अलंकार किसे कहते हैं परिभाषा, प्रकार, भेद, उदाहरण, Alankar In Hindi - Rskg » Rskg

अलंकार किसे कहते हैं परिभाषा, प्रकार, भेद, उदाहरण, alankar in hindi – rskg

अलंकार के बारे में बताने वाले हैं की अलंकार क्या होता है alankar in hindi अलंकार के कितने प्रकार होते हैं कौन-कौन से अलंकार होते हैं और अलंकार के उदाहरण को भी बताने वाले हैं इसलिए जैसा कि हमें पता है कि सभी लोग को अलंकार के बारे में पता नहीं होता है इसलिए आज हम आप सभी लोगों को अलंकार के बारे में बताने वाले हैं तो आइए सबसे पहले हम आप सभी लोगों को बताते हैं कि अलंकार किसे कहते हैं I

alankar in hindi
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अलंकार किसे कहते हैं Alankar in hindi /Who is adornment

हम आप सभी लोगों को यह बताने वाले हैं कि अलंकार किसे कहते हैं हमें पता है कि सभी लोगों को यह नहीं पता होगा कि अलंकार किसे कहते हैं तो आज हम सभी लोगो को इसके बारे में बताने की कोशिश करते हैं कि अलंकार किसे कहते हैं I

अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है- अलम+कार I यहां पर अलम का अर्थ होता है आभूषण I मानव समाज में बहुत ही सौंदर्यपासक हैै उसकी परिवर्ती के कारण ही अलंकारोंं को जन्म दिया गया हैI आप लोगों को बता दें कि जिस तरह से एक नारी अपनी सुंदरता को बढ़ाने केेे लिए आभूषणों को अपनेेे प्रयोग में लाती है या पहनती है उसी प्रकार भाषा सुंदर बनानेेे के लिए अलंकारों का प्रयोग किया जाता है I अर्थात जो शब्द काव्य की शोभा बढ़ाते हैं उसे अलंकार कहते हैं I

अलंकार का सामान्य अर्थ होता है आभूषण या गहना I जिस प्रकार आभूषण से शरीर की शोभा बढ़ती है ठीक उसी प्रकार अलंकार से काव्य की शोभा बढ़ती हैI

अलंकार शब्द का अर्थ /Meaning of the word ornament

वह वस्तु जो सुंदर बनाएं या सुंदर बनाने का साधन हो उसे अलंकार का अर्थ कहते हैं I साधारण भाषा में आभूषण को ही अलंकार कहते हैं I आप लोगों को बता दें कि जिस प्रकार आभूषण ग्रहण करने से या पहनने से स्त्री की शोभा बढ़ती है ठीक उसी प्रकार अलंकार केेे प्रयोग कविता की शोभा बढ़ती है I इसी को ही हम अलंकार कहते हैं I

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अलंकार की परिभाषा /Definition of ornament

अब हम आप सभी लोगों को अलंकार की परिभाषा के बारे में बताने वाले हैं जैसा कि ऊपर हमने बताया है कि अलंकार किसे कहते हैं और अब हम इसकी परिभाषा को बताने वाले हैं कि अलंकार की परिभाषा क्या है I

कव्यो की सुंदरता बढ़ाने वाले यंत्रों को ही अलंकार कहते हैं I जिस प्रकार मनुष्य अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए विभिन्न आभूषणों का प्रयोग करता है या कोई स्त्री अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए कई तरह के गहनों का या दूसरों का प्रयोग करती है वैसे ही हम काव्यो की सुंदरता बढ़ाने के लिए हम अलंकार का प्रयोग करते हैं I

अलंकार कितने प्रकार के होते हैं /How many types of ornaments are there

अब हम आप सभी लोगों को यह बताने वाले हैं कि अलंकार कितने प्रकार के होते हैं तथा उनका क्या नाम है तो आज हम लोग इसी के बारे में जानने का प्रयास करते हैं या हम आप सभी लोगों को बताने वाले हैं I

तो हम आप सभी लोगों को बता दें कि अलंकार मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं-

  • शब्दालंकार
  • अर्थालंकार
  • उभयाअलंकार

शब्दालंकार की परिभाषा /Definition of metaphor

शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना है- शब्द+अलंकार, जिसके दो रूप होते हैं- ध्वनि और अर्थ I धन के आधार पर शब्दालंकार केे सृष्टि या उत्पत्ति की जाती है I जब अलंकार किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहेेे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द का इस्तेमाल कर देने से फिर उस शब्द का अस्तित्व ही ना बचे तो ऐसी स्थिति को शब्दालंकार कहते हैं I

अर्थालंकार की परिभाषा /Definition of metaphor

जिस जगह पर अर्थ केेे माध्यम से काव्य में चमत्कार होता है वहां अर्थालंकार होता है या उसे अर्थालंकार कहते हैं I जैसे-उत्त्प्रेक्षा, उपमा, रूपक, रेखा संदेह, व्यक्ति, भ्रांतिमान आदि I

