गाल का कैंसर के लक्षण – कैंसर एक प्रकार का बहुत गंभीर बीमारी है जो जानलेवा होता है कैंसर हमारे शरीर के किसी भी अंग में था किसी भी जगह पर हो जाता है लेकिन इसमें मुख्यता क्या होता है इस चीज के बारे में मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कैंसर में हमारे शरीर की कोशिकाएं अनियमित रूप से विभाजित होने लगती हैं और ऊतकों को नष्ट करने लगती है तथा उस जगह पर गांठ पड़ने लगता है और उसके बाद ट्यूमर का रूप ले लेता है और धीरे-धीरे वही ट्यूमर कैंसर के रूप में घाव बन कर उभरता है इस प्रकार से कैंसर की शुरुआत होती है क्योंकि हम आप लोगों को गाल के कैंसर के बारे में बता रहे हैं तो यह बताना बहुत जरूरी है कि गाल के कैंसर का मुख्य लक्षण क्या है तो नीचे आप लोग देख सकते

गाल का कैंसर के लक्षण
गाल के कैंसर के लक्षणों की जानकारी आप निम्नलिखित स्थिति में जान सकते हैं जो नीचे दिया गया
- गाल के अंदरूनी हिस्से में काला सफेद अथवा लाल धब्बे का दिखना।
- मुंह के अंदर गाल के अंदरूनी हिस्से का दर्द होना।
- दर्द बहुत असहनीय हो ना भी गले के कैंसर का महत्वपूर्ण लक्षण है।
- गला बैठ जाना
- मुंह के अंदर गाल के अंदरूनी हिस्से का सुन्न हो जाना ।
- कान का दर्द होना।
- दर्द ऐसे महसूस होना तथा ऐसे लगना कि आपके गले में कुछ फस गया हो।
- जबड़ा खोलने तथा बंद करने में कठिनाई हो ना।
- दांतों का हिलना अथवा दर्द करना।
- जबड़े की फिटिंग खराब हो जाना।
- दांतों का हिलना तथा आसपास दर्द होना।
- जबड़े में सूजन होना तथा दातों का दर्द होना।
- खाने-पीने के दौरान गालों के स्पर्श करने पर दर्द होना।
- खाते समय दर्द का बढ़ना।
गाल के कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज/ayurvedic treatment for cheek cancer
गले के कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी अगर किसी व्यक्ति को हो जाए तो बहुत ही घातक होती है और उसका जान भी ले सकती है इसीलिए आज मैंने आप लोगों को या जानकारी देने का निश्चय किया है कि अगर आप लोगों में से किसी को गलत का कैंसर हो जाता है तो आप कैसे उसका आयुर्वेदिक इलाज करें जिससे कि आप को बेहतर इलाज मिल सके और गला का कैंसर ठीक हो जाए इन सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए मैं आप लोगों को आज गले के कैंसर के इलाज के लिए आयुर्वेदिक दवाओं को नीचे टेबल के माध्यम से देना चाहता हूं जो आप लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।
कैंसर का आयुर्वेदिक इलाज | कैंसर का आयुर्वेदिक दवा |
---|---|
हल्दी पाउडर | ओमेगा 3 उपस्थिति वाला प्रोडक्ट |
तुलसी का रस | ओमेगा 6 उपस्थिति वाला प्रोडक्ट |
गिल शिरीन | तुलसी में उपस्थित आयरन |
करक्यूमिन | फैटी एसिड |
नेचुरल हीलर | विटामिन बी सिक्स |
घर-आंगन में पायी जाने वाली तुलसी और किचन में इस्तेमाल की जाने वाली हल्दी से मुंह के कैंसर का इलाज भी हो सकता है। बीएचयू की फैकल्टी ऑफ डेंटल साईंस के डॉक्टरों ने तंबाकू और गुटखा से होने वाले माउथ कैंसर के इलाज और इसकी रोकथाम के देसी इलाज का दावा किया है। शुरुआती लक्षणों में ही यह देसी इलाज कारगर साबित हो सकता है। डॉक्टरों की टीम ने इसपर शोध कर पाया है कि हल्दी में मौजूद करक्यूमिन कैंसर रोकने में भी मददगार साबित हुआ है तो तुलसी इस रोग में क्षमता बढ़ा देती है। डेंटल कौंसिल ऑफ इंडिया ने भी बीएचयू के इस शोध अध्ययन को मान्यता दे दी है।
