गर्भ में लड़के की हलचल (garbh main ladke ki halchal in hindi): गर्भ में लड़के की हलचल क्या होती है जैसा कि बहुत से लोगों को इसके बारे में पता नहीं होता है कि गर्भ में लड़के की हलचल क्या होती है इसलिए हम इसके बारे में बताने वाले हैं I तथा इससे संबंधित हम आप लोगों को कई सारे सवालों के बारे में बताएंगे कि पांचवे महीने में बच्चे की हलचल क्या होती है, गर्भ में बच्चे की हलचल क्या होती है, गर्भ में लड़का होने पर कहां दर्द होता है, गर्भ में बेटी होने का लक्षण क्या होता है, गर्भ में लड़के की धड़कन कितनी होनी चाहिए तथा सातवे महीने में गर्भ में बच्चे की स्थिति क्या होती है इन सभी सवालों के बारे में नीचे बहुत ही विस्तार से बताने वाले हैं जिसे पढ़कर आप लोग इन सारे सवालों के जवाब के बारे में जान सकते हैं जैसे की बहुत सारी महिलाओं को गर्भ में लड़का है या लड़की है उसके बारे में पता नहीं होता इसलिए इन सभी चीजों के बारे में हम बहुत ही विस्तार से बताएंगे तो आइए हम आप लोगों को सबसे पहले बताते हैं कि 5 महीने में बच्चे की हलचल क्या होती है I
पांचवे महीने में बच्चे की हलचल /Baby movements in fifth month

हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि पांचवे महीने में बच्चे की हलचल क्या होता है अर्थात बच्चा जब पांच महीने का रहता है तो वह क्या हलचल करता है इसके बारे में बहुत से लोग और महिलाएं नहीं जानती है इसलिए हम अपने इस पोस्ट में बताने वाले हैं कि जब बच्चा पांच महीने का रहता है तो वह क्या हलचल करता है I तो आइए नीचे विस्तार से बताते हैं कि पांच महीने का बच्चा क्या हलचल कर सकता है I और यह भी बताएंगे कि पांच महीने के बच्चे का आकार कैसा होता हैं I
बच्चा इस समय अपने शरीर को धीरे-धीरे प्रयोग में ला रहा है, उसे परख रहा है। इसलिए वह शरीर को स्ट्रैच करता है, अंगडाई लेता है, जम्हाई भी लेता है, आंखें खोलने की कोशिश करता है, अपना अंगूठा चूसता है और कभी-कभी पेट के अंदर से किक भी मारता है। चूंकि उसके कान विकसित हो चुके हैं इसलिए उसे बाहर की आवाजें भी सुनाई देती होंगी।
बच्चे का आकार
आपका बच्चा पांचवे महीने में 8 से 12 इंच के बीज लंबाई पा चुका होगा। उसका वजन भी 300 से 450 ग्राम के आसपास होगा। उसकी मांसपेशियां और हड्डियां धीरे-धीरे मजबूत हो रही हैं।
गर्भ में बच्चे की हलचल /Baby movements in the womb
