बीमार ही नहीं होती है लेकिन बीमारी के लक्षणों को प्रस्तुत करती है इसी के साथ साथ में आप लोगों को इसके कुछ अन्य लक्षण तथा जानकारी भी नीचे टेबल के माध्यम से प्रस्तुतकर्ता।
ओवुलेशन के बाद सफेद स्राव के कारण/Causes of white discharge after ovulation | ओवुलेशन के बाद सफेद स्राव के लक्षण/Symptoms of white discharge after ovulation |
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योनि स्थल पर खुजली होना | नवजात बालिका |
कमर दर्द होना | कमजोर होने पर |
चक्कर आना | रज्जू प्रवाह मासिक धर्म के कुछ दिन बाद |
कमजोरी बनाई रहना | बीज उत्पत्ति के दिन |
सफेद स्राव होना एक बीमारी का लक्षण | अज्ञान कारण से |
सफेद पानी का आविर्भाव अधिक मात्रा में काम उत्तेजना होने पर होता है। यह पानी चिकनाहट (lubrication) उत्पन्न करता है। कुदरत कि यह व्यवस्था संभोग के लिए अत्यंत उपयोगी है। यह सफेद पानी जब भी कामुक उत्तजना मन में हो तब तब निकलता है चाहे आप विवाहित हो या अविवाहित| इसके निकलनेसे ना कमजोरी, ना दर्द, ना अन्य किसीभी प्रकार का स्वास्थ पर हानिकारक प्रभाव होता है। कामइच्छा होने पर सही मात्रा में यह उत्तपन्न ना हो तो मैथुन दर्द दायक हो सकता है। इसका इलाज करना पड़ता है।
श्वेत पानी मासिक स्राव (bleeding) के कुछ दिन पहले अधिक मात्रा में होता है। बिजोतपत्ती (ovulation) के समय इस्ट्रोजन कि मात्रा बडने से सफेद पानी ज्यादा बह सकता है। गर्भावस्था में भी सफेद पानी का निकलना अधिक मात्रा में होता है। नवजात अर्भक बच्ची में भी माता के इस्ट्रोजन कि वजह से सफेद पानी निकल सकता है।
अत्यधिक उपवास, उत्तेजक कल्पनाएं, अश्लील वार्तालाप, मुख मैथुन, सम्भोग में उल्टे आसनो का प्रयोग करना, सम्भोग काल में अत्यधिक घर्षण युक्त आघात, रोगग्रस्त पुरुष के साथ सहवास,दो तीन पुरूषों से एकसाथ अत्याधिक संभोग करना, सहवास के बाद योनि को स्वच्छ जल से न धोना व वैसे ही गन्दे बने रहना आदि इस रोग के प्रमुख कारण बनते हैं। बार-बार सफेद पानी का आना एक प्रकार से बहुत बुरा लक्षण होता जिसके लिए कुछ उपयुक्त चिकित्सा है जो मैं आप लोगों को नीचे बताना चाहूंगा।
सावधानियां एवं दवाइयां सफेद स्राव को रोकने के लिए (Precautions and medicines to stop white discharge)
इसके लिये सबसे पहले जरूरी है साफ-सफाई – योनि को धोने के लिये सर्वोत्तम उपाय फिटकिरी के जल से धोना है; फिटकरी एक श्रेष्ठ जीवाणुु नाशक सस्ती औषधि है, सर्वसुलभ है। बोरिक एसिड के घोल का भी प्रयोग करा जा सकता है और यदि अंदरूनी सफ़ाई के लिये पिचकारी से धोना (डूश लेना) हो तो आयुर्वेद की अत्यंत प्रभावकारी औषधि “नारायण तेल” का प्रयोग सर्वोत्तम होता है।
- मैथुन के पश्चात अवश्य ही साबुन से सफाई करना चाहिए।
- प्रत्येक बार मल-मूत्र त्याग के पश्चात अच्छी तरह से संपूर्ण अंग को साबुन से धोना।
- बार-बार गर्भपात कराना भी सफेद पानी का एक प्रमुख कारण है। अतः महिलाओं को अनचाहे गर्भ की स्थापना के प्रति सतर्क रहते हुए गर्भ निरोधक उपायों का प्रयोग (कंडोम, कापर टी, मुँह से खाने वाली गोलियाँ) अवश्य करना चाहिए। साथ ही एक या दो बच्चों के बाद अपना या अपने पति का नसबंदी आपरेशन कराना चाहिए।
- शर्म त्यागकर इसके बारे में अपने पति एवं डाक्टर को बाताना चाहिये।
- इस रोग की प्रमुख औषधियां अशोकरिष्ट, अशोक घनबटी, प्रदरांतक लौह, प्रदरहर रस आदि हैं।
