in

Brihaspati vrat Katha , बृहस्पति व्रत की कथा, पूजा बिधि, तथा नियम, – rskg

brihaspati vrat Katha के बारे में बताने वाले हैं कि बृहस्पति व्रत कथा को करने से क्या होता है या इसे कैसे किया जाता है इसके क्या लाभ होते हैं आप लोग जानते होंगे कि बहुत से लोग वृहस्पति व्रत कथा सुनते है I बृहस्पति व्रत कथा बृहस्पतिवार के दिन किया या सुना जाता है I इस व्रत कथा के दिन पीले वस्त्र पहने, पीला भोजन करें, पीले फूल फल चढ़ाएं, बृहस्पति व्रत कथा लोग कहते हैं कि केले के पेड़ के नीचे चने की दाल चढ़ाएं जिससे शुभ माना जाता है I बहुत से लोग बृहस्पतिवार के दिन केले के पेड़ के नीचे चने की दाल चढ़ाते हैं और यह व्रत रखते हैंं जिससे उनकी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है I अगर आप लोगों को कोई कष्ट या पीड़ा है तो आप सभी लोग बृहस्पतिवार के दिन भगवान बृहस्पति का पूजा करें और गुरुवार व्रत कथाा सुनने जिससे आपकी सारी कष्ट दूर हो जाएगी और आपकी हर मनोकामना पूर्ण हो जाएगी I अगर किसी लड़केेेे का विवाह नहीं हो रहा है तो वह बृहस्पति के दिन भगवान बृहस्पति का पूज करें और भगवान बृहस्पति का व्रत कथाा सुने जिससे उस लड़के की शादी हो जाएगी I जब किसी व्यक्ति को कष्ट या पीड़ा होती हैै तो वह भगवान बृहस्पति का पूजा या बृहस्पति व्रत कथा सुनता है जिससे उसकी सारी कष्ट या पीड़ा दूर हो जाती है इसी कारण ही लोग भगवान बहस्पति का पूजन करते हैं जिससे उनकी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है I

गुरुवार व्रत कथा की विधि और व्रत कथा/Thursday Vrat Katha Method and Vrat Katha

व्रत कथा की विधि और व्रत कथा के बारे में बताने वाले हैं I गुरुवार के दिन बहुत से लोग कथा सुनते हैं और बहुत से लोग आरती करते हैं I मैं आप सभी लोगों को गुरुवार के व्रत कथा के बारे में बताने वाले हैं जैसा कि बहुत से लोगों को पता नहीं होता है कि गुरुवार के दिन कथा सुनने से या आरती करने से क्या होता है और गुरुवार का दिन किस भगवान का दिन है तो आइए हम आप सभी लोगों को इसी के बारे में बताने वाले हैं कि व्रत कथा से क्या होता है या इसे सुनने से क्या फायदा होता है और इस कथा को लोग क्यों सुनते हैं जैसा कि बहुत से लोग इस कथा को गुरुवार के दिन सुनते हैं जिससे इसे गुरुवार व्रत कथा कहा जाता है क्योंकि यह कथा गुरुवार के दिन को ही सुना जाता है I हम आप सभी लोगों को इस कथा के बारे में बताने वाले हैं कि इस कथा को सुनने से क्या होता है और गुरुवार का दिन किस भगवान का दिन होता है और इसे सुनने से क्या होता है इसी के बारे में बताने वाले हैं तो हम आप सभी लोगों को बताते या बताने की कोशिश करते हैं I

गुरुवार या वीरवार को भगवान बृहस्पति की पूजा का विधान है, बृहस्पति देवता को बुद्धि और शिक्षा का देवता माना जाता है गुरुवार को बृहस्पति देव की पूजा करने से धन, विद्या, पुत्र तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है परिवार में सुख तथा शांति बनी रहती है गुरुवार का व्रत जल्दी विवाह करने के लिए भी किया जाता है तो गुरुवार व्रत कथा करने से आप लोगों को यही फायदा मिलता है कि अगर आप हर बीरवार को व्रत कथा करते हैं तो आपक बुद्धि और शिक्षा और धन ज्यादा से ज्यादा प्राप्त होगा इस व्रत कथा करने से आपको कमी नहीं होगी इसलिए दोस्तों इस कथा को ज्यादा से ज्यादा लोग वीरवार के दिन करते रहते हैं जिससे उनके घर में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है गुरुवार व्रत कथा करने से यही फायदा मिलता है अगर कोई भी व्यक्ति कष्ट में है और वह भगवान बृहस्पति पूजा करता है और उसके कष्ट दूर हो जाते हैं तो उसके मन में भगवान बृहस्पति के प्रति बहुत विश्वास हो जाता है जिससे लोग ज्यादा से ज्यादा बृहस्पति भगवान की व्रत कथा सुनते हैं I कहा जाता है कि अगर किसी भी व्यक्ति का शादी विवाह नहीं होता है तो वह गुरुवार व्रत कथा करें जिससे उसकी शादी हो सकती है I