अब हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि गर्भ में बच्चे की हलचल क्या होती हैं क्योंकि इसके बारे में बहुत से लोग तथा महिलाओं को पता नहीं होता है कि गर्भ में बच्चे की हलचल क्या होती हैं I तो आइए हम आप लोगों को नीचे विस्तार से बताते हैं कि गर्भ में बच्चे की हलचल क्या होती हैं I
ज्यादातर महिलाओं को गर्भ में बच्चे की पहली किक दूसरी तिमाही के 17वें से 22वें हफ्ते में महसूस होती है I 20वें से 30वें सप्ताह के बीच बच्चे की किक ज्यादा तेज होती है. गर्भावस्था के दौरान बच्चे का हिलना-डुलना, हिचकियां लेना, किक मारना या कोई अन्य मूवमेंट हर मां के लिए एक खूबसूरत अहसास होता है I
शुरुआत में हर किक के बीच काफी वक्त का अंतराल होता है, लेकिन जैसे-जैसे हफ्ते बीतते जाते हैं, उसकी हरकतों का अहसास बढ़ने लगता है. आमतौर पर प्रेगनेंसी के 20वें से 30वें सप्ताह के बीच बच्चे की किक ज्यादा तेज होती है. इस दौरान शिशु की हड्डियां और जोड़ शेप में आना शुरू ही करते हैं. 35वें सप्ताह के बाद से किक में कमी आने लगती है I
1.10वें सप्ताह में गर्भस्थ शिशु अपना सिर हिला सकता है. अपने चेहरे को छूने के लिए हाथ बढ़ा सकता है और अपना जबड़ा खोल सकता है I
2.गर्भावस्था की शुरुआत में काफी पहले ही आपका बच्चा हिलना-डुलना, शरीर को एक तरफ मोड़ना और चौंकना शुरू कर देता है. लेकिन तब हमें इसका इतना अहसास नहीं होता I
3.गर्भावस्था के अंतिम चरण में पहुंचकर शिशु के पास अब हिलने-डुलने के लिए कम जगह होती है. इसलिए उसकी हलचल अब छोटी हो जाती है, लेकिन उसका हिलना आपको महसूस होगा I
4.दूसरी तिमाही में शिशु मां के शरीर से एमिनोटिक एसिड फ्लूड निगलना शुरू कर देता है. जैसे-जैसे शिशु बड़ा होने लगता है वो ज्यादा देर तक सोने लगता है. यही वजह है कि तीसरी तिमाही में उसके मूवमेंट में कमी आने लगती है I
5.जैसे-जैसे शिशु की मांसपेशियां विकसित होती हैं , वो उन्हें मोड़ना और फैलाना शुरू कर देता है I
6.22वें सप्ताह की गर्भावस्था में शिशु गर्भ में पहुंच रही रोशनी की तरफ प्रतिक्रिया देने लगता है और 23वें सप्ताह के करीब वो बाहर की आवाजें और शोर सुनने लगता है. इसके हिसाब से हिलता-डुलता भी है I
7.जब बच्चे का सेंट्रल नर्वस सिस्टम बन जाता है, तब वो हिचकी लेना शुरू कर देता है. आमतौर पर ऐसा पहली तिमाही से ही शुरू हो जाता है. लेकिन तब हिचकी बेहद हल्की होने की वजह से इसका पता नहीं चल पाता. आमतौर हिचकी का अहसास महिलाओं को दूसरी तिमाही में होता है. कई बार शिशु की हिचकी भी किक की तरह लगती है I
गर्भ में लड़का होने पर कहां दर्द होता है /Where does it hurt to have a boy in the womb?
हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि गर्भ में लड़का होने पर कहां दर्द होता है इसके बारे में बहुत महिलाएं नहीं जानती होंगी इसलिए हम आप लोगों को इसके बारे में बताने वाले हैं जिसे पढ़कर आप लोग आसानी से जान सकते है कि गर्भ में लड़का होने पर कहां दर्द होता है I हमारी यह टिप्पणी पढ़कर सभी महिलाएं जान सकती हैं कि गर्भ में लड़का है या लड़की क्योंकि हम बताने वाले हैं गर्भ में लड़का होने पर कहां दर्द होता है इससे महिलाएं जान सकती हैं कि हमारे गर्भ में लड़का है या लड़की I तो आइए हम बताते हैं कि गर्भ में लड़का होने पर कहां दर्द होता है I
जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान बाईं करवट लेकर सोना पसंद करती हैं तो उन्हें समझ जाना चाहिए कि आपकी कोख में लड़का है। इस दौरान स्त्री के सिर में भी काफी दर्द रहता है।
गर्भवती महिला को महसूस हो की गर्भ में बच्चा पेट के दाएं तरफ है तो समझ लें की होने वाला बच्चा लडका हो सकता है। गर्भ में लड़का होने पर गर्भवती स्त्री के पेट के निचले हिस्से में दर्द गर्भ में लड़का होने का संकेत माना जाता है।
गर्भवती स्त्री के पेट में उठने वाली दर्द के आधार पे भी कुछ मान्यताएं जो गर्भ में पुत्र प्राप्ति के लक्षण की ओर इशारा करते हैं। लड़का होने पर कहां दर्द होता है पेट में या फिर कमर में? – इसी के बारे में चलिए थोड़ा बात करते हैं।जिन महिलाओं को गर्भावस्था में पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है,इसे लड़की होने का संकेत माना जाता है।कहते हैं लड़कियां लीवर के पास वाली जगह लात मारती
हैं।
अब आप लोगों को पता हो गया होगा कि गर्भ में लड़का होने पर कहां दर्द होता है क्योंकि इसके बारे में हमने ऊपर बहुत ही अच्छे से बताया है जिसे पढ़कर आप लोग जान गए होंगे कि गर्भ में लड़का होने पर कहां दर्द होता है I
गर्भ में बेटी होने के लक्षण
हम आप लोगो को बताने वाले हैं कि गर्भ में बेटी होने का क्या लक्षण है जैसा कि बहुत से लोग गर्भ होने के बाद सोचने लगते हैं कि बेटी हो गया बेटा इसलिए हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि अगर गर्भ में बेटी है तो उसका लक्षण क्या होगा क्योंकि बहुत से लोग नहीं जानते हैं इसलिए हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि गर्भ में बेटी होने का क्या लक्षण है जिससे आपको आसानी से पता चल सके कि गर्भ में बेटी I
दिल की तेज धड़कन _
गर्भ में लड़के की तुलना में लड़की की दिल की धड़कन तेज़ होती है। अगर अल्ट्रासाउंड स्कैन से पता चलता है कि गर्भ में मौजूद बच्चे का दिल एक मिनट में 140 से अधिक बार धड़क रहा है, तो इसे गर्भ में लड़की होने का लक्षण माना जाता है।
जी मिचलाना और उबकाई आना
प्रेग्नेंसी में जी मिचलाने और मितली की समस्या का ज़्यादा होना, गर्भ में लड़की होने का संकेत माना जा सकता है।
मनोदशा में बदलाव
गर्भ में लड़की होने पर महिलाओं की मनोदशा बदलती रहती है। उनमें गुस्सा, चिड़चिड़ापन, तनाव और अवसाद की भावना ज़्यादा नज़र आने लगती है।
लहसुन से परीक्षण
गर्भवती होने पर लहसुन खाने के बाद अगर आपके शरीर की गंध बदलती नहीं है, तो समझिए कि गर्भ में लड़की है। दरअसल, गर्भ में लड़का होने पर शरीर के रोम छिद्रों में से गंध आने लगती है।
स्तन के आकार में बदलाव
गर्भावस्था के दौरान अपने स्तन को ध्यान से देखें, इससे बच्चे का लिंग जानने में मदद मिल सकती है। अगर आपके बाएं स्तन का आकार दाएं स्तन से बड़ा है, तो इसे गर्भ में लड़की होने का लक्षण माना जा सकता है।
मीठी चीज़ें खाने की इच्छा
अगर गर्भवती महिला को अचानक से मीठी चीज़ें (मिठाई, चॉकलेट, आदि) खाने की इच्छा होने लगे, तो इसे गर्भ में लड़की होने का लक्षण माना जाता है।
पेट का आकार
अगर गर्भवती होने पर आपका पेट गोलाकार और ऊपर उठा हुआ है, तो इसे गर्भ में लड़की होने का संकेत माना जा सकता है।
गर्भ में लड़के की धड़कन कितनी होनी चाहिए /What should be the heartbeat of the boy in the womb.
