मुहावरे क्या है परिभाषा, वाक्य प्रयोग, उदाहरण, बिशेषताएँ, लक्षण , Idioms In Hindi - Rskg » Rskg

मुहावरे क्या है परिभाषा, वाक्य प्रयोग, उदाहरण, बिशेषताएँ, लक्षण , Idioms in hindi – rskg

मुहावरे Muhavare

मुहावरे का शाब्दिक अर्थ होता है – अभ्यास। विशेष अर्थ को प्रकट करने वाले वाक्यांश को मुहावरा कहते हैं मुहावरा पूर्ण वाक्य नहीं होता इसलिए इसका स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं किया जा सकत ऐसे वाक्यांश जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर किसी विलक्षण अर्थ की प्रतीति कराये उसे मुहावरा कहते हैं ये विशेष अर्थ को ही मुहावरा कहते हैं
हिंदी भाषा में मुहावरों का प्रयोग भाषा को सुंदर, प्रभावशाली ,संक्षिप्त तथा सरल बनाने के लिए किया जाता है ये वाक्यांश होते हैं इसका प्रयोग करते समय इनका शब्दिक अर्थ न लेकर विशेष अर्थ को ले लिया जाता है इनके विशेष अर्थों में कभी बदलाव नहीं होता ये हमेशा एक जैसे रहते हैं
ये लिंग, वचन, क्रिया के अनुसार वाक्यों में प्रयुक्त किये जाते हैं मुहावरा एक ऐसा वाक्यांश है जो रचना में अपना विशेष अर्थ प्रकट करता है मुहावरा अरबी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ होता है बात-चीत करना या फिर उत्तर देना

मुहावरे क्या है
मुहावरे क्या है

मुहावरे की विशेषताएं Features of the idiom

(1) मुहावरे का प्रयोग वाक्य के प्रसंग में किया जाता है अलग नहीं
(2) मुहावरा अपना असली रूप कभी नहीं बदलता है उसे पर्यायवाची शब्दों में अनुदित नहीं किया जा सकता है
(3) मुहावरे का शब्दार्थ ग्रहण नहीं किया जाता है उसका केवल विशेष अर्थ ही ग्रहण किया जाता है
(4) मुहावरे का अर्थ प्रसंग के अनुसार ही निश्चित होता है
(5) मुहावरे हिंदी भाषा की समृद्धि और सभ्यता के विकास के मापक है। इसकी अधिकता या न्यूनता से भाषा को बोलनेवालों के श्रम , भाषा निर्माण की शक्ति , अध्धयन , मनन, सबका एक साथ पता चलता है। जो समाज जितना अधिक व्यवहारिक और कर्मठ होगा उसकी भाषा में इनका प्रयोग उतना ही अधिक होगा
(6) देश और समाज की तरह मुहावरे भी बनते बिगड़ते रहते हैं। नये समाज के साथ नए मुहावरे आते हैं
(7) हिंदी भाषा के ज्यादातर मुहावरों का सम्बन्ध हमारे शरीर के अंगों से भी होता है। यह दूसरी भाषा के मुहावरों में भी ऐसा ही होता है।

मुहावरे और लोकोक्तियों में अंतर difference between idioms and proverbs

मुहावरा एक वाक्यांश होता है जो स्वतंत्र रूप से प्रयोग नहीं होता जबकि लोकोक्तियाँ अपने आप में पूर्ण होती हैं लोकोक्तियों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जा सकता है
शब्दों की तीन शक्तियाँ होती हैं :-
1.अभिधा
2. लक्षणा
3. व्यंजना

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1. अभिधा क्या होता है what happens

जब किसी शब्द का सामान्य अर्थ में प्रयोग होता है तब वहाँ पर उसकी अभिधा शक्ति होती है
जैसे :- सिर पर चढ़ाना – इसका अर्थ है किसी चीज को उठाकर सिर पर रखना होगा

2. लक्षणा क्या होता है what is the symptom

जब शब्द का सामान्य अर्थ में प्रयोग न करके किसी विशेष प्रयोजन के लिए इस्तेमाल किया जाये ये जिस शक्ति की वजह से होता है उसे लक्षणा कहते हैं
जैसे :- सिर पर चढने का अर्थ होगा आदर देना

3. व्यंजना क्या होता है

जब अभिधा और लक्षणा का काम खत्म हो जाता है तब जिस शक्ति से शब्द समूहों या वाक्यों के किसी अर्थ की सुचना मिलती हो उसे व्यंजना कहते हैं
जैसे :- सिर पर चढ़ाना – मुहावरे का व्यंग्यार्थ न तो सिर पर निर्भर करता है पर , इस पूरे मुहावरे का अर्थ होगा अनुशासनहीन

मुहावरों में अलंकारों का प्रयोग idioms

अनेक मुहावरों में अलंकारों का प्रयोग होता है लेकिन इसका मतलब यह नहीं की प्रत्येक मुहावरा अलंकार होता है या प्रत्येक अलंकारयुक्त वाक्यांश मुहावरा होता है
1.सादृश्यमूलक मुहावरे:- लाल अंगारा होना (उपमा) , पैसा ही पुरुषत्व और पुरुषत्व ही पैसा है (उपमेयोपमा), अंगार बरसाना (रूपक) , सोना सोना ही है (अनन्वय)
2.विरोधामूलक मुहावरे :- इधर-उधर करना, उंच-नीच देखना, दाएं-बाएं न देखना , पानी से प्यास न बुझना
3.सन्निधि अथवा स्मृतिमूलक मुहावरे :- चूड़ी तोडना, चूड़ा पहनाना , दिया गुल होना , दुकान बढ़ाना, मांग-कोख से भरी-पूरी रहना
4.शब्दालंकारमूलक मुहावरे :- अंजर-पंजर ढीले होना , आंय-बांय-सांय बकना , कच्चा-पक्का, देर-सवेर

कथानकों, किंवदन्तियों, धर्म-कथाओं आदि पर आधारित मुहावरे idioms based on stories, legends, religious stories, etc.

कुछ मुहावरे प्रथाओं पर निर्भर होते हैं जैसे :- बीड़ा उठाना मध्य युग में राजाओं के दरबारों में यह प्रथा थी कि जब भी कोई बुरा कार्य करना होता था तब वीरों और सामन्तों को बुलाकर उन्हें उस विषय में सब बातें बता दी जाती थी और थाली में पान रख दिया जाता था जो वीर उस काम को करने के लिए तैयार हो जाता था वो उस थाली से बीड़ा उठा लेता था कुछ मुहावरे कहानियों पर आधारित होते हैं
जैसे :- टेढ़ी खीर होना , ढपोरशंख होना
व्यक्तिवाचक संज्ञाओं का जातिवाचक संज्ञाओं की भांति प्रयोग :- कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञाओं का उपयोग जातिवाचक संज्ञाओं की तरह करके मुहावरे बनाये जाते हैं
जैसे :- कुंभकरण की नींद , जयचंद होना, विभीषण होना
अस्पष्ट ध्वनियों पर आधारित मुहावरे :- जब मनुष्य प्रबल भाववेश में होते हैं तब उनकी जल्दी बोलने की वजह से कुछ अस्पष्ट ध्वनियाँ निकाल जाती हैं जो बाद में किसी एक अर्थ में रूढ़ हो जाती हैं और मुहावरे कहलाने लगते हैं
जैसे :- 1.हर्ष में : आह-हा, वाह-वाह
2.दुःख में : आह निकल पड़ना , सी-सी करना, हाय-हाय मचाना
3.क्रोध में : उंह-हूं करना, धत्त तेरे की
4.घर्णा में : छि-छि करना, थू-थू करना
मनुष्यतर चैतन्य सृष्टि की ध्वनियों पर आधारित मुहावरे

5.पशु- वर्ण की ध्वनियों पर आधारित
टर-टर करना, भों-भों करना , में-में करना
6.पक्षी और कीट-पतंगो की ध्वनियों पर आधारित
कांव-कांव करना, भिन्ना जाना

जड़ वस्तुओं की ध्वनियों पर आधारित मुहावरे


1.कठोर वस्तुओं की संघर्ष-जन्य ध्वनियों के अनुकरण पर आधारित :-फुस-फुस करना , फुस-फुस होना
2.तरल पदार्थों की गति से उत्पन्न ध्वनि पर आधारित :-कल-कल करना, कुल-कुल करना, गड़-गड़ करना
3.वायु की गति से उत्त्पन्न ध्वनि पर आधारित :-सर-सराहट होना, सांय-सांय करना

शारीरिक चेष्टाओं के आधार पर बने हुए मुहावरे :-शारीरिक चेष्टाएं मन के भावों को प्रकट करती हैं और उन्ही आधार पर मुहावरे बनाये जाते हैं
जैसे :- छाती पीटना, दांत पीसना, नाचने लगना

मनोवैज्ञानिक कारणों से मुहावरों की उत्पत्ति

1.इसमें अचानक किसी संकट में आ जाने से सम्बन्धित मुहावरे हैं
जैसे:- आठों पहर सूली पर रहना, कहीं का न रहना , तकदीर फूटना
2.अतिश्योक्ति की प्रवृति से उदुभत मुहावरे हैं
जैसे:- आसमान के तारे तोडना, खून की नदियाँ बहाना
3.भाषा को अलंकृत और प्रभावोत्पादक बनाने के प्रयास से उदुभत मुहावरे हैं ।
जैसे :- ईद का चाँद होना, सरसों का फूलना, गूलर का फूल होना