गुरुवार व्रत की विधि/Thursday fasting method

गुरुवार व्रत कथा करने से क्या क्या फायदा या सुख मिलता है I और अब हम गुरुवार व्रत कथा की विधि के बारे में बताने वाले हैं कि गुरुवार व्रत कथा करने की विधि क्या है I

लेकिन गुरुवार की पूजा करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि पूजा विधि विधान के अनुसार हो, व्रत कथा वाले दिन प्रातः काल उठ कर बृहस्पति देव का पूजन करना चाहिए, बृहस्पति देव का पूजन पीले वस्तुए, पीले फूल, चने के दाने, पीले मिठाई, पीले चावल आदि का भोग लगाकर किया जाता है या इन सभी चीजों का भोग लगाकर गुरुवार की पूजा करनी चाहिए I इस व्रत में केले का पूजन ही करें कथा और पूजन के समय मन,कर्म और वचन से शुद्ध होकर मनोकामना पूर्ति के लिए बृहस्पति देव से प्रार्थना करनी चाहिए जिससे आपकी मनोकामना पूर्ण हो जब आप शुद्ध मन से या अच्छे मन से बृहस्पति देव की पूजा करेंगे तो आपकी मनोकामना पूर्ण होगी I दिन में एक समय ही भोजन करें, भोजन चने की दाल आदि का करें, नमक ना खाएं, पीले वस्त्र पहने, पीले फलों का प्रयोग करें, पीले चंदन से पूजन करें,पूजन के बाद भगवान बृहस्पति की कथा सुननी चाहिए जिससे आपको सुख समृद्धि प्राप्त होगी I

पुराणों की संख्या कितनी होती है तथा पुराणों का नाम || purano ki sankhya kitni hai – rskg

I बहुत से लोग कहते हैं कि गुरुवार के दिन भगवान बृहस्पति देव की पूजा करनी चाहिए जिससे अगर किसी व्यक्ति का विवाह नहीं हो रहा है तो उस पूजा करने से उस व्यक्ति का विवाह हो सकता है या हो जाएगा I हम आप सभी लोगों को व्रत कथा की बारे में बताने वाले हैं जैसा कि बहुत से लोगों को नहीं पता होता है कि व्रत कथा क्या है इससे क्या होता है इसलिए आज हम इस टॉपिक के उत्तर को हम आप सभी लोगों को बताएंगे जिससे आप लोगों को समझ में आ जाए कि गुरुवार व्रत कथा क्या होता है या इससे क्या होता है तो आइए हम आप सभी लोगों को इस कथा के बारे में बताने वाले हैं यह बताने की कोशिश करते हैं I

प्राचीन समय की बात है, किसी राज्य में एक बड़ा प्रतापी तथा दानी राजा राज्य करता था, वह प्रत्येक गुरुवार को व्रत रखता एवं भूखे और गरीबों को दान देकर पुण्य कमाता था परंतु यह बात उसकी बीबी या पत्नी को अच्छी नहीं लगती थी वह ना तो व्रत रखते थे और ना ही किसी को एक भी पैसा दान देती थी और राजा को भी ऐसा करने से मना करती थी कि आप ऐसा ना करें I

एक बार की बात है, राजा शिकार खेलने बन को चले गए थे, घर पर उनकी पत्नी और दासी थी, उसी समय गुरु बृहस्पति देव साधु का रूप धारण कर राजा के दरवाजे पर भिक्षा मांगने को आए साधु ने जब उनके पत्नी से भिक्षा मांगी तो वह कहने लगी हे साधु महाराज, मैं इस दान और पुण्य से तंग आ गई हूं आप कोई ऐसा उपाय बताएं जिससे कि सारा धन नष्ट हो जाए और मैं आराम से रह सकूं I उनके पत्नी का मन था कि साधु भिक्षा लिए बिना ही घर से चले जाएं इसलिए ही उनकी पत्नी ने साधु से ऐसा सवाल पूछा उनकी पत्नी साधु को भिक्षा देना नहीं चाहती थी I

