Alauddin khilji: अलाउद्दीन खिलजी खिलजी वंश का दूसरा शासक था तथा ज्यादातर लोगों के द्वारा उसे ही खिलजी वंश का संस्थापक माना जाता है अलाउद्दीन खिलजी का वास्तविक नाम अलीगुर्शप वह खिलजी वंश का दूसरा शासक था तथा उसका साम्राज्य अफगानिस्तान से लेकर मध्य भारत तक फैला था अलाउद्दीन खिलजी के बाद इतना बड़ा शासन अगले 300 वर्षों तक किसी साम्राज्य ने स्थापितनहीं कर पाया इनके इतिहास की मेवाड़ चित्तौड़ युद्ध अभियान बहुत ही ऐतिहासिक घटना है इसमें अलाउद्दीन को एक पद्मिनी नाम की राजकुमारी से प्रेम हो सकता है इसका विस्तृत चित्र मलिक मोहम्मद जायसी जी ने पद्मावत नामक पुस्तक में किया है जो कि आप लोग उसका अध्ययन करने के लिए उस पुस्तक को आप लोगों को पढ़ना होगा अलाउद्दीन के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए आप लोगों के समक्ष एक टेबल बनाना चाहते हैं और उसमें अलाउद्दीन के बारे में जानकारी दिया जाएगा जो आप लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा।
अलाउद्दीन खिलजी का परिचय/Introduction of Alauddin Khilji | अलाउद्दीन खिलजी के इंपोर्टेंट डेट/Important Dates of Alauddin Khilji |
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अलाउद्दीन खिलजी का शासन अवधि | 1296 से 1316 तक |
अलाउद्दीन खिलजी का राज्याभिषेक | 1296 ईसा पूर्व |
पूर्वर्ती अधिकारी | जलालुद्दीन खिलजी |
उत्तरा अधिकारी | शहाबुद्दीन उमर |
कार्यकाल | 1296 असली में शुरू हुआ |
गुजरात विजय | 1298 ईसा पूर्व |
अलाउद्दीन के पिता | शहाबुद्दीन मसूद |
पत्नी का नाम | कमला देवी झत्पाली महरू मल्लिका यह जहां |
वास्तविक नाम | जूना खान खिलजी |
समाधि स्थल | कुतुब परिसर दिल्ली |
भाई | उल्लूघ का खान |
राजवंश | खिलजी राजवंश |
जन्म का तारीख | 1266 ईस्वी |
जन्म का जगह | बंगाल बांग्लादेश |
मृत्यु का तारीख | जनवरी 1316 |
मृत्यु की जगह | दिल्ली |
खिलजी वंश का प्रथम शासक | जलालुद्दीन खिलजी |
जलालुद्दीन खिलजी का शासन काल | 1290 से 1296 तक |
अलाउद्दीन खिलजी के पुत्र का नाम | कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी, खिज्र खान |
धर्म | इस्लाम धर्म |
और आप लोगों को हमने इस प्रकार से अलाउद्दीन खिलजी के सामान्य परिचय के बारे में जानकारी दिया तथा टेबल के माध्यम से उनके भी जितने प्रकार से भी उनका परिचय हो सकता था हमने उनका परिचय आप लोगों को करवाया और हमें आशा है कि आप लोगों को यह जानकारी बहुत ही अच्छी लगी होगी और हमें आशा है कि आप लोग इन सारी चीजों के बारे में बहुत ही अच्छे से जानकारी प्राप्त कर पाएंगे इस डेमो को देखकर अब हम आप लोगों को स्टेप बाय स्टेप अलाउद्दीन खिलजी के मौत का कारण अलाउद्दीन खिलजी का सीमा विस्तार तथा अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा लड़े गए युद्ध तथा अलाउद्दीन खिलजी के माता-पिता तथा अलाउद्दीन खिलजी के अन्य सारे कौशलों के बारे में हम आप लोगों को जानकारी देंगे जो कि आप लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा।