वैसे तो तुलसी और हल्दी में कुदरती आयुर्वेदिक गुण होते ही हैं मगर इसमें कैंसर रोकने वाले महत्वपूर्ण एंटी इंफ्लेमेटरी तत्व भी होते हैं। तुलसी इस रोग में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देती है। मैग्नेशियम, पोटैशियम, आयरन, विटमिन बी सिक्स, ओमेगा थ्री, ओमेगा सिक्स फैटी ऐसिड और ऐंटिसेप्टिक गुणों से भरपूर हल्दी नैचुरल हीलर है। डॉक्टरों का दावा है कि इसमें मौजूद करक्यूमिन कैंसर रोकने में मददगार साबित हुआ है। तुलसी और हल्दी दोनों आयुर्वेदिक औषधियों असानी से उपलब्ध भी हैं।
गाल मुंह के कैंसर के फोटो/cheeks mouth cancer photos
गला मुंह के कैंसर बहुत ही खतरनाक होते हैं उनसे बचने के लिए आप लोगों को उनके लक्षणों तथा उनके सावधानियों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होगा इसीलिए मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि गुटखा पान मसाला तथा तंबाकू का सेवन करने वाले लोग इससे बहुत ही ग्रसित हैं इसीलिए आप लोगों को इन सारी चीजों से दूर रहना चाहिए तथा ब्लड कैंसर जिन लोगों को हो जाता है उनका जेनेटिक असर रहता है उनके खानदान में किसी न किसी को इस बीमारी से गुजरना पड़ता है इसलिए इससे भी आप लोगों को सावधान रहना चाहिए।
अंतिम चरण कैंसर के लक्षण/end stage cancer symptoms
कैंसर के बहुत सारे लक्षण होते हैं और जब व्यक्ति उन सारे लक्षणों को पहचान लेता है तथा उसके हिसाब से दवा कराने लगता है तो उससे वह बच जाता है मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि कैंसर जैसी घातक बीमारियों का इलाज नजदीक की में नहीं मिलती हैइसीलिए मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि कैंसर हॉस्पिटल या तो लखनऊ में बना है या तो दिल्ली में या तो मुंबई में तथा नजदीकी जगह में कैंसर का इलाज नहीं मिलता है क्योंकि यह बहुत खतरनाक बीमारी होती है और इस से जान तक जा सकती है इसके कुछ महत्वपूर्ण क्षण में आप लोगों को नीचे लिस्ट के माध्यम से देना चाहता हूं।
1. लंबे समय तक खांसी आना या फिर खांसने के बाद आवाज में बदलाव आना।
2. सांस लेने वक्त सीटी जैसी आवाज आना।
3. खांसते वक्त मुंह से खून निकला या फिर थूक के रंग का बदलना।
4. सिर में तेज दर्द के साथ चक्कर आना और शरीर में कमजोरी महसूस करना।
5. वजन तेजी से घटना और भूख में कमी आना।
6. शरीर के विभिन्न अंगों जैसे कि चेहरे, हाथ, गर्दन और उंगलियों में सूजन आना।
7. कंधे, पीठ और पैरों में लगातार दर्द होना।
8. सांस की नली में सूजन आना और संक्रामक रोगों का जल्दी-जल्दी होना
दांत का कैंसर के लक्षण/dental cancer symptoms
मुंह के कैंसर के अंतर्गत बहुत सारे कैंसर आ जाते हैं जैसे दातों का कैंसर गाल का कैंसर जबड़े का कैंसर तथा बहुत सारे कैंसर होते हैं और उनके लक्षण अलग-अलग होते हैं उन सारी चीजों के बारे में जानकारी देने के लिए व्यक्तियों को बताना चाहता हूं कि आप लोग किस प्रकार से उन कैंसर के बारे में जानकारी ली तथा उसके लक्षण को किस प्रकार पहचाने तो उसके लिए मैं आप लोगों को नीचे कुछ ला छोड़ देना चाहता हूं।
1. डेन्टीजीरस सिस्ट जो कि मुख्यत अकल दाढ़ों (थर्ड मोलर) में पाई जाती है।
2. पेरीएपाइकल सिस्ट जो कि दांत के ग्रेनोलोमा (गांठ) से परिवर्तित हो जाती है।