योनि स्राव एवं उसके संकेत (Vaginal discharge and its signs in hindi)
योनि मार्ग से सफेद, चिपचिपा गाढ़ा स्राव होना आज मध्य उम्र की महिलाओं की एक सामान्य समस्या हो गई है। सामान्य भाषा में इसे सफेद पानी जाना कहते हैं। भारतीय महिलाओं में यह आम समस्या प्रायः बिना चिकित्सा के ही रह जाती है। सबसे बुरी बात यह है कि इसे महिलाएँ अत्यंत सामान्य रूप से लेकर ध्यान नहीं देती, छुपा लेती हैं श्वेत प्रदर में योनि की दीवारों से या गर्भाशय ग्रीवा से श्लेष्मा का स्राव होता है, जिसकी मात्रा, स्थिति और समयावधि अलग-अलग स्त्रियों में अलग-अलग होती है। यदि स्राव ज्यादा मात्रा में, पीला, हरा, नीला हो, खुजली पैदा करने वाला हो तो स्थिति असामान्य मानी जाएगी। इससे शरीर कमजोर होता है और कमजोरी से श्वेत प्रदर बढ़ता है। इसके प्रभाव से हाथ-पैरों में दर्द, कमर में दर्द, पिंडलियों में खिंचाव, शरीर भारी रहना, चिड़चिड़ापन रहता है। इस रोग में स्त्री के योनि मार्ग से सफेद, चिपचिपा, गाढ़ा, बदबूदार स्राव होता है, इसे वेजाइनल डिस्चार्ज कहते हैं। इस रोग के कारणों की जांच स्त्री रोग विशेषज्ञ, लेडी डॉक्टर से करा लेना चाहिए, ताकि उस कारण को दूर किया जा सके।
ग्रीवा से उत्पन्न श्लेष्मा (म्युकस) का बहाव योनिक स्राव कहलाता है। अगर स्राव का रंग, गन्ध या गाढ़ापन असामान्य हो अथवा मात्रा बहुत अधिक जान पड़े तो हो सकता है कि रोग हो। योनिक स्राव (Vaginal discharge) सामान्य प्रक्रिया है जो कि मासिक चक्र के अनुरूप परिवर्तित होती रहती है। दरअसल यह स्राव योनि को स्वच्छ तथा स्निग्ध रखने की प्राकृतिक प्रक्रिया है वहीं अण्डोत्सर्ग के दौरान यह स्राव इसलिये बढ़ जाता है ताकि अण्डाणु आसानी से तैर सके। अण्डोत्सर्ग के पहले काफी मात्रा में श्लेष्मा (mucous) बनता है। यह सफेद रंग का चिपचिपा पदार्थ होता है। लेकिन कई परिस्थितियों में जब इसका रंग बदल जाता है तथा इससे बुरी गंध आने लगती है तो यह रोग के लक्षण का रूप ले लेता है।
सफेद योनिक स्रावः मासिक चक्र के पहले और बाद में पतला और सफेद योनिक स्राव सामान्य है। सामान्यतः सफेद योनिक स्राव के साथ खुजलाहट या चुनमुनाहट नहीं होती है। यदि इसके साथ खुजली हो रही है तो यह खमीर संक्रमण (yeast infection) को प्रदर्शित करता है। साफ और फैला (Clear and stretchy) हुआः यह उर्वर (fertile) श्लेष्मा है। इसका आशय है कि आप अण्डोत्सर्ग के चक्र में हैं। साफ और पानी जैसाः यह स्राव महिलाओं में सामान्य तौर पर पूरे चक्र के दौरान अलग-अलग समय पर होता रहता है। यह भारी तब हो जाता है जब व्यायाम या मेहनत का काम किया जाता है।
पीला या हराः यह स्राव सामान्य नहीं माना जाता है तथा बीमारी का लक्षण है। यह यह दर्शता है कि योनि में या कहीं तीव्र संक्रमण है। विशेषकर जब यह पनीर की तरह और गंदी बदबू से युक्त हो तो तुरंत चिकित्सक के पास जाना चाहिये। भूराः यह स्राव अक्सर माहवारी के बाद देख ने को मिलता है। दरअसल यह “सफाई” की स्वाभाविक प्रक्रिया है। पुराने रक्त का रंग भूरा सा हो जाता है सामान्य प्रक्रिया के तहत श्लेष्मा के साथ बाहर आता है।
रक्तिम धब्बे/भूरा स्राव: यह स्राव अण्डोत्सर्ग/मध्य मासिक के दौरान हो सकता है। कई बार बार शुरूआती गर्भावस्था के दौरान भी यह स्राव देखने को मिलता है। इस आधार पर कई बार इसे गर्भधारण का संकेत भी माना जाता है।किन परिस्थितियों के कारण सामान्य योनिक स्राव में वृद्धि होती है?
