कबीर दास का जीवन परिचय के बारे में बताना चाहता हूं कि उनका जन्म कब हुआ था कहां हुआ था तथा उनके माता-पिता कौन थे तथा उनके गुरु कौन थे तथा उनको किसने ज्ञानतथा उन्होंने किस किस चीजों पर अपना उपदेश दिया तथा किन किन दोहों के माध्यम से समाज में फैली बुराइयों को खत्म किया तथा उन्होंने किन-किन चीजों पर जोर दिया उन सारी चीजों पर मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि वह किस काल के कवि थे तथा उनके समय के कौन-कौन कभी थे तथा उनके समय में लिखी गई दो तथा हिंदी भाषा की उपयोगिता तथा हिंदी भाषा में लिखी गई अन्य सारी चीजों तथा कबीर दास जी द्वारा लिखी गई ग्रंथों तथा काव्य का मूल्यांकन किस प्रकार किया गया उन सारी चीजों पर मैं आप लोगों को बात करना चाहता हूं और आप लोगों को एक टेबल के माध्यम से यह बताना चाहता हूं कि उनका जन्म तथा शिक्षा तथा उनका जन्म स्थान तथा उनका मृत्यु स्थान तथा उनका जन्म का समय तथा उनके मृत्यु का समय तथा उनके शिक्षा का समय तथा उनके माता-पिता कौन थे इन सारी चीजों के बारे में मैं आप लोगों को विस्तृत जानकारी देना चाहता हूं जिसके लिए मैं आप लोगों को नीचे टेबल बनाकर अधिक जानकारी देना चाहता हूं धन्यवाद
कबीर दास जी के बारे में | महत्वपूर्ण जानकारियां |
---|---|
नाम | संत कबीर दास |
उपनाम | कबीरा |
जन्म | सन 1398 लगभग |
जन्मभूमि | लहरतारा ताल काशी |
मृत्यु | सन 1518 लगभग |
मृत्यु आस्थान | मगहर काशी उत्तर प्रदेश |
गुरु जी का नाम | रामानंद जी |
माता का नाम | नीमा जी |
पिता का नाम | नीरू जी |
पत्नी | लुईजी |
संतान | कमाल पुत्र कमाली पुत्री |
पुत्र | कमाल |
पुत्री | कमाली |
कर्मभूमि | काशी बनारस |
कर्म क्षेत्र | समाज सुधारक कवि |
मुख्य रचनाएं | साखी सबद रमैनी |
भाषा | अवधी साधु ककड़ी पंचमेल खिचड़ी |
शिक्षा | निराक्षर |
नागरिकता | भारतीय |
काल के कवि | भक्तिकाल के कवि |
इस प्रकार से मैंने आप लोगों को कबीर दास जी के जीवन परिचय के बारे में बहुत सारी बातें टेबल के माध्यम से बता दी है जो आप लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा तथा आप लोग इन सारी चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेंगे और आप लोगों को बहुत ही अच्छा लगेगा इसीलिए मैं आप लोगों को आज कबीर दास जी के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए आप लोगों को यह कहता हूं कि आप लोग हमारे पोस्ट को पूरा लास्ट तक देखे जिससे कि आप लोग इसकी जानकारी प्राप्त कर सकें धन्यवाद
कबीर दास का जीवन परिचय PDF(Biography of Kabirdas ji PDF)
जैसे कि आप लोग जानते हैं कि मैं आप लोगों को आज कबीर दास जी के जीवन परिचय के बारे में पीडीएफ डाउनलोड करना चाहते हैं जो मैं आप लोगों को नीचे डाउनलोड करवा दूंगा जिसके बाद से मैं आप लोग काफी जानकारी पीडीएफ के माध्यम से हासिल कर लेंगे और इस प्रकार से आप लोग हमारे पीडीएफ को देख पाएंगे धन्यवादh download pdf
कबीर का जीवन परिचय class 11th(biography of kabir class 11th)

