जलियांवाला बाग हत्याकांड पूरी जानकारी (jaliyawala baag hatyakand in hindi) आज हम आप लोगों को अपने इस पोस्ट में बताने वाले हैं कि जलियावाला बाग हत्याकांड कब तथा कैसे हुआ था क्योंकि इसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते होंगे क्योंकि यह एक बहुत विशाल घटना थी इसलिए हम आप लोगों को बताएंगे कि यह घटना कहा तथा कैसे हुई तथा कब हुई इन सभी चीजों के बारे में बहुत ही विस्तार से बताएंगे जिससे आप लोगों को इस घटना के बारे में बहुत ही विस्तार से पता हो जाए I इतना ही नहीं बल्कि जलियांवाला बाग़ से संबंधित कई सवालों के बारे में बताएंगे जिससे आप लोगों को इसके बारे में बहुत ही अच्छे से पता हो जाएगा I तो आइए हम आप लोगों को बताते हैं कि जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ था तथा कहा हुआ था ? जलियांवाला बाग हत्याकांड 13अप्रैल सन् 1919 में अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के निकट हुआ था I
घटना का नाम | जलियांवाला बाग हत्याकांड |
घटना कहा पर हुई | अमृतसर, भारत, पंजाब |
यह घटना किस तारीख को हुई | 13 अप्रैल सन् 1919 |
इस घटना में कितने लोग घायल हुए | 1000 से अधिक |
इस घटना में लगभग कितने लोग मरे | 370 से अधिक |
इस घटना का अपराधी कौन था | ब्रिटिश भारतीय सैनिक और डायर |

जलियांवाला बाग हत्याकांड
घटना का नाम | जालियांवाला बाग हत्याकांड |
घटना कहां हुई | अमृतसर, पंजाब, भारत |
घटना का दिन | 13 अप्रैल 1919 |
अपराधी | ब्रिटीश भारतीय सैनिक और डायर |
जान किसकी गई | 370 से अधिक |
घायल लोग | 1000 से अधिक |
जलियांवाला बाग घटनाक्रम से पहले की जानकारी –/Jallianwala Bagh Pre-Events Information
रॉलेक्ट एक्ट के खिलाफ हुआ था विरोध –/There was a protest against the Rowlatt Act
साल 1919 में हमारे देश में कई तरह के कानून, ब्रिटिश सरकार द्वारा लागू किए गए थे और इन कानूनों का विरोध हमारे देश के हर हिस्से में किया जा रहा था. 6 फरवरी, साल 1919 में ब्रिटिश सरकार ने इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में एक ‘रॉलेक्ट’ नामक बिल को पेश किया था और इस बिल को इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने मार्च के महीने में पास कर दिया था. जिसके बाद ये बिल एक अधिनियम बन गया था I
इस अधिनियम के अनुसार भारत की ब्रिटिश सरकार किसी भी व्यक्ति को देशद्रोह के शक के आधार पर गिरफ्तार कर सकती थी और उस व्यक्ति को बिना किसी जूरी के सामने पेश किए जेल में डाल सकती थी. इसके अलावा पुलिस दो साल तक बिना किसी भी जांच के, किसी भी व्यक्ति को हिरासत में भी रख सकती थी. इस अधिनियम ने भारत में हो रही राजनीतिक गतिविधियों को दबाने के लिए, ब्रिटिश सरकार को एक ताकत दे दी थी I
इस अधिनियम की मदद से भारत की ब्रिटिश सरकार, भारतीय क्रांतिकारियों पर काबू पाना चाहती थी और हमारे देश की आजादी के लिए चल रहे आंदोलनों को पूरी तरह से खत्म करना चाहित थी. इस अधिनियम का महात्मा गांधी सहित कई नेताओं ने विरोध किया था. गांधी जी ने इसी अधिनियम के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन पूरे देश में शुरू किया था I
जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ था/When did the Jallianwala Bagh massacre take place?