3. ओडोन्टोजेनिक ट्यूमर्स जबड़े की हड्डी में पाए जाते हैं। इनके मुख्य लक्षण दांतों का हिलना, ऊपर एवं नीचे के दांतों का सही प्रकार से ना मिलना आदि
4.सबम्यूकस फाइब्रोसिस: गालों की त्वचा का लचीलापन समाप्त और मुंह का खुलना कम।
5.ब्यूकोप्लेकिया: गालों में सफेद धब्बे। मिर्च-मसाले युक्त भोजन से मुंह में जलन।
6. केन्डीडिएसिस: गालों और मसूड़ों पर सफेद रंग के निशान, जो खुरचने पर बाहर आ जाते हैं।
जबड़े का कैंसर के लक्षण/jaw cancer symptoms
जबड़े का कैंसर जब किसी को हो जाता है तो अगर शुरुआती में है तो ठीक हो जाता है लेकिन अगर यहबढ़ जाता है तो इसे ठीक होने में बहुत कुछ नहीं होती है और यह जान भी ले लेता है क्योंकि जबड़े जब खराब हो जाते हैं तो ना तो हम खाना खा पाते हैं और ना ही हम उसका सही इलाज करवा पाते हैं जैसे कि आप लोग जानते हैं कि रेडियोएक्टिव के डोसे इनका सिकाई होता है जिससे कि इनके कीड़े होते हैं वह मर जाते हैं लेकिन जब आपके मुंह में अथवा जबड़े में ऐसी बीमारी हो जाती है तो आप इसका शिकायत नहीं कर पाते हैं और इससे आपकी जान जा सकती है इसीलिए मैं आप लोगों को झगड़े के कैंसर के कुछ महत्वपूर्ण लक्षण बताता हूं जो नीचे निम्नलिखित।
चेहरे की त्वचा की नीचता।
मुंह से अप्रिय गंध, साथ ही साथ नाक से purulent निर्वहन।
सिरदर्द।
एक स्पष्ट कारण के बिना निचले या ऊपरी जबड़े क्षेत्र में दर्द संवेदना।इसी तरह के लक्षण दूसरे के संकेत हो सकते हैंबीमारियां, उदाहरण के लिए, न्यूरिटिस, साइनसिसिटिस, साइनसिसिटिस, और इसी तरह। एक सटीक निदान के लिए, रोगी को अतिरिक्त परीक्षा लेनी होगी। कई मामलों में, समय पर कैंसर थेरेपी की संभावना खो जाती है।
मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण/early symptoms of oral cancer
मुंह के कैंसर बहुत ही खराब होते हैं जैसा कि आप लोग जानते हैं कि मुंह के कैंसर के अंतर्गत गाल का कैंसर जबड़े का कैंसर दांत का कैंसर कान का कैंसर बहुत सारे कैंसर उसके अंतर्गत आ जाते हैं तथा यह सारे कैसर के बहुत सारे लक्षण होते हैं जिनको पहचानना बहुत ही आसान होता है तथा इसके पहचानने के बाद अगर आप सुनिश्चित तथा अच्छे तरीके से इसका इलाज करवा लेते हैं तो आप ठीक हो जाएंगे अगर आप कैंसर हॉस्पिटल में इसका इलाज नहीं कराए तो या आप लोगों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है इसीलिए मैं आप लोगों को बताना चाहूंगा कि आप लोग इस बीमारी को हल्के मेंनाली तथा कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का इलाज तुरंत कैंसर हॉस्पिटल में उसका चेकअप करा कर दवा कराना चाहिए।
जब मुंह में सफेद धब्बे नज़र आने लगें और जब ये धब्बे बार-बार मुंह को धोने या नहाने से भी न जाएं तो इसे ल्यूकोप्लाकिया कहते हैं । यह मुंह के कैंसर का शुरुआती लक्षण है ।
कभी-कभी अचानक चेहरे पर सफेद धारियां दिखाई देने लगती हैं और उनके बीच लाल रंग भी नज़र आता है, इसे ओरल लाइकेन प्लेनस कहा जाता है और यह भी मुंह में होने वाले कैंसर का शुरुआती लक्षण हैं ।
कईं लोगों के मुंह के भीतर छाले रुपी घाव दिखने लगते हैं, लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं है कि यह मुंह का कैंसर है लेकिन यदि मुंह के अंदर बदलाव अनुभव हो रहे हैं, तो उसके बारे में डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। ऐसा करने से समय पर कैंसर का पता चल जाएगा और उचित उपचार हो पाएगा ।