किसी शब्द की पुनरावृत्ति पर आधारित मुहावरे

अभी-अभी , छि:-छि:, छिप-छिप कर, तिल-तिल भर , थोडा-थोडा करके

दो क्रियाओं का योग करके बनाए हुए मुहावरे

उठना-बैठना, खाना-पीना, पढ़ाना-लिखना

दो संज्ञाओं को मिलाकर बनाए हुए मुहावरे

कपड़ा-लत्ता, दवा-दारू, नदी-नाला, रोजी-रोटी, गाजर-मूली, भोजन-वस्त्र

मुहावरे के अर्थ और वाक्य idiom meanings and sentences

अ , आ से शुरू होने वाले मुहावरे Idioms starting with aa

{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

1. अक्ल का दुश्मन – (मूर्ख)
अरे! अक्ल के दुश्मन , यदि जीवन में सफलता पानी है तो मेहनत करो

2. अंधे की लकड़ी – (एकमात्र सहारा) –
मानव अपने माता-पिता के लिए अंधे की लकड़ी है

3. अक्ल पर पत्थर पड़ना – (बुद्धि नष्ट होना) –
मुसीबत आने पर मनुष्य की अक्ल पर पत्थर पड़ जाते हैं

। 4. अपना उल्लू सीधा करना – (अपना स्वार्थ पूरा करना) –
अरुण को तो अपना उल्लू सीधा करना था , अब वह तुषार से बात भी नहीं करता

5. अंगूठा दिखाना – (समय पर धोका देना) –
मैंने राधिका से कुछ पैसे मांगे तो उसने मुझे अंगूठा दिखा दिया

6. अक्ल का अँधा – (मूर्ख)

राजेश अक्ल का अँधा है , वह किसी के समझाने से मानता ही नहीं है

7. अपना राग अलापना – (अपनी ही बातें करते रहना) –
मैं उससे मदद मांगने गया था , परन्तु वह अपना ही राग अलापता रहा

8. अँधेरे घर का उजियारा – (इकलौता पुत्र) –
राहुल इसलिए अधिक लाडला पुत्र है क्योंकि वही इस अँधेरे घर का उजियारा है ।

9. आकाश के तारे तोडना – (असंभव कम करना) –
शादी से पहले जो पुत्र अपने माता-पिता के लिए आकाश के तारे तोड़ने को तैयार था , परन्तु अब उन्हें काटने को दोड़ता है

10.आटे में नमक – (बहुत कम) –
सुलतान को उसके शरीर के अनुसार खुराक चाहिए , आधा लीटर दूध तो उसके लिए आटे में नमक के बराबर है

11. आपे से बाहर होना – (क्रोधित होना) –
आपे से बाहर होकर कंडक्टर ने यात्री को पीट डाला

12. आग में घी डालना – (क्रोध को बढ़ावा देना) –
लड़ाई के समय अविनाश ने पदम् की पिछली बातें उखाडकर आग में घी डालने का काम किया

13. आग बबूला होना – (क्रोधित होना)-
मेरे फेल होने पर माता जी आग बबूला हो गईं

14. आकाश-पाताल एक करना – (बहुत मेहनत करना) –
सुजाता ने प्रथम श्रेणी प्राप्त करने के लिए आकाश-पाताल एक कर दिया

15. आनन -फानन में – (बिना किसी देर के) –
उमेश ने आनन-फानन में दो किलोमीटर दौड़ लगा दी

16. आस्तीन का साँप – (धोखा देने वाला मित्र) –
रोहित को पता नहीं था की अंकुर आस्तीन का साँप निकलेगा

17. आँखों का तारा – (बहुत प्यारा होना) –
अकेली सन्तान माँ – बाप की आँखों का तारा होती है

18. आँखों में धूल झोंकना – (धोखा देना) –
डाकू पुलिस की आँखों में धूल झोंककर भाग गए

19. आँखें दिखाना – (गुस्सा करना) –
पिता जी ने आँखें दिखाकर नरेंद्र जी को चुप कर दिया

20. आँखें बिछाना – (स्वागत करना) –
जनता ने आँखें बिछाकर अपने वीर सैनिकों का सम्मान किया

21. आँखें चुराना – (लज्जित होना) –
रुपए उधर लेने के बाद उमेश मुझसे आँखें चुराने लगा

22. आँखें फेर लेना – (विरुद्ध हो जाना) –
मुसीबत में सभी आँखें फेर लेते हैं

23. अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनना – (स्वं अपनी प्रशंसा करना) –
अच्छे आदमियों को अपने मुंह मियाँ मिट्ठू बनाना शोभा नहीं देता

24. अक्ल का चरने जाना – (समझ का आभाव होना) –
इतना भी समझ नहीं सके , क्या अक्ल चरने गई है

25. अपने पैरों पर खड़ा होना – (आत्मनिर्भर होना) –
व्यक्ति को अपने पैरों पर खड़े होकर काम करना चाहिए

26. आँखें खुलना – (होश आना) –
एक बार ठोकर लगने के बाद व्यक्ति की आँखें खुल जाती हैं

27. आसमान से बातें करना – (बहुत ऊँचाई पर होना) –
आजकल लोग आसमान से बातें करते हैं

28. ढाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना – (अलग-अलग रहना) –
कुछ सैलून पहले पाकिस्तानी सेना ढाई चावल की खिचड़ी अलग पका रही थी

29. अपना सा मुंह लेकर रह जाना – (असफलता प्राप्त होना) –
जब वह अपना काम पूरा ना कर सका तो मालिक के समने वह अपना सा मुंह लेकर रह गया

30. अरमान निकालना – (इच्छा पूरी करना)


बेटे की शादी में बाबु साहब ने अपने दिल के अरमान निकाले

31. अरमान रहना – (इच्छा पूरी न होना)
पुत्र के मर जाने से गरीब के सारे अरमान रह गये

32. आँख उठाकर न देखना – (ध्यान न देना)
श्याम किसी को आंख उठाकर नहीं देखता है

33. आँख का कांटा होना – (शत्रु होना)
बुरा काम करने की वजह से वह आस-पडोस वालों की आँख का कांटा हो गया है

34. आँख का काजल चुराना – (सफाई के साथ काम करना) –
बहुत सारे लोगों के बीच से घडी का चोरी होना ऐसा लगता है जैसे चोर ने आँखों से काजल चुरा लिया

35. आँखों पर चढना – (कुछ पसंद आ जाना) –
तुम्हारी घड़ी चोर की आँखों पर चढ़ गई इसलिए उसने चुरा ली

36. आँखों में पानी न होना – (बेशर्म होना) –
बेईमान लोगों की आँखों में पानी नहीं होता

37. आँखों में खून उतरना – (अत्यधिक क्रोधित होना) –
विजय को देखते ही धर्मराज की आँखों में खून उतर आया

38. आँखों में गड़ना – (बुरा लगना) –
मेरी बातें उसकी आँखों में गड़ गई ।

39. आँखों में चर्बी छाना – (घमंड होना) –
जिसके पास दौलत होती है उसकी आँखों में चर्बी छा जाती है

40. आँखें लाल करना – (गुस्से से देखना) –
सुंदर की बातों का बुरा मान क्र उसने आँखें लाल कर लीं

41. आँखें सेकना – (दूसरों की लड़ाई से आनन्द लेना) –
हमारी लड़ाई को देखकर सभी लोग अपनी आँखें सेकते हैं

42. आँच न आने देना – (थोड़ी सी भी चोट न लगने देना) –
मेरा दोस्त मुझ पर जरा भी आँच नहीं आने देगा ।

43. आटे दाल का भाव मालूम होना – (कठिन समय की समझ होना) –
जब जिम्मेदारियाँ निभाने लगोगे तब तुम्हे आटे दाल का भाव पता लगेगा

44. आँसू पीकर रह जाना – (दुःख और अपमान को सहन करना) –
सबके समने बुरा भला सुनकर भी वह आँसू पीकर रह गया

45. आग पर पानी डालना – ( शांत करना) –
ओ भाइयों में ज्यादा गरमा-गर्मी हो गई थी लेकिन दीदी की बातों ने आग पर पानी डाल दिया

46. आग में कूदना – (जानबूझकर मुसीबत में पड़ना) –
वीर पुरुष किसी खतरे से नहीं डरते वे तो आग में भी कूद पड़ते हैं

47. आग लगने पर कुआँ खोदना – (मुसीबत आने पर मुसीबत का हल ढूँढना) –
अंतिम घडी में शहर से डॉक्टर बुलाना आग लगने पर कुआँ खोदने के समान है

48. आटा गीला करना – (घाटा आना) –
कम कीमत में फसल बेचोगे तो आटा तो गीला होगा ही

49. आधा तीतर आधा बटेर – (बेढंगा) –
पश्चिमी संस्क्रती ने भारतीय संस्क्रती को आधा तीतर आधा बटेर बना दिया

50. आबरू पर पानी फिरना – (प्रतिष्ठा बर्बाद होना) –
तुम्हारी नादानी के कारण ही हमारी आबरू पर पानी फिर गया

51. आवाज उठाना – (विरोध करना ) –
गुंडों के खिलाफ आवाज उठाना आम बात नहीं है

52. आसमान सिर पर उठाना – (शोर मचाना) –
स्कूल के बच्चों ने आसमान सिर पर उठा लिया

53. आँख भर आना – (आँसू आना) –
बेटी की बिदाई से माँ बाप की आँख भर आई

54. आँखों में बसना – (दिल में समाना) –
वह इतना बुद्धिमान है कि वह मेरी आँखों में बस गया

55. अंक भरना – (प्यार से गले लगा लेना) –
माँ ने बेटी को देखते ही अंक भर लिया ।

56. अंग टूटना – (बहुत थक जाना) –
ज्यादा काम करने से मेरे तो अंग टूटने लगे हैं

57. अंगारों पर लेटना – (दुःख सहना) –
वह दूसरे की तरक्की देखकर अंगारों पर लोटने लगा

58. अंचरा पसारना – (माँगना) –
माँ ने अपने बेटे की तरक्की के लिए भगवान के सामने अंचरा पसार लिया