सामान्य योनिक स्राव की मात्रा में निम्नलिखित स्थितियों में वृद्ध हो सकती है- योनपरक उत्तेजना, भावात्मक दबाव और अण्डोत्सर्ग (माहवारी के मध्य में जब अण्डकोष से अण्डे का सर्जन और विसर्जन होता है)असामान्य योनिक स्राव के क्या कारण होते हैं?
असामान्य योनिक स्राव के ये कारण हो सकते हैं- (1) योन सम्बन्धों से होने वाला संक्रमण (2) जिनके शरीर की रोधक्षमता कमजोर होती है या जिन्हें मधुमेह का रोग होता है उनकी योनि में सामान्यतः फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग हो सकता है।असामान्य योनिक स्राव से कैसे बचा जा सकता है?
योनिक स्राव से बचने के लिए –
(1) जननेन्द्रिय क्षेत्र को साफ और शुष्क रखना जरूरी है।
(2) योनि को बहुत भिगोना नहीं चाहिए (जननेन्द्रिय पर पानी मारना) बहुत सी महिलाएं सोचती हैं कि माहवारी या सम्भोग के बाद योनि को भरपूर भिगोने से वे साफ महसूस करेंगी वस्तुतः इससे योनिक स्राव और भी बिगड़ जाता है क्योंकि उससे योनि पर छाये स्वस्थ बैक्टीरिया मर जाते हैं जो कि वस्तुतः उसे संक्रामक रोगों से बचाते हैं
(3) दबाव से बचें।
(4) योन सम्बन्धों से लगने वाले रोगों से बचने और उन्हें फैलने से रोकने के लिए कंडोम का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए।
(5) मधुमेह का रोग हो तो रक्त की शर्करा को नियंत्रण में रखाना चाहिए।असामान्य योनिक स्राव के लिए क्या डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिए?
हां, शीघ्र ही डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए। वे आपके लक्षणों की जानकारी लेंगे, जननेन्द्रिय का परीक्षण करेंगे और तदनुसार उपचार बतायेंगे।
अंडे की रिहाई के लक्षण (Symptoms of egg release)
अंडे रिहाई के लक्षण का मतलब होता है कि महिला का गर्भवती होना प्रेगनेंसी के पहले होता है और इसके बहुत सारे लक्षण होते हैं कोई भी शारीरिक क्रिया बिना शारीरिक लक्षण के संपन्न नहीं होती है वह चाहे ओवुलेशन के लक्षण हो चाहे प्रेगनेंसी के लक्षण हो और चाहे वह किसी अन्य शारीरिक क्रियाओं संबंधी लक्षणों इन सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए मैं आप लोगों को अंडे रिहाई के कुछ लक्षणों को लिस्ट के माध्यम से दर्शाया चाहता हूं जो आप लोगों के समक्ष नीचे प्रस्तुत किए गए हैं।
- हल्की ब्लीडिंग होना
- जी मत चलाना
- पाचन संबंधी समस्याएं
- शरीर में भारीपन होना
- शरीर का तापमान थोड़ा बढ़ना उसके बाद फिर कम होना।
- Lh में वृद्धि होना
- Yoni mein sujan hona
- सेक्स करने की इच्छा बढ़ जाना।
- पेट के नीचे हल्का दर्द ऐंठन होना
- सरविक्स का कोमल होकर खुल जाना।
प्रेगनेंसी के लक्षण (symptoms of pregnancy)
मां बनाना था गर्भवती होना एक सौभाग्य था एक बहुत ही अच्छा माहौल होता है जो प्रत्येक महिला का सौभाग्य समझा जाता है इसीलिए लोग प्रेगनेंसी के कोई तैयार है अथवा नहीं तथा गरबा प्रेग्नेंट हो गया है तो उसका अंदाजा कैसे लगाया जाए इन सारी चीजों के बारे में हम आप लोगों को एक-एक करके सारी चीजों के बारे में बताएंगे और उसके लक्षण के बारे में भी आप लोगों को दिखाएंगे कि उस के सामान्य लक्षण क्या होते हैं तथा उसको जांच कराने पर क्या लक्षण निकलता है इन सारी चीजों के बारे में आप लोगों को विस्तृत जानकारी दिया जाएगा जो नीचे लिस्ट के माध्यम से आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत है।