अब हम आप लोगों को यह बताना चाहते हैं कि जब हम लोग अपना पढ़ाई करते हैं तो उसमें बहुत सारे लेख को तथा कवियों के जीवन परिचय के बारे में जानकारी लेनी पड़ती है तथा उनका जीवन परिचय लिखना पड़ता है उसी प्रकार मैं आप लोगों को आज कबीर दास जी के जीवन परिचय के बारे में का जो कि कक्षा 11 में पूछा जाता है अक्सर उसके बारे में मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं तथा उनके जीवन परिचय को किस प्रकार लिखना है तथा उसे कुछ प्रकार प्रस्तुत करना है उन सारी चीजों के बारे में मैं आप लोगों को अच्छी तरह से बताना चाहता हूं कि उसको प्रस्तुत करने के लिए आपको किस प्रकार से लिखना होता है तो सबसे पहले आप लोगों को उनके जन्म केबारे में तथा उनकी मृत्यु के बारे में तथा उनके माता-पिता के नाम के बारे में तथा उनके गुरु के नाम के बारे में तथा उनकी शिक्षा-दीक्षा के बारे में तथा उनके पालन पोषण के बारे में तथा उनकी कृतियों के बारे में तथा उनकी भाषा के बारे में तथा उनके अन्य चीजों के बारे में जानकारी करते हैं ठीक उसी प्रकार मैं आप लोगों को उनके बारे में विस्तृत जानकारी देना चाहता हूं जो नीचे दिया गया है
कबीरदास का जन्म एवं मृत्यु
कबीर दास जी का जन्म लहरतारा ताल के पास काशी में उत्तर प्रदेश में सन 1398 ईसवी में हुआ था इनके माता-पिता जुलाहे का काम करते थे एवं उनके जन्म के विषय में कोई प्रत्यक्ष तथा साक्ष्य प्रमाण आज तक उपलब्ध नहीं है इसीलिए इनके जन्म के बारे में लगभग की जानकारी दी जाती है मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि इनकी मृत्यु सन 1528 बी में मगहर काशी में उत्तर प्रदेश में हुआ था यह अपने कृतियों को अमर करते हुए तथा अपने विचारों को स्थापित करते हुए हमारे तथा आप लोगों को छोड़कर चले गए
कबीर दास जी के माता पिता एवं उनके गुर
कबीर दास जी माता तथा पिता के बारे में या कहा जाता है कि उनकी माता एक विधवा थी जो कि रामानंद जी के आशीर्वाद से उनको पुत्र का प्राप्ति हुआ लेकिन उनका लालन-पालन एक जुलाहे परिवार द्वारा किया गया था इसीलिए उनके माता-पिता के स्थान पर उनका नाम लिया जाता है जिनमें से उनका नाम था नेहरू तथा नीमा उन्हीं के द्वारा उनका लालन-पालन हुआ था इसीलिए उनके माता-पिता का नाम नेहरू तथा नीमा के नाम से जाना जाता है और कबीरदास भी उन्हीं को अपना माता-पिता मानते थे इसीलिए उन्होंने अपने बारे में बताते हुए लोगों को अपने माता-पिता का नाम नीरू नीमा बताया तत्पश्चात उनके ग्रुप की बात किया जाए तो उनके गुरु का नाम रामानंद जी था जो कि हिंदी भाषा के महान विद्वान थे इसीलिए उन्होंने भी रामानंद जी को अपना गुरु माना और हिंदी काव्य के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर ली वही निर्गुण काव्य धारा के कवि थे वह ईश्वर के निराकार रूप को मानते थे वह मूर्ति पूजा जाति प्रथा तथा कुरीतियों पर विश्वास ना करते थे और ना किसी को करने की प्रेरणा देते थे इसीलिए वह आज के युग के तथा आज के जमाने के प्रेरणा के स्रोत के नाम से जाने जाते हैं
कबीर दास जी की भाषा
जब हम लोग कबीर दास जी की भाषा की बात करते हैं तो बहुत ही आनंददायक भाषा इनकी थी इनकी भाषा में बहुत सारी भाषाओं का मेल है जैसे हिंदी संस्कृत उर्दू खड़ी बोली अवधी ब्रज खड़ी पंजाबी मराठी तथा राजस्थानी तथा बहुत सारी भाषाओं का इन्हें ज्ञान था इसीलिए लोग इनकी भाषा को पंचमेल खिचड़ी के नाम से जाने जाते हैं इनके शब्द ऐसे थे कि लोग देहात में भी इनके शब्दों पर बहुत ही अच्छी जानकारी प्राप्त करते थे तथा बहुत ही अच्छे से उसको ग्रहण करते थे इसीलिए यह बहुत ही महान कवि तथा बहुत ही अच्छे विचारधारा माने जाते थे मैं आप लोगों को बता दूं कि इनकी विचार लोगों के दिलों में आज भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