यदि मुंह से खून बाहर आ रहा है, पीड़ा हो रही है या किसी प्रकार का सुन्नपन मुंह के भीतर महसूस हो रहा है, किसी कठोरता या गांठ का अनुभव हो रहाहै तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें ।
मुंह का कैंसर होने के कुछ अन्य कारण भी देखे गए हैं, जैसे- आवाज में परिवर्तन, भोजन को चबाने और निगलने में दिक्कत, जबड़ा और जीब हिलाने में परेशानी का अनुभव होना आदि ।
पुरुषों में कैंसर के लक्षण/symptoms of cancer in men
अगर हम कैंसर की बात करें तो महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में कैंसर ज्यादा होता है तथा कैंसर ऐसा भी होता है जो ज्यादातर पुरुषों में पाया जाता है ऐसे कुछ कंसरों के नाम मैं आप लोगों को लिस्ट के माध्यम से बताऊंगा तत्पश्चात उनके लक्षण तथा उनके बारे में जानकारी देता रहूंगा और उसके इलाज के बारे में भी आप लोगों को अवगत करा लूंगा।
- स्किन कैंसर
- ब्लड कैंसर
- प्रोस्टेट कैंसर
- कोलोरेक्टल कैंसर।
- फेफड़े का कैंसर
हमने ऊपर जिन जिन कैंसर ओं के नाम आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया है वह कैंसर ज्यादातर पुरुषों में पाए जाते हैं ऐसे स्किन कैंसर ब्लड कैंसर तथा कोलोरेक्टल कैंसर फेफड़े का कैंसर इत्यादि ज्यादातर पुरुषों में पाया जाता है बताया बहुत ज्यादा जानलेवा होता है इन सारी चीजों को जानने के लिए मैं आप लोगों को एक-एक करके सभी प्रकार के बारे में जानकारी दूंगा।
फेफड़े का कैंसर (lung cancer in hindi)
फेफड़े का कैंसर अगर किसी को है तो उसका पता आप लोगों को किस प्रकार चले इसके लिए आप लोगों को जांच कराना पड़ता है तो मैं आप लोगों को यह बताना चाहता हूं कि अगर आप लोगों को ज्यादा दिन से खांसी आती है तथा बलगम के साथ खून मुंह से आता है तो आप समझ जाइए कि आप को फेफड़े का कैंसर है या जानलेवा बीमारी है फेफड़े का कैंसरधूम्रपान तथा सिगरेट का सेवन करने वाले तथा नहीं करने वाले को भी यह बीमारी हो जाता है इसीलिए इसके कुछ अन्य लक्षण भी है जो आपके समक्ष नीचे दिखाए गए।
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण
फेफड़ों के कैंसर के बहुत सारे लक्षण होते हैं जो कि बिना जांच के पता नहीं लगाया जा सकता कुछ ऐसे लक्षण होते हैं जो बिना चार्ज के पता लगा सकते हैं उनके बारे में आप लोग को समझने के लिए उनके बारे में बताया
- खांसी आना तथा खांसी का समय के साथ बढ़ जाना।
- खांसी में खून या जंग रंग के साथ बलगम का आना।
- गहरी सांस लेते समय समय तथा सोने के समय सीने में दर्द होना जो हंसते-हंसते समय बढ़ जाती है।
- भूख कम लगना।
- थका हुआ या कमजोर महसूस करना।
फेफड़ा के कैंसर के सावधानियां
चेस्ट स्क्रीनिंग अथवा छाती के एक्स-रे लेने से फेफड़े के कैंसर का अंदाजा तो था पता नहीं लगाया जा सकता इसीलिए अगर आप कुछ सावधानियां बरत लेते हैं तो इससे आपको निजात मिलेगा जैसे कि अगर आप धूम्रपान नहीं करते हैं तो ना करें और कोई सिगरेट पीता है तो उस दुआएं को अपने अंदर ना जाने दें तथा सांस लेते समय गंदी हवा को अपने अंदर न जाने दें इससे दुआ के कर धूल के कण अंदर जाते हैं उसको आप रोक ले इसके साथ साथ आप लोडोज कंप्यूटर टोमोग्राफी/कम खुराक सिटी स्कैन/से आप लोगों को फेफड़े के कैंसर का पता लग जाएगा इस प्रकार से आप लोग कैंसर से बच सकते हैं।
कोलोरेक्टल कैंसर (colorectal cancer)