59. अण्टी मारना – (चाल चलना) –
ऐसी अण्टीमारो कि सब चारों खाने चित हो जाए

60. अण्ड-बण्ड कहना – (भला-बुरा कहना) –
तुम क्या अण्ड-बण्ड ख रहे हो कोई सुन लेगा तो बहुत पिटेगा

61. अन्धाधुन्ध लुटाना – (बिना सोचे खर्च करना) –
अपनी कमाई को कोई भी अन्धाधुन्ध लुटाया नहीं करते

62. अन्धा बनना – (आगे-पीछे कुछ नहीं देखना) –
धर्म के पीछे अँधा नहीं बनना चाहिए

63. अन्धा बनाना – (धोखा देना) –
लोगों ने ही लोगों को अँधा बना रखा है

64. अँधा होना – (विवेकभ्रष्ट होना) –
तुम अंधे हो गये हो क्या यह भी नहीं देखते कि कोई खड़ा है या नहीं

65. अंधेरखाता – (अन्याय होना) –
मुंहमांगा देने पर भी लोग अन्याय करते हैं यह कैसा अन्धेरखाता है

66. अंधेर नगरी – (जहाँ कपट का बोलबाला हो) –
पहले चाय इकन्नी में मिलती थी और अब दस पैसे की मिलती है ये बाजार नहीं अंधेर नगरी है

67. अकेला दम – (अकेला होना) –
मैं तो अकेला हूँ जिधर सींग समायेगा , चल दूंगा

68. अक्ल की दुम – (खुद को होशियार समझनेवाला) –
तुम्हे दस का पहाडा तो आता है नहीं और खुद को साइंस का टॉपर कहते हो

69. अगले जमाने का आदमी – (ईमानदार व्यक्ति) –
आज की दुनिया में अगले जमाने का आदमी बुद्ध माना जाता है

70. अढाई दिन की हुकुमत ( कुछ ही दिन की शानोशौकत) –
जरा होशियार रहें ये अढाई दिन की हुकुमत है जल्दी चली जाएगी

71. अन्न जल उठाना – (मरना) –
मुझे नहीं पता था कि तुम्हारा यहाँ से अन्न जल उठ गया है

72. अन्न जल करना – (जलपान करना) –
बहुत दिनों बाद आये हो कुछ अन्न जल तो कर लेते

73. अन्न लगना – (स्वस्थ रहना) –
उसे तो अपने गाँव का ही अन्न लगता है

74. अपना किया पाना – (कर्म का फल भोगना ) –
जब बेकार लोगों से नाता रखोगे तो अपना किया ही पाओगे

75. अब तब करना – (बहाना बनाना) –
मैने उससे कुछ माँगा तो उसने अब तब करना शुरू क्र दिया

76. अब तब होना – (परेशान करना) –
दवाई देने से कोई फायदा नहीं वह तो अब तब हो रहा है

77. आठ आठ आँसू रोना – (बहुत पछताना) –
अगर अभी नहीं पढोगे तो बाद में आठ आठ आँसू रोना पड़ेगा

78. आसन डोलना – (विचलित होना) –
धन देखते ही ईमान का भी आसन डोल जाता है

79. आसमान टूट पड़ना – (बहुत कष्ट आना) –
उसने इतने दुखों का समना किया की मानो उस पर तो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा

80. अगिया बैताल – (क्रोधी) –
रोहन छोटी-छोटी बात पर अगिया बैताल हो जाता है

81. अंगारों पर पैर रखना – (खुद को संकट में डालना) –
भारतीय सेना अंगारों पर पैर रखकर भारत की सेवा करती है

82. अक्ल का अजीर्ण होना – (जरूरत से ज्यादा अक्ल होना) –
मोहन किसी विषय में किसी और को महत्व नहीं देता उसे अक्ल का अजीर्ण हो गया है

83. अक्ल दंग होना – (हैरान होना) –
सोहन ज्यादा पढाई नहीं कर्ता लेकिन जब रिजल्ट आया तो सब की अक्ल दंग रह गयी

84. अक्ल का पुतला – (बहुत बुद्धिमान होना) –
विदुर जी को अक्ल का पुतला माना जाता था

85. अंत पाना – (भेद पाना) –
किसी का भी अंत पाना कठिन है

86. अंतर के पेट खोलना – (समझदारी से काम लेना) –
हर परेशानी में हमे अंतर के पेट खोलना चाहिए

87. अक्ल के घोड़े दौड़ना -(कल्पनाएँ करना) –
जय तो हमेशा अक्ल के घोड़े दौड़ता रहता है

88. अपनी डफली आप बजाना – (अपने मन अनुसार करना) –
राधा किसी की बात नहीं सुनती , वो हमेशा अपनी ढपली बजाती रहती है

89. अंधों में काना राजा – (अनपढ़ों में पढ़े लिखे का सम्मान होना) –
रावन तो अंधों में काना राजा के समान है

90. अंकुश देना – (जोर देना) –
भारतीय खिलाडियों पर खेल जीतने के लिए बहुत अंकुश दिया गया

91. अंग में अंग चुराना- (शरमाना) –
वह मुझसे अंग से अंग चुराने लगा

92. अंग-अंग फूले न समाना- (बहुत खुश होना) –
अपनों से मिलकर उसका अंग-अंग फूले न समाया

93. अंगार बनना- (क्रोधित होना) –
राजेश की बात सुनकर रमेश अंगार बन गया

94. अंडे का शाहजादा- (अनुभवहीन) –
काम करना क्या होता है वह अंडे का शाहजादा क्या जाने

95. अठखेलियाँ सूझना- (दिल्लगी करना) –
आजकल के बच्चों को अठखेलियाँ सूझती हैं

96. अँधेरे मुँह- (प्रातः काल) –
वो तो अँधेरे मुंह उठकर ही काम करने लगता है

97. अड़ियल टट्टू- (रूक-रूक कर काम करना) –
तुम्हे काम करना नहीं आता तुम अड़ियल टट्टू की तरह काम करता है

98. अपना घर समझना- (बिना संकोच व्यवहार करना) –
सुखी ने रिश्तेदारों से बात करने के लिए बुलाया लेकिन वो तो उसे अपना ही घर समझने लगे

99. अड़चन डालना- (बाधा उत्त्पन करना) –
सपना हर शुभ काम में अडचन डालती है

100. अरण्य-चन्द्रिका- (व्यर्थ का पदार्थ होना) –
अरुण अपना समय अरण्य चन्द्रिका पर बर्बाद कर्ता रहता है

101. आग का पुतला- (क्रोधी) –
सुरजन तो आग का पुतला है छोटी -छोटी बात पर बुरा मान लेता है

102. आग पर आग डालना- (जले को जलाना) – लक्ष्मी लड़ाई को मिटाने की जगह और आग पर आग डालने का काम करती है

103. आग पानी का बैर- (सहज वैर) – लता और चारू को समझाना तो बहुत मुस्किल है उनमें तो आग पानी का बैर है

104. आग बोना- (झगड़ा लगाना) – सब लोग लड़ाई में झगड़ा कम करने की वजह और आग बोने का काम करते हैं

105. आग लगाकर तमाशा देखना- (झगड़ा खड़ाकर उसमें आनंद लेना) – सुनीता हमारे घर में आग लगाकर तमाशा देखती है

106. आग लगाकर पानी को दौड़ाना- (पहले झगड़ा लगाकर फिर उसे शांत करने का यत्न करना) – पहले तो स्कूल में लड़ाई करवाते हो फिर उसे शांत करने की कोशिश करते हो यह तो आग लगाकर पानी को दौड़ने वाली बात हुई ।

107. आग से पानी होना- (क्रोध करने के बाद शांत हो जाना) – हमें तो श्याम का स्वभाव समझ नहीं आता वो तो आग से पानी हो जाता है

108.आन की आन में- (फौरन ही) – वैसे तो वह कुछ कर्ता नहीं लेकिन जब करने की सोच लेता है तो वह आन की आन में ही कर्ता है

109. आग रखना- (मान रखना) – मेहमान भगवान का रूप होता है इसलिए सब लोग उनका आग रखते हैं

110. आसमान दिखाना- (पराजित करना) – आयुर्वेद ने सभी विदेशी कम्पनियों को आसमान दिखा दिया

111. आड़े आना- (नुकसानदेह होना) – आजकल की वस्तुएं आड़ी आने लगी हैं

112. आड़े हाथों लेना- (बुरा-भला कहना) – कविता अपने से बड़ों से गलत तरह से बात क्र रही थी इसलिए उसके अध्यापक ने उसे आड़े हाथों ले लिया

113. अंगारे उगलना – (कडवी बातें करना) – सरोज तो बातें नहीं करती वह तो अंगारे उगलती है

114.अंगूठा चुसना – (खुशामद करना) – स्वाभिमानी लोग कभी किसी का अंगूठा नहीं चूसा करते

115. अंगूर खट्टे होना – (न मिलने पर वस्तु को खराब कहना) – जब लोमड़ी के हाथ अंगूर न लगे तो उसे लगा कि अंगूर खट्टे हैं

116. अंडा फूट जाना – (राज खुल जाना) – जब लोकेश की साडी बातें लोगों के सामने आ गई तो उसका अंडा फूट गया

117. अंगड़ाना – (अंगड़ाई लेना) – जब श्याम सुबह उठता है तो उठने के बाद अंगड़ाता है

118. अंकुश रखना – (नियंत्रण रखना) – वह किसी भी बात को ऐसे ही नहीं कहते हैं वे अपने आप पर अंकुश रखना जानते हैं ।

119. अंग लगाना – (गले लगाना) – जब उसे अपनी माँ के आने का पता लगा तब उसने अपनी माँ को अंग से लगा लिया

120. अँगूठे पर मारना – (परवाह न करना) – वह छोटे – बड़ों को तो अपने अंगूठे पर मरता है ।