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अलाउद्दीन खिलजी खिलजी वंश का महान शासक था उसके द्वारा किए गए कार्य बहुत ही सराहनीय थे उसने बहुत सारे युद्ध लड़े तथा बहुत सारे कार्य किए जिससे कि उसका नाम बहुत ही वजूद से लिया जाता है अलाउद्दीन खिलजी द्वारा किए गए कार्यों में से सबसे महत्वपूर्ण कार है आर्थिक सुधारों की विवेचना के लिए बाजार नियंत्रण नीति अलाउद्दीन खिलजी की सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक माना जाता है इतिहासकारों द्वारा अलाउद्दीन खिलजी के बारे में कहा जाता है कि यह ऐसा सुल्तान था जिसने सिर्फ दूसरों पर विजय हासिल करने की नहीं अपितु अपने राज्य का आर्थिक स्थिति को सुधारने सेना में सुधार करना तथा अन्य बहुत सारे कार्य इसने अपने द्वारा किया अब हम आप लोगों को अलाउद्दीन खिलजी के मौत के प्रमुख कारणों में से कुछ कारणों को बताना चाहता हूं कि उसके जितने भी प्रमुख कारण थे उनको मैं आप लोगों को टेबल के माध्यम से बताना चाहता हूं जो नीचे निम्नलिखित है।
अलाउद्दीन खिलजी के मौत के प्रमुख कारण/Major causes of death of Alauddin Khilji |
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जलोदर रोग से ग्रसित होना। |
अपना अंतिम समय अत्यंत कठिनाइयों से व्यतीत करना। |
बहुत सारे लोगों के द्वारा कहा जाता है कि अंतिम समय में अलाउद्दीन खिलजी को एक त्वचा रोग हो गया था जिसे लोग (कोढ) के नाम से जानते हैं इससे वह बहुत परेशान था के नाम से जानते हैं इससे वह बहुत परेशान था। |
उसके वफादार मलिक कपूर का ऐसा आचार विचार करना। |
जैसे कि मैंने आप लोगों को बताया है कि अलाउद्दीन खिलजी के मौत का जो प्रमुख कारण था वह आया था कि उसे जलोदर रोग हो गया था जलोदर रोग का मतलब होता है कि आदमी को थकान महसूस होना जी मिचलाना उल्टी होना भूख ना लगना बार बार पेशाब लगना तथा कब्ज की समस्या होनाइस प्रकार मैंने आप लोगों को यह बता दिया कि आप लोग इन सारी समस्याओं को इग्नोर बिल्कुल ना करें क्योंकि यह जलोदर रोग के प्रमुख लक्षण होते हैं इसी वजह से अलाउद्दीन खिलजी की मौत हो गई थी और इसके साथ साथ उसको और एक रोग था जिसे कौन है रोग के नाम से जाना जाता है जो कि त्वचा में होता है और यह पूरे शरीर के जो सुंदरता होती है उसे बर्बाद कर देता है तो था धब्बे टाइप का काला सफेद हो जाता है पूरा शरीर का चाचा जिससे कि हमें बहुत दिक्कत होती है और हमें हमारा ही शरीर अच्छा नहीं लगता है इससे निपटने के लिए आजकल बहुत सारी दवाइयां आ गई हैं इसका इलाज करके आप लोग ठीक हो सकते हैं इसके साथ साथ मैं आप लोगों को बता दूं किसी रोग से परेशान होकर अलाउद्दीन खिलजी अपने वफादार मलिक कपूर से कहता है कि वह उसे मौत के घाट उतार दें और मलिक कपूर भी उसे मौत के घाट उतार देता है इस प्रकार से मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि 2 जनवरी 1316 सभी को अलाउद्दीन खिलजी को मलिक कपूर के द्वारा जान से मार दिया गया और अलाउद्दीन खिलजी का समय सीमा समाप्त हो गया और इस प्रकार से उसने अपने शासनकाल में जनता के हितों के लिए तथा राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत सारे कार्य किए जो कि सराहनीय है।
alauddin khilji hindi
alauddin khilji ka jeevan parichay. | alauddin khilji introduction in Hindi. |
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पूरा नाम | अलाउद्दीन खिलजी |
दूसरा नाम | जूना मोहम्मद खिलजी |
पिता का नाम | सहाबुद्दीन मसूद |
जन्म | 1250 एचडी |
जन्म स्थान | लक्नौथी बंगाल |
पत्नी | कमला देवी |
धर्म | इस्लाम धर्म |
पुत्र का नाम | कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिज्र खान शाहबुद्दीन उमर |
मृत्यु | 2 जनवरी 1316 |