एक ऐसा कैंसर है जो कोलन या मलाशय (Rectum) में शुरू होता है। कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम को बढ़ाने वाले कुछ कारकों में अधिक वजन या मोटापा, शारीरिक निष्क्रियता, रेड और प्रोसेस्ड मीट का अधिक सेवन, धूम्रपान, शराब का सेवन, अधिक उम्र का होना, और परिवार में पहले से कोलोरेक्टल कैंसर का इतिहास होना शामिल है।
कोलोरेक्टल कैंसर संयुक्त राज्य अमेरिका में चौथा सबसे आम कैंसर है। हालांकि आपको इससे ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है, इसका इलाज संभव है, यदि इसे जल्दी पकड़ लिया जाए। धूम्रपान छोड़ना, रेड मीट और शराब का सेवन सीमित करना, प्रोसेस्ड मीट (जैसे हॉट डॉग, डेली मीट, बेकन या सॉसेज) के सेवन से बचना, नियमित व्यायाम और अपने वजन को नियंत्रित करना कोलोरेक्टल कैंसर के आपके जोखिम को कम करने के सभी तरीके हैं
कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण
कोलोरेक्टल कैंसर के बहुत सारे लक्षण हैजैसे वजन कम होना तथा मोटापे में क्या पैसा ज्यादातर होता है इसके लिए कुछ लक्षण में आप लोगों को लिस्ट के माध्यम से प्रस्तुत कर आता हूं।
- पेट में ऐठन की समस्या।
- कमजोरी और थकान महसूस होना।
- बेवजह वजन का घटना
- हाथों के सामान प्रक्रिया में बदलाव जैसे बेवजह दस्त कब तथा पेट की समस्या होना।
कोलोरेक्टल कैंसर से सावधानियां
इसमें रोगी के मल के नमूने की जांच होती है। रोगी के मलाशय और सिग्मोइड की जांच करने के लिए डॉक्टर एक सिग्मायोडोस्कोप नाम के लचीले और हल्के ट्यूब (जिसमें कैमरा लगा होता है) का प्रयोग करते हैं, जिसमें कैमरा लगा होता है । यह टेस्ट कम समय में हो जाता है और इसमें मामूली परेशानी होती है। इसके अलावा बेरियम एनीमा एक्स-रे (Barium enema X-ray), कोलोनोस्कोपी (Colonoscopy) और अल्ट्रासाउंड जैसे टेस्ट करके भी कोलोरेक्टल कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर (prostate cancer)
क्योंकि प्रोस्टेट ग्लैंड महिलाओं में नहीं होती है और यह उम्र के साथ बढ़ता है। अधिकांश प्रोस्टेट कैंसर 65 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में होता हैं। एक या एक से अधिक करीबी रिश्तेदारों को होने से भी पुरुष के प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। प्रोस्टेट कैंसर केवल पुरूषों को होता है, क्योंकि प्रोस्टेट ग्लैंड महिलाओं में नहीं होती हैप्रॉस्टेट कैंसर प्रॉस्टेट ग्रंथि, जो कि सिर्फ पुरुषों में होती है। दरअसल, प्रॉस्टेट ग्रंथि अखरोट के आकार की एक ऐसी ग्रंथि है जो पेशाब की नली के चारों ओर फैली होती है। इसका काम स्पर्म को न्युट्रिशन देना होता है। आमतौर पर प्रॉस्टेट ग्रंथि का वजन 18 ग्राम होता है, लेकिन जब इसका वजन 30 से 50 ग्राम हो जाए तो ग्रंथि में प्रॉस्टेट कैंसर विकसित होने लगता है।
दरअसल, प्रोस्टेट कैंसर आमतौर पर बहुत ही धीमी गति से बढ़ता है। ज्यादातर रोगियों में इसका पता तब नहीं चल पाता जब जक यह पूरी तरह से विकसित न हो जाए। यही कारण है कि लोगों को इस कैंसर क प्रति ज्यादा सचेत रहने की जरूरत हैै
स्किन कैंसर (skin cancer)