कबीरदास जी की रचनाएं एवं कृतियों का उल्लेख
कबीर दास जी की रचनाओं एवं कृतियों की बात किया जाए तो उन्होंने बहुत सारी रचनाओं तथा कृतियों का उत्थान किया जिनमें से इनकी तीन प्रमुख कृतियां मानी जाती हैं जो कि उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण है इसमें से साक्षी तथा शब्द तथा रमैनी यह तीन उनकी प्रमुख कृतियों में से एक हैं इनके द्वारा उन्होंने समाज में बहुत सारी कुरीतियों तथा जाति प्रथा तथा वर्ण व्यवस्था के बारे में बहुत ही अच्छे से लोगों को समझाने का कार्य किया है इसीलिए मैं आप लोगों को आज कबीर दास जी की कुछ रचनाओं के बारे में एक लिस्ट देना चाहता हूं जो नीचे लिखा गया है
- सबद
- साखी
- रमैनी
- भक्ति के अंग,
- कबीर की वाणी,
- राम सार,
- उग्र गीता,
- अलिफ़ नफ़ा,
- कथनी,
- ज्ञान गुदड़ी,
- ज्ञान सागर,
- करम,
- चाणक,
- राम सार,
- रेखता,
कबीर का जीवन परिचय PPT(Biography of Kabir PPT)
जिस प्रकार से मैंने आप लोगों को कबीर दास जी के जीवन परिचय के बारे में अन्य सारी जानकारियां उपलब्ध करवाई ठीक उसी प्रकार मैं आप लोगों को आज कबीर जी के जीवन परिचय के बारे में विस्तृत जानकारी दूंगा तथा उसकी पीपीटी आप लोगों तक पहुंच आऊंगा जिससे कि आप लोग उसकी पूरी जानकारी प्राप्त कर सकें और आप लोग पीपीटी के माध्यम से देख सके कि कबीर दास जी का जन्म कब हुआ कैसे हुआ कहां हुआ था उनके माता पिता का नाम क्या था उनकी पत्नी का नाम क्या था उनके गुरु का नाम क्या था तथा उनकी अन्य सारी जानकारियों के बारे में जैसे उनके पुत्र का नाम क्या था उनकी पुत्री का नाम क्या था उनका जीवनकाल कैसे वितरित हुआ उनका जन्म कैसे हुआ था उनका मृत्यु कैसे हुई चीजों के बारे में मैं आप लोगों को जानकारी देना चाहता हूं जो आप लोगों के लिए आप लोग आप लोग पीपीटी के माध्यम से नीचे दिया गया है उस के माध्यम से अधिक जानकारी प्राप्त कर लेंगे और लोगों को शेयर करेंगे जिसके बारे में आप लोगों को अधिक जानकारी हो जाएगी कबीर दास के जीवन परिचय कबीरकबीर दास जी एक महान कवि तथा हिंदी भाषा के उत्कृष्ट विद्वान माने जाते हैं जो कि मैं आप लोगों को नीचे पीपीटी के माध्यम से बताना चाहता हूं
कबीरदास जी का जीवन परिचय 300 शब्दों में(Biography of Kabirdas ji in 300 words)
मैं आपको बता दूं कि कबीर दास जी हिंदी भाषा के महान कवि अथवा उच्च कोटि के विद्वान थे उन्होंने अपनी कृतियों में समाज के बारे में तथा लोगों के बारे में बहुत ही उच्च विचार दिए हैं जो कि लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित होते दिखे हैं इसीलिए मैं आप लोगों को आज उनके बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए तो आप लोगों को उन सारी चीजों के बारे में बताएंगे जो कबीर दास जी के जीवन संघर्ष में हुए थे इसीलिए मैं आप लोगों को उन सारी चीजों के बारे में विस्तृत जानकारी लेना चाहता हूं
कबीर दास जी एक महान कब ही नहीं अपितु उच्च कोटि के आदित्य विचारधारा समाज सुधारक तथा महान कवि माने जाते हैं कबीर दास जी ने अपनी कल्पनात्मक का एवं उच्च विचार रखता के माध्यम से अपने विचारों तथा अपनी कृतियों की रचना की है कबीर दास जी भक्ति काल के ऐसे कवि हैं जिन्होंने अपनी सकारात्मक विचारधारा को मत दे रखते हुए अपने समाज को तथा अपने भारतीय संस्कृति को बहुत ही ऊपर लाने का प्रयास किया है और लोगों को समझाने का प्रयास किया इसके अलावा उन्होंने अपने समाज में उत्पन्न बुराइयों ऊंच-नीच की प्रायोजक गुजरात की बुराइयों तथा धर्म जात की बुराइयों को हटकर उन सारी चीजों के विरोध में अपनी कृतियों की रचना की है जो कि आज के जमाने में सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती हैमैं आपको बता दूं कि कबीर दास जी को कई भाषाओं का ज्ञान था उन्होंने ब्रज अवधि उर्दू हिंदी तथा खड़ी बोली इत्यादि अन्य भाषाओं में अपने काव्य की रचना की है जो कि अपने आप में अद्वितीय है