121. अंधे को चिराग दिखाना – (मूर्ख को उपदेश देना) – विकाश को कुछ भी समझाना अंधे को चिराग दिखाने के समान है

122. अँधेरे घर का उजाला – (अकेली संतान होना) – राकेश तो अपने अँधेरे घर का उजाला है ।

123. अँधेरे मुँह – (पौ फटते) – गाँव में सब लोग अँधेरे मुंह ही उठने लगते हैं

124. अक्ल चकराना – (कुछ समझ में न आना) – दो देशों के बीच बिना बात की लढाई देखकर मेरी तो अक्ल ही चक्र गई । 125. अक्ल का कसूर – (बुद्धि दोष) – तुम्हे कोई बात समझ नहीं आती यह तुम्हारा नहीं तुम्हारी अक्ल का कसूर है । 126. अक्ल के तोते उड़ना – (होश उड़ जाना) – जब उससे खा गया की जल्दी काम करे तो उसके अक्ल के तोते उड़ गए

127. अटकलेँ भिड़ाना – (उपाय सोचना) – वह तो हर वक्त किसी न किसी बात पर अटकलें भिडाती रहती है

128. अक्षर से भेँट न होना – (अनपढ़ होना) – वह तो बहुत गरीब है उसकी अक्षर से भेंट नहीं हुई होगी

129. अथाह मेँ पड़ना – (मुश्किल मेँ पड़ना) – तुम उस पागल से क्या मुश्किल का हल पुंचते हो वह तो खुद ही अथाह में पड़ता फिरता है

130. आटे के साथ घुन पिसना – (दोषी के साथ निर्दोष की भी हानि होना) – श्याम और घनश्याम ने साथ में काम किया लेकिन घनश्याम ने गलत काम किया और फस गया डॉन को हानि हुई यह तो आते के साथ घुन पिसने वाली बात हो गई

131. ओखल में सिर देना – (जानकर समस्या में पड़ना) – जब ओखल में सिर दे दिया है तो अब डरते क्यूँ हो

132. औंधी खोपड़ी का होना – (मूर्ख होना) – वह कुछ नहीं समझ सकता वह तो औंधी खोपड़ी का आदमी है

133. औंधे मुंह गिरना – (बुरी तरह धोखा खाना) – खरीददारी करने की वजह से किसान औंधे मुंह आ कर गिरा है

134. अधजल गगरी छलकत जाए – (कमगुणी व्यक्ति दिखावा ज्यादा कर्ता है) – उस इन्सान को देखो उसका काम ऐसा है मानो अधजल गगरी छलकत जाए

135. आम के आम गुठलियों के दाम – (दोगुना लाभ होना) – एक वस्तु खरीदने पर दूसरी मुफ्त यह तो आम के आम गुठलियों के दाम वाली बात हुई

136. आँखों में सूअर का बाल होना – (स्वार्थी होना) – रमेश की आँखों में सूअर का बाल है ये बात सभी जानते हैं ।

इ , ई से शुरू होने वाले मुहावरे

137. ईद का चाँद होना – (बहुत दीनों के बाद दिखयी देना) – तुम्हें देखने को तरस गए मित्र , तुम तो ईद का चाँद हो गए हो

138. ईंट का जवाब पत्थर से देना – (किसी की दुष्टता का करारा जवाब देना) – भारतीय सेना ने शत्रु का समना करते समय ईंट का जवाब पत्थर से दिया

139. ईंट से ईंट बजाना – (सर्वनाश करना) – कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों की ईंट से ईंट बजा दी

140. इधर-उधर करना – (टालमटोल करना) – अब इधर – उधर मत करो मुझे मेरी पुस्तक दे दो

141. इधर की दुनिया उधर होना – (कोई अनहोनी बात का होना) – चाहे इधर की दुनिया उधर हो जाए पर में वहाँ नहीं जाऊंगा

142. इधर की उधर करना – (चुगली करना) – अनीता को कुछ भी बताना बेकार है वह तो इधर की उधर करती रहती है

143. इंद्र का अखाडा – (मौज की जगह होना) – भाइयों यह शराबखाना नहीं है यह तो इंद्र का अखाडा है

144. इज्जत बेचना – (पैसे लेकर इज्जत लुटाना) – आप लोग क्या समझते हैं कि शहर की लडकियाँ अपनी इज्जत बेचती फिरती हैं

145. ईमान बेचना – (बेईमानी करना) – लोग पैसे के पीछे अपना ईमान बेचते फिरते हैं

146.इतिश्री होना – (समाप्त होना) – वह इन्सान का काम तो इतिश्री हो चूका है

147. इस हाथ लेना उस हाथ देना – (हिसाब-किताब करना) – हम तुम से ये सौदा क्र लेते हैं लेकिन ये काम इस हाथ लेने और उस हाथ देने का का होगा

148. इश्क का परवान न चढना – (प्यार में असफलता मिलना) – सुखी और माया एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे लेकिन उनका प्यार परवान न चढ़ सका

149. इंसानियत को दागदार करना – (इंसानियत के खिलाफ काम करना) – सुलाखान ने अपनी ही भतीजी को हवस का शिकार बनके इंसानियत को दागदार कर दिया

उ , ऊ से शुरू होने वाले मुहावरे :

150. ऊँट के मुंह में जीरा – (आवश्यकता से कम वस्तु) – रत दिन मेहनत करने वाले मजदूर के लिए दो रोटियां ऊँट के मुंह में जीरे के समान हैं

151. उल्टी गंगा बहाना – (रीति विरुद्ध काम करना) – अरे भाई । मेरे चरण छूकर क्यों उल्टी गंगा बहाते हो , मैं तो तुमसे छोटा हूँ

152. ऊँगली पर नचाना – (अपने वश में कर लेना) – वह कमा कर देता है , इसलिए वह सारे घर को ऊँगली पर नचाता है

153. उडती चिड़िया पहचानना – (राज की बात दूर से जान लेना) – उसे उडती चिड़िया पहचानना आता है

154. उन्नीस – बीस का अंतर होना – (कम अंतर होना) – राम और श्याम की शक्ल में बस उन्नीस -बीस का अंतर ही है

155. उडती खबर – (अफवाह होना) – हमें किसी भी उडती खबर पर विश्वास नहीं करना चाहिए

156. उल्लू का पट्ठा – (बेवकूफ होना) – वह तो उल्लू का पट्ठा है वह अक्ल से काम कैसे लेगा

157. उल्लू बनाना – (पागल बनाना) – सुधा को उल्लू बनाना बहुत कठिन है वह सब कुछ पहचान लेती है

158. उधेड़ बुन में पड़ना – (सोच में पद जाना) – जब अचानक कोई मुश्किल आ जाती है तो कोई भी व्यक्ति उधेड़ बुन में पद जाएगा

159. उल्टे अस्तुरे से मूडना – (मूर्ख बनाकर ठगना) – उस ढोंगी ने आज मुझे उल्टे अस्तुरे से मूड लिया था

160. ऊँगली पकडकर पहुँचा पकड़ना – (थोड़े की जगह पूरा लेने की इच्छा रखना) – मोहन से सावधान रहो वह तो ऊँगली पकडकर पहुँचा पकड़ने वाला आदमी है

161. उँगली उठाना – (दोष देना) – तुमने बिना कुछ सोचे मुझ पर ऊँगली क्यूँ उठाई

162. उल्टी माला फेरना – (बुरा सोचना) – हमारी दादी जी तो हमेशा ही उल्टी माला फेरती रहती हैं

163. उठा न रखना – (कमी न छोड़ना) – तुम क्या चाहते हो जब बोलना शुरू करते हो तो चुप ही नहीं होते हो तुम तो बातों को उठा ण रखने वाली बात करते हो

164. उल्टी पट्टी पढ़ाना – (और का और कहकर बहकाना) – त्तुम हमारे बच्चों से बात मत किया करो तुम इन्हें उल्टी पट्टी पढ़ते हो

165. ऊँची दुकान फीका पकवान – (उपरी दिखावा करना)– वैसे तो दुकान इतनी बड़ी है और पकवान बिलकुल फीका यह तो वही बात हुई कि ऊँची दुकान फीका पकवान वाली बात हुई

166. उड़द पर सफेदी के बराबर भी शर्म नहीं – (बेहया होना) – रमेश की आँखों में तो उड़द पर सफेदी के बराबर भी शर्म नहीं है

167. उठा-पटक करना – (तोड़फोड़ करना) – वह तो हर मामले में उठापटक कर्ता है

168. उसका कोई सानी न होना – (बहुत होशियार होना) – उसको काम करने में महारथ हांसिल है उसका दिनेश अपने की कोई सानी नहीं है

169. उल्टा चोर कोतवाल को डांटे – (उल्टा दोष देना) – एक तो सुरेश ने गलती की और उपर से मुझे ही डांटे जा रहा है।यह तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटने वाली बात हुई

ए , ऐ से शुरू होने वाले मुहावरे

170. एंडी चोटी का पसीना एक करना – (बहुत मेहनत करना) – ये काम पूरा करने के लिए उसे एंडी चोटी का पसीना एक करना पड़ेगा

171. एक आँख न भाना – (अच्छा न लगना) – बेटे के साथ तुम्हारा व्यवहार मुझे एक आँख नहीं भाता

172. एक-एक ग्यारह होना – (एकता होना) – पहले वो अलग अलग रहते थे तो लोग उन्हें स्टेट थे लेकिन अब वो एक-एक ग्यारह हो गये हैं अब लोग उनसे डरने लगे हैं

173. एक टांग पर खड़ा होना- (काम के लिए तैयार रहना) – जब तक बहन की शादी नहीं हुई वह एक टांग पर खड़ा रहा

174. एक लाठी से हाँकना – (सबके साथ एक जैसा व्यवहार करना) – सब लोगों को एक लाठी से हाँकना कोई बुद्धिमानी नहीं है