मैं आप लोगों को बताने वाला हूं जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ था क्योंकि इसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते होंगे कि जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ था इसलिए हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि जलियांवाला बाग कांड कब हुआ था क्योंकि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक ऐतिहासिक घटना है जिसके बारे में सभी लोग आज भी पढ़ते हैं तथा इसके बारे में जानने की कोशिश करते हैं इसलिए हम आप लोगों को बताते हैं कि वाला बाग हत्याकांड कब हुआ था I
सन 1919 में 13 अप्रैल के दिन हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे हुए उसी समय डायर ने अपने ऑफिसर्स को फायरिंग का आदेश दिया, और तब हुआ बहुत ही दिल दहला देने वाला हत्याकांड था I भारत के पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के निकट जलियावालबाग में 13 अप्रैल सन् 1919 (वैशाखी के दिन) हुआ था। रौलेक्ट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें 400 से अधिक व्यक्ति मरे और 2000 से अधिक घायल हुए।अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियांवाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है। ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था। अनाधिकारिक आँकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए।
सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत /Satyagraha movement started
साल 1919 में शुरू किया गया सत्याग्रह आंदोलन काफी सफलता के साथ पूरे देश में ब्रिटिश हकुमत के खिलाफ चल रहा था और इस आंदोलन में हर भारतीय ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया था. भारत के अमृतसर शहर में भी 6 अप्रैल, 1919 में इस आंदोलन के तहत एक हड़ताल की गई थी और रॉलेक्ट एक्ट का विरोध किया गया था. लेकिन धीरे-धीरे इस अहिंसक आंदोलन ने हिंसक आंदोलन का रूप ले लिया था I
9 अप्रैल को सरकार ने पंजाब से ताल्लुक रखने वाले दो नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था. इन नेताओं के नाम डॉ सैफुद्दीन कच्छू और डॉ. सत्यपाल था. इन दोनों नेताओं को गिरफ्तार करने के बाद ब्रिटिश पुलिस ने इन्हें अमृतसर से धर्मशाला में स्थानांतरित कर दिया गया था. जहां पर इन्हें नजरबंद कर दिया गया था I
अमृतसर के ये दोनों नेता यहां की जनता के बीच काफी लोकप्रिय थे और अपने नेता की गिरफ्तारी से परेशान होकर, यहां के लोग 10 अप्रैल को इनकी रिहाई करवाने के मकसद से डिप्टी कमेटीर, मिल्स इरविंग से मुलाकात करना चाहते थे. लेकिन डिप्टी कमेटीर ने इन लोगों से मिलने से इंकार कर दिया था. जिसके बाद इन गुस्साए लोगों ने रेलवे स्टेशन, तार विभाग सहित कई सरकारी दफ्तरों को आग के हवाले कर दिया. तार विभाग में आग लगाने से सरकारी कामकाज को काफी नुकसान पहुंचा था, क्योंकि इसी के माध्यम से उस वक्त अफसरों के बीच संचार हो पाता था. इस हिंसा के कारण तीन अंग्रेजों की हत्या भी हो गई थी. इन हत्याओं से सरकार काफी खफा थी I
जलियांवाला बाग हत्याकांड फोटो/Jallianwala Bagh massacre photo