बृहस्पति देव ने कहा हे देवी तुम बड़ी विचित्र हो, संतान और धन से कोई दुखी नहीं होता है I अगर अधिक धन है तो इसे शुभ कार्य में लगाना चाहिए, कुंवारी कन्याओं का विवाह कराओ, विद्यालय और बाग बगीचे का निर्माण करा , जिससे तुम्हारे दोनों लोक सुधरे , परंतु साधु की इन बातों से रहने को खुशी नहीं हुई और उन्हें दुख हुआ उसने कहा मुझे ऐसे धन की आवश्यकता नहीं है जिसे मै दान दूं और जिसे संभालने में मेरा सहारा समय नष्ट हो जाए मै यह नहीं चाहती हूं कि मेरा सारा समय दान पुण्य करने में ही नष्ट हो जाए I

तब साधु ने कहा- यह तुम्हारी ऐसी इच्छा है तो मैं जैसा तुम्हें बताता हूं तुम ऐसा ही करना, बृहस्पतिवार के दिन तुम घर को गोबर से लीपना, अपने बालों को पीली मिट्टी से धोना, बालों को धोते समय स्नान करना, राजा से हजामत बनाने को कहना, भोजन में मांस मदिरा खाना, कपड़ा धोबी को धोने के लिए दे देना I इस प्रकार सात करने से तुम्हारा सारा धन नष्ट हो जाएगा इतना कह कर साधुु रुपी बृहस्पति देव के रुप में अंतर्ध्यान हो गए I

रानी ने साधु की बात मान ली और रानी ने साधु के कहने के अनुसार करते हुए केवल 3 बृहस्पतिवार ही बीते थे और उसकी समस्त धन संपत्ति नष्ट हो गई भोजन के लिए राजा का परिवार तरसने लगा तब रानी को यह विश्वास हो गया कि साधु की बात सही थी I तब 1 दिन राजा रानी से बोला- हे रानी, तुम यहीं रहो, मैं दूसरे देश को जाता हूं, क्योंकि यहां पर सभी लोग मुझे जानते हैं इसलिए मैं कोई छोटा कार्य नहीं कर सकता ऐसा कह कर राजा परदेस चला गया वहां वह जंगल से लकड़ी काटकर लाता और शहर में बेचता था इस तरह वह अपना जीवन व्यतीत करने लगा इधर राजा के परदेश जाते ही रानी और दासी दुखी रहने लगी तब रानी को एहसास हुआ कि गलत काम करने का यही परिणाम होता है I

एक बार जब रानी और दासी को 7 दिन तक बिना भोजन के रहना पड़ा, तो रानी ने अपनी दासी से कहा- हे दासी, पासी के नगर में मेरी एक बहन रहती है, वह बड़ी धनवान है तू उसके पास जा और कुछ ले आता कि थोड़ा बहुत गुजर बसर हो जाए और मेरी बहन से कह देना कि कुछ खाने के लिए भी दे दे I दासी रानी के बहन के पास गई उस दिन बृहस्पतिवार था और रानी की बहन उस समय व्रत की कथा सुन रही थी दासी में जाने की बहन को अपने जाने का संदेश सुनाया लेकर रानी की बड़ी बहन ने कोई उत्तर नहीं दिया, जब दासी को रानी की बहन से कोई उत्तर नहीं मिला तो वह बहुत दुखी हुई और उसे क्रोध भी आया दासी ने वापस आकर रानी को सारी बात बता दी रानी ने सुनकर अपने भाग्य को कोसा, उधर रानी की बहन ने सोचा कि मेरी बहन की दासी आई थी, परंतु मैं उससे नहीं बोली, इससे वह बहुत दुखी हुई होगी कथा सुनकर पूजा समाप्त कर वह अपनी बहन के घर आई और कहने लगी- हे बहन, मैं बृहस्पतिवार का व्रत कर रही थी तुम्हारी दासी मेरे घर गई थी परंतु जब तक कथा चल रही थी तब तक ना तो उठना था और ना ही बोलना था इसलिए मैं नहीं बोली और ना ही उठी बताओ दासी तुम हमारे घर क्यों गई थी I