175. एक हाथ से ताली न बजना – (दूसरे के बिना काम न होना) – कभी भी एक हाथ से ताली नहीं बजती गलती तुम दोनों की है

176. ऐसी तैसी करना – (बेईज्जती करना) – सब के समने उसने अपने ही बड़े भाई की ऐसी तैसी कर दी

177. एक घाट पानी पीना – (एकता होना) – सनम और शबनम दोनों ही एक घाट का पानी पीती हैं

178. एक ही थैली के चट्टे–बट्टे – ( सब एक सेबुरे व्यक्ति) – राम और श्याम से क्या कहते हो वे तो एक ही थाली के चट्टे-बट्टे हैं

179. एक ही नौका मेँ सवार होना – (एक जैसी स्थिति में होना) – रमेश और सुरेश तो एक ही नौका में सवार दो आदमी हैं

क से शुरू होने वाले मुहावरे

180. कलेजा मुँह को आना – (बहुत दुःख होना) – उस वृद्ध की खानी सुनकर मेरा तो कलेजा मुंह को आ गया

181. कलेजा ठंडा होना – (संतोष होना)– सत्य प्रकाश के चुनाव हारने से विरोधियों का कलेजा ठंडा हो गया

182. कलाई खुलना – (कमजोरी का पता लगना) – मनोज कक्षा में नकल करता पकड़ा गया , उससे उसके चरित्र की कलई खुल गई

183. कान भरना – (चुगली करना) – पापा के कान भरकर रोहन ने पप्पू को पिटवा दिया

184. कलेजे का टुकड़ा – (बहुत प्रिय) – करीना अपनी माता जी के कलेजे का टुकड़ा है

185. कटे पर नमक छिडकना – (दुखी को और दुखी करना) – परेशान व्यक्ति को अपमानजनक शब्द कहना कटे पर नमक छिडकना है

186. किस्मत ठोकना – (पछताना) – नालायक संतान होने पर माता पिता को सदैव अपनी किस्मत ठोकनी पडती है

187. काँटे बिछाना – (मुसीबत पैदा करना) – पंकज के विरोध ने उसके रास्ते में पग-पग पर काँटे बिछाए , परन्तु वह अपने उद्देश्य में सफल हो गए

188.कोल्हू का बैल – (बहुत परिश्रमी)– जब से राहुल के उपर गृहस्थी का भर पड़ा है , तब से वह कोल्हू का बैल बन गया है

189. काठ का उल्लू – (मूर्ख होना) – दिनेश से बात करना बिलकुल बेकार है वह तो निरा काठ का उल्लू है

190. कटक बनना – (बाधक होना) – तुम मेरे हर काम में कटक क्यूँ बन गये हो

191. ककड़ी खीरा समझना – (महत्वहीन समझना) – वे गरीब हैं पर आदमी हैं उन्हें तुम ककड़ी खीरा मत समझा करो

192. कफन सिर से बंधना – (खतरे की परवाह न करना) – भरतीय सेना अपने सिर पर कफन बांध कर देश की रक्षा करती है

193. कमर कसना – (तैयार होना) – अगर खेल में जितना है तो अपनी कमर कस लो

194. कमर टूटना – (कमजोर होना) – युद्ध में हार होते देख पाकिस्तानी सेना की कमर ही टूट गयी

195. कलेजा चीरकर दिखाना – (भरोसा देना) – मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ यह मैं कलेजा चीरकर दिखा सकता हूँ

196. कलेजा टूक-टूक होना – (दुःख होना) – कैकयी की बात सुनकर महाराज दशरथ का कलेजा टूक-टूक हो गया

197. कलेजा थामकर रहना – (मन में भरोसा होना) – लक्ष्मण को परशुराम पर बहुत क्रोध आया था पर राम के समझाने पर वे कलेजा थामकर रह गये

198. कलेजा निकलकर रख देना – (सच ख देना) – कलेजा निकलकर रखने पर भी कोई विश्वास नहीं करता

199. कलेजे पर साँप लोटना – (ईर्षा होना) – मेरी तरक्की देखकर तुम्हारे कलेजे पर साँप लोट रहे हैं

200. काठ की हांड़ी – (अस्थायी चीज) – इस बार तुम्हारी योजना सफल हो गई लेकिन काठ की हांड़ी बार-बार चूल्हे पर नहीं चढती

201. कान एंठना – (सुधरने की शपथ लेना) – मैं अपने कान ऐंठता हूँ की अब से ऐसे काम नहीं करूंगा

202. कान पर जूं न रेंगना – (ध्यान न देना) – मैं तुम्हें इतनी देर से समझा रहा हूँ लेकिन तुम्हारे कान पर तो जूं ही नहीं रेंग रही है

203. कान भरना – (चुगली करना) – तुम्हे क्या हुआ है तुम सब के कान भरते फिरते हो

204. कान में तेल डालकर बैठना – (अनसुनी करना) – मैं तुम्हे इतनी देर से बुला रहा हूँ पर तुम कान में तेल डाल क्र बैठे हो

205. काम आना – (वीरगति प्राप्त होना) – नेप्फा की लड़ाई में चीनी सैनिक बहुत काम आये

206. काम तमाम करना – (मार देना) – शिवाजी ने अपनी तलवार से अफजल खां का काम तमाम क्र दिया

207. कीचड़ उछालना – (बदनाम करना) – अच्छे आदमियों पर कीचड़ उछालना अच्छी बात नहीं है

208. कील काँटे से दुरुस्त होना – (अच्छी तरह तैयार होना) – आज में अपना काम पूरा करके रहूँगा क्योकि आज में कील काँटे से दुरुस्त होकर आया हूँ

209. कुएँ में भाँग पड़ना – (सबकी बुद्धि मारी जाना) – हम लोग किस-किस को समझाएं यहाँ पर यहाँ तो कुएं में ही भाँग पड़ी है

210. कुत्ते की मौत मरना – (बुरी तरह मरना) – अगर तुम इसी तरह व्यवहार करोगे तो कुत्ते की मौत मरोगे

211. कुम्हड़े की बतिया – (कमजोर आदमी) – सुरेश ने रमेश को कुम्हड़े की बतिया समझा है जो उसे धमकाता रहता है

212. कुहराम मचाना – (बहुत रोना) – विश्वनाथ की मौत की खबर आते ही उनके घर में कुहराम मच गया

213. कौड़ी का तीन होना – (कम दाम का होना) – तुम्हारे जैसे आवारा के साथ रहकर वह भी कौड़ी का तीन हो गया

214. कंठ का हार होना – (बहुत प्रिय होना) – सुनीता अपने माँ-बाप के लिए कंठ का हार है

215. कंगाली में आटा गीला होना – (गरीबी में हानि होना) – एक तो हम पहले से ही गरीब हैं अब और फसल के दाम नहीं मिले यह तो कंगाली में आटा गीला होने वाली बात हो गई है

216. कंधे से कंधा मिलाना – (साथ देना) – युद्ध में जवान कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं

217. कच्चा-चिटठा खोलना – (रहस्य खोलना) – सुरेश ने कान्हा का सारा कच्चा – चिटठा खोल दिया ।

218. कच्ची गोली खेलना – (कम अनुभवी होना) – अभी तुम ज्यादा समझदार नहीं हो ये कच्ची गोली खेलना बंद कर दो

219. कटी पतंग होना – (निराश्रित होना) – उसकी तो कटी पतंग है जिधर राह दिखेगी उधर चल देगा

220. कठपुतली होना – (इशारों पर चलना) – तुम तो अजीत के हाथ की कठपुतली हो वह जैसा कहेगा तुम वैसा करोगे

221. कब्र में पैर लटकना – (मौत के करीब होना) – यहाँ पर पैर कब्र में लटक रहे हैं और तुम घुमने जाने की बात करते हो ।

222. कढ़ी का सा उबाल – (मामूली जोश) – तुम्हारा क्रोध ऐसा है जैसे कढ़ी में उबाल होता है

223. कड़वे घूँट पीना – (असहनीय बात को सहना) – उसके भाई ने उसे बहुत बुरा भला कहा लेकिन वह कडवे घूंट पीकर रह गया

224.कलेजा छलनी होना – (बहुत दुःखी होना) – अपनी बहन द्वारा ऐसी बातें सुनकर उसका कलेजा छलनी हो गया

225. कसौटी पर कसना – (परखना) – मोहन परीक्षा देकर आया था पर आते ही उसके बड़े भाई ने उसे कसौटी पर कस दिया

226. कागज काले करना – (व्यर्थ लिखना) -तुम पढाई में ध्यान दो व्यर्थ कागज काले करने छोड़ दो

227. कान मेँ फूँक मारना – (प्रभावित करना) – हमने उनके कान में फुक मारा तो वे हमारी बात को समझ गये ।

228. काया पलट होना – (बिल्कुल बदल जाना) – पहले वे क्या थे और अब तो उनकी काया ही पलट हो गई

229. कालिख पोतना – (बदनाम करना) – बिना बात के किसी पर कालिख मत पोता करो

230. किताब का कीड़ा – (हर समय पढ़ते रहना) – तू पास होते हो पर हर वक्त किताबी कीड़े की तरह लगे रहते हो

231. कंचन बरसना – (जगह से धन मिलना) – शादी में तो एक बार कंचन जरुर बरसता है

232. काट खाना – (अकेलेपन का अहसास होना) – अब घर का ये सूनापन काटने को दौड़ता है

233. कलम तोडना – (सुंदर लिखना) – जयशंकर प्रसाद ने कामयनी लिखने में कलम तोड़ दी थी ।

ख से शुरू होने वाले मुहावरे

234. खून का प्यासा – (कट्टर शत्रु) – बदले की भावना मनुष्य को खून का प्यासा बना देती है