जलियावाला बाग हत्याकांड का फोटो अब हम आपको दिखाएंगे क्योंकि जब जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था तो बहुत सारे फोटो वायरल हुआ था I आज भी लोग उन फोटो को देखते हैं और याद करते हैं कि या जलियांवाला बाग हत्याकांड का ही फोटो है इसलिए हम आप लोगों को भी यहां पर दिखाने वाले हैं कि जलियांवाला बाग हत्याकांड का फोटो कैसा था या कौन-कौन सा फोटो है तो आइए हम आप लोगों को नीचे जलियांवाला बाग हत्याकांड का फोटो दिखाते हैं I
जलियांवाला बाग हत्याकांड घटनाक्रम /Jallianwala Bagh Massacre Events
जलियांवाला बाग हत्याकांड घटनाक्रम हम आप लोगों को बताएंगे कि जलियांवाला बाग हत्याकांड का घटनाक्रम क्या है क्योंकि इस घटना के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं कि या किस कारण हुआ था अर्थात इसका क्या घटना था इसलिए हम आप लोगों को नीचे विस्तार से बताने वाले हैं कि जलियांवाला बाग हत्याकांड का घटनाक्रम किया था I
वर्ष 1919 के मार्च महीने में ब्रिटिश सरकार ने रौलेट एक्ट पारित कर दिया। पूरे देश में इसके खिलाफ रोष व्याप्त हो गया। महात्मा गांधी ने 6 अप्रैल को इस एक्ट के विरोध में सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। अमृतसर में इस एक्ट के विरोध में हड़ताल रखी गयी।
इसी दिन आंदोलन के नेता डॉक्टर सत्यपाल और सैफुद्दीन किचलू को गिरफ्तार कर लिया गया। इनकी गिरफ्तारी का भी विरोध हुआ। 10 अप्रैल को गिरफ्तारी के विरोध में आंदोलनकारियों ने डिप्टी कमिश्वनर के आफिस के बाहर प्रदर्शन किया तो उन पर गोलियां चला दी गई। बढ़ते तनाव के बावजूद आंदोलन को कुचलने के लिए 12 अप्रैल को आंदोलन के दूसरे कई नेताओं की गिरफ्तारी के आदेश जारी कर दिए गए।
रौलेट एक्ट और की जा रही गिरफ्तारियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए ही 13 अप्रैल को बैसाखी के दिन 20 हजार निहत्थे लोग जलियांवाला बाग में जमा हुए थे। जहां जनरल डायर के नेतृत्व में इन निहत्थे लोगों को घेरकर और उनपर गोलियां चलाकर अंग्रेजी सरकार ने अपना सबसे काला और शर्मनाक अध्याय लिखा।
जलियांवाला बाग हत्याकांड Drishti IAS/Jallianwala Bagh Massacre Drishti IAS
हम आप लोगों को दृष्टि आईएएस यूट्यूब के माध्यम से यहां पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का वीडियो दिखाएंगे जिसे देखकर आप जान जाएंगे कि जलियांवाला बाग हत्याकांड कब तथा कैसे हुआ था तथा कहां पर हुआ था इन सभी चीजों के बारे में हमने ऊपर बताया है लेकिन फिर भी हम इन चीजों को एक वीडियो के द्वारा दिखाएंगे जिससे आप लोगों को और भी आसानी से समझ में आ जाएगा की जलियांवाला बाग हत्याकांड क्यों हुआ था जैसा कि बहुत से लोग पढ़कर उसके बारे में सही से नहीं जान पाते हैं इसलिए हम आप लोगों को उसके बारे में एक वीडियो दिखाएंगे जिसमें यह दिखाया जाएगा कि जलियांवाला बाग हत्याकांड कब और कैसे हुआ था जिससे आप लोगों को समझने में आसानी होगी अर्थात आपको जलियांवाला बाग हत्याकांड के बारे में आसानी से समझ में आ जायेगा तो आइए हम आप लोगों को Drishti IAS YouTube channel के माध्यम से इस वीडियो को दिखाते हैं I
जलियांवाला बाग हत्याकांड कैसे हुआ ?/ How did the Jallianwala Bagh massacre happen?