रानी बोली- बहन तुमसे क्या छिपाए , हमारे घर में खाने तक को अनाज नहीं था, ऐसा कहतेे कहते रानी के आंखों मेंं आंसू भर आई उसने दासी समेत पिछले 7 दिनों से भूखे रहनेेेेेे तक की बात अपनी बहन को विस्तार से बताई, रानी की बह बोली- देखो बहन, भगवान बृहस्पति देव सबकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं देखो शायद तुम्हारे घर में अनाज रखा हो , पहले तो रानी को विश्वास नहीं हुआ पर बहन के आग्रह करने पर उसने अपनी दासी को अंदर भेजा तो उसे सचमुच अनाज से भरा एक गड़ा मिला यह देख कर दासी को बड़ी हैरानी हुई I दासी रानी सेे कहने लगी – हे रानी, जब हम को भोजन नहींं मिलता तो हम व्रत ही तो करते हैं इसलिए क्यों न इनसे व्रत और कथा की विधि पूूछ ली जाए,ताकि हम भी व्रत कर सके, तब रानी ने अपनी बहन से बृहस्पतिवार व्रत के बारे मेंं पूछा I

उसकी बहन ने बताया, बृहस्पतिवार के व्रत में चने की दाल और मुनक्का से विष्णु भगवान का केले की जड़ में पूजन करें तथा दीपक जलाएं व्रत कथा सुना और पीला भोजन करें और पीला वस्त्र ही पहने तथा दीपक जलाएं व्रत कथा सुनैना और पीला भोजन ही करें इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं व्रत और पूजन विधि बतलाकर रानी की बहन अपने घर को लौट गई I

सातवे रोज बाद गुरुवार आया तो रानी और दासी ने निश्चय अनुसार व्रत रखा, घुड़सवार में जाकर चना और गुड़ विनलाई और फिर उसके दाल से केले की जड़ तथा विष्णु भगवान का पूजन किया I अपना अब पीला भोजन कहां से लाए भोजन कहां से लाया इस बात को लेकर दोनों बहुत दुखी थी जो कि उन्होंने व्रत रखा है इसलिए गुरुदेव उनपर प्रसन्न थे इसलिए मैं एक साधारण व्यक्ति का रूप धारण कर दो थाली में सुंदर पीला भोजन दासी को दे गए भोजन पाकर दासी प्रसन्न हुई और फिर रानी के साथ मिलकर भोजन ग्रहण I

उसके बाद में वे सभी गुरुवार को व्रत और पूजन करने लगी जिस बृहस्पति भगवान की कृपा से उनके पास फिर से धन-संपत्ति हो गया, परंतु रानी फिर से पहले की तरह आलस्य करने लगी तब दासी बोली देखो रानी तुम पहले भी इस प्रकार आलस्य करती थी तुम्हें धन रखने में कष्ट होता था इसी कारण सारा धन नष्ट हो गया और अब जब भगवान गुरुदेव की कृपा से धन मिला है तो तुम्हें फिर से आलस्य होने लगा बड़ी मुसीबतों के बाद हमने यह धन पाया है इसलिए हमें दान पूर्ण करना चाहिए भूखे मनुष्यों को भोजन कराना चाहिए, धन को शुभ कार्यों में खर्च करना चाहिए, जिससे तुम्हारे कुल का यश बढ़ेगा, स्वर्ग की प्राप्ति हो और भगवान भी प्रसन्न होंगे, दासी की बात मानकर रानी अपना धन शुभ कार्य में खर्च करने लगी, जिससे पूरे नगर में उसका यश फैलने लगा I

गुरुवार को बृहस्पति भगवान का व्रत रखने से घर में हमेशा सुख संपत्ति की बहार आती है इसलिए ही भगवान बृहस्पति की पूजा करते हैं और करना चाहिए I

also chake:

गुरु व्रत कथा की आरती/Aarti of Guru Vrat Katha

अब हम आप सभी लोगों को गुरु व्रत कथा की आरती के बारे में बताएंगे कि गुरु व्रत कथा की आरती कैसी होती है या कैसी है बहुत से लोग गुरु व्रत की आरती गुरुवार के दिन करते हैं इस आरती को करने से घर में और परिवार में सुख समृद्धि होती है इसलिए ही लोग इस आरती को गुरुवार के दिन लोग अपने घर में करते हैं या गुरु व्रत की कथा सुनते हैं I इस कथा को सुनने से घर के परिवार सुखी रहते हैं उनको कोई कष्ट जल्द नहीं आता है इसलिए ही लोग इस आरती को गुरुवार के दिन लोग अपने घर में करते हैं या गुरुवार के दिन गुरु व्रत कथा सुनते हैं जैसे की हम बता दें कि कई लोगों का कहना है कि अगर किसी व्यक्ति या किसी लड़का का शादी नहीं होता है तो अगर वह गुरुवार के दिन गुरु व्रत कथा सुनता है या गुरुवार के दिन गुरु व्रत कथा की आरती करता है तो उस व्यक्ति या उस लड़के की शादी हो सकती है किससे जिन लोगों का विवाह नहीं होता है वो लोग इस आरती को गुरुवार के दिन करते हैं या गुरु व्रत कथा सुनते हैं I

गुरु व्रत कथा की आरती के बारे में आप सभी लोगों को बताते या बताने की कोशिश करते हैं कि गुरु व्रत कथा की आरती कैसी होती है तो हम आप सभी लोगों को इस आरती के बारे में बताने की कोशिश करते है I

ओम जय बृहस्पति देवा

ओम जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा I

छिन छिन भोग लगाऊ, कदली फल मेवा I I

ओम जय बृहस्पति देवा I I

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी I

जगत पिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी I I

ओम जय बृहस्पति देवा I I

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता I

सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भरता I I

ओम जय बृहस्पति देवा I I

तन, मन,धन अर्पण कर, जो जन सरण पड़े I

प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े I I

ओम जय बृहस्पति देवा I I

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी I

पाप दोस्त सब हर्ता, भव बंधन हारी I I

ओम जय बृहस्पति देवा I I

सकल मनोरथ दायक, सना संसय तारो I

विषय विकार मिटाओ, संतन सुख कारी I I

ओम जय बृहस्पति देवा I I

जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे I

मन वांछित फल पावे I I

ओम जय बृहस्पति देवा I I

बृहस्पति देव की कथा/Story of brihaspati dev

बृहस्पति देव की कथा के बारे में बताऊंगा कि इस कथा को सुनने से आप सभी लोगों को क्या लाभ मिलता है इस कथा को लोग क्यों सुनते है I

प्राचीन काल में एक ब्राह्मण रहता था, वह बहुत निर्धन था I उसके कोई संतान नहीं थी I उसकी स्त्री बहुत मलीनता के साथ रहती थी I वह स्नान ना करती, किसी देवता का पूजन ना करती दो उस पर ब्राह्मण देवता उस पर बहुत दुखी थे I बेचारे बहुत कुछ कहते थे किंतु उसका कुछ परिणाम ना निकला या ना मिला I भगवान की कृपा से ब्राह्मण की स्त्री एक कन्या रूपी रत्न पैदा हुआ अर्थात ब्राह्मण की पत्नी ने एक कन्या को जन्म दिया I कन्या बड़ी होने पर प्रातः स्नान करके विष्णु भगवान का जाप वाह बृहस्पतिवार का व्रत रखने लगी I अपने पूजा-पाठ को समाप्त करके विद्यालय जाती तो अपनी मुट्ठी में जौ भरकर ले जाती और पाठशाला के मार्ग में डालती जाती थी I तब यह जो स्वर्ण के जो जाते लौटते समय उनको बीन कर घर ले आती थी I