मैं आपको बता दूं कि कबीर दास जी भक्ति काल के निर्गुण काव्य धारा के कवि थे ये लोग ईश्वर के आकार पर विश्वास नहीं रखते थे उनका मानना था कि ईश्वर को कोई नहीं बना सकता ईश्वर का आकार कोई निर्धारित नहीं कर सकता तथा ईश्वर की प्रतिमा का कल्पना करना एक अपराध के समान देखते थे इसीलिए मैं आप लोगों को यह बताना चाहता हूं कि यह बहुत ही महान विद्वान एवं सकारात्मक विचारधारा के महान कवी थे जिन्होंने जात धर्म तथा मजहब से उठकर अपने विचार को प्रस्तुत किया जो कि आप लोगों के लिए तथा पूरे समाज के लिए एक क्रांति का रूप ले आया
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कबीर दास जी का जन्म काशी में हुआ था तथा सन 1398 ईसवी में हुआ था इनके माता पिता का नाम नीरू नीमा तथा पुत्र तथा पुत्री का नाम तथा पत्नी का नाम लुई कमाल तथा कमाली था जीवन के संबंध में कोई लिखित विचारधारा प्रस्तुत नहीं किया गया इसीलिए लोगों का मानना है कि कबीर दास जी के जन्म के संबंध में कोई लिखित तथ्य प्रमाणित रुप से नहीं उपलब्ध है इन्होंने अपनेेेेेे समाज के लिए कई सारेए कईलिएकेे तथा इन्होंने सन 1518 एचडी में अपनी वाणी को विराम देते हुए हम सबके बीच नहींं रहे और अपनी महानतम कृतियों से आज भी हम लोगोंं के जीवन में तथा हमारे देश में तथा हमारे भारतीय संस्कृति में उनका नाम आज भी अमर है तथा बहुत ही आदर से लिया जाता है
कबीर दास जी के बारे में कहा जाता है कि यह एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से पैदा हुए थे इसका तथ्य बहुत सारे विद्वानों द्वारा यह निकल कर आ रहा है कि पृथ्वी ब्राह्मणी महान गुरु रामानंद स्वामी जी के यहां गई और उनसे आशीर्वाद लिया तो आशीर्वाद के स्वरूप में रामानंद जी ने उन्हें सौभाग्यवती होने का वरदान दे दिया तत्पश्चात कबीर दास जी का जन्म हुआ और उनका पालन पोषण की बात आई तो यह हुआ कि अगर विधवा के गर्भ से बच्चा पैदा होगा तो उसका बहुत समाज में बुराई होगा इसीलिए रामानंद स्वामी जी ने उस बच्चे को नदी के किनारे बसे जुलाहे के यहां भिजवा देते हैं और उसका पालन-पोषण वही लोग करते हैं और वही उनके माता-पिता के नाम से जाने जाते हैं यह कोई पौराणिक तथा कोई कहावत की बात नहीं है यह बहुत सारे विद्वानों द्वारा कहा गया है मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि जब कभी भारतीय संस्कृति तथा भारतीय विचारधारा की बात की जाती है तो महात्मा कबीर का नाम उसमें शामिल किया जाता है क्योंकि अगर किसी ने भी बुध के बाद समाज के बारे में जाति प्रथा ओं के बारे में रोड वारिता के बारे में तथा समाज में फैली बुराइयों के बारे में अगर किसी ने उसको उत्थान करने के बारे में सोचा तो हमारे कबीर दास जी थे और कोई नहीं इसीलिए कबीर दास जी का नाम भारत में बहुत ही आदर से लिया जाता है तथा उनके विचारों पर चलने वाले आज करोड़ों लोग उनके लिए बहुत ही आभार व्यक्त करते हैं तथा उनके जीवन को अपने आदर्शों को मानते हैं