उभयालंकार की परिभाषा /Definition of amphibious

जब किसी पंक्ति में शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों के इस्तेमाल से ही उसके सौंदर्य को बढ़ाया जाता है तब वहां उभयालंकार होता है या तब उसे उभयालंकार कहते हैं I

शब्दालंकार कितने प्रकार के होते हैं /How many types of syllables are there

हम आप सभी लोगों को यह बताने वाले हैं कि शब्द अलंकार कितने प्रकार के होते हैं हमें लग रहा है शायद यह किसी को ही पता होगा कि शब्दालंकार कितने प्रकार के होते हैं जैसे अलंकार शायद सबको पता होता है कि कितने प्रकार का होता है लेकिन सभी लोगों को यह नहीं पता होगा कि शब्दालंकार कितने प्रकार का होता है तो आइए हम लोग इसी के बारे में जानने वाले हैं या उसके बारे में आप सभी लोगों को बताने वाले हैं हम आप लोगो को इसके बारे में बताने कि कोशिश करते है कि शब्दालंकार कितने प्रकार का होता है तथा इसका क्या नाम है I

मैं आप लोगों को बता दूं कि शब्दालंकार तीन प्रकार का होता है I

अनुप्रास अलंकार /Alliteration decking

अनुप्रास अलंकार-किसी वाक्य या छंद एक ही वर्ल्ड बार-बार आए या तो वर्णों की इस आवृत्ति को अनुप्रास अलंकार कहतेे हैं जैसे-वामन मेंं बागन में बगरयो बसंत है I

आप लोग देखते होंगे कि यहां पर ब,न, वर्णों की बार-बार आवृत्ति होने के कारण यहां पर अनुप्रास अलंकार है I

यमक अलंकार /Pun ornament

यमक अलंकार वह अलंकार होता है जिसमें एक ही शब्द बार-बार प्रयोग किया जाता है लेकिन उन शब्दों का अर्थ अलग-अलग निकलता है उसे ही हम यमक अलंकार कहते हैं, जैसे-

जीवन दायक है धन सम

जीवन जीवन में घनश्याम

रुस्तम आप लोगों को बता दें कि यहां पर धन जीवन का अर्थ जल से है तथा दूसरा और तीसरा जीवन का अर्थ प्राण से है इसलिए यहां यमक अलंकार है I

श्लेष अलंकार /Synth decking

श्लेष अलंकार वह होता है जहां पर एक ही शब्द से अनेक अर्थ का बोध हो रहा हो वहां श्लेष अलंकार होता है जैसे

सुवरन को खोजत फिरत

कवि व्यभिचारी चोरI

यहां पर सुवरन का 3 अर्थ निकलता है सुंदर वर्ण , सुंदर शरीर और सोना I यहां श्लेष अलंकार हैI

इसके अलावा भी शब्दालंकार के और चार भेद होते हैं I तो आइए हम सभी लोग इनके चार वेद के बारे में जानते हैं यह चार प्रकार के बारे में जानते हैं कि कौन-कौन से इसके और चार प्रकार हैं I

पुनरुक्त प्रकाश अलंकार /Repeating lighting

जहां एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आता है और ऐसा होने से ही अर्थ का सौंदर्य बढ़ जाता है वहां पर पुनरुक्त प्रकाश अलंकार होता है जैसे-

धीरे-धीरे वाहन करके तू उन्हीं को उड़ा ला I

थी ठौर – ठौर विहार करती सुन नारिया I

पुनरुक्तवदाभास अलंकार /Repertoire

जब भिन्न भिन्न रूप और समान अर्थ वाले शब्द एक साथ प्रयोग हो और उनके समान अर्थ में प्रयुक्त होने का आभास होने पर भी वास्तव में इस ढंग से प्रयुक्त ना हो तब पुनरुक्तावदभास अलंकार होता हैI

वीप्सा अलंकार /Vepsa decking

पुनरुक्त प्रकाश के समान इस अलंकार में शब्दों का प्रयोग बार-बार होता है किंतु वे आश्चर्य, आवेग, शोक, आदर आदि को प्रस्तुत करता है जैसे-

राम कहत चलु, राम कहत चलु, राम कहत चल भाई I

यहां राम शब्द का प्रयोग भक्ति के आवेग को प्रकट करने के उद्देश्य से हुआ है इसलिए यहां वीपसा अलंकार है I

वक्रोक्ति अलंकार /Rhetoric

जहां किसी बात पर वक्ता और श्रोता कि किस युक्त के संबंध में अर्थ कल्पना में विभिन्नता का आभास होता है वहां वक्रोक्ति अलंकार होता है I

वक्रोक्ति अलंकार के दो भेद हैंI

स्लेश वक्रोक्ति अलंकार /Slash quibble decking

कभी-कभी एक शब्द स्लेष होने के कारण वक्ता और श्रोता दूसरा अर्थ निकालता है I

कहां भिखारी गयौ यहां ते, करै जो तुव पति पालो I

यहां भिखारी से भिखारी का अर्थ नहीं होता बल्कि भगवान शंकर को बोला गया है इसलिए यहां श्लेष वक्रोक्ति अलंकार है I