अलाउद्दीन खिलजी खिलजी वंश के दूसरे शासक थे पहले शासक उनके चाचा जलालुद्दीन खिलजी थे जिनका धोखे से हत्या करके अलाउद्दीन खिलजी ने ना दादा स्थापित किया और मैं खिलजी वंश के शासक बन गए अलाउद्दीन के पिता शमसुद्दीन थे अलाउद्दीन के बारे में बताया जाता है कि मैं पहले मुस्लिम शासक थे जिन्होंने दक्षिण भारत पर अपना साम्राज्य फैलाया उनके द्वारा किए गए कार्यों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है अलाउद्दीन खिलजी का इतिहास बहुत ही अच्छा है उसने दक्षिण भारत पर बहुत सारे राजाओं पर विजय प्राप्त किया था आपने राज्य में मिला लिया अलाउद्दीन खिलजी मध्य एशिया से लेकर अफगानिस्तान तक तथा मध्य भारत से लेकर अफगानिस्तान तक अपनी सीमा का विस्तार किया था अलाउद्दीन खिलजी 1296 सी से 1316 अभी तक राजा रहेअलाउद्दीन खिलजी का जन्म 1250 ईस्वी में हुआ था उसके बाद उन्होंने अपने चाचा जलालुद्दीन खिलजी के साथ रहने लगे और उनके साथ अपना जीवन व्यतीत करने लगे जैसा कि आप लोग जानते हैं कि खिलजी वंश का संस्थापक जलालुद्दीन खिलजी को माना जाता है इनका शासनकाल 1290 से 1296 ईस्वी तक माना जाता है उसके बाद अलाउद्दीन खिलजी का शासन काल आया जो 1296 सीसे 1316 अभी तक माना जाता है उसके बाद उसके पुत्र कुतुबुद्दीन मुबारक शाह खिलजी का शासन काल आया जो की 1316 ईस्वी से 1320 ईस्वी तक माना जाता है और इसी समय को खिलजी वंश की दिल्ली सल्तनत पर शासन काल भी माना जाता है 1290 से 1320 ईस्वी तक ही दिल्ली सल्तनत पर खिलजी वंश का वर्चस्व था उसके बाद लोदी वंश का वर्चस्व सामने आया इस प्रकार से मैंने आप लोगों को अलाउद्दीन खिलजी के बारे में पूरी जानकारी दी अब मैं आप लोगों को नीचे दिए गए एडिंग में कुछ और भी जानकारी देना चाहता हूं जो कि आप लोग बहुत ही अच्छे से उसको ग्रहण करेंगे धन्यवाद।
son of alauddin khilji
जब हम लोग अलाउद्दीन खिलजी के पुत्रों की बात करते हैं तो हमें सबसे पहले यह जान लेना चाहिए कि अलाउद्दीन खिलजी के पास कितनी पत्नियां थी तो मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि अलाउद्दीन खिलजी के पास अलाउद्दीन खिलजी की पत्नियों में से यह चार पत्नियां थी उनकी कमला देवी झत्पाली महरू मल्लिका यह ज़हां ये 4 अलाउद्दीन खिलजी की प्रमुख पत्नियां थी इनसे 4 पुत्र हुए अलाउद्दीन खिलजी के जिनमें से कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी खिज्र खान तथा शहाबुद्दीन उम्र एवं शिर्डी खान अलाउद्दीन खिलजी के पुत्र हैं मैं आप लोगों को अलाउद्दीन खिलजी के चारों पुत्रों के बारे में नीचे जानकारी देना चाहता हूं जो टेबल्स के माध्यम से दिया जाएगा और उसमें लिखा रहेगा कि इनकी माता और पिता कौन कौन थे तो आप लोग नीचे देख सकते हैं।
अलाउद्दीन खिलजी के पुत्रson of Alauddin Khilji | अलाउद्दीन खिलजी के पुत्र की माता का नामName of mother of Alauddin Khilji’s son |
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कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी | झत्यपाली |
खिज्र खान | कमला देवी |
शिर्डी खान | म्हारो निशा |
शहाबुद्दीन उम्र | मल्लिका ए जहां |
इस प्रकार से मैंने आप लोगों को अलाउद्दीन खिलजी के चारों पुत्रों के बारे में जानकारी दिया और हमें आशा है कि आप लोगों को अलाउद्दीन खिलजी के चारों पुत्रों के बारे में जानकारी प्राप्त होगी मैं आप लोगों को अब उसके सबसे शक्तिशाली तथा बुद्धिमान बेटे कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी के बारे में बताएंगे जोकि अलाउद्दीन खिलजी के देहांत के बाद उनका उत्तराधिकारी बना उसका शासनकाल 1316 से 1320 ईस्वी तक माना जाता है कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी खिलजी वंश का तीसरा महान शासक बना और उसके बाद कोई ऐसा शासक नहीं हुआ जिसने खिलजी वंश को कुछ ऊंचाइयों तक ले जाए इसीलिए कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी झत्पायली तथा अलाउद्दीन खिलजी का पुत्र था जो कि बहुत ही वीर एवं सूर्य वीर था।