235.खाक छानना – (मारा – मारा फिरना) – बेरोजगारी होने के कारण पढ़े-लिखे भी खाक छानते फिरते हैं

236. खबर लेना – (दंड देना) – सोनू तुम्हारी बहुत शिकायत आ रही है मैं तुम्हारी खबर लूँगा

237. खाक उड़ाते फिरना – (भटकना) – अपनी सारी सम्पत्ति बर्बाद करने के बाद अब वह खाक छानते फिरता है

238. खाक में मिल जाना – (नष्ट हो जाना) – अगर भगवान की बुराई करोगे तो खाक में मिल जाओगे

239. खिलखिला पड़ना – (खुश हो जाना) – खिलोने देने से सभी बच्चे खिलखिला उठते हैं

240. खुशामदी टटूट होना – (चापलूस होना) – तुम्हारा क्या है तुम तो खुशामदी टटूट हो किसी न किसी तरह अपना काम बना ही लोगे

241. खून की नदी बहाना – (मार-काट होना) – जब भी युद्ध होता तब तब खून की नदियाँ भ जाती हैं

242. खून खौलना – (क्रोधित होना) – जब द्रौपदी का अपमान हुआ था तब भीम का खून खौलने लगा था

243. खेत आना – (लड़ाई में मारा जाना) – 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना के हजारो सैनिक खेत आये

244. ख्याली पुलाव पकाना – (असंभव बातें सोचना) – कुछ काम भी करना है या बस ख्याली पुलाव ही पकाओगे

245. खटाई मेँ पड़ना – (टल जाना) – आज यह काम नहीं होगा यह काम तो अब खटाई में ही पड़ेगा

246. खालाजी का घर – (आसन काम) – यह काम तो मेरे लिए खाला जी के घर के बराबर है

247. खिचड़ी पकाना – (गुप्त रूप से षड्यंत्र रचना) – मुझे आखिर समझ नहीं आता की इन दोनों में क्या खिचड़ी पक रही है

248. खून का घूँट पीना – (क्रोध को अंदर ही अंदर सहना) – उसने इतनी जली कटी सुनाई लेकिन वह तो खून का घूंट पीकर रह गया

249. खून सूखना – (डर जाना) – भूत को देखते ही उसका खून सूख गया

250. खून सफेद हो जाना – (दया न रह जाना) – उसका अब खून सफेद हो गया है वह अब तुम्हारी जज्बाती बातों को समझ नहीं पाएगा

ग से शुरू होने वाले मुहावरे

251. गड़े मुर्दे उखाड़ना – (पुरानी बातें याद करना) – मेरी दीदीजी हर बात में गड़े मुर्दे उखाड़ने लगती हैं

252. गागर में सागर भरना – (कम शब्दों में अधिक कहना) – स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमन्त्री जी का भाषण गागर में सागर था

253. गुदड़ी का लाल – (गरीब परिवार में जन्मा गुणी व्यक्ति) – लालबहादुर शास्त्री गुदड़ी के लाल थे

254. गड्ढे खोदना – (शाजिस करना) – जो लोग दूसरों के लिए गड्ढे खोदते हैं वो उसमें खुद गिरते हैं

255. गहरी छनना – (पक्की दोस्ती होना) – इन दोनों राम और श्याम में गहरी छन रही है

256. गांठ बंधना – (याद रखना) – पिताजी की बात गांठ बांध लो नहीं तो बादमें बहुत पछताओगे

257. गिरगिट की तरह रंग बदलना – (जल्दी विचार बदलना) – लक्ष्मण की बात का क्या भरोषा वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है

258. गुड गोबर करना – (बना हुआ काम बिगाड़ देना) – मैने उसे बहुत समझकर तैयार किया था लेकिन तुमने सारा गुड गोबर कर दिया

259. गुल खिलाना – (अनोखे काम करना) – तुमने एन मौके पर ऐसा गुल खिला दिया

260. गाजर मूली समझना – (छोटा समझना) – हम अपने दुश्मनों को गाजर मूली समझते हैं

261. गोटी लाल होना – (लाभ होना) – तुम्हे क्या फर्क पड़ता है तुम्हारी गोटी तो लाल हो रही है ना

262. गोली मरना – (उपेक्षा से त्याग देना) – बेकार की बातों को गोली मारो और अपने कम पर ध्यान दो

263. गोलमाल करना – (गडबड करना) – कुछ लोग आफिस में कई दीनों से गोलमाल क्र रहे थे आज वो पकड़े गये

264. गंगा नहाना – (बड़ा कार्य करना) – मेरी बेटी की शदी हो गई है मानो मैंने तो गंगा नहा ली है

265. गत बनाना – (पीटना) – सुरेश अब तो लखन को गत बनाना बंद करो

266. गर्दन उठाना – (विरोध करना) – तुम हर फैसले पर गर्दन मत उठाया करो यह अच्छी बात नहीं है

267. गले का हार – (बहुत प्रिय) – सोहन अपने माँ-बाप के गले का हार है

268. गर्दन पर सवार होना – (पीछे पड़ना) – सोनू तो आज मेरी गर्दन पर सवार होकर ही रहेगा

269. गज भर की छाती होना – (बहादुर होना) – उस वीर योद्धा को तो देखो उसकी गज भर की छाती है

270.गाल बजाना – (डींग मरना) – सुमन को देखो वह तो अपने घर वालों के बारे में हमेशा गाल बजती रहती है

271. गीदड़ धमकी – (दिखावटी धमकी देना) – तुम पर लड़ना नहीं आता ये गीदड़ धमकी किसी और को देना

272. गूलर का फूल – (दुर्लभ व्यक्ति) – तुम उससे क्या लड़ोगे वह तो बिचारा गूलर का फूल है

273. गेंहूँ के साथ घुन पिसना – (दोषी के साथ निर्दोष पर भी समस्या आना) – जब उसका साथ रहेगा तो गेंहूँ के साथ घुन तो पिसना ही था

274.गोबर गणेश – (मूर्ख होना) – तुम उसे कुछ नहीं समझा सकते वह तो गोबर गणेश है

275.गर्दन झुकाना – (लज्जित होना) – मेरे सामने आते ही उसकी गर्दन झुक गई

276. गर्दन पर छुरी फेरना – (अत्याचार करना) – तुम उस बेकसूर के गर्दन पर छुरी मत फेरों ऐसा करने से कोई लाभ नहीं होगा

277. गला घोंटना – (दुःख देना) – आजकल तो सरकार भी गरीबों का गला घोट रही है

278. गला फँसाना – (बंधन में पड़ना) – दूसरों के मामले में हमे कभी गला नहीं फँसाना चाहिए

279. गले मढना – (जबरदस्ती काम करवाना) – इस बेवकूफ को भगवान ने मेरे गले क्यूँ मढ़ दिया

280. गुलछर्रे उड़ाना – (मौज करना) – तुम किसी और की सम्पत्ति पर गुलछर्रे कैसे उदा सकते हो

घ से शुरू होने वाले मुहावरे

281. घड़ों पानी पड़ना – (बहुत लज्जित होना) – बड़े भाई के रिश्वत लेते हुए पकड़े जाने पर उस घड़ों पानी पद गये

282. घोड़े बेचकर सोना – (निशिंचित होना) – बेटी तो ब्याह दी अब क्या , घोड़े बेचकर सोओं

283. घी के दिए जलाना – (खुशी मनाना )- श्री रामचन्द्र जी ने जब अयोध्या में प्रवेश किया तो जनता ने घी के दिए जलाकर उनका स्वागत किया

284. घर का न घाट का – (बेकार) – अभी की नौकरी तो छूटी उसके माँ-बाप ने भी घर से निकाल दिया वह तो न घर का रहा न घाट का

285. घाट – घाट का पानी पीना – (अनुभवी होना) – तुम उसे जानते नहीं हो वह तुम्हे पहचान लेगा उसने तो घाट-घाट का पानी पिया है

286. घुटना टेक देना – (हार मानना) – भरतीय लोगों ने विदेशियों को इतना सताया की उन्होंने अपने घुटने टेक दिए

287. घुला-घुला कर मरना – (सताकर मारना) – रामू ने अपने दोस्त को घुला-घुला कर मारा

288. घर फूंककर तमाशा देखना – (अपना ही नुकशान करके खुश होना) – तुमने अपने मजे के लिए एक तो घर फूंक दिया और तमाशा देख रहे हो

289. घड़ी में तोला घड़ी में माशा – (अस्थिर व्यक्ति) – तुम किस के पीछे हो वह तो घड़ी में तोला घड़ी में माशा की तरह का व्यक्ति है

290. घास खोदना – (व्यर्थ समय गँवाना) – तुम लोग ये घास खोदना बंद करो और घर के काम में हाथ बटा लो

291. घाव पर नमक छिडकना – (दुखी को और दुखी करना) – एक तो उसका भाई मर गया है और उपर से तुम उसके घाव पर नमक छिडक रहे हो

292. घर का भेदी लंका ढाए – (आपसी फूट से भेद खुलना) – एक व्यक्ति पहले कांग्रेस में था अब जनता पार्टी में है तो सही कहते हैं घर का भेदी लंका ढाए

293. घर सिर पर उठाना – (बहुत शोर मचाना) – बच्चों ने तो घर सिर पर उठा लिया था

च से शुरू होने वाले मुहावरे

294. चुल्लू भर पानी में डूब मरना – (लज्जित होना) – अपनी माता जी को गाली देने के अपराध में उसे चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए

295. चिकना घडा होना – (बेशर्म होना) – भावना को चाहे जितना भी डाटो , परन्तु वह तो चिकना घडा है

296. चार चाँद लगाना – (शोभा बढ़ाना) – मेरे मित्रों के उत्सव में शामिल होने से उत्सव में चार चाँद लग गए