काकुवक्रोक्ति अलंकार /Rhetoric

कभी कंठ ध्वनि या अन्य किसी प्रकार से कहे हुए वाक्य का दूसरा अर्थ निकलता है तो उसे हम काकु वक्रोक्ति अलंकार कहते हैं I

मैं सुकुमारि!नाथ वन जोगू I

अर्थालंकार /Metaphor

काव्य का व चमत्कारी धर्म जो कव्यगत अर्थ को अलंकृत करता है जहां काव्यगत चमत्कार अर्थ पर आधारित होता है वहां अर्थालंकार होता है I

अर्थालंकार के चार भेद होते हैं I

उपमा अलंकार /Simile ornament

जब दो वस्तु में समान गुड या विशेषता का आभास कर उनकी तुलना की जाती है तब वहां उपमा अलंकार होता है इस के अंग है उपमेय, उपमान,समता वाचक शब्द, अर्थ I

उपमेय -जिसका वर्णन हो या उपमा दी जाए उसे उपमेय कहते है I

उपमान- जिससे तुलना की जाए उसे उपमा न कहते हैं I

समानता वाचक शब्द- ज्यो,सम,सा,सी,तुल्य आदि I

समान धर्म- उपमेय और उपमान के समान धर्म को व्यक्त करने वाला शब्द I

बढ़ते नद सा वह लहर गया I

यहां राणा प्रताप का घोड़ा चेतक (वह) उपमेय है बढ़ता हुआ नद (उपमान) सा (समानता वाचक शब्द) लहर गया (समान धर्म) I

रूपक अलंकार /Allegory

जहां अपमान और अप में के भेद को समाप्त कर उन्हें एक कर दिया जाए वहां रूपक अलंकार होता है इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है जो हम नीचे बता दे रहे हैं-

=उपमेय को उपमान का रूप देनाI

=वाचक शब्द का लोप होना I

=उपमेय का भी साथ में वर्णन I

उदित उदयगिरि मंच पर रघुवर बाल पतंग I

विगसे संत सरोज सब हरसे लोचन भृंग I I

उत्प्रेक्षा अलंकार /Utreksha Alankar

जहां प्रस्तुत उपमेय में कल्पित उपमान की संभावना दिखाई देती है उसे उत्प्रेक्षा अलंकार कहते हैं I

मुख मानो चंद्रमा है I

अतिशयोक्ति अलंकार /Superlative embellishment

जहां किसी वस्तु या व्यक्ति का वर्णन बढ़ा चढ़ाकर किया जाए वहां अतिशयोक्ति अलंकार होता है I

संदेसनि मधुबन कूप भरे I

उभयालंकार /Ambiguity

जिस अलंकार के माध्यम से शब्द और अर्थ दोनों का पता चलता है या जिसमें शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों ही सम्मिलित होते हैं वैसे अलंकार को हम वह है अलंकार कहते हैं I

अलंकार का महत्व /Importance of ornament

अब हम आप सभी लोगों को अलंकार के महत्व के बारे में बताने वाले हैं कि अलंकार में क्या महत्व है इसके बारे में आप सभी लोगों को बताना चाहता हूं क्योंकि शायद आप लोगों को अलंकार के महत्व के बारे में ना पता हो इसलिए हम आप सभी लोगों को इसके महत्व के बारे में बताना चाहता हूं तो आइए जानते हैं इसका महत्व क्या है –

1. अलंकार शोभा बढ़ाने के साधन है I काव्य रचना में रस पहले होना चाहिए उस रसमई रचना की शोभा बढ़ाई जा सकती है अलंकारों के द्वारा अर्थात रचना में रस होना चाहिए और उसकी शोभा अलंकारों के द्वारा बढ़ाई जा सकती है I

जिस रचना में रस नहीं होगा, उसमें अलंकारों का प्रयोग उसी प्रकार व्यर्थ है जैसे-निसप्राण शरीर पर आभूषण I

2. काव्य में अलंकारों का प्रयोग प्रयास पूर्वक नहीं होना चाहिए I ऐसा होने पर वह काया पर भार स्वरूप प्रतीत होने लगता है और उनसे काव्य की शोभा बढ़ने की अपेक्षा घट जाती है I

काव्य का निर्माण शब्द और अर्थ द्वारा होता है I अतः दोनों शब्द और अर्थ के सौंदर्य की वृद्धि होनी चाहिए I

अलंकार के भेद विस्तार में /In detail of the decoration

मैं आप सभी लोगों को अलंकार के भेद को विस्तार में बताना चाहता हूं जिससे कि आप सभी लोगों को अच्छे से समझ में आ सके और आप लोग जान सके I हम आप सभी लोगों को बताते हैं कि अलंकार के कितने भेद होते हैं तथा उदाहरण सहित आप सभी लोगों को बताऊंगा जिससे आप सभी लोगों को अच्छे से और जल्द से समझ में आ सके तो आइए दोस्तों हम लोग जानते हैं कि अलंकार के कितने भेद होते हैं I