alauddin khilji padmavati
अलाउद्दीन खिलजी और पद्मावती के संबंधों के बारे में बात करते हुए मैं आप लोगों को सबसे पहले यह बताना चाहता हूं कि अलाउद्दीन खिलजी खिलजी वंश का दूसरा शासक तथा दिल्ली सल्तनत को इतना महान शासक मिलना कठिन था क्योंकि इसने अपने साम्राज्य का विस्तार इस प्रकार से किया था कि अगले 300 वर्षों तक ऐसा विस्तार किसी राजा ने नहीं किया होगा और इसके द्वारा किए गए कार्य जैसे बाजार नियंत्रण मूल्य एवं बहुत सारे इसके कार्य थे जो कि महत्वपूर्ण थे उसमें से इसका एक कार्य था बाजार नियंत्रण के नीतिका एवं इसके सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक कार्य था दक्षिण विजय जोकि अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सेनापति मलिक कपूर के द्वारा करवाया था दक्षिण विजय के इसके बहुत महत्वपूर्ण कारण थे जिसकी वजह से इसने दक्षिण पर विजय की थी अब मैं आप लोगों को उन सारी चीजों को लिस्ट के माध्यम से स्टेप बाय स्टेप आप लोगों को समझाना चाहूंगा कि इसने सभी जगह पर विजय करने के बाद मेवाड़ के किले पर अपना निशाना साधा जो कि मेवाड़ के राजा रतन सिंह थे जिन्होंने अपने राजधानी चित्तौड़ स्थापित की थी उनके यहां ही महारानी पद्मावती रहती थी एक बार की बात है जब अलाउद्दीन खिलजी अपने शांति दूत को भेजता है मेवाड़ के राजा रतन सिंह के यहां और कहता है कि जाओ उनसे कहो कि वह हमसे संघ कर लें अथवा युद्ध के लिए तैयार हो जाए तब राजा रतन सिंह उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर देते हैं उसके पश्चात उसका दूध आता है और कहता है कि हमने एक स्त्री को देखा जो कि अत्यंत सुंदर थी उसके बारे में अलाउद्दीन खिलजी ने अपने गुप्त चरो के माध्यम से उस सुंदर राम नारी के बारे में जानकारी प्राप्त किया और उसके बाद उसने पूरी जानकारी प्राप्त कर लिया तो उसका नाम पद्मावती था उसके बाद उसने मेवाड़ पर आक्रमण किया और मेवाड़ के राजा रतन सिंह को परास्त कर दिया एवं वहां पर जितने भी राजपूत लोग थे उनको मार डाला और मेवाड़ पर विजय प्राप्त कर ली यह सब देखकर पद्मावती ने कई स्त्रियों के साथ मिलकर आत्मदाह कर लिया जिस को सहन ना कर पाने के बाद अलाउद्दीन खिलजी ने वहां के आसपास के जितने भी राजपूत शासक थे उनको बहुत बुरी तरह से फ्रास्ट कर दिया और इस प्रकार से क्या पता चलता है कि अलाउद्दीन खिलजी पद्मावती से प्रेम करता था इसी वजह से उसने सभी लोगों को मारा।
alauddin khilji wife
अलाउद्दीन खिलजी की पत्नियों की बात किया जाए तो उसके पास चार पत्नियां थी कमला देवी झत्पाली महरू मल्लिका यह जहांइस प्रकार से मैं आप लोगों को उनकी इन चारों पत्नियों के बारे में बताते हैं जिनसे इन के चार बेटे हुए कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी उसके बाद खिज्र खान उसके बाद सिद्धि खान उसके बाद समसुद्दीन उमर यह अलाउद्दीन खिलजी के चार पत्नियां तथा पुत्र हैं खिलजी वंश की स्थापना खिलजी प्रांत के नाम से प्रसिद्ध है खेल जिओ ने इसे रक्त राज्यक्रांति द्वारा गुलाम वंश की सत्ता समाप्त कर कॉमर्स को बंदी बनाकर राज सत्ता हथिया ली इस क्रांति का नेता जलालुद्दीन फिरोज खिलजी था खिलजी क्रांति के द्वारा तुर्को अमीर वर्ग 571 अधिकारी और तक लोगों की जातीय तानाशाही को समाप्त कर दिया।