297. चकमा देना – (धोखा देना) – ठग दुकानदार को चकमा देकर हार उठाकर ले गए

298. चंगुल में आना – (वश में आना) – जब वो मेरे चंगुल में फस जायेगा तब में उसे देखूंगा

299. चण्डाल चौकड़ी – (बुरे लोगों का समूह) – उसे अपनी चण्डाल चौकड़ी में ही मजा आता है वह घर क्यूँ आएगा

300. चक्कर में डालना – (परेशान करना) – उसने मुझसे कुछ कहा लेकिन मैं उसका जवाब न सोच सका जिस वजह से मैं चक्कर में पड़ गया

301. चक्कर में आना – (धोखा खाना) – मेरी मत मरी गई थी जो मैं उसके चक्कर में आ गया

302. चल निकलना – (जम जाना) – अपने हमें हमेशा याद आते हैं लेकिन वो हम ही से दूर चल निकलने में सोचते भी नहीं हैं

303. चाँदी काटना – (बहुत पैसे कमाना) – खेती में वे खूब चाँदी कट रहे हैं

304. चाँदी का जूता मरना – (रिश्वत देना) – इस जमाने में जिसे चाँदी का जूता मारा जाता है वही हमारा गुलाम बन जाता है

305. चलती चक्की में रोड़ा अटकना – ( बाधा उत्त्पन्न करना) – वह गया तो था काम करने के लिए लेकिन क्या करें जब चलती चक्की में रोड़ा ही अटक गया

306. चप्पा-चप्पा छान मारना – (सब जगह ढूँढना) – सब लोग चप्पा-चप्पा छान मरो राम कहीं न कहीं तो मिलेगा

307. चाँदी का जूता – (काला धन) – जब आयकर विभाग वालों ने अभ्य के घर छापा मारा तो वहाँ से बहुत चाँदी का जूता मिला

308. चाँदी होना – (लाभ होना) – अगर हमारा काम चल गया तो हमारी चाँदी ही चाँदी है

309. चादर से बाहर पैर पसारना – (आमदनी से ज्यादा खर्च करना) – तुम चादर से बाहर पैर मत पसारो अगर तुमने ऐसा किया तो बाद में तुम बहुत पछताओगे

310. चादर तान कर सोना – (बेफिकर होकर सोना) – मेरा सारा बोझ उतर गया अब तो मैं चादर तान कर सोऊंगा

311. चार चाँद लगाना – (शोभा बढ़ाना) – मेरी शादी में आकर तुमने चार चाँद लगा दिए

312. चार दिन की चांदनी – (थोडा सुख) – भाई तुम इतना घमंड मत करो यह तो चार दिन की चांदनी है

313. चिराग तले अँधेरा – (खुद बुरा होकर दूसरों को उपदेश देना) – शं दूसरों को समझता फिरता है लेकिन खुद के घर में चिराग तले अँधेरा है ।

314. चिकनी चुपड़ी बातें करना – (मीठी बातें करके धोखा देना) -ये चिकनी चुपड़ी बातें मत करो मैं इन में नहीं आने वाला

315. चींटी के पर निकलना – (घमंड करना) – तुम बहुत उड़ने लगे हो ऐसा मानो जैसे चींटी के पर निकल आये हों

316. चुटिया हाथ में होना – (काबू में होना) – तुम उससे क्या कहोगे उसकी तो चुटिया किसी के हाथ में है

317. चूना लगाना – (धोखा देना) – उसने मुझ से मुनाफे की बात की पर मुनफे के नाम पर वह मुझे चूना लगा गया

318. चूड़ियाँ पहनना – (औरतों की तरह कायर होना) – तुम तो कायर हो तुम्हे चूड़ियाँ पहन लेनी चाहिएँ

319. चहरे पर हवाईयाँ उड़ना – (घबरा जाना) – जब मुझे किसी की परछाई दिखी तो मेरे चहरे की हवाईयाँ उड़ गयीं

320. चैन की बंशी बजाना – (सुखी रहना) – वह तो बेचारा अपनी चैन की बंशी बजा रहा है

321. चोटी का पसीना एडी तक आना – (बहुत परिश्रम करना) – उसने पैसे कमाने में चोटी का पसीना एडी यक लगा दिया

322. चोली दामन का साथ – (घनिष्ठ रिश्ता) – उन दोनों का साथ तो ऐसा मानो जैसे चोली दामन का साथ हो

323. चौदहवी का चाँद – (सुंदर होना) – उस लडकी को तो देखो मानो चौदहवी का चाँद हो

324. चंपत होना – (भागना) – चोर पुलिस को देखते ही न जाने कहाँ चंपत हो गया

325. चौकड़ी भरना – (छलाँगें लगाना) – हिरन चौकड़ी भरते ही कहाँ से कहाँ पहुंच जाते हैं

326. चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाये – (बहुत कंजूस होना) – महेंद्र अपने बेटे को कपड़े भी नहीं देते वह तो यह मानता है की चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाये ।

327. चैपट करना – (पूरी तरह नष्ट करना) – उसने तो मेरा बना बनाया काम चैपट क्र दिया

328. चम्पत होना – (गायब होना) – लोकेश ने मुझसे पैसे लिए थे पर जब उसे मैं दिख गया तो वह चम्पत हो गया

छ से शुरू होने वाले मुहावरे

329. छक्के छुड़ाना – (हिम्मत तोडना) – अंग्रेजी का प्रश्न पत्र इतना कठिन आया था कि अच्छे-अच्छे विद्यार्थियों के छक्के छूट गए

330. छठी का दूध याद आना – (बहुत कष्ट होना) – चार किलोमीटर तक पैदल चलने में दीनानाथ को छठी का दूध याद आ गया

331. छाती पर मूंग दलना – (किसी से दुःख की बात कहना) – पता नहीं तुम यहाँ से कब जाओगी तुम मेरी छाती पर मूंग दलती रहूंगी

332. छाती पर साँप लोटना – (जलन होना) – दूसरे की तरक्की देखकर तुम्हारी छाती पर साँप लोटते हैं

333. छान बीन करना – (जाँच पड़ताल करना) – छान बीन करने पर भी पुलिस वालों को चारी का कोई सुराग नहीं मिला

334. छीछालेदर करना – (बुरा हाल करना) – आज मोदी जी ने नेताओं की खूब छीछालेदर की

335. छू मंतर होना – (भाग जाना) – बड़े भाई को देखते ही श्याम छू मंतर हो गया

336. छप्पर फाड़ कर देना – (बहुत लाभ होना) – जब भी भगवन देता है छप्पर फाड़ के देता है

337. छाती पर पत्थर रखना – (चुपचाप दुख सहना) – उसने अपनी छाती पर पत्थर रखकर सारे दुखों को शं किया है

338. छोटे मुंह बड़ी बात करना – (अपनी औकात से ज्यादा कहना) – उस लडके ने तो छोटा मुंह बड़ी बात कर दी

339. छठी का दूध याद आना – (मुसीबत में फसना) – वह तो ऐसी मुसीबत में फसा है कि से तो छठी का दूध याद आ गया होगा

340. छाती ठोकना – (उत्साहित होना) – जब उसे नई साईकल मिली तो वह खुशी से छाती पीटने लगा

ज से शुरू होने वाले मुहावरे

341. जंजाल में फसना – (झंझट में फसना) – वह बेचारा तो जंजाल में फस गया है अब ववह हमारे लिए समय कहाँ से निकले

342. जले पर नमक छिडकना – (दुखी को और दुखी करना) – ये गरीब लोग पहले से ही दुखी हैं अब उनके जले पर नमक मत छिडको

343. जड़ उखाड़ना – (पूर्ण रूप से नष्ट कर देना) – भारतियों ने विदेशी लोगों की भारत से जड़ उखाड़ दी

344. जबानी जमा खर्च करना – (काम करने की जगह बातें करना) – बस जबानी जमा खर्च मत करो कुछ काम भी कर लिया करो

345. जमीन आसमान एक करना – (बहुत परिश्रम करना) – फसल अच्छी उगने के लिए सानों ने जमीन आसमान एक कर दिया

346. जमीन पर नाक रगड़ना – (माफ़ी माँगना) – मुकेश ने सुमेश के समने अपनी नाक जमीन पर रगड़ी

347. जमीन पर पैर न रखना – (घमंड करना) – वह इतना अमीर हो गया है कि जमीन पर पैर ही नहीं रखता

348. जलती आग में घी डालना – (झगड़ा बढ़ाना) – उनके बीच पहले से ही झगड़ा हो रहा था तुमने और जलती आग में घी दाल दिया

349. जली कटी सुनाना – (बेयिजती करना) – सुमेश ने अपने छोटे भाई को बहुत जली कटी सुनाई

350. जहर का घूंट पीना – (क्रोध को रोकना) – उसने अपने भाई को बहुत जली कटी सुनाई पर वह जहर का घूंट पीकर रह गया

351. जी की जी में रहना – (इच्छा पूरी न होना) – मैंने चाहा था की मै अपने सपनों को पूरा करूंगी पर मेरी जी की जी में रह गई

352. जी नहीं भरना – (संतोष न होना) – तुम्हे इतना कुछ मिला है तब भी तुम्हारा जी नहीं भर रहा है

353. जी भर आना – (दया आना) – दुखियों को देखकर जिसका जी भर आये वही सच्चा इन्सान है

354. जीती मक्खी निगलना – (बिलकुल बेईमान होना) – वह तो जीती मक्खी को भी निगल जाता है और किसी को पता भी नहीं लगने देता

355. जीवन दान बनना – (जीवनरक्षा करना) – डॉक्टरों की दवा रोगियों के लिए जीवनदान बन गई है

356. जूतियाँ सीधी करना – (खुशामद करना) – अगर तुम्हे उन से अपना काम करवाना है तो उनकी जूतियाँ सीधी किया करो