अब हम आप लोगो को बताने वाले हैं कि हमें लड़के की धड़कन कितनी होनी चाहिए या कितनी होती है इसके बारे में बहुत से लोगों को पता नहीं होगा इसलिए हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि गर्भ में लड़के की धड़कन कितनी होनी चाहिए जिसे पढ़कर आप लोग आसानी से जान सकते हैं कि गर्भ में लड़के की धड़कन कितनी होनी चाहिए I मैं आप लोगों को बता दूं कि 5 महीने तक लड़के और लड़की की धड़कन सामान होती हैं I तो आइए हम बताते हैं कि गर्भ में लड़के की धड़कन कितनी होनी चाहिए I
अध्ययनों की मानें तो पहली तिमाही में लड़के और लड़की के हार्ट रेट में कोई अंतर नहीं होता है। भ्रूण की सामान्य हार्ट रेट 120 से 160 बीपीएम होती है जो कि प्रेग्नेंसी के शुरुआती चरण में 140 से 160 बीपीएम और गर्भावस्था के आखिरी चरण में 120 से 140 बीपीएम तक जा सकती है।
अतः इससे यह सिद्ध हो जाता है की गर्भ में लड़के की धड़कन और लड़की की धड़कन सामान होती है, और इससे हम यह नहीं पता लगा सकते की गर्भ में लड़का है या लड़की I
अल्ट्रासाउंड में लड़के की पहचान /Boy identification in ultrasound
अल्ट्रासाउंड में लड़के की पहचान क्या होती हैं I जैसा कि गर्भ धारण करने के कुछ महीने बाद लोग अल्ट्रासाउंड कराने लगते हैं जिससे उनको पता चल सके कि गर्भ में लड़का है या लड़की है I लेकिन हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि अल्ट्रासाउंड में लड़के की क्या पहचान होती हैं I तो आइए नीचे हम आप लोगों को बताते हैं कि अल्ट्रासाउंड में लड़के की क्या पहचान होती हैं I
अब आपको बताते हैं ultrasound में लड़के की क्या पहचान है? Garbh में लड़का होने की क्या निशानी होती है? अल्ट्रासाउंड में ladke की पहचान क्या होती है? अल्ट्रासाउंड से लड़की की पहचान कैसे की जाती है? Garbh लड़का होने की nishani होती है वह ultrasound में कैसे पता चलती है?
अगर नब का कोण रीड की हड्डी से 30 डिग्री अधिक बनता है, तो यह गर्भ में लड़का होने की मौजूदगी का संकेत है। और इसी तरह अगर नव का कोण रीड की हड्डी से 30 डिग्री से कम बनता है, तो यह लड़की की मौजूदगी का संकेत है। अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी में बच्चा लड़का होने का संकेत और लड़की होने का संकेत है।
ऐसा माना जाता है कि एक pregnant महिला के pet के आकार को देख पर पता लगाया जा सकता है कि गर्भ में लड़का है या लड़की है। अगर किसी भी pregnant महिला के pet का निचला हिस्सा उभरा हुआ होता है या फुला हुआ होता है, तो उसके गर्भ में लड़का होता है।अगर किसी भी mahila के गर्भ में लड़की होती है तो उसका सौंदर्य बढ़ता है और हथेलियां मुलायम होने लग जाती है। वहीं अगर किसी भी महिला के गर्भ में लड़का होता है। तो उसके हाथ-पैर ठंडे रहने लगते हैं और उसके बाल झड़ने लगते हैं।यह कहा जाता है कि जिन औरतों को pregnancy के time पर mood swings बहुत ज्यादा होते हैं, खाने पीने का मन नहीं करता उन महिलाओं के गर्भ में लड़के होते हैं। वैसे लड़के गर्भ में हलचल लड़कियों के मुकाबले थोड़ी देरी से शुरू करते हैं।अगर pregnant औरत यह पता लगाना चाहती है तो इस तरीके से आसानी से घर पर ही पता लगा सकती है। यह है garbh में लड़का या लड़की की पहचान करने का सबसे अच्छा तरीका कि गर्भ में Ladka है या Ladki इसकी पहचान करने का एक तरीका है कि pregnant महिला सुबह-सुबह उठकर अपने urine को लेकर उसमें बेकिंग सोडा मिलाएं। अगर बेकिंग सोडा मिलाने के बाद urine में झाग उठते हैं तो इसका मतलब है कि गर्भ में लड़का पल रहा है।इसके अलावा urine के रंग को देखकर भी इस चीज का पता लगाया जा सकता है कि गर्भ में लड़का पल रहा है या लड़की पल रही है।
गर्भ में लड़के की क्या पहचान है /What is the identity of a boy in the womb.