अब आप अलंकार के सभी भेद विस्तार में पढ़ने जा रहे हैं I आपको प्रति एक अलंकार के साथ उनके उदाहरण भी पढ़ने को मिलेंगे I

1.अनुप्रास अलंकार – Anupras alankar

हम आप सभी लोगों को अनुप्रास अलंकार के बारे में बताने वाला हूं की अनुप्रास अलंकार क्या होता है और उसके उदाहरण भी बताऊंगा कि उसके उदाहरण क्या होते हैं हम आप लोग को अनुप्रास अलंकार के बारे में बताने की कोशिश करते हैं I

जब समान व्यंजनों की आवृत्ति अर्थात उनके बार-बार प्रयोग से कविता में सौंदर्य की उत्पत्ति होती है तो व्यंजनों की इस आवृत्ति को अनुप्रास अलंकार कहते हैं I

अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है अनु+प्रास I अनु का अर्थ है बार-बार, परास का अर्थ है वर्ण I अर्थात जो शब्द बाद में आए अथवा बार-बार आए वहां अनुप्रास अलंकार की संभावना होती है I

जिस जगह स्वर की समानता के बिना भी वर्णों की आवृत्ति बार – बार होती हैं वहा भी अनुप्रास अलंकार होता है I

जिस रचना में व्यंजन की आवृत्ति एक से अधिक बार हो वहां अनुप्रास अलंकार होता है I

अनुप्रास अलंकार के पांच भेद है /There are five different types of alliteration

1. छेकानुप्रास /Chhekanuprasa

2. वृत्यानुप्रास /Rhyme

3. अंतानुप्रास /Rhyme

4. लाटानुप्रास /Latanupras

5. श्रुत्यानुप्रास /Rhyme

इनमें प्रथम दो का विशेष महत्व हैI उनका परिचय निम्नलिखित है I

1. छेकानुप्रास -/Chhekanuprasa

जहां एक या अनेक वर्णो की केवल एक बार आवृत्ति हो जैसे-

कानन कठिन भयंकर भारी I घोर हिमवारी बयारी I

इस कविता के पहले चरण में तथा वर्णों की एवं दूसरे चरण मेंवर्ण की एक – एक बार आवृत्ति हई है इसलिए यह छेकानुप्रास अलंकार है I

2.वृत्यानुप्रास – /Rhyme

जहां एक या अनेक वर्णो की अनेक बार आवृत्ति हो जैसे –

चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में I

यहां कोमल- वृत्ति के अनुसार वर्ण की अनेक बार आवृत्ति हुई है इसलिए इसे वृत्यानुप्रास अलंकार कहते हैं I

अनुप्रास अलंकार के उदाहरण- /Examples of alliteration

  • तट तमाल तरुवर बहु छाए इसमें त वर्ण की आवृत्ति बार-बर हो रही है इसलिए यहां अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है I
  • भुज भुजगेस की है संगिनी भुजंगिनी सी इस वर्ण में वर्ण की आवृत्ति बार-बार हो रही है इसलिए यह अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है I
  • चारु चंद्र की चंचल किरणें इसमें वर्ण की आवृत्ति बार-बार हो रही है इससे यह पता चलता है कि यह भी अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है I
  • मधुप गुन – गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी I इसमे ग और क की आवृत्ति बार-बार हुई है इसलिए यह पता चलता है कि यह अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है I

2.यमक अलंकार- Yamak alankar

हम आप सभी लोगों को यमक अलंकार के बारे में बताएंगे कि यमक अलंकार क्या होता है और इसके उदाहरण क्या होते हैं तो हम आप सभी लोगों को इसके बारे में बताएं कि यमक अलंकार क्या होता है और उसके उदाहरण क्या होते हैं I

किसी कविता का काव्य में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और हर बार उसका अर्थ अलग-अलग हो वहां यमक अलंकार होता है I

उदाहरण के लिए /For example

1.वहै शब्द पुनि – पुनि परै अर्थ भिन्न ही भिन्न I

अर्थात यमक अलंकार में एक शब्द का दो या दो से अधिक बार प्रयोग होता है और प्रत्येक प्रयोग में उसके अर्थ में भिन्नता पाई जाती हैं I

2. कनक कनक ते सौ गुनी, मादकता अधिकाय I या खाए बौराय जग,या पाए बौराय I

इस छंद में कनक शब्द का दो बार प्रयोग हुआ है I एक कनक का अर्थ है स्वर्ण और दूसरे का अर्थ है धतूरा इस प्रकार एक ही शब्द का भिन्न भिन्न अर्थों में दो बार प्रयोग होनेेे के कारण इसे यमक अलंकार कहा जाता है I

  • काली घटा का घमंड घटा = एक घटा का अर्थ हुआ बादल और दूसरे घटा का अर्थ हुआ कम होना यहां पर एक ही शब्द का दो अर्थ हुआ है इससे पता चलता है कि यहां यमक अलंकार है I
  • तीन बेर खाती थी वह तीन बेर खाती थी = एक बेर का अर्थ हुआ फल और दूसरे बेर का अर्थ हुआ समय तो यहां पर एक ही शब्द का दो अर्थ हुआ इससे पता चलता है कि यहां यमक अलंकार है I

यमक अलंकार के भी दो भेद होते हैं /There are also two distinctions of Yamak ornamentation.