357. जोर लगाना – (बल लगाना) – रावण ने बहुत जोर लगाया पर शिव धनुष को हिला न सका

358. जंगल में मंगल करना – (उजाड़ में चहल-पहल होना) – तुम उनकी चिंता मत करो उन्हें जंगल में मंगल करना आता है

359. जलती आग में कूदना – (खतरे में पड़ना) – उनका क्या है उन्हें तो जलती आग में कूदने की आदत है

360. जबान पर चढना – (याद आना) – अचानक से उसकी जुबान पर करीना का नाम आ गया

361. जबान में लगाम न होना – (बिना वजह बोलते जाना) – तुम उससे बात मत किया करो उसकी जबान में लगाम नहीं है

362. जमीन आसमान का फर्क – (बहुत बड़ा अंतर) – सुजाता और सरोज में जमीन आसमान का अंतर है

363. जलती आग में तेल डालना – (झगड़ा बढ़ाना) – कुसुम से कोई बात मत किया करो उसे तो जलती आग में घी डालने की आदत है

364. जहर उगलना – (कडवी बातें करना) – सूरज बातें नहीं कर्ता वह तो जहर उगलता है

365. जान के लाले पड़ना – (संकट में पड़ना) – तुम उनसे क्या कहते हो उन्ही के जान के लाले पड़े हुए हैं

366. जान पर खेलना – (मुसीबत का काम करना) – सर्कस में एक बच्चे ने अपनी जान पर खेल कर करतब दिखाए

367. जान हथेली पर रखना – (जिनगी की पपरवाह न करना) – भारतीय सैनिक अपनी जान हथेली पर लेकर घूमते हैं

368. जी चुराना – (काम से भागना) – तुम उससे काम करने के लिए मत कहा करो वह तो काम से जी चुराता है

369. जी का जंजाल – (व्यर्थ का झंझट)- अब सोहन से क्या कहें वह तो हमारे जी का जंजाल बन चूका है

370. जी भर जाना – (ऊक जाना) – अब तुम्हारा इस खिलौने से जी भर चूका है

371. जी पर आ बनना – (मुसीबत में फँसना) – मैं तुम्हे कैसे बचाऊ यहाँ तो अपने ही जी पर आ बनी है

372. जूतियाँ चटकाना – (मारे-मारे फिरना) – तुम्हे तो जूतियाँ चटकाना है लेकिन हमें तो बहुत काम करना होता है

373. जूतियाँ चाटना – (चापलूसी करना) – राकेश तो तुम्हारी जूतियाँ चाटता फिरता है

374. जूतियों में दाल बाँटना – (लड़ाई झगड़ा हो जाना) – यहाँ पर आने का कोई फायदा नहीं यहाँ पर तो जूतियों में दाल बंट रही है

375. जोड़-तोड़ करना – (उपाय सुझाना) – हम कोई न कोई जोड़ तोड़ करके इस मुसीबत का हल निकाल ही लेंगे

376. जिसकी लाठी उसकी भैंस – (बलशाली की जीत होती है) – आज हमे यहाँ पर सब कुछ पता लग जायेगा जिसकी लाठी उसकी भैंस होगी

झ से शुरू होने वाले मुहावरे

377. झक मारना – (विवश होना) – तुम लोगों के पास झक मरने के शिवा कोई काम नहीं है पर हमें तो काम करना पड़ता है

378. झाँसा देना – (धोखा देना) – लक्की ने मुझे झाँसा देकर मेरी किताब हथिया ली

379. झाड़ फेरना – (मान खत्म करना) – एक नीच व्यक्त ने तुमसे रिश्ता बनाकर तुम्हारी इज्जत पर झाड़ फेर दिया

380. झाड़ मारना – (डाँटना) – माँ ने थोड़ी सी बात पर उसे झाड़ मार दी

381. झाड़ू फिराना – (सब बर्बाद करना) – मैंने बड़ी मुश्किल से वो काम किया था पर उसने मेरे बने बनाए काम पर झाड़ू फेर दिया

382. झोली भरना – (इच्छा से अधिक देना) – उसके पिता ने कन्यादान करते समय उसकी झोली भर दी

383. झगड़ा मोल लेना – (जानकर झगड़े में पड़ना) – तुम्क्युन झगड़ा मोल लेते हो उनकी तो आदत बन गई है झगड़ा की

ट से शुरू होने वाले मुहावरे

384.टक्कर लेना – (मुकाबला करना) – भारतीय खिलाडियों का पाकिस्तानी खिलाडियों से टक्कर लेना आसन नहीं था

385. टका सा जवाब देना – (मना करना) – मैंने अपने रिश्तेदारों से बहुत उमीद की थी पर उन्होंने मुझे टका सा जवाब दे दिया

386. टका सा मुंह लेकर रह जाना – (शर्मिंदा होना) – जब समय काम करने से नाट गया तो उसके पिता जी टकसा मुंह लेकर रह गये

387. टट्टी क ओट में शिकार करना – (छिपकर गलत काम करना) – आजकल के नेता टट्टी की ओट में शिकार खेलना अच्छी तरह से जानते हैं

388. टस से मस न होना – (बिलकुल न हिलना) – मैंने उससे काम के लिए कहा था पर वह टस से मस नहीं हुआ

389. टाऍ- टाऍ फिस होना – (असफल होना) – उसकी योजना तो अच्छी थी पर वो टाएँ टाएँ फिस हो गई

390. टाल – मटोल करना – (बहाने बनाना) – अगर तुम्हे मेरे पैसे नहीं देने तो मुझे कह दो टाल – मटोल करके मुझे परेशान मत करो

392. टूट पड़ना – (हमला करना) – शिवाजी की सेना मुगल सेना पर टूट पड़ी ।

393. टांग अडाना – (दखल देना) – तुम लोगों को टांग अड़ाने के सिवा और कोई काम नहीं है

394. टेढ़ी ऊँगली से घी निकालना – (आसानी से काम न होना) – जब कोई काम सीधे तरीके से न हो तो ऊँगली टेढ़ी करने में ही समझदारी है

395. टेढ़ी खीर होना – (मुश्किल काम) – कुत्ते की दुम को सीधा करना टेढ़ी खीर के समान है

396. टोपी उछालना – (अपमान करना) – सुखदेव ने सरे आम जयसिंह की टोपी उछाल दी

397. टाट उलटना – (आप को गरीब कहना) – उसने सारा लाभ कम कर टाट उलट दिया

398. टें-टें-पों-पों – (व्यर्थ शोर मचाना) – झगड़ा उन दोनों के बीच है तुम क्यूँ टें-टें-पों-पों मत करो

399. टुकड़ों पर पलना – (दूसरों के पैसों पर जीना) – लक्ष्मी तो बेचारी दूसरों के टुकड़ों पर पलती है

400. टेक निभाना – (वादा पूरा करना) – तुम्हे अपना टेक निभाना होगा तुम अब पीछे नहीं हट सकते

ठ से शुरू होने वाले मुहावरे

401. ठंढा करना – (शांत करना) – पिता जी गुस्से से उबल रहे थे बड़ी मुश्किल से उन्हें ठंडा किया है

402. ठंडा होना – (शांत होना) – विदेशी सैनिक लक्ष्मीबाई की तलवार से वार खाकर ठंडे पद गये

403. ठकुर सुहाती करना – (चापलूसी करना) – अफसरों की ठकुर सुहाती करके सेठजी ने बहुत धन कमाया है

404. ठनठन गोपाल होना – (गरीब होना) – तुम उससे पैसे पाने की आशा क्र रहे हो पर इस समय तो वह खुद ही ठनठन गोपाल हुआ बैठा है

405. ठोकर खाना – (हानि सहना) – उसने रामू पर भरोसा किया और उसे ठोकर खानी पड़ी

406. ठगा सा – (भौंचक्का सा) – जब उसे अपनी हानि के बारे में पता चला तो वह ठगा सा रह गया

407. ठठेरे-ठठेरे बदला – (समान बुद्धि वाले से काम करना) – मुझे यह काम सुभाष से करवाना था पर ठठेरे-ठठेरे बदला कैसे किया जाये

408. ठीकरा फोड़ना – (दोष लगाना) – जब उसे उसके बारे में सबकुछ पता चल गया तो वह उसका ठीकरा फोड़ने लगा

409. ठिकाने आना – (होश में आना) – जब उसे अपनी सचाई पता चली तो उसके होश ठिकाने आ गये

ड से शुरू होने वाले मुहावरे

410. डंक मारना – (असहनीय बातें कहना) – तुम संध्या से बातें मत किया करो ह बातें नहीं कहती वह तो डंक मरती है

411. डंके की चोट पर कहना – (खुल्लम खुल्ला कहना) – वो बात जरूर सच होगी तभी तो डंके की चोट पर कही गई है

412. डुबते को तिनके का सहारा होना – (असहाय का कोई भी सहारा होना) – किसी कठिनाई में पड़ते हुए को तिनके का सहारा बहुत होता है

413. डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाना – (अलग होना) – अगर हम डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाएंगे तो लोग हमें अलग कर देंगे

414. डकार जाना – (हडप जाना) – सीताराम अपने भाई की सारी सम्पत्ति डकार गया

415. डींग हाँकना – (बढ़ चढ़ कर कहना) – तुम डींगें हाँकना बंद करो हमें पता है तुम कैसे हो

416. डोरी ढीली करना – (बिना संभाले काम करना) – तुमसे बिना डोरी ढीली किये कोई काम नहीं होता क्या

417. डंका बजाना – (घोषणा करना) – उसने नए नियमों का डंका बजा दिया

418. डोरे डालना – (प्यार में फसाना) – सपना बहुत दीनों से रमेश पर डोरे दाल रही है

419. डूब मरना – (शर्म से झुकना) – तुमने ऐसा काम किया है की तुम्हे डूब मरना चाहिए

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मुहावरे क्या है परिभाषा

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