स्किन कैंसर भी पुरुषों में होने वाला ऐप बहुत ही घातक बीमारी हैआमतौर पर किसी को भी स्किन कैंसर हो सकता है, लेकिन फेयर स्किन यानी कि जो लोग ज्यादा गोर होते हैं, उन्हें डार्क स्किन वाले लोगों की तुलना में स्किन कैंसर होने की अधिक संभावना होती है। ज्यादातर बेसल सेल और स्क्वैमस सेल स्किन कैंसर सूरज की रोशनी से अल्ट्रावॉयलेट (यूवी) किरणों के साथ-साथ टैनिंग बेड्स जैसी बार-बार और असुरक्षित त्वचा के संपर्क में आने के कारण होते हैं। एक प्रकार का त्वचा कैंसर, जिसे मेलेनोमा कहा जाता है, कुछ अन्य प्रकार के त्वचा कैंसर की तुलना में कम आम है, लेकिन यह अधिक खतरनाक है क्योंकि इसके बढ़ने और फैलने की अधिक संभावना होती है।
स्किन कैंसर के लक्षण
स्किन कैंसर के बहुत सारे लक्षण होते हैं जैसे की स्किन पर दाग दिल जैसा दिखाई देना घाव हो जाना तथा अन्य बहुत सारे लक्ष्मण जो नीचे लिस्ट के माध्यम से दिए गए।
- स्किन कैंसर का सबसे महत्वपूर्ण लक्षण क्या होता है कि इस केंद्र पर छोटे छोटे काले तथा अन्य रंग के भी दाग तिल जैसे दिखाई देने लगते हैं।।
- इसके अलावा इस स्क्रीन पर जले जैसा छाला निकलना तथा घाव हो जाना भी स्किन कैंसर का लक्षण है।
- त्वचा कैंसर आपके शरीर के किसी भी भाग पर हो सकता है, इनमें सिर, कान, होंठ, गर्दन, नाखूनों के नीचे, गुप्तांग आदि।
- त्वचा का कैंसर अक्सर एक तिल, झाई या स्पॉट के रूप में दिखाई देता है। लेकिन इसके लक्षण त्वचा कैंसर के प्रकार पर निर्भर करते हैं
- यदि परिवार में किसी करीबी सदस्य को पहले मेलेनोमा था, उनमें मेलेनोमा स्किन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है
स्किन कैंसर की सावधानियां
स्क्रीन कैंसर से बचने के लिए सबसे अच्छा तरीका है, आप हर महीने पूरी तरह से त्वचा की जांच कराएं। यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है यदि परिवार में मेलेनोमा का पारिवारिक इतिहास है। अपनी खोपड़ी और अपने पैरों के तलवों की जांच कराएं। अधिकांश त्वचा कैंसर के जोखिम को कम करने का सबसे महत्वपूर्ण तरीका सूरज से पराबैंगनी (यूवी) किरणों और अन्य स्रोतों के संपर्क में आने से बचना है। जब भी आप जाएं तो छाया में रहने की कोशिश करें, खासकर दिन के मध्य में। यदि आप धूप में जा रहे हैं, तो, पूरी बाजू के कपडों के साथ हैट लगाएं, सनग्लासेस लगाएं, और त्वचा पर कम से कम 30 के एसपीएफ वाली सनस्क्रीन लगाएं। यदि आपके बच्चे हैं, तो उन्हें धूप से बचाएं और उन्हें धूप में न जाने दें। अपनी त्वचा पर सभी मोल्स और धब्बों के बारे में जागरूक रहें, और स्किन डाॅक्टर से तुरंत संपर्क करें
ब्लड कैंसर (blood cancer)
ब्लड कैंसर भी एक प्रकार से जानलेवा बीमारी है जो मुख्यतः पुरुषों में होती है मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि ब्लड कैंसर होने वाले लोगों को जब तक उनका ब्लडपूरा चेंज ना करवा दिया जाए तब तक उन को बचाना मुश्किल होता है यह बहुत ही जानलेवा तथा खतरनाक बीमारी हैब्लैडर कैंसर एक सामान्य प्रकार का कैंसर है जो मूत्राशय की कोशिकाओं में शुरू होता है। मूत्राशय (ब्लैडर) आपके निचले पेट में एक खोखले पेशी अंग है जो मूत्र को संग्रहीत करता है। मूत्राशय का कैंसर सबसे अधिक बार उन कोशिकाओं (यूरोटेल कल कोशिकाओं) में शुरू होता है जो आपके मूत्राशय के अंदर होती हैं। यूरोटेलियल कोशिकाएं आपके गुर्दे और नलिकाएं (मूत्रवाहिनी) में भी पाई जाती हैं जो गुर्दे को मूत्राशय से जोड़ती हैं। यूरोटेलियल कैंसर गुर्दे और मूत्रवाहिनी में भी हो सकता है, लेकिन यह मूत्राशय में बहुत अधिक सामान्य है
ब्लड कैंसर के लक्षण