वह 1 दिन बालिका सुप में उसे सोने के जौ को फटककर साफ करती थी की उसके पिता ने देख लिया और कहां – हे बेटी सोने के जौ के लिए सोने का सूप होना चाहिए I दूसरे दिन बृहस्पतिवार था इस कन्या ने व्रत रखा और बृहस्पति देव सेे प्रार्थना करके कहा- मैंनेे आपकी पूूूजा सच्चे मन से की हो तो मेरे लिए सोने का सूप दे दो I बृहस्पति देव ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली I रोजाना की तरह वह कन्या जौ फैलाती हुई जाने लगी जब लौटकर जौ बीन रही थी तो वृहस्पति देव की कृपा से उसे सोने का सूप मिला I उसे वह घर लेेे आई उसमें जौ साफ करने लगी I परंतु उसकी मां का वही ढंग रहा I 1 दिन की बात है कि वह कन्या सोने के सूप में जौ साफ कर रही थी I उस समय उस शहर का राजपूत्र वहां से होकर निकला I इस कन्या के रूप और कार्य को देखकर मोहित हो गया तथा अपने घर जाकर भोजन तथा जल त्याग कर उदास होकर लेट गया I राजा को इस बात का पता लगा तो अपने प्रधानमंत्री के साथ उसके पास गए और बोले- हे बेटा तुम्हें किस बात का कष्ट है ? क्या किसी ने अपमान किया है अथवा और कोई दूसरा कारण है क्या जिससे आप उदास हैं और भोजन भी नहीं किया इसका क्या कारण है बताओ I वही कार्य करूंगा जिससे तुम्हें प्रसन्नता हो I अपने पिता की राजकुमार ने बातें सुनी तो वह बोला – मुझेे आपकी कृपा से किसी बात का दुख नहीं है किसी ने मेरा अपमान नहीं किया है परंतु मैं उस लड़की से विवाह करना चाहता हूं जो सोनेेे के सूप में जौ साफ कर रही थी I यह सुनकर राजा आश्चर्य मेंं पड़ गया और बोला – हे बेटा इस तरह की कन्या का पता तुम्ही लगाओ मैं उसके साथ तुम्हारा विवाह अवश्य करवा दूंगा I राजकुमार ने उस लड़की के घर का पता अपने पिता को बताया Iतब मंत्री उस लड़की के घर गए और ब्राह्मण देवताा को सारी बातें बताई I ब्राह्मण देवता राजकुमार के साथ अपनी कन्या का विवाह करने के लिए तैयार हो गए तथाा विधि विधान के अनुसार ब्राह्मण की कन्या का विवाह राजकुमार के साथ हो गया I

कन्या के घर से जाते ही पहले की भांति उस ब्राह्मण देवता के घर में गरीबी का निवास हो गया या गरीबी फिर से आ गई I अब भोजन के लिए भी अन्य बड़ी मुश्किल से मिलता था I एक दिन दुखी होकर ब्राह्मण देवता अपनी पुत्री के पास गए I बेटी ने पिता की दुखी अवस्था को देखा और अपनी मां का हाल पूछा I तब ब्राह्मण ने सभी हाल कहा यह सारी बातें बताइए I कन्या ने बहुत सा धन देकर अपने पिता को विदा कर दिया I इस तरह ब्राह्मण का कुछ समय सुख पूर्वक व्यतीत हुआ लेकिन कुछ दिन iबाद फिर वही हाल हो गया I ब्राह्मण फिर अपनी कन्या के घर गया और सारा हाल कहा तो लड़की बोली- हे पिताजी आप माताजी को यहां ले आओ I मैं उसे विधि या उपाय बता दूंगी जिससे गरीबी दूर हो जाएगी I वह ब्राह्मण देवता अपनी स्त्री को साथ लेकर पहुंचे तो अपनी मां को समझाने लगी हे मां तुम प्रातः काल प्रथम स्नान करके विष्णु भगवान का पूजन करो तो सब दरिद्रता दूर हो जाएगी I परंतु उसकी मां ने एक भी बात नहीं मानी और प्रातः काल उठकर अपनी पुत्री के बच्चों की झूठ को खा लिया अर्थात उसके पुत्री के बच्चे सुबह उठकर भोजन कर रहे थे और उसकी मां ने उन बच्चों के साथ भोजन कर लिया I इससे उसकी पुत्री को भी बहुत गुस्सा आया आया और एक रात को कोठारी से सभी सामान निकाल दिया और अपनी मां को उसने बंद कर दिया I प्रातः काल उसे निकाला तथा स्नान कराकर पूजा पाठ करवाया तो उसकी मां की बुद्धि ठीक हो गई और फिर प्रत्येक बृहस्पतिवार को व्रत रखने लगी I इस व्रत के प्रभाव से उसके मां बाप बहुत ही धनवान और पुत्र वान हो गए और बृहस्पति जी के प्रभाव से इस लोक के सुख भोग का स्वर्ग को प्राप्त होंगे I अगर आप किसी पीड़ा से तंग है यह आपके पुत्र नहीं है यह आपका शादी नहीं हो रहा है तो आप सभी लोग भगवान बृहस्पति का पूजा करो या गुरुवार व्रत कथा सुनो जिससे आप की शारी पीड़ा दूर हो जाएगी इसीलिए बहुत से लोग अपनी कष्ट और पीड़ा को दूर करने के लिए गुरुवार को भगवान बृहस्पति का पूजा करते हैं और गुरुवार व्रत कथा भी सुनते हैं जिससे उनकी सारी पीड़ा दूर हो जाती है और उनकी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है I