कबीरदास जी का जीवन परिचय वीडियो(Kabirdas Ji Biography Video)
जैसे कि आप लोग जानते हैं कि मैं आप लोगों को आज कबीर दास जी के जीवन परिचय के बारे में विस्तृत जानकारी देना चाहता हूं इसीलिए मैं आप लोगों को यह बताना चाहता हूं कि किस प्रकार से कबीर दास जी का जन्मसन 1398 ईसवी में हुआ था तथा उनके माता-पिता का नाम नीरू नीमा तथा उनकी पत्नी का नाम लुई था तथा उनके बच्चों का नाम कमाल तथा कमाली था इस प्रकार से उनके पूरे जीवन काल की पूरी जानकारी देने के लिए मैं आप लोगों को एक वीडियो देना चाहता हूं जिसके माध्यम से आप लोग कबीर दास जी के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर पाएंगे केवल 5 मिनट में ही आप लोग कबीर दास जी के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर लेंगे और बहुत ही अच्छा महसूस करेंगे इसीलिए मैं आप लोगों को आज कुछ अच्छी चीजों के बारे में जानकारी देना चाहता हूं जो कबीर दास जी के बारे में बहुत ही अच्छे से कही गई है इसीलिए मैं आप लोगों को कबीर दास जी के वीडियो के बारे में नीचे डिस्क्रिप्शन में लिंक दिया रहा हूं जो आप लोगों के लिए महत्वपूर्ण होगा
कबीर दास जी का जन्म कब हुआ था(When was Kabir Das ji born?)
कबीर दास जी के जन्म के बारे में कोई उचित जानकारी नहीं है इसीलिए बहुत सारे लोग कबीर दास जी का जन्म उनके रचनाओं के हिसाब से तय करते हैं इसीलिए बहुत सारे लोग को यह पता नहीं है तथा किसी भी को यह पता नहीं है कि कबीर दास जी का जो अस्तित्व है वह कहां से उजागर हुआ इन सारी चीजों के बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं है लेकिन मैं आप लोगों को यह बताना चाहता हूं कि कबीर दास जी का जन्म लगभग 1398 ईसवी को काशी के निकट एक गांव में माना जाता है लेकिन लोग मानते हैं कि उनकी माता पितानीरू नीमा का पालन पोषण नीरू नीमा के द्वारा किया गया एवं उनकी शिक्षा-दीक्षा का कार्य उनके द्वारा संपन्न कराया गया कबीर दास जी बचपन में ही उत्तम प्रवृत्ति के व्यक्ति थे वह जब कहीं पर कोई बुराई देखते तो उसके बारे में गहन चिंतन मनन करते हुए किसी भी चीज के पीछे इतनी जिज्ञासा रखते थे कि वह बिना उस चीज को जाने चैन से नहीं बैठते थे मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं
कबीर दास जी का जन्म | लगभग 1398 ईसवी माना जाता है |
कबीर दास जी का जन्म स्थान | काशी माना जाता है इनका जन्म स्थान |
कबीर दास जी का मृत्यु | उनकी मृत्यु लगभग 1528 इसवीभी माना जाता है |
कबीर दास जी का मृत्यु स्थान | कबीर दास जी का मृत्यु अस्थान मगहर माना जाता है |
कबीर दास जी के गुरु का नाम | कबीर दास जी के गुरु का नाम रामानंद जी था |
कि किसी चीज की जानकारी रखने तथा जानकारी प्राप्त करने को ही जिज्ञासा कहते हैं जिस व्यक्ति में जिज्ञासा नहीं वह मनुष्य नहीं किसी चीज की जानने की इच्छा अगर आप में नहीं है तो आप की बुद्धि तथा आपके विचार पर सवाल उठता है इसीलिए कबीर दास जी कोई पढ़े लिखे तथा इसी विद्यालय में तो पढ़ने नहीं गए थे लेकिन उनके विचार अति उत्तम अति प्रभावशाली तथा अत्यंत विचार साली भाव प्रकट करने में माहिर थे वह अपने विचार से लोगों को इतना प्रभावित करते थे कि लोग उनके आगे पीछे घूमते रहते थे उनकी वाणी को सुनने के लिए बहुत से लोगों ने उनको अपने दरबार में राजाओं महाराजाओं ने बुलाया लेकिन वह अपने ज्ञान को