ब्लड कैंसर के बहुत सारे लक्षण है कि जैसे कि महिला के चेस्ट में गांठ हो जाना तथा तथा पेट में असहनीय दर्द होना ऐसे बहुत सारे लक्षण हैं जो मैं आप लोगों को लिस्ट के माध्यम से नीचे बताना चाहूंगा।
- महिलाओं के ब्रेस्ट में गांठ पड़ जाना और पीरियड्स के समय अधिक खून आना
- पेट तथा पीठ दर्द का महसूस होना
- मूत्र त्याग करने में दर्द का महसूस होना।
- मूत्र में रक्त (हेमाट्यूरिया), जिसके कारण पेशाब चमकीला लाल या कोला के रंग का दिखाई दे सकता है, हालांकि कभी-कभी पेशाब सामान्य दिखाई देता है और आपको मूत्राशय का कैंसर है, इसका पता लैब टेस्ट में पता चलता है।
- लगातार पेशाब आना।
ब्लड कैंसर से सावधानी
मूत्राशय के कैंसर के लिए कोई स्क्रीनिंग नहीं की जाती है। अपने चिकित्सक को बताएं यदि आपको किसी तरह के लक्षण महसूस होते हैं। मूत्राशय के कैंसर की जांच करने के तरीके के रूप में हेमाट्यूरिया परीक्षणों का अध्ययन किया गया है। मूत्राशय और अन्य यूरोटेल कल कैंसर के लिए स्क्रीनिंग परीक्षणों का नैदानिक परीक्षणों में अध्ययन किया जा रहा है।
माउथ कैंसर टेस्ट नाम (mouth cancer test name)
माउथ कैंसर एक बहुत ही गंभीर बीमारी है अगर इसका इलाज टाइम से ना हुआ तो यह जानलेवा साबित हो सकता है और यह किस प्रकार से होता है इसके बारे में भी मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि यह हमारे कोशिकाओं के अनियमित विभाजन की वजह से होता है जो कि कोशिकाओं के आने में विभाजन की वजह से वह तक नष्ट हो जाते हैं और वहां पर ग्लैंड पड़ जाती है और धीरे-धीरे वह गांठ के रूप में घाव बनना शुरू हो जाता है और इस प्रकार से कैंसर के रूप में उभर जाता है इसीलिए आप लोगों को तंबाकू गुटखा तथा अन्य नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जिससे कि हमारे कोशिकाओं का अनियमित रूप से विभाजन हो और हमारे उत्तर नष्ट हो जाए
ओरल कैंसर एक खतरनाक बीमारी है जिससे आपका आपका मुंह, होंठ और जीभ ख़राब हो सकते हैं। शराब और तम्बाकू से आपको इसका अधिक खतरा होता है। सवाल यह है कि भारत में इस बीमारी के क्या-क्या इलाज हैं? मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर लिमिटेड में ऑन्कोलॉजी के प्रमुख डॉक्टर कीर्ती चड्डा आपको ओरल कैंसर के लेटेस्ट इलाज की जानकारी दे रही हैं
अगर आपको माउथ कैंसर हुआ है तो इसका पता कैसेचले इसके बारे में मैं आप लोगों को कुछ जाटों के बारे में बताना चाहूंगा कि आप लोग किस प्रकार से इन जांचों के माध्यम से जानकारी प्राप्त कर पाए जो नीचे निम्नलिखित है
इसका जा जिस प्रकार से होता है कि अगर हमारे शरीर में जिस जगह पर कैंसर हुआ होता है उस जगह पर अगर सेल कोशिका अनियमित रूप से बढ़ती है तथा उसका विभाजन नियमित रूप से होता है और यीशु जो कि उत्तक के नाम से जाने जाते हैं वह नष्ट होते हैं तो इसका मतलब हमारे शरीर में कैंसर हो गया है इस चीज को जानकारी के लिए कुछ वैज्ञानिक तकनीकी अपनाई जाती है उस तकनीकी के बारे में नीचे आप लोगों को बताया जाएगा।
- बायोप्सी टेस्ट
- मॉलिक्यूलर टेस्ट
- माइक्रोफ्लूडिक्स
बायोप्सी टेस्ट।
ओरल कैंसर के टेस्ट में एक्स्फोलीटिव सीटोलोजी, इंसीसियोनल बायोप्सी या फाइन नीडल ऐस्परेशन (FNA) बायोप्सी हैं, जिसमें टिश्यू का कुछ हिस्सा लिया जाता है और माइक्रोस्कोप में जांच की जाती है। कैंसर के इलाज से पहले और बाद में चेस्ट एक्सरे, सीटी स्कैन और एमआरआई स्कैन जैसे इमेजिंग टेस्ट भी किए जाते हैं।
मॉलिक्यूलर टेस्ट