- पीरियड मिस होना।
- बार बार टॉयलेट जाना
- ब्रेस्ट में हल्का भारीपन होना।
- उल्टी आना अथवा जी मचलना।
- हल्का बुखार होना।
- टेस्ट योग इसमेंल बदला।
- पेट में दर्द होना।
पीरियड मिस होना।
अगर आपकी उम्र बच्चा पैदा करने की है तो एक हफ्ते अथवा उससे अधिक समय तक अगर आपका प्रिय में सो जाता है तो इसका मतलब आप समझ जाइए कि आप प्रेग्नेंट हो गए हैं यह एक महत्वपूर्ण लक्षण माना जाता है किसी भी को प्रेग्नेंट होने से।
बार बार टॉयलेट आना।
बार बार टॉयलेट जाना भी एक महत्वपूर्ण लक्षण होता है प्रेग्नेंट होने का शैलेश लक्षण को देख कर भी लोगों को यह विश्वास हो जाता है कि वह गर्भवती है अथवा नहीं।
ब्रेस्ट में हल्का भारीपन
यह भी एक बहुत ही महत्वपूर्ण लक्षण होता है किसी महिला के गर्भवती होने का क्योंकि जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है तो उसकी बेस्ट में होगा भारीपन हो जाता है क्योंकि जब वह बच्चे को जन्म देते हैं दोस्त को स्तनपान करा सके इसीलिए या भी एक महत्वपूर्ण लक्षण होता है।
उल्टी आना था जी मिचलाना
किसी महिला को अगर उल्टी हो जाता है तो लोग बिना बताएं यह जान जाते हैं कि वह महिला प्रेग्नेंट है अथवा उसका जी मचल आता है ना खाने का मन करता है इत्यादि बहुत सारे लक्षण ऐसे हैं जो कि जी मिचलाना उल्टी होना प्यार से कंफर्म हो जाता है कि महिला प्रेग्नेंट है तो नहीं।
हल्का बुखार होना
जब हमारे शरीर मैं कोई ऐसी प्रिया होती है जिससे कि प्रेग्नेंट होने का चांस बढ़ता है तो हमारे शरीर में हल्का बुखार होता है या अभी तक नैंसी का एक महत्वपूर्ण लक्षण माना जाता है।
पेट में दर्द होना
प्रेग्नेंसी के समय अक्सर आप लोगों ने देखा होगा तो सुना होगा अथवा पढ़ा होगा कि पेट में दर्द उठता है और इससे बहुत ज्यादा तकलीफ होती है लेकिन यह प्रेग्नेंट होने का महत्वपूर्ण लक्षण माना जाता है।
note:
ऊपर दिए गए लक्षणों के बारे में जानकारी लेने के बाद आप लोग समझ गए होंगी कि यह लक्षण प्रेगनेंसी के होते हैं लेकिन यह बात मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि यह कोई साक्ष्य बात नहीं इसीलिए आप बिना किसी जांच के अथवा डॉक्टर की सलाह से जब तक ना कहा जाए तब तक आप इन सारी चीजों पर विश्वास ना करें।
अंडा फटने की दवा (egg break medicine)
जब हम महिलाओं के गर्भावस्था के बारे में बात करते हैं तो बहुत सारी बातें सामने आती हैं जैसे कि अंडा पटना जब तक महिलाओं की शारीरिक क्रियाओं को संपन्न करते समय अथवा पर आते समय उनके शरीर में अंडा नहीं कटेगा तब तक गर्भवती नहीं हो सकती है बहुत सारी महिलाओं को कुछ शारीरिक समस्याओं के कारण उनके अंदर फटने की समस्या हो जाती है लेकिन इसके लिए बहुत सारी अंग्रेजी आयुर्वेदिक तथा खान-पान की बहुत सारी चीजें हैं जिनके माध्यम से आप लोग संडे को हो सकते हैं जैसे कि अगर आप खानपान में सुधार करें जिसे ड्राई फूड फाइबर वाली चीजें अथवा मक्खन ही अथवा फल सब्जी तथा पत्तेदार सब्जी हरा साग इत्यादि का सेवन करें तो आपको मेरी पत्नी में ज्यादा लाभ मिलेगा।