किसी के यहां बंधक बनकर नहीं सुनाना चाहते थे इसीलिए उन्होंने अपने ज्ञान को सिर्फ और सिर्फ समाज के बीच बांटा समाज को सुधारा तथा व्यक्तित्व को सुधारने के लिए उन्होंने बहुत सारे दोनों का निर्माण किया जिससे कि समाज में फैली बुराइयां खत्म हो जाए और एक नए समाज की उत्पत्ति हो रोड वारिता धर्म वादी तथा समाज में फैली बुराइयों को खत्म करने के लिए उन्होंने बहुत सारी रचनाओं का उल्लेख किया था बहुत सारे दोहों का परीक्षण किया उनकी प्रमुख रचनाओं में से साखी सबद रमैनी महत्वपूर्ण है
जिनमें उन्होंने समाज के व्यक्तित्व की बात तथा समय की बात तथा लोगों के विचार तथा लोगों के लोगों को खत्म करने के बारे में तथा लोगों की समस्याओं को हल करने के बारे में तमाम तरीके से दोनों का निर्माण किया जिनके माध्यम से लोगों को बहुत अच्छी जानकारी प्राप्त हो सके और उन्हें किसी भी समस्या से समाधान मिल सके उन्होंने किसी व्यक्ति विशेष के बारे में कभी दोहा नहीं लिखा कि उन्होंने किसी राजा महाराजा के बढ़ाई में ना तो वीरता के प्रति उन्होंने किसी दोहा का निर्माण किया की वीरता के प्रति दोनों का निर्माण किया उन्होंने समाज के प्रति व्यक्तित्व के प्रति तथा समाज सुधार के प्रति दोनों का निर्माण किया जिससे लोगों का भला हो सके और इस प्रकार से उन्होंने बहुत सारी रचनाओं के कुछ महत्वपूर्ण
- बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिलिया कोई जो। दिल खोजा आपना मुझसे बुरा न कोई।।
- काल करे सो आज कर आज करे सो अब पल्ले में पहली बार करोगे कभी कबीरा बहुरि करोगे कब
- वृक्ष कबहु ना फल भाखय नदी न संचय नीर परमारथ के कारने साधु धरा शरीर कबीरा
- कबीरा खड़ा बाजार में मांगे सबकी खैर ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर ना काहू से बैर
- गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागू पाय बलिहारी गुरु आपकी गोविंद दियो बताए कबीरा गोविंद
- पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ पंडित हुआ न कोई ढाई अक्षर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय कविरा
इस प्रकार से मैंने आप लोगों को कबीर दास जी कीतमाम कविताओं के बारे में ऊपर चर्चा किया जिसमें कभी पर किसी व्यक्ति विशेष की बात नहीं की गई है केवल और केवल समाज की बात की गई है किसी भी दोहे में ऐसी चीज का वर्णन नहीं किया गया है जिससे किसी के दिल को ठेस पहुंचे तथा किसी की बढ़ाई हो उसमें सिर्फ और सिर्फ समाज के तत्वों के बारे में विचार किया गया है तथा इसमें कहा गया है कि अगर ऐसा आप करेंगे तो ऐसा हो जाएंगे इसमें पूरे दुनिया में काम आने वाली दोहा है यह दीपक की जहां जाएगा वहां जाना कर देगा उसी प्रकार कबीर दास जी के दोहे हैं जो जहां पर पढ़ लेगा उसकी बुद्धि वहीं पर तुरंत विचार करने लगेगा कि यह किस प्रकार से कहा गया है इसीलिए मैं आपको आज कबीर दास जी के बारे में कुछ जानकारी देना चाहता था जो ऊपर दिया है
कबीर दास जी की पत्नी का क्या नाम था(what was the name of the wife of kabir das ji)
जिस प्रकार आप लोग जानते हैं कि मैं आप लोगों को आज कबीर दास जी के जीवन के बारे में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका हो तथा उनके समाज के प्रति निष्ठा तथा कर्तव्य पूर्ण जीवन के बारे में मैं आप लोगों को उनके जीवन के बारे में जानकारी देना चाहता हूं कि वह कितने साहस पूर्ण तथा कितने कर्तव्य पूर्ण ढंग से अपने जीवन का निर्वाह करते हुए समाज के लिए तथा अन्य सारी धर्म जात से उठकर किस प्रकार से उन्होंने लोगों की मदद करने के लिए लोगों को प्रेरित किया तथा खुद अपने भाव को किस प्रकार से प्रकट किया उन सारी चीजों के बारे में मैं आप लोग को विस्तृत जानकारी देना चाहता हूं