इन सारी चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हुए अब मैं आप लोगों को यह बताना चाहता हूं कि अलाउद्दीन खिलजी द्वारा बाजार नियंत्रण नीति को सफल बनाने के लिए किए गए प्रमुख कार्यों के बारे में आप लोगों को जानकारी देना चाहता हूं कि उसने किस प्रकार से अपने बाजार नियंत्रण नीति को सफल बनाया था उसके लिए मैं आप लोगों को लिस्ट के माध्यम से उनकी पूरी जानकारी देना चाहता हूं जो नीचे निम्नलिखित है।
- वस्तु का मूल्य निर्धारण करना।
- वस्तुओं की आपूर्ति की व्यवस्था शहर यह मंडी दीवान यह बरीद।
- वस्तुओं के वितरण की व्यवस्था।
- बाजारों का प्रबंधन।
- दंड व्यवस्था को लागू करना।
- जगीरो का अपहरण।
- नियंत्रण नीति की मूल्यांकन।
alauddin khilji real photo

alauddin khilji history
अलाउद्दीन खिलजी के इतिहास के बारे में बात करें मैं आप लोगों को सबसे पहले यह बताना चाहता हूं कि अलाउद्दीन खिलजी काजल 1250 एचडी में हुआ था जो कि खिलजी वंश का सेकंड राजा बना उसने अपने चाचा जलालुद्दीन खिलजी की हत्या करके दिल्ली सल्तनत पर बैठा जबकि आप लोग जानते हैं कि खिलजी वंश की स्थापना करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका जो थी वह जलालुद्दीन खिलजी की ही थी उन्होंने 1290 असली में खिलजी वंश की स्थापना कीउसके बाद उन्होंने 1290 से 1296 व्हिस्की तक दिल्ली सल्तनत पर खिलजी वंश का झंडा लहराया उसके बाद अलाउद्दीन खिलजी 1296 से 1316 अभी तक 66 वर्षों तक उसने दिल्ली सल्तनत पर अपना शासन किया जोकि सीमा विस्तार के क्षेत्र में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बहुत ही बड़ा वर्णन मिलता है क्योंकि अलाउद्दीन खिलजी ने जितना साम्राज्य विस्तार किया उसके आगे 300 वर्षों तक ऐसा समाज तथा पूरे साम्राज्य में ऐसा कोई राजा नहीं हुआ जो इतना साम्राज्य का विस्तार कर सके जितना अलाउद्दीन खिलजी ने किया था अलाउद्दीन खिलजी के समय मध्य भारत से लेकर अफगानिस्तान तक उसके राज्य की सीमा सम्मिलित थे अब मैं आप लोगों को कुछ महत्वपूर्ण जानकारी लेना चाहता हूं जो कि आप लोगों को लिस्ट के माध्यम से बताऊंगा जो आप लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा और हमें आशा है कि आप लोग इसे बहुत ही अच्छे से सुनेंगे।
- गुलाम वंश के शासन काल को समाप्त कर 13 जून 1290 सभी को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की।
- इसने किलोखरि को अपना राजधानी बनाया।
- जलालुद्दीन की हत्या 1296 असली में उसके भतीजे एवं दमाद अलाउद्दीन खिलजी ने कड़ा मणिकापुर इलाहाबाद में कर दी।
- 22 अक्टूबर 1296 एचडी में अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली का सुल्तान बना।
- अलाउद्दीन खिलजी के बचपन का नाम अली तथा गुरु अस्पष्ट था।
- अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नगद वेतन देने तथा अस्थाई सेना की नींव रखी दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थाई सेना थी।
- घोड़ा दागने एवं सैनिकों की होलियां लिखने की प्रथा की शुरुआत अलाउद्दीन खिलजी ने की।
- अलाउद्दीन के भू राजस्व की दर को बढ़ाकर उपज का 1 बटा 2 भाग कर दिया।
- इसने लूट के धन में सुल्तान का हिस्सा 1 बटा 4 भाग के स्थान पर 3 बटा 4 भाग कर दिया।