यमक अलंकार के भी दो भेद होते हैं शायद तुम लोगों को पता ना हो कि यमक अलंकार के भी भेद होते हैं और उनका क्या नाम है तो हम आप सभी लोगों को यमक अलंकार के दोनों भेदों के बारे में बताने वाला हूं या अभी बताऊंगा कि और दो भेदों का क्या नाम है तो आइए हम यमक अलंकार के दोनों भेदों के बारे में बताने की कोशिश करते है I

१. अभंग पद यमक

२. सभंग पद यमक

1.अभंग पद यमक /Abhang Pad Yamak

यमक अलंकार के दो भेद होते हैं जिनका पहला भेद अभंग पद यमक होता है हम आप सभी लोगों को अभंग पद यमक के बारे में बताने वाले हैं कि यह क्या होता है और उसके उदाहरण को भी बताऊंगा कि इसके कौन-कौन से उदाहरण हैं हम इसके बारे में आप सभी लोगों को बताने की कोशिश करते हैं I

जब किसी शब्द को बिना तोड़े मरोड़े एक ही रूप में अनेक बार भिन्न भिन्न अर्थों में प्रयोग किया जाता है तब अभंग पद यमक कहलाता है I जैसे –

जगती जगती की मुक प्यास I

ऐसे उदाहरण में जगती शब्द की आवृत्ति बिना तोड़े मरोड़े भिन्न भिन्न अर्थों में की गई है एक जगती का अर्थ है जागना और दूसरा जगती का अर्थ है जगत या संसार तो अगर एक शब्द की आवृत्ति बिना तोड़़े मरोड़े भिन्न भिन्न अर्थों में की जाए तो वहां अभंग पद यमक होता है I

2. सभंग पद यमक /Abhang Pad Yamak

अब हम आप सभी लोगों को यमक अलंकार के दूसरे भेद के बारे में बताऊंगा और उसके उदाहरण को भी बताऊंगा कि सभंग पद यमक क्या होता है और इसके उदाहरण क्या क्या होते हैं तो हम आप सभी लोगों को सभंग पद यमक के बारे में बताने की कोशिश करते है I

जब एक शब्द को या एक समूह को तोड़ तोड़ कर उसकी आवृत्ति की जाए और उसे भिन्न भिन्न अर्थों की प्रकृति होती है अथवा निरर्थक होता है तब उसे सभंग पद यमक कहते है I जैसे –

पास ही रे हीरे की खान ,

खोजता कहां और नादान?

यहां ही रे वर्ण -समूह की आवृत्ति हुई है I

पहली बार वही + रेे को जोड़कर बनाया है I इस प्रकार यहां सब सभंग पद यमक है I

अन्य उदाहरण /Other examples

  1. या मुरली मुरलीधर की अधरान धरी अधरा न धरौगी I यहां पर एक अधरान का मतलब है होठों पर और दूसरे अधरा ना का मतलब है होठों पर नहीं I इस प्रकार एक ही शब्द का अलग-अलग अर्थ होता है तो वहां साभांग पद यमक होता है I

2. काली घटा का घमंड घटा दोस्तों यहां पर यह घटा का मतलब है बादलों का जमघट और दूसरे घटा का मतलब है कम होना I इसलिए दोस्तों यहांं पर एक ही शब्द के दो अलग-अलग अर्थथ होते हैं तो वहां सभाांग पद यमक होता है I

3. श्लेष अलंकार Slash alankar

अब हम आप सभी लोगों को श्लेष अलंकार के बारे में बताएंगे और उसके परिभाषा और उदाहरण को भी बताएंगे जिससे आप सभी लोगों को आसानी से और अच्छे से समझ आ सके तो हम आप लोगों को श्लेष अलंकार के बारे में बताने की कोशिश करते हैं I

श्लेष अलंकार की परिभाषा /Definition of synovial

श्लेष का अर्थ है चिपकाना , जहां एक शब्द तो एक बार प्रयुक्त किया जाए पर उसके एक से अधिक अर्थ निकले वहां श्लेष अलंकार होता है I जैसे-

श्लेष अलंकार के उदाहरण /Examples of synopsis

अब श्लेष अलंकार के उदाहरण के बारे में बताएंगे जैसा कि हम आप सभी लोगों को श्लेष अलंकार की परिभाषा ऊपर बता चुके हैं और अब हम उसके उदाहरण को आप सभी लोगों को बताएंगे जिससे आप सभी लोगों को अच्छे से समझ में आ सके तो आइए हम इसके उदाहरण तो आप सभी लोगों को बताने की कोशिश करते हैं या बताते हैं I

जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत की सोय I

बारे उजियारे करे, बड़े अंधेरो होय I

यहां दीपक और कुपुत्र का वर्णन है I बारे और बड़े शब्द दो दो अर्थ दे रहे हैं I दीपक बारे जलाने पर और कुपुत्र बारे बाल्यकाल में उजाला करता है I अर्थात एक बारे का मतलब होता है जलना और दूसरेेे बारे का मतलब होता है बालकाल I ऐसे ही दीपक बड़े बुझ जाने पर और कुपुत्र बड़ेेे होने पर अंधेरा करता है I इस दोहेे में बारेेे और बड़े शब्द बिना तोड़ मरोड़ के ही दो अर्थ निकाल रहे हैं तो यहां पर अभंग पद श्लेष अलंकार है I

4.उपमा अलंकार Upma alankar

अब हम आप सभी लोगों को उपमा अलंकार के बारे में बताएंगे और इसके उदाहरण को भी देकर समझाएंगे जिससे आप सभी लोगों को उपमा अलंकार के बारे में अच्छे से ज्ञान हो सके तो हम आप लोगो को उपमा अलंकार के बारे में बताने की कोशिश करते हैं I

उपमा अलंकार की परिभाषाा/ Definition of analogy

जहां एक वस्तु या प्राणी की तुलना अत्यंत समानता के कारण किसी अन्य प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से की जाती है तो वहां उपमा अलंकार होता है I

उपमा का अर्थ है – तुलना I

जहां उपमान से उपमेय की साधारण धर्म क्रिया को लेकर वाचक शब्द के द्वारा तुलना की जाती है वहां उपमा अलंकार होता है I

इसको समझने के लिए उम्र के 4 अंगों पर विचार कर लेना आवश्यक है I तो आइए दोस्तों सबसे पहले हम उपमा अलंकार के 4 अंगों पर विचार करते हैं कि वह कौन-कौन से 4 अंग है I

1. उपमेय /Analogy

2. उपमान /Respect

3.धर्म /Religion

4. वाचक /Reader

उपमा अलंकार के पहले अंग उपमेय के बारे में जानेंगे या बताएंगे की उपमेय अलंकार क्या होता है तो आइए हम इसकी परिभाषा से जानते हैं कि उपमेय अलंकार क्या होता है I

1. उपमेय की परिभाषा /Definition of Upayama

वस्तु या प्राणी जिसकी उपमा दी जा सके अथवा काव्य में जिसका वर्णन अपेक्षित हो उसे उपमेय कहते हैं I मुख, मन, कमल आदि I

2. उपमान की परिभाषा /Definition of respect

वह प्रसिद्ध बिंदु या प्राणी जिसके साथ उपमेय की तुलना की जाए उसे उपमान कहते हैं जैसे- छान, पीपर, पात आदि I

3. साधारण धर्म की परिभाषा /Definition of religion

उपमान तथा उपमेय में पाया जाने वाला परस्पर समान गुण साधारण धर्म कहलाता है जैसे- चांद सा सुंदर मुख I

4. वाचक शब्द की परिभाषा /Definition of the word signifier

जिस शब्द विशेष से समानता या उपमा का बोध होता है उसे वाचक शब्द कहते हैं I जैसे- सम, सी,सा,सरिस आदि शब्द वाचक शब्द कहलाते हैं।

उपमा अलंकार के उदाहरण /Examples of simile ornamentation

उपमा अलंकार के उदाहरण के बारे में बताने वाले हैं जैसा कि हमने उपमा की परिभाषा ऊपर बता चुके हैं और उपमा के चारों अंगों की परिभाषा भी हमने बता चुके हैं और अब हम उपमा अलंकार के उदाहरण को भी आप सभी लोगों को बताना चाहता हूं कि उपमा अलंकार के कौन-कौन से उदाहरण हैं तो आइए हम उन उदाहरण के बारे में बात करते हैं I

उसका मुख चंद्रमा के समान है –

इस कथन में मुख रूप में हैं, और चंद्रमा उपमान है I

सुंदर समान धर्म हैै और सम्मान वाचक शब्द है I

नील गगन – सा सांत हिरदय था हो रहा I

इस काव्य पंक्ति में उपमा के चार अंग उपमेय – ह्रदय, उपमान – नीलगगन, समान धर्म- शांत और वाचक शब्द सा विद्यमान है I

हिरनी से मीना से, सुखांजन समान चारु, अमल कमल से, विलोचन तिहारे है I

नेत्र उपमेय के लिए कई उपमान प्रस्तुत किए गए हैं अतः यहां मालोपमा अलंकार है I

5. रूपक अलंकार Rupak alankar

रूपक अलंकार की परिभाषा और उदाहरण के बारे में बताएंगे जैसा कि बहुत से लोगों को रूपक अलंकार की परिभाषा तो मालूम होती है परंतु उसके उदाहरण नहीं मालूम होते हैं इसलिए हम आप सभी लोगों को इसकी परिभाषा और उसके उदाहरण के बारे में बताएंगे तो आइए हम आप लोगो को इसकी परिभाषा को बताते हैं की इसकी परिभाषा कैसे हैं कैसी है I