स्वास्थ्य देखभाल के मामले में मोलेक्यूलर टेस्टिंग टेक्नोलॉजी लेटेस्ट टेक्निक है जिसमें जिसमें व्यक्ति की आनुवंशिक कोड के विश्लेषण से जुड़े तकनीकों की एक सिरीज शामिल है। यह टेस्ट किसी व्यक्ति के जीनों से बायोलॉजिकल मार्कर्स का विश्लेषण करते हैं, जिससे कार्सिनोमा की उपस्थिति का सटीक रूप से संकेत मिलता है। इस टेक्निक का यूज ओरल कैंसर के जोखिम इलाज के आधार पर किया जाता है।
माइक्रोफ्लूडिक्स
इसे लैब-ऑन-ए-चिप के रूप में जाना जाता है। इस टेक्निक में जांच के लिए पीड़ित की लार नमूने के रूप में ली जाती है। उसके बाद लैब में सिंगल डिवाइस चिप के इसकी जांच की जाती है। इस डिवाइस को कम से कम प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा संचालित किया जा सकता है।
निष्कर्ष/ conclusion
इन सारी चीजों को देखने के बाद तथा संपूर्ण कंटेंट को पढ़ने के बाद इस पोस्ट से यह निष्कर्ष निकलता है कि इसमें गला का कैंसर गाल का कैंसर तथा पुरुषों में होने वाले कैंसर तथा कैंसर का टेस्ट याद महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विचार किया गया है तथा इस में विस्तृत जानकारी दिया गया है जिससे कि आप लोगों को महत्वपूर्ण जानकारी हो सके और आप लोग उसके बारे में जानकर लोगों को उन से अवगत कराएं तथा उनके खतरनाक लक्षणों को देखकर पहचानने में किस प्रकार मदद हो इन सारी चीजों के बारे में बताया गया है धन्यवाद।
मुंह का कैंसर कितने दिन में पता चलता है?
मुंह के कैंसर के सामान्य लक्षण जैसे कि कोशिकाओं का नियमित रूप से विभाजन तथा उत्तर को का नष्ट होना दिख रहा है तो 2 हफ्ते के बाद आपको जांच कराएंगे तो कैंसर की बीमारी का पता लग जाएगा लेकिन आप इसका इंतजार ना करें तो तो डॉक्टर से सलाह लें नजदीकी स्वास्थ्य सेवा केंद्र पर।
कैंसर कैसे ठीक होता है?
कैंसर को ठीक करने के लिए बायोप्सी सर्जरी का उपयोग किया जाता है जिससे 29 लोगों को काट कर निकाल दिया जाता है जो क्षतिग्रस्त होते हैं इसके साथ-साथ कीमोथेरेपी का भी इस्तेमाल किया जाता है।
कैंसर की पहचान कैसे करें?
शरीर के किसी भी हिस्से में लंबे समय तक दर्द का बने रहना. दवाओं के बावजूद असर न होना. कोई बीमारी न होने के बावजूद दर्द का रहना, असहज महसूस होना. ऐसे में पर्याप्त जांच जरूरी है. डॉक्टर्स कहते हैं कि लगातार छाती, फेफड़े में दर्द या सिरदर्द, पेट में दर्द की समस्या है तो जांच करानी चाहिए. हालांकि इस दर्द का सीधा मतलब ये नहीं है कि आपको कैंसर है लेकिन ये दर्द इग्नोर नहीं किए जाने चाहिए
क्या कैंसर में दर्द होता?
शुरुआती समय में कैंसर का दर्द आपकी तरह होता है इसीलिए लोग इलाज कराने के लिए तैयार हो जाते हैं लेकिन अगर यह बढ़ता जाता है तो यह असहनीय दर्द बढ़ जाता है इसे कि लोगों की जान तक जा सकती है।
गले की कैंसर की पहचान कैसे करें?
गले के कैंसर की पहचान इस प्रकार होती है कि खासी आते समय बलगम के साथ साथ जब खून आ जाए तो आप समझ लीजिए कि आप को कैंसर हो गया
कैंसर का लास्ट स्टेज क्या होता है?
कैंसर जब तक नॉर्मल होता है तब तक आप उसका दवा करा कर इलाज करवा सकते हैं तो दर्द अब तक ₹30 में नहीं होता तब तक भी उसका इलाज करवा सकते हैं लेकिन जब आप के अंदर गांठ बन जाता है ट्यूमर हो जाता है तो वह उसका लास्ट स्टेज होता है कैंसर में 4 स्टेज होते हैं।
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