अब हम आप लोगों को बताएंगे कि जलियांवाला बाग हत्याकांड कैसे हुआ क्योंकि शायद बहुत ही कम लोग जानते होंगे जलियांवाला बाग हत्याकांड कैसे हुआ था इसलिए आज हम अपने इस पोस्ट में बताने वाले हैं कि जलियांवाला बाग हत्याकांड कैसे हुआ था जिससे आप सभी लोगों को आसानी से पता हो सके कैसे हुआ था तो आइए हम आप लोगों को बताते हैं कि जलियांवाला बाग हत्याकांड कैसे हुआ था I
13 अप्रैल को अमृतसर के जलियांवाला बाग में कई संख्या में लोगों इक्ट्ठा हुए थे. इस दिन इस शहर में कर्फ्यू लगाया गया था, लेकिन इस दिन वैशाखी का त्योहार भी था. जिसके कारण काफी संख्या में लोग अमृतसर के हरिमन्दिर साहिब यानी स्वर्ण मंदिर आए थे. जलियांवाला बाग, स्वर्ण मंदिर के करीब ही था. इसलिए कई लोग इस बाग में घूमने के लिए भी चले गए थे और इस तरह से 13 अप्रैल को करीब 20,000 लोग इस बाग में मौजूद थे. जिसमें से कुछ लोग अपने नेताओं की गिरफ्तारी के मुद्दे पर शांतिपूर्ण रूप से सभा करने के लिए एकत्र हुए थे. वहीं कुछ लोग अपने परिवार के साथ यहां पर घूमने के लिए भी आए हुए थे I
इस दिन करीब 12:40 बजे, डायर को जलियांवाला बाग में होने वाली सभा की सूचना मिली थी. ये सूचना मिलने के बाद डायर करीब 4 बजे अपने दफ्तर से करीब 150 सिपाहियों के साथ इस बाग के लिए रवाना हो गए थे. डायर को लगा की ये सभा दंगे फैलाने के मकसद से की जा रही थी. इसलिए इन्होंने इस बाग में पहुंचने के बाद लोगों को बिना कोई चेतावनी दिए, अपने सिपाहियों को गोलियां चलाने के आदेश दे दिए. कहा जाता है कि इन सिपाहियों ने करीब 10 मिनट तक गोलियां चलाई थी. वहीं गोलियों से बचने के लिए लोग भागने लगे. लेकिन इस बाग के मुख्य दरवाजे को भी सैनिकों द्वारा बंद कर दिया गया था और ये बाग चारो तरफ से 10 फीट तक की दीवारों से बंद था. ऐसे में कई लोग अपनी जान बचाने के लिए इस बाग में बने एक कुएं में कूद गए. लेकिन गोलियां थमने का नाम नहीं ले रही थी और कुछ समय में ही इस बाग की जमीन का रंग लाल हो गया था I
जलियांवाला बाग हत्याकांड क्यों हुआ था/Why did the Jallianwala Bagh massacre happen?
जलियांवाला बाग हत्याकांड क्यों हुआ था इसके बारे में हम आप लोगों को बताने वाले हैं क्योंकि बहुत से लोग यह जानते होंगे कि जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ था परंतु उन्हें यह नहीं पता होगा कि जलियांवाला बाग हत्याकांड क्यों हुआ था इसलिए हम आप लोगों को नीचे विस्तार से बताने वाले हैं कि जलियांवाला बाग हत्याकांड क्यों हुआ था जिससे आप लोगों को आसानी से पता हो सके कि जलियांवाला बाग हत्याकांड क्यों हुआ था I
दरअसल जलियांवाला बाग़ हत्याकांड होने का मुख्य कारण अंगेजी सरकार द्वारा कर्फ्यू लगाने के बावजूद एक साथ एक जगह पर लगभग 20 हजार लोगों का एक साथ इकठ्ठा होना था. भारतीय एक साथ इसलिए इकठ्ठा हुआ थे क्योकि उस दिन वैसाखी का त्यौहार था. और लोग बैसाखी का त्यौहार मनाने के लिए स्वर्ण मंदिर गए थे और उसके पास में ही था यह जलियांवाला बाग़ जहाँ पर लोग भ्रमण करने गए थे. वहां पर एक शांतिपूर्ण सभा का भी आयोजन किया गया था. किन्तु अंग्रेजी सरकार को यह लगा कि वहां सरकार के खिलाफ साजिश की जा रही है. जिसकी वजह से यह हत्याकांड हुआ था I
जलियांवाला बाग हत्याकांड questions /Jallianwala Bagh Massacre questions
अब हम आप लोगों को जलियांवाला बाग हत्याकांड प्रश्न के बारे में बताएंगे अर्थात जलियांवाला बाग हत्याकांड से संबंधित कई प्रश्न तथा उसके उत्तर भी बताएंगे जिससे आप लोगों को जलियांवाला बाग हत्याकांड से संबंधित ज्यादा से ज्यादा प्रश्नों के उत्तर के बारे में पता हो सके तो आइए हम आप लोगों को नीचे बिंदु के आधार पर बताते हैं कि जलियांवाला बाग हत्याकांड से संबंधित प्रश्न क्या है तथा उसके उत्तर क्या है I
1. जलियावाला बाग हत्याकांड के फल स्वरुप गांधी जी ने किस आंदोलन की शुरुआत की थी ?