रूपक अलंकार की परिभाषा /Definition of metaphor

जहां गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय में उपमान का भेद आरोप कर दिया जाए वहां रूपक अलंकार होता है I इसमें शब्द वाचक शब्द का प्रयोग नहीं होता है I

रूपक अलंकार के उदाहरण /Examples of metaphorical ornamentation

मैया मैं तो चंद्र खिलौना लेहो I

यहां चंद्रमा उपमेय प्रस्तुत अलंकार है, खिलौना उपमान है अप्रस्तुत अलंकार है I

चरण- कमल बंदों हरि राई I

चरण उपमेय प्रस्तुत अलंकार है और कमल उपमान प्रस्तुत अलंकार है I

बीती विभावरी जाग री

अंबर पनघट में डुबो रही

तारा घट उषा नागरी I

तारा – उपमेय प्रस्तुत अलंकार

घट – उपमान अप्रस्तुत अलंकार

उदित उदयगिरि मंच पर, रघुवर बाल पतंग I

विकसे संत सरोज सब, हरषे लोचन भ्रिंग I

यहां रूपक अलंकार का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है I

6. उत्प्रेक्षा अलंकार utpreksha alankar

उत्प्रेक्षा अलंकार के बारे में बताएंगे की उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा क्या है तथा उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण को भी बताएंगे जिससे आप सभी लोगों को उत्प्रेक्षा अलंकार आसानी से समझ में आ सके तो हम आप सभी लोगों को उत्प्रेक्षा अलंकार के बारे में बताने की कोशिश करते हैं I

उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा /Definition of Ornamental Decorating

जहां रूप,गुण आदि समानता के कारण उपमेय में उपमान की संभावना या कल्पना की जाए वहां उत्प्रेक्षा अलंकार होता है I

उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण /Examples of euphoric ornamentation

कहती हुई यो उतरा के नेत्र जल से भर गए I

हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए I

उतरा के नेत्र – उपमेय प्रस्तुत अलंकार है I

ओस युक्त जल – कड़ पंकज – उपमान अप्रस्तुत अलंकार है I

सोहत ओढ़े पीत पैट पट, श्याम सलौने गात I

मानहु नीलमणि सैल पर, आपत परयो प्रभात I

7. मानवीकरण अलंकार Manvikaran alankar

मानवीकरण अलंकार के बारे में बताने वाले हैं और मानवीकरण अलंकार की परिभाषा और उदाहरण को भी बताएंगे जिससे आप सभी लोगों को मानवीकरण अलंकार के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त हो सके जैसा कि हमें लग रहा है कि बहुत से लोगों को अलंकार की परिभाषा तो मालूम होती है परंतु किसी किसी लोगों को अलंकार के उदाहरण नहीं पता होते हैं इसलिए हम आप सभी लोगों को इसकी परिभाषा और उदाहरण दोनों को बताते हैं जिससे आप सभी लोगों को आसानी से पता हो सके या ज्ञान हो सके तो आइए हम लोग मानवीकरण अलंकार की परिभाषा के बारे में जानते हैं I

मानवीकरण अलंकार की परिभाषा /Definition of humanization decking

जहां जड़ प्रकृति निर्जीव पर मानवीय भावनाओं तथा क्रियाओं का आरोप हो वहां मानवीकरण अलंकार होता है I

मानवीकरण अलंकार के उदाहरण /Examples of Humanization Decor

दिवसावसान का समय

मेघमय आसमान से उतर रही है

वह संध्या सुंदरी, परी सी I

बीती विभावरी जाग री

अंबर पनघट में डुबो रही

तारा घट उषा नागरी I I

8. पुनरुक्ति अलंकार Punrukti alankar

पुनरुक्ति अलंकार के बारे में और इसकी परिभाषा और उदाहरण के बारे में भी बताऊंगा कि इसकी परिभाषा क्या होती है और इसके उदाहरण कैसे होते हैं जैसे कि बहुत से लड़के पढ़ते हैं तब उन्हें अलंकार की परिभाषा याद होती है और किसी किसी लड़के को अलंकार के उदाहरण नहीं याद होते हैं या परिभाषा भी नहीं याद होती है और किसी किसी लड़के को परिभाषा और उदाहरण दोनों याद होते हैं इसलिए मैं चाहता हूं कि अगर किसी भी लड़के को या किसी भी व्यक्ति को अलंकार की परिभाषा और उदाहरण का ज्ञान चाहिए तो वह व्यक्ति या लड़का हमारे इस पोस्ट को जरूर पढ़ें जिससे उस व्यक्ति को या उस लड़के को अलंकार की परिभाषा और उदाहरण दोनों का ज्ञान प्राप्त हो सकता है तो आइए हम पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा के बारे में जानने की कोशिश करते हैं या बताने की कोशिश करते हैं I