- इसमें व्यापारियों में बेईमानी रोकने के लिए कम बोलने वाले व्यक्ति के शरीर से मांस काट लेने का आदेश दिया इसने अपने शासनकाल में मूल्य नियंत्रण प्रणाली को दृढ़ता से लागू किया।
- दक्षिण भारत की विजय के लिए अलाउद्दीन ने मलिक कपूर को भेजा।
- जमीयत खान मस्जिद अलाई दरवाजा सीरी का किला तथा हजार खंभा महल का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था।
- अलाई दरवाजा को इस्लामी वास्तुकला का रत्न कहा जाता है।
- देवी अधिकार के सिद्धांत को अलाउद्दीन ने चलाया था।
- सिकंदर यह शनि की उपाधि से स्वयं को अलाउद्दीन खिलजी ने विभूषित किया था।
- अलाउद्दीन खिलजी ने मालिक याकूब को दीवान यह रियासत नियुक्त किया था।
- अलाउद्दीन द्वारा नियुक्त परवाना नवीन नाम का अधिकारी वस्तुओं के परमिट जारी करता था।
- सहना यह मंडी यहां खाद्यान्नों को बिक्री हेतु लाया जाता था।
- सर आइए अदल यहां वस्त्र शंकर जड़ी-बूटी मेवा दीपक का तेल एवं अन्य निर्मित वस्तुएं बिकने के लिए आती थी।
- अलाउद्दीन खिलजी की आर्थिक नीति की व्यापक जानकारी जियाउद्दीन बरनी की कृत तारीख ए फिरोजशाही से मिलती हैं।
- ख्वाजा ई न्यूज़ तू अमीर खुसरो जिला इब्नबतूता एवं भूतू हसला 3 सामी की कृति है।
- मूल नियंत्रण को सफल बनाने में मुंहासे सेंसरियों मुनाजिर नापतोल अधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका थी।
- राजस्व सुधारों के अंतर्गत अलाउद्दीन ने सर्वप्रथम मिल्क इनाम एवं वक्फ के अंतर्गत दी गई भूमि को वापस लेकर उसे खलास भूम में बदल दिया।
- अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा लगाए जाने वाले दो नवीन कर थे पहला था चढ़ाई कर दुधारू पशुओं पर लगाया जाता था दूसरा था गाड़ी कर जो घरों एवं झोपड़ी पर लगाया जाता था।
- अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में 1297 से 1306 इसवी तक मंगोलों के छा आक्रमण हुए थे प्रथम आक्रमण 1297 ईस्वी में कादर खान के नेतृत्व में हुआ दूसरा आक्रमण 1298 इसमें में संधि के नेतृत्व में हुआ तीसरा आक्रमण 1299 ईस्वी में कुछ लोग ख्वाजा के नेतृत्व में हुआ चौथा आक्रमण 1303 एचडी में तरक्की के नेतृत्व में पांचवा आक्रमण 1305 ईस्वी में अली बेग और तारक तारक के नेतृत्व में छठा आक्रमण 1306 इसवी में कबक एवं इकबाल मंद के नेतृत्व में हुआ।
- अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु 5 जनवरी 1316 स्पीड को हो गई।
- कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी को 1316 ईस्वी को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा इससे नग्न स्त्री पुरुष की संगत पसंद थी।
- मुबारक खिलजी कभी-कभी राज दरबार में स्त्रियों का वस्त्र पहन कर आ जाता था बरनी के अनुसार मुबारक कभी-कभी नग्न होकर दरबारियों के बीच दौड़ा करता था।
- मुबारक खाने खलीफा की उपाधि धारण की थी।मुबारक के वजीर खुसरो खाने 15 अप्रैल 1320 श्री को इसकी हत्या कर दी और स्वयं दिल्ली के सिंहासन पर बैठा।
- खुसरो खाने पैगंबर के सेनापति की उपाधि धारण की।
इस प्रकार से हमने आप लोगों को अलाउद्दीन खिलजी के हिस्ट्री के बारे में जानकारी दी जो कि आप लोगों को बहुत ही अच्छी लगे होगी तथा इसमें आप लोगों को बहुत सारी जानकारी प्राप्त होगी जो अलाउद्दीन खिलजी तथा खिलजी वंश के संपूर्ण राज्य कार्य में किए गए कार्यों एवं उनके द्वारा किए गए महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सोच विचार एवं सैन्य व्यवस्था तथा बाजार नियंत्रण पर जो भी कार्य उन्होंने किए उन पर हमने आप लोगों को महत्वपूर्ण तरीके से जानकारी दें जो कि आप लोगों के लिए अत्यंत भाषण होगा तथा हमें आशा है कि आप लोग इन बिंदुओं की जानकारी लेकर तथा उनको पढ़ कर बहुत ही अच्छा महसूस करेंगे अगर अपने लोगों को भी उनसे पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे।