A. असहयोग आंदोलन, B. सविनयअवज्ञा आंदोलन, C. भारत छोड़ो आंदोलन, D. दंडी मार्च यात्रा.
उत्तर = असहयोग आंदोलन I
2. किस घटना को अमृतसर घटना के नाम से जाना जाता है ?
A. चोरी चोरा कांड, B. रालेक्ट एक्ट , C. जलियावाला बाग हत्याकांड, D. इनमें से कोई नहीं .
उत्तर = जलियांवाला बाग हत्याकांड I
3. जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच के लिए बनाई गई कमेटी में कुल कितने सदस्य थे ?
A. आठ, B. तीन, C. पांच, D. सात .
उत्तर = आठ I
4. जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में किस व्यक्ति ने केसर ए हिंद की उपाधि का त्याग किया था ?
A. भगत सिंह, B. महात्मा गांधी, C. रविन्द्र नाथ टैगोर, D. पंडित जवाहरलाल नेहरू .
उत्तर = महात्मा गांधी I
5. जलियांवाला बाग में हत्या के अलावा लोगों की मौत का अन्य कारण क्या था ?
A. बीमारी, B. फांसी, C. आत्महत्या, D. इनमें से कोई नहीं .
उत्तर = आत्महत्या I
6. जलियावाला बाग हत्याकांड में कितने व्यक्ति की हत्या की गई थी ?
A. 379, B.592, C. 285, D.490.
उत्तर= 379.
7. जलियांवाला बाग हत्याकांड किस तारीख को हुआ था ?
A. 1 जनवरी 1919, B. 5 मई सन 1919, C. 13 अप्रैल सन् 1919, D. 13 फरवरी सन 1919.
उत्तर = 13 अप्रैल सन 1919 I
8. जलियांवाला बाग हत्याकांड में किस भारतीय व्यक्ति ने डायर का साथ दिया था?
A. सीताराम तिवारी, B. हंसराज , C. रघुवीर, D. साधू भाई .
उत्तर =हंसराज I
9. जलियांवाला बाग में आयोजित सभा आयोजन किसके विरोध में किया गया था?
A. रालेक्ट एक्ट, B. असहयोग आंदोलन, C. क्रिप्स मिशन, D. माउंट बेटन योजना .
उत्तर = रालेक्ट एक्ट I
10. जलियांवाला बाग हत्या कांड के समय भारत का गवर्नर जनरल कौन था ?
A. लॉर्ड विलियम बैंटिग, B. जनरल डायर, C. लॉर्ड चेम्सफोर्ड, D. लॉर्ड मिंटो .
उत्तर = लॉर्ड चेम्सफोर्ड I
11. जलियांवाला बाग हत्याकांड किस जगह पर हुआ था ?
A. वाराणसी ( उत्तर प्रदेश) , B. पटना (बिहार) , C. लुधियाना (पंजाब ) , D. अमृतसर ( पंजाब ) .
उत्तर = अमृतसर ( पंजाब ) I
जलियांवाला बाग हत्याकांड का परिणाम /Jallianwala Bagh Massacre Result
जलियांवाला बाग हत्याकांड का परिणाम क्या हुआ अर्थात जब यह हत्याकांड खत्म हुआ तो इसका परिणाम क्या हुआ I इसके बारे में बहुत लोग नहीं जानते होंगे इसलिए हम आप लोगों को नीचे विस्तार से बताने वाले हैं कि जलियांवाला बाग हत्याकांड का परिणाम क्या हुआ जिसे पढ़कर आप लोग आसानी से जान सकते हैं तो आइए हम आप लोगों को बताते हैं कि जलियांवाला बाग हत्याकांड का परिणाम क्या हुआ I
जनरल डायर ने लोगों को भयभीत करने के लिए यह हत्याकांड किया ताकि लोग आजादी की लड़ाई से पीछे हट जाएं। जनरल डायर और अंग्रेजी सरकार की यह धारणा गलत साबित हुई तथा पूरे देश में अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आग और आक्रोश भड़क गया। हर मोर्चे पर विक्टोरिया की सरकार की खिलाफत होने लगी और लोगों का असंतोष आक्रोश में बदल गया। लोगों ने उग्र प्रदर्शन शुरू कर दिए। इससे घबराकर ब्रिटिश सरकार ने जांच के लिए हंटर कमेटी गठित की। वहीं समानांतर रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भी मदन मोहन मालवीय के नेतृत्व में एक आयोग गठित किया। इस आयोग के सदस्य पंडित मोतीलाल नेहरू, महात्मा गांधी, अब्बास तैयब, जीआर दास और पुपुल जयकर थे।
हंटर कमेटी का गठन कब हुआ /When was the Hunter Committee formed?