बृहस्पतिवार व्रत कथा का महत्व/Importance of thursday fast story

अब हम बृहस्पतिवार व्रत कथा के महत्व के बारे में बताने वाले हैं कि बृहस्पतिवार व्रत कथा का क्या महत्व है और यह व्यक्तियों पर क्या असर पड़ता है I अब मैं आप सभी लोगों को जिस बृहस्पतिवार व्रत कथा के महत्व के बारे में बताने वाले हैं या बताएंगे कि बृहस्पतिवार व्रत कथा का महत्व क्या है तो हम आप सभी लोगों को इसके महत्व के बारे में बताने की कोशिश करते हैं या बताते हैं I

गुरुवार का व्रत बड़ा ही फलदाई माना जाता है I गुरुवार के दिन श्री हरि विष्णु जी की पूजा का विधान है या गुरुवार के दिन श्री हरि विष्णु भगवान की पूजा होती है I कई लोग बृहस्पति देव और केले के पेड़ की भी पूजा करते हैं I बृहस्पति देव को बुद्धि का कारक माना जाता है I केले के पेड़ को हिंदू धर्म के अनुसार बेहद पवित्र माना जाता है या बहुत पवित्र माना जाता है I बृहस्पतिवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है I

पूजा कैसे करें /How to worship

बृहस्पतिवार व्रत कथा का पूजा या पूजन कैसे करें बहुत से लोग बृहस्पति व्रत कथा का पूजा करना चाहते हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता होता है कि पूजा कैसे करें तो हम आप सभी लोगों को बृहस्पति व्रत कथा का पूजन कैसे करें इसके बारे में बताने वाले हैं जिससे आप सभी लोगों को पता हो सके और आप सभी लोग बृहस्पति व्रत कथा का पूजन कर सके तो हम उसके बारे में बताते हैं कि बृहस्पति व्रत कथा का पूजन कैसे करें I

अग्नि पुराण के अनुसार गुरुवार का व्रत अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से आरंभ करके लगातार सात गुरुवार करना चाहिए I इस दिन प्रातःः उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए I बृहस्पति देव का ध्यान करना चाहिए इस दिन पीलेे वस्त्रों, पीले फूलों, पीले भोजन आदि का प्रयोग करना चाहिए I

इसके बाद फल, फूल, पीले वस्त्रों से भगवान बृहस्पति देव और विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए I पूजा के बाद कथा सुननी चाहिए I प्रसाद के रूप में केला चढ़ाना शुभ माना जाता है लेकिन इन केलों को दान में ही दे देना चाहिए I शाम के समय बृहस्पतिवार की कथा सुननी चाहिए और मान्यता अनुसार इस दिन एक बार बिना नमक का पीला भोजन करना चाहिए I भोजन में चने की दाल का प्रयोग भी किया जा सकता है I

बृहस्पतिवार व्रत का महत्व क्या होता है तथा उस दिन क्या खाना चाहिए क्या पहनना चाहिए और उस पूजा या कथा में क्या चढ़ाना चाहिए जिसे शुभ माना जाता है तो उस पूजा या कथा में केला चढ़ाना शुभ माना जाता है तथा केले के पेड़ के नीचे चना चढ़ाना शुभ माना जाता है तो आप लोगों को पता होगा होगा कि बृहस्पतिवार व्रत कथा का महत्व क्या है I