एचसीजी इंजेक्शन के बाद ovulation के लक्षण (Symptoms of Ovulation After HCG Injection)
एच सीजी यह एक प्रकार का इंजेक्शन होता है जो कि गर्भावस्था के समय दिया जाता है और उसके बाद प्रेगनेंसी के लक्षण किस प्रकार से होते हैं उन सारी चीजों के बारे में आप लोगों को बताऊंगा तथा के बारे में आप लोगों को जानकारी दूंगा किया किस प्रकार से कार्य करता है।hcg एक प्रकार का हारमोंस होता है जो कि हमारे शरीर में जाता है तो यह प्रेगनेंस आने की जांच को बढ़ा देता है एचसीजी हार्मोन की अधिकता होने पर हमारे शरीर में कई कार्य प्रभाव पड़ते हैं इसके बहुत सारे लाभ तथा बहुत सारे नुकसान होते हैं जो कि हम लोग जानते हैं इसीलिए इसका उपयोग महिलाओं को करना चाहिए प्रेगनेंसी में समस्या उत्पन्न करती हूं लेकिन अगर किसी ने एचसीजी हार्मोन पर्याप्त मात्रा में है और मैं एचसीजी हारमोंस का बाहर से इंजेक्शन के रूप में उपयोग करते हैं तो उनके लिए नुकसानदायक भी हो जाता है इसके अगले साल के बाद लक्षण होते हैं जो नीचे दिए गए।
- जुड़वा बच्चे पैदा होना तो 3 बच्चे पैदा होना एच सीजी का लेवल बढ़ जाना होता।
- इसके अत्यधिक प्रयोग से मिसकैरेज होना अथवा गर्भपात होना भी बढ़ जाता है।
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी।
- शिशु के विकास में कोई दिक्कत।
- अंडाशय और गर्भाशय में कोई असामान्य उत्तक का बढ़नाइसमें महिलाओं में होने वाले कुछ प्रकार के कैंसर भी शामिल है जो कि उनके जानमाल के लिए खतरा होता है।
अंडा फटने के बाद गर्भावस्था के लक्षण
अंडा फटने के बाद क्या होता है?
ओवरी में अंडा रिलीज होता है होता है और ऑब्लेशन होता है अंडा सेटेलाइट जोकर ओवरी से गर्भाशय में आ जाता है और इस प्रकार से पूरी प्रक्रिया पूर्ण होती है।
गर्भ ठहरने के बाद क्या होता है?
गर्भ ठहरने के बाद मासिक स्राव बंद हो जाता है और डॉक्टर महिला की योनि में बच्चेदानी की जा सकती है और इस प्रकार से उसे मां बनने का संकेत मिल जाता है।
गर्भ ठहरने के लक्षण क्या क्या है?
गर्भ ठहरने के बहुत सारे लक्षण है जो मैं आपको बताना चाहता हूं कि बेस्ट में सूजन आना निप्पल का रंग बदलना। जी मतलना ना उल्टी होना।
पीरियड के कितने दिन बाद ओवुलेशन शुरू होता है?
मासिक धर्म के 7 दिन पहले ओवुलेशन शुरू होता है ।
निषेचन के बाद क्या होता है?
निषेचन होने के बाद निषेचित अंडा तेजी से बढ़ने लगता है, यह एक जैसी कई कोशिकाओं में विभाजित होता है और फैलोपियन ट्यूब को छोड़कर बहकर नीचे आता है और निषेचन के 3 से 4 दिन बाद गर्भाशय में प्रवेश करता है और वह खुद को गर्भाशय की मोटी परत से जोड़ लेता है जिसे प्रत्यारोपण कहा जाता है।
निषेचन के कितने दिन बाद रोपड़ की क्रिया होती है?
निषेचन के 5 से 6 दिन बाद रोपड़ की क्रिया होती।ओवुलेशन होने के बाद समजो १८-२० घंटो में स्पर्म के साथ अंडे का मिलन या निषेचन नहीं हुआ तो आने वाले १४ दिनों के बाद पाकी माहवारी या मासिक धर्म शुरू हो जाता है यानि आपको पीरियड्स आ जाते है।
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