गर्भ में लड़के की क्या पहचान होती है इसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते हैं इसलिए हम बताने वाले हैं कि गर्भ में लड़के की क्या पहचान होती है जिससे आप लोगों को पता हो सके कि गर्भ में लड़के की क्या पहचान होती हैं जैसा कि बहुत सी महिलाएं गर्भ धारण करती हैं तो वे सोचती रहती है कि लड़का होगा या लड़की होगी लेकिन इसके बारे में उन्हें कुछ पहचान नहीं होती हैं कि लड़की है या लड़का I इसलिए आइए हम आप लोगों को नीचे पॉइंट के आधार पर बताते हैं कि गर्भ में लड़के की क्या पहचान होती हैं I
1.अगर किसी स्त्री के गर्भ में लड़का पल रहा हो तो औरत के पैर ठंडे रहते और बाल झड़ने लगते हैं। इस दौरान महिला का मूड भी हमेशा बदलता रहता है।
2.मां की कोख में लड़का है या लड़की, इस बात को जांचने का सबसे अच्छा तरीका है महिला के पेट का आकार। अगर गर्भवती स्त्री के पेट का निचला हिस्सा फूला हुआ और उभरा हुआ हो तो ये गर्भ में लड़के के होने का संकेत देता है।
3.गर्भावस्था के दौरान अगर महिला को मीठा खाने का मन होता है तो इसे गर्भ में लड़की होने का संकेत समझा जाता है। माना जाता है कि कोख में लड़की के पलने से मां को मिठाईयां, आइस्क्रीम, चॉकलेट्स खाने का मन करता है।
4.अगर किसी महिला को खूब पानी पीने के बावजूद पीले रंग की पेशाब होती है, तो इसे लड़का होने का संकेत माना जाता है। क्योंकि गर्भ में लड़की के होने पर यूरीन का रंग हल्का गुलाबी व सफेद रहता है।
5.गर्भ में लड़का है या लड़की इसे जांचने का एक बेहतर तरीका है बेकिंग सोडा। इसके प्रयोग के लिए गर्भवती स्त्री को सुबह उठते ही अपने सबसे पहले यूरीन को किसी बाउल में रख दें। अब इसमें एक चम्मच बेकिंग सोडा डाल दें। अगर यूरीन में झाग न निकलें तो समझे कोख में लड़का है।
6.जो महिलाएं गर्भावस्था के दौरान बाईं करवट लेकर सोना पसंद करती हैं तो समझ जाना चाहिए कि आपकी कोख में लड़का है। इस दौरान स्त्री के सिर में भी काफी दर्द रहता है।
7.जिन स्त्रियों के प्रेगनेंसी में मुंहासे निकल आते हैं, इसे गर्भ में लड़का होने का संकेत माना जाता है। इस दौरान महिला के स्वभाव में भी काफी बदलाव आते हैं। महिला में चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है।
8.जिन प्रेगनेंट औरतों को गर्भावस्था के दौरान कम भूख लगती है, खाना खाने का मन नहीं होता है, जी मिचलाता है एवं उल्टियां होती हैं तो समझ जाएं कि आपके गर्भ में लड़का पल रहा है।
9.जिन महिलाओं को गर्भावस्था में पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होता है, इसे लड़की होने का संकेत माना जाता है। कहते हैं लड़कियां लीवर के पास वाली जगह लात मारती हैं।
सातवें महीने में गर्भ में बच्चे की स्थिति /Position of the baby in the womb in the seventh month.