बृहस्पतिवार कथा का लाभ/Thursday’s Story Profit

बृहस्पतिवार कथा के लाभ के बारे में बताने वाले हैं कि बृहस्पतिवार कथा सुनने से क्या लाभ होता है जैसा कि बहुत से लोग इस कथा को गुरुवार के दिन सुनते हैं तथा लगातार सात गुरुवार तक सुनते हैं लेकिन उन्हें इनका लाभ पता नहीं चलता है तो आइए हम इस कथा के लाभ के बारे में आपको बता दें कि इस कथा को सुनने से क्या लाभ मिलता है I जैसा कि हमने बृहस्पतिवार कथा की विधि ऊपर बता चुके हैं और इस कथा की आरती भी हमने ऊपर बता दी है कि इस कथा की आरती क्या है और मैंने इस कथा का महत्व भी बता दिया है और अब हम इस कथा के लाभ के बारे में आप सभी लोगों को बताने वाला हूं कि इस कथा को सुनने से क्या लाभ होता है तो हम आप सभी लोगों को इस कथा के लाभ के बारे में बता दें कि इस कथा को सुनने से क्या-क्या लाभ मिलता है I

यह व्रत अत्यंत फलदाई है I गुरुवार को व्रत उपवास करके यह कथा पढ़ने से बृहस्पति देवता प्रसन्न होते हैं I अनुराधा नक्षत्र युक्त गुरुवार से व्रत आरंभ करके सात गुरुवार उपवास करने से बृहस्पति ग्रह की हर पीड़ा से मुक्ति मिलती है या बृहस्पति ग्रह से आपको छुटकारा मिल जाता है I

गुरुवार का व्रत पूरे श्रद्धा भाव, श्रद्धा मन से करने पर व्यक्ति को गुरु ग्रह का दोष खत्म हो जाता है तथा गुरु कृपा प्राप्त होती है I इन दिन व्रत करने से व्यक्ति के सारे सुखों कीी प्राप्ति I

अब आप लोगों को पता हो गया होगा कि बृहस्पति वार व्रत कथा से क्या लाभ होता है जैसा कि यह लाभ है की अगर आपको कोई भी दुख है तो इस कथा को गुरुवार से शुरू करके सात गुरुवार तक इस कथा को पूर्ण करें जिससे आपके सारे दुख कष्ट समाप्त हो जाएंगे यही इस व्रत कथा का लाभ है I

निष्कर्ष /Conclusion

इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप सभी लोगों को बृहस्पति ब्रत कथा के बारे में विस्तार से पता हो गया होगा कि ब्रत कथा करने से क्या होता है या क्या फायदा मिलता है I आप लोगों को इस पोस्ट में बृहस्पति व्रत कथा से जुड़ी बहुत सारे सवालों के जवाब मिल जायेंगे I

अगर आप लोगो इस पोस्ट में बृहस्पति ब्रत कथा से जुड़ी कोई जानकारी ना मिले तो आप हमे कमेंट में जरूर बताएं जिससे हम आप सभी लोगों को उस सवाल के जवाब बता सके I

Brihaspati vrat Katha video

Brihaspati vrat Katha

बृहस्पति ब्रत में क्या खाना चाहिए ?

बृहस्पति ब्रत में मूंग के दाल का हलवा, बेसन की बर्फी,पिस्ता कुल्फी,आम का पापड़,मैसूर पाक आदि खाना चाहिए I

बृहस्पति ब्रत कब से शुरू करे ?

पूस या पौष महीने को छोड़कर अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इसे दिसंबर या जनवरी माह कहा जाता है आप इसे छोड़कर किसी भी महीने से बृहस्पति ब्रत शुरू कर सकते हैं I

बृहस्पति ब्रत कथा किस दिन को सुना जाता है ?

बृहस्पति ब्रत कथा गुरुवार के दिन सुना जाता है I

गुरुवार को खिचड़ी क्यो नहीं खाना चाहिए?

ऐसा माना जाता है कि गुरुवार को खिचड़ी खाने से धन की हानि होती है और घर परिवार मेंं दरिद्रता आ सकती है इसलिए गुरुवार को खिचड़ी नही खाना चाहिए I

बृहस्पति की पूजा कैसे करते हैं ?

बृहस्पति देव का पूजन पीली वस्तुएं,पीले फूल, चने की दाल,मुनक्का,पीली मिठाई,पीले चावल और हल्दी चढ़ाकर किया जाता है I

Written by Santosh Yadav

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

शीघ्र स्खलन का रामबाण इलाज आयुर्वेदिक तथा दवाएँ (Panacea for early ejaculation Ayurvedic and medicines) – rskg

विलोम शब्द (Antonyms) vilom shabd in hindi – rskg