alauddin khilji family tree
जब हम लोग अलाउद्दीन खिलजी के फैमिली उसके परिवार के बारे में बात करते हैं तो उसके परिवार में उसके पिता समसुद्दीन मसूद एवं उसके चार पत्नियां थी कमलादेवी झटके पाली मां गुरु तथा मलिका यह जहां उसके बाद मैं आप लोगों को उसके परिवार के बारे में बताते हुए उसके चार पुत्र थे जिसमें से कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी शिर्डी खान खिज्र खान और शहाबुद्दीन उम्र प्रमुख है अब मैं आप लोगों को उसके साम्राज्य विस्तार के बारे में जानकारी देना चाहता हूं कि जो कि नीचे निम्नलिखित हैं मैं आप लोगों को यह बताना चाहता हूं कि किस वजह से उसका सम्राट विस्तार बहुत ही अच्छे से हो रहा तो मैं आप लोगों को सबसे पहले उनके कारणों को बताऊंगा जो नीचे लिस्ट के माध्यम से दिया जाएगा कि उसके क्या क्या कारण थे जिसकी वजह से वह दक्षिण भारत पर विजय कर रहा था उसके बाद मैं आप लोगों को दक्षिण भारत पर प्रमुख विजय के बारे में बताऊंगा कि उसने कहां-कहां पर विजय प्राप्त की है उसके बाद मैं आप लोगों को बाजार नियंत्रण मूली के गुण एवं दोषों को भी बताऊंगा जो कि उसने बाजारों पर लगाया जिसके वजह से उसका समराज रिश्ता बहुत तेज से हुआ और उसकी जनता भी उससे खुश होने लगी घाट तौर पर भी उसने नियम लगाया कि जो कम तो लेगा उसके मांस से इतना वजन पूर्व किया जाएगा इस प्रकार से उसने बाजार पर नियंत्रण एवं अपने दक्षिण विजय अभियान के बारे में जो कार्य किया मैं आप लोगों को उसके बारे में नीचे बताना चाहता हूं जो निम्नलिखित है
बाजार नियंत्रण नीति के गुण (Merits of Market Control Policy)
Merits of Market Control Policy |
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मंगोल आक्रमण से सुरक्षा |
जन जीवन सुखी |
सुल्तान के उद्देश्यों की पूर्ति |
बाजार नियंत्रण नीति के दोष (Defects of Market Control Policy)
Defects of Market Control Policy |
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दुकानदारों तथा व्यापारियों की रुस्त होना |
वाणिज्य तथा व्यापार का आघात |
किसानों की दुर्दशा |
अस्थाई योजना |
अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा दक्षिणी विजय के कारण (Causes of Southern Conquest by Alauddin Khilji)
Causes of Southern Conquest by Alauddin Khilji |
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अलाउद्दीन खिलजी 1302 ईस्वी में हुई अपनी पराजय का बदला लेना चाहता था। |
दक्षिण के राजाओं ने कुछ दिनों से कर देना बंद कर दिया था। |
खिलजी अपनी सेना को आलस्य से बचाने के लिए उसे हमेशा व्यस्त रखना चाहता था। |
अलाउद्दीन खिलजी के दक्षिण भारत पर प्रमुख विजय (Major Victory of Alauddin Khilji on South India)
Major Victory of Alauddin Khilji on South India |
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देवगिरी पर विजय 1294 एचडी में रामचंद्र देव 1303 इसवी |
वार गाल पर आक्रमण 1308 से 9 ईसवी में सुल्तान मलिक कपूर के नेतृत्व में। |
मदुरई विजय 1311 एचडी में मलूक कपूर के पास 312 हाथी दो हजार घोड़े 2750 पौंड सेना रत्न प्राप्त किए। |
देवगिरी पर पुनः आक्रमण 1313 इसवी। |