सातवे महीने में गर्भ में बच्चे की स्थिति के बारे में बताने वाले हैं क्योंकि इसके बारे में बहुत लोग नहीं जानते हैं I इसलिए हम आप लोगो को बताने वाले हैं कि सातवे महीने में गर्भ में बच्चे की स्थिति क्या होती है इसके बारे में हम नीचे बहुत ही विस्तार से बताएंगे जिसे पढ़कर आप लोग आसानी से जान सकेंगे कि सातवे महीने में गर्भ में बच्चे की स्थिति क्या होती हैं I
बच्चा आपके पेट में खूब हलचल करेगा, इस दौरान उसके मूवमेंट पर ध्यान रखना है। गर्भावस्था के सातवें महीने से प्रेगनेंसी की आखिरी तिमाही की शुरुआत हो जाती है। इस महीने तक शिशु का काफी विकास हो चुका है और आपको बच्चे की मूवमेंट महसूस होनी शुरू हो जाती है।
गर्भावस्था के सातवें महीने में लक्षण |
1.योनि स्राव में वृद्धि _ गर्भावस्था में योनि स्राव होना सामान्य है। शुरुआती समय में यह किसी भी तरह के संक्रमण को गर्भाशय तक पहुंचने से रोकता है। समय के साथ-साथ शिशु का सिर श्रोणि भाग पर दबाव डालता है, जिस कारण योनि से रिसाव होने लगता है। हालांकि, यह सामान्य है, लेकिन अगर आपको इस स्राव से दुर्गंध आने लगे, तो एक बार डॉक्टर से संपर्क कर लें।
2. स्तनों से रिसाव होना _ गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में स्तनों से रिसाव होना शुरू हो जाता है। यह गाढ़ा और पीले रंग का पदार्थ होता है, जिसे ‘कोलोस्ट्रम’ कहते हैं। यह रिसाव दिन में किसी भी समय हो सकता है। जैसे-जैसे डिलीवरी का समय नजदीक आता है यह एकदम रंगहीन हो जाता है और ऐसा होना सामान्य प्रक्रिया है। यह जरूरी नहीं कि ऐसा सभी के साथ हो, लेकिन अगर किसी को ऐसा अनुभव हो, तो इसे सामान्य समझें।
3. अपच _ गर्भावस्था में अपच की समस्या होना आम है। इस दौरान अक्सर पेट फूलना, छाती में जलन व जी-मिचलाना जैसा महसूस हो सकता है। यह समस्या तीसरी तिमाही में ज्यादा बढ़ जाती है। शिशु के विकसित होने से पाचन तंत्र ठीक से काम नहीं कर पाता, जिस कारण अपच की समस्या होने लगती है।
प्रेगनेंसी के सातवें महीने में शरीर में होने वाले बदलाव
यह अब आपकी अंतिम तिमाही की शुरुआत है। इस समय तक आपका पेट और बढ़ जाएगा और कई तरह के शारीरिक बदलाव देखने को मिलेंगे। नीचे हम बता रहे हैं कि सातवें महीने के दौरान शरीर में क्या-क्या शारीरिक बदलाव देखने को मिलते हैं I
1.इस समय पर आपका पेट लगातार बढ़ता जाता है, जिससे आपको चलने में और झुकने में समस्या हो सकती है।
2.सातवें महीने तक आपका वजन काफी बढ़ जाता है, जो गर्भावस्था में सामान्य है। इस समय तक आपका करीब पांच किलो वजन बढ़ सकता है। इसके अलावा, गर्भाशय बढ़ने के कारण पेट पर खिंचाव के निशान ज्यादा दिखने लगेंगे।
3.पहले के मुकाबले स्तन और बड़े हो जाएंगे। निप्पल के आसपास का रंग और गहरा हो सकता है।