पुनरुक्ति अलंकार की परिभाषा/ Definition of repetition

कब में जहां एक शब्द का प्रयोग बार-बार हो पर उसके अर्थ में भिन्नता हो वहां पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है या माना जाता है I

पुनरुक्ति अलंकार के उदाहरण /Examples of repetition

1. सूरज है जग का बुझा – बुझा

2. खड़ – खड़ करताल बजा

3. डाल – डाल अलि – पिक के गायन का बंधा सामा I

9. अतिशयोक्ति अलंकार Atishyokti alankar

अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा और इसके उदाहरण के बारे में बताने वाले हैं जैसा कि हमने आप सभी लोगों को कुछ अलंकार की परिभाषा और उदाहरण के बारे में ऊपर बता चुके हैं और अब हम अतिशयोक्ति अलंकार के बारे में आप सभी लोगों को बताऊंगा जिससे आप सभी लोगों को पता रहे कि अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा क्या होती है और उसके उदाहरण क्या होते हैं तो आइए हम लोग इसकी परिभाषा और उदाहरण के बारे में जानते या जानने की कोशिश करते हैं I

अतिशयोक्ति अलंकार की परिभाषा /Definition of hyperbole

जहां बहुत बड़ा चढ़ाकर लोक सीमा से बाहर की बात कहीं जाती है वहां अतिशयोक्ति अलंकार माना जाता है I

अतिसय + उक्ति बढ़ा चढ़ाकर कहना

अतिशयोक्ति अलंकार के उदाहरण /Examples of exaggeration

हनुमान के पूछ में लग न सकी आग

लंका सिगरी जल गई, गए निशाचर भाग I

पद पाताल शीश अज धामा,

अपर लोक अंग अंग विश्राम I

भृकुटि विलास भयंकर काला नयन दिवाकर कच धन माला I

10.अन्योक्ति अलंकार Anyokti alankar

अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा और उसके उदाहरण बताऊंगा जैसा कि हमने ऊपर अलंकार की परिभाषा और उसके उदाहरण बताएं हैं उसी तरह अब मैं अन्योक्ति अलंकार के बारे में बताऊंगा जिससे आप सभी लोगों को जानकारी प्राप्त हो सके तो हम आप सभी लोगों को अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा के बारे में बताने कि कोशिश करते हैं I

अन्योक्ति अलंकार की परिभाषा /Definition of rhetoric

अप्रस्तुत के माध्यम से प्रस्तुत का वर्णन करने वाले काव्य को हम अन्योक्ति अलंकार कहते हैं I

अन्योक्ति अलंकार के उदाहरण /Examples of rhetoric

  • माली आवत देख के, कलियां करे पुकार I फूल फूल चुन लिए काल्हे हमारी बार
  • जिन दिन देखे वे कुसुम, गई सुबीति बहार I अब अलि रही गुलाब में, अपत कटीली डार I

निष्कर्ष / Conclusion

हम यह आशा करते हैं कि आप लोग इस पोस्ट को पढ़ेंगे तो आप लोगों को अलंकार किसे कहते हैं उसके बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त हो जाएगी क्योंकि हमने इस पोस्ट में अलंकार किसे कहते हैं तथा इसकी परिभाषा क्या है इसके बारे में विस्तार से बताया है I आप लोगों को इस टिप्पणी में अलंकार से संबंधित कई सवालों के जवाब मिल जाएंगे I

अगर इस टिप्पणी में अलंकार से संबंधित कोई भी सवाल का जवाब ना मिले तो आप हमें कमेंट में जरूर बताएं जिससे हम उन सवालों का जवाब दे सकें I

अलंकार किसे कहते हैं

अलंकार किसे कहते हैं

अर्थालंकार कितने प्रकार के होते हैं ?

अर्थालंकार आठ प्रकार के होते हैं I

शब्दालंकार के कितने भेद होते हैं ?

शब्दालंकार के तीन भेद होते हैं I
1. अनुप्रास अलंकार
2. यमक अलंकार
3. श्लेष अलंकार

उपमा अलंकार के कितने अंग होते है?

उपमा अलंकार के 4 अंग होते है I

अलंकार को कितने वर्गो में बाटा जा सकता है ?

अलंकार के मुख्य तीन भेद माने जाते हैं 1.सब्दा अलंकार ,2. अर्थालंकार , 3. उभया अलंकार I

शब्दालंकार का तीसरा भेद कौन है ?

शब्दा अलंकार का तीसरा भाग श्लेष अलंकार है

शब्दा अलंकार क्या होता है ?

जिस अलंकार में शब्दों के प्रयोग के कारण कोई चमत्कार उपस्थित हो जाता है और उन शब्दों के स्थान पर स्मानार्थी दूसरे शब्दों को रख देने से चमत्कार समाप्त हो जाता है वह शब्दालंकार माना जाता है I

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