उसी के साथ साथ उनके जीवन में साथ निभाने वाले लोगों उनके माता-पिता उनके पत्नी तथा उनके पुत्र पुत्री के बारे में भी मैं आप लोगों को जानकारी देना चाहता हूं इसीलिए मैंने आप लोगों को इन सारी चीजों के बारे में विस्तृत जानकारी दें मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि कबीर दास जी 1 जुलाई के यहां पहुंचे गए थे आप लोग जानते होंगे कि जुलाई लोगों का काम कपड़ा बेचना होता है तथा कपड़ा मिलना होता है इसीलिए मैं अपना जीवन अपने घरेलू कार्य से कर कर व्यतीत करते थे तथा बड़े होने पर उनकी शादी जुलाहे की लड़की के साथ हुआ जिसका नाम लुई था मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि लुई अत्यंत सरल स्वभाव अपने पति भक्ति के लिए संपूर्णण दुनिया अपनााा नाम रोशन कर गई
जिस प्रकार से उन्होंने अपनी पत्नी धर्म को निभाया कि आज जमाने में कोई उस प्रकार से नहीं कर सकता उन्होंने अपने सभी सांसारिक सुखों का त्याग करके कबीर दास जी के हिसाब से अपने जीवन को यापन किया उन्होंनेमैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि कबीर दास जी इतने उत्तम प्रकृति के कवि थे कि अगर उन्हें अपना सुख में जीवन जीना चाहते तो किसी भी राजा के यहां राज दरबार में जाते और उनसे अच्छा अच्छा उपहार ग्रहण करते और उनका बढ़ाई करते लेकिन मैं अपने समाज में व्याप्त बुराइयों को खत्म करने के लिए ना किसी राजा की बढ़ाएगी और ना किसी सम्राट के यहां दरबार में दरबारी कवि बन कर रहे उन्होंने अपने काव्य में केवल समाज सुधार धर्म सुधार तथा व्यक्ति विशेष सुधार के बारे में तथा समय के तथा अन्य सारी चीजों के बारे में कविताएं लिखी जिनके माध्यम से लोगों को उचित जानकारी तथा उचित ज्ञान प्राप्त हो सके जिससे लोग अपने समाज के प्रति अपने देश के प्रति तथा अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा थे इसीलिए उन्होंने अपने समाज के लिए अपने व्यक्तित्व के लिए अपने राष्ट्र के लिए तथा अपनी भाषा के लिए एक मिसाल बन कर जीवन यापन किया उनके जीवन में उनकी पत्नी भी उनके कर्तव्य को पूर्ण कराने में कम साथ नहीं दिया इसीलिए लुईजी का नाम भी बहुत आदर से लिया जाता है और उनके आदर्शों को बहुत ही परिपूर्ण ढंग से माना जाता है कबीर दास जी को आज लोग कलयुग के भगवान तथा अन्य सारे नामों के बारे में चर्चा करते हैं जिन्होंने हमारे समाज को मानवता तथा अन्य सारी चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त करें
कबीर किस प्रकार के संत थे(what kind of saint was kabir)
कबीर दास जी भक्ति काल के एक ऐसे कवि थे जिन्होंने समाज में फैली कुरीतियों तथा समाज में फैली रूढ़ियों के खिलाफ आवाज उठाया तथा अपने कृतियों के सहारे दुनिया को इस प्रकार मोहित किया कि लोग उनके आदर्शों तथा उनके विचारों को मानने लगे तथा इस प्रकार से उन्होंने अपने विचार को प्रस्तुत किया जिससे कि हिंदू मुस्लिम तथा जितने भी धर्म है इस दुनिया में सभी लोगों ने उनको महान बताया तो था उनके आदर्शों पर चलने का रहा अपनाया इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि कबीर दास जी भारत के एक महान विद्वान प्रखंड विद्वान एवं बहुत ही अच्छे हिंदी काव्य थे जिन्होंने भारत में फैली बुराइयों जैसे मूर्ति पूजा रूढ़िवादिता रोजा नमाज मूर्ति पूजा इतिहास रोडियो को उन्होंने जड़ से खत्म करने का काम किया इन्होंने समाज के लिए बहुत सारे दोहों का रचना किया जिसमें से उन्हें समाज को सुधारने का जो दायित्व था वह उनके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण लगा उन्होंने अपने एक दोहा में कहा समय को ध्यान में रखते हुए कहा कि समय कितना मूल्यवान होता है इसके लिए उन्होंने एक दोहा लिखा जिसमें उन्होंने कहा काल करे सो आज कर आज करे सो अब पल में प्रलय होएगी बहुरि करोगे कबइसका अर्थ यह हुआ कि जो कल करना है उसको आज कर लो और आज जिसको करना है वह तुरंत कर लो और कौन जानता है कि कब क्या हो जाएगा इसीलिए किसी के इंतजार किए बिनाा किसी भी काम को तुरंत कर लेना चाहिए
मैं आपको बताना चाहता हूं कि कबीर दास जी हिंदी भाषा के महान कवि महान विद्वान तथा महान समाज सुधारक थेइन्होंने अपनी महान कृतियों से भारत को एक अनूठी एवं नई दिशा दी जिसके ऊपर भारत के लोग चलकर जात धर्म तथा समाज तथा लोगों से उठ कर अपने जीवन के बारे में सोचें इसी वजह से इनकी गिनती भारत के महानतम कवियों में से लिया जाता हैमैं आपको बताना चाहता हूं कि कबीर दास जी आज दुनिया में नहीं है किंतु उनकी द्वारा कही गई बातें तथा उनके द्वारा लिखे गए दोहे आज भी हमारे लिए एक रोशनी की प्रकार हमारे समाज में फैली अंधेरों में काम कर रही हैं जब हम किसी पर रूढ़िवादिता अंधविश्वास इता तथा अन्य चीजों को देखते हैं तो हमें कबीर दास जी की दोहा याद आता है और हमारे लिए रोशनी का काम कबीर दास जी का दोहा काम करता है क्योंकि वह भारत के महान संत ही नहीं अपितु महान समाज सुधारक थे अगर बुध के बाद किसी का इतना बड़ा महानतम नाम तथा इतना बड़ा समाज सुधारक कोई हुआ तो वह हमारे कबीर दास जी थे उन्होंने जात धर्म से उठकर अपने कार्यों को आरंभ किया तथा उनसे लोगों के तथा समाज के बारे में बहुत अच्छी राय प्रकट की
कबीर दास जी की वाइफ का नाम क्या था
कबीर दास जी के वाइफ का नाम लुइ ही था
कबीर दास जी का जन्म कब हुआ था
कबीर दास जी का जन्म लहरतारा ताल काशी उत्तर प्रदेश में सन 1398 ईसवी में हुआ था
कबीर दास जी की मृत्यु कब हुई थी
कबीर दास जी की मृत्यु सन 1528 बी में मगहर उत्तर प्रदेश में हुआ था
कबीर दास जी के शिष्य कौन थे
कबीर रामानंद के शिष्य थे। रामानंद भक्ति काल के प्रमुख संत थे। कबीर के 12 शिष्य अनंतनांद, शसरुरानंद, सुखानंद, नारारीदास, भवानंद,
भगत पिपा, कबीर, सेन, धन्ना, रविदास और दो महिला शिष्य सुश्रुरी और पद्यवती थे।
कबीर किस प्रकार के संत थे
कबीर भक्ति काल के महान कवि एवं समाज सुधारक संत थे
कबीर के पुत्र तथा पुत्री का नाम
कबीर के पुत्र का नाम कमाल तथा उनके पुत्री का नाम कमाली था
कबीर दास जी के माता पिता का नाम क्या था
कबीर दास जी के माता तथा पिता का नाम नेरू तथा नीमा था
कबीर दास जी के भाषा को क्या कहते हैं
कबीर दास जी की भाषा को पंचमेल खिचड़ी के नाम से जाना जाता था क्योंकि उसमें अवधी ब्रज तथा बुंदेली उर्दू तथा हिंदी का मिश्रण होता था
कबीर दास जी की प्रमुख कृतियों का क्या नाम है
कबीर दास जी की प्रमुख कृतियों का नाम था साखी सबद रमैनी
कबीर दास जी के गुरु का क्या नाम था
कबीर दास जी के गुरु नाम रामानंद जी था