4.इस दौरान आपका गर्भाशय नाभि के ऊपर आ जाएगा और कभी-कभी सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। गर्भाशय ऊपर आने से आपको सोने में भी तकलीफ हो सकती है।
5.शरीर में हो रहे तेज रक्त प्रवाह के चलते शरीर में सूजन आना सामान्य है। साथ ही गर्भावस्था के 7वें महीने के दौरान पैरों में दर्द भी हो सकता है।
गर्भावस्था के सातवें महीने में बच्चे का विकास और आकार
1.गर्भावस्था के सातवें महीने तक शिशु का आधे से ज्यादा विकास हो जाता है।
2.इसके अलावा, गर्भावस्था के सातवें महीने के अंत तक शिशु लगभग 14 इंच लंबा हो जाता है और उसका वजन एक किलो के आसपास हो सकता है I
3.आपका शिशु अब बाहर की आवाजों पर प्रतिक्रिया भी दे सकता है और अंगड़ाइयों के साथ जम्हाइयां भी लेता है।
4.अब शिशु आंखें खोल भी सकता है और बंद भी कर सकता है।
5.इस महीने तक शिशु की पलकें और भौं आ जाती हैं।
प्रेगनेंसी के शुरुआती लक्षण क्या?
1.पीरियड का मिस होना I 2.बार-बार टॉइलट जाना I 3.ब्रेस्ट में हल्का दर्द या भारीपन I 4. उल्टी आना या जी मिचलाना I 5. हल्का बुखार होना I 6. पेट में दर्द I
अल्ट्रासाउंड में बच्चे का वजन कहाँ लिखा होता है?
अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में बच्चे का वजन लिखा होता है। जहां पर + का निशान होता है।
कितने साल का लड़का प्रेग्नेंट कर सकता है?
यूरोलोजी और एंड्रोलॉजी विभाग के स्पेशलिस्ट डॉक्टरों ने कहा कि 10 साल के लड़के से कोई प्रेग्नेंट हो ही नहीं सकता. डॉक्टरों का दावा कि 10 साल के बच्चे में स्पर्म सेल्स नहीं सकता और इस बच्चे में भी इसके अंश नहीं मिले हैं I
गर्भ में लड़का कौन सी तरफ होता है?
यदि इस दौरान आपको अपने सीधे पाँव, या सीधे हाथ की तरफ पेट में अधिक भार या खिंचाव महसूस होने लगे तो ऐसा अंदाजा लगाया जा सकता है कि गर्भ में पल रहा शिशु लड़का है। ऐसा भी माना जाता है कि यदि आपको अपने राइट साइड में ज्यादा मूवमेंट नजर आए और ज्यादा भार लगे तो वह लड़का होता है।
प्रेगनेंसी में सुबह उठकर क्या खाना चाहिए?
1.फल प्रेग्नेंसी में सुबह खाली पेट आप फल खा सकते हैं। 2.नट्स नट्स सेहत से भरपूर होते हैं। 3.साबुत अनाज साबूत अनाज गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। 4. पोहा और उपमा सुबह के नाश्ते की शुरुआत हमेशा हल्के खाने से करें।
कौन से महीने में गर्भ धारण करना चाहिए?
माहवारी से शुद्ध होने के बाद आठवीं और चौदहवीं रात गर्भधारण के लिए अच्छी मानी गई है. इससे उत्तम और योग्य संतान प्राप्त होती है I
गर्भपात कब होता है?
गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले गर्भ में भ्रूण की मृत्यु हो जाएए तो उसे गर्भपात कहते हैं।
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