हंटर कमेटी का गठन कब हुआ इसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते होंगे इसलिए हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि हंटर कमेटी का गठन कब हुआ था जिससे भी लोगों को आसानी से पता हो सके कि हंटर कमेटी का गठन कब हुआ था तो आइए हम आप लोगों को बताते हैं कि हंटर कमेटी का गठन कब हुआ था I
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद हो रहे उग्र प्रदर्शनों से विवश होकर ब्रिटिश सरकार ने जांच के लिए 1 अक्टूबर 1919 को लॉर्ड विलियम हंटर की अध्यक्षता मे एक कमेटी का गठन किया। इस हंटर समिति में लार्ड हंटर के अलावा जस्टिस जीसी रैंकिन, डब्ल्यूएफ राइस, मेजर जनरल सर जॉर्ज बैरो और सर टॉम्स स्मिथ सदस्य थे।
कमेटी में सर चिमन सीतलवाड़, सरदार सुल्तान अहमद खान और जगत नारायण को भी शामिल किया गया। हंटर कमेटी की रिपोर्ट आती, उससे पहले ही ब्रिटिश सरकार ने अपने अधिकारियों को बचाने के लिए इंडेम्निटी बिल पास करा लिया।
हंटर कमेटी की रिपोर्ट /Hunter committee report
अब हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि हंटर कमेटी की रिपोर्ट क्या थी अर्थात जब हंटर कमेटी का गठन हुआ उसके बाद उसकी रिपोर्ट क्या थी उसके बारे में हम आप लोगों को बताने वाले हैं जिससे आप लोग आसानी से जान पाएंगे कि हंटर कमेटी की रिपोर्ट क्या थी तो आइए हम आप लोगों को बताते हैं कि हंटर कमेटी की रिपोर्ट क्या थी I
मार्च 1920 में हंटर कमेटी ने जलियांवाला बाग हत्याकांड पर अपनी रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में हत्याकांड को हल्का दिखाने की पूरी कोशिश की गई। पूरी रिपोर्ट एक प्रकार की लीपापोती का प्रयास था। कमेटी की रिपोर्ट में पंजाब के गवर्नर माइकल ओ’डायर को निर्दोष बताया गया मगर शहीद उधम सिंह ने माइकल ओ’डायर को मारकर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लिया। वहीं गोलीबार करवाने वाले जनरल डायर के बारे में कहा कि जनरल डायर ने जरूरत से अधिक बल प्रयोग किया मगर जो किया वह निष्ठा से किया। डायर के इस अपराध के लिए उसे नौकरी से हटाने का दण्ड दिया गया। रिपोर्ट में मरने वालों की संख्या 379 और घायलों की संख्या कुछ सौ बतायी गयी।
जलियांवाला बाग हत्याकांड
घटना का नाम | जालियांवाला बाग हत्याकांड |
घटना कहां हुई | अमृतसर, पंजाब, भारत |
घटना का दिन | 13 अप्रैल 1919 |
अपराधी | ब्रिटीश भारतीय सैनिक और डायर |
जान किसकी गई | 370 से अधिक |
घायल लोग | 1000 से अधिक |
डायर को सौंपी गई अमृतसर की जिम्मेदारी
अमृतसर के बिगड़ते हालातों पर काबू पाने के लिए भारतीय ब्रिटिश सरकार ने इस राज्य की जिम्मेदारी डिप्टी कमेटीर मिल्स इरविंग से लेकर ब्रिगेडियर जनरल आर.ई.एच डायर को सौंप दी थी और डायर ने 11 अप्रैल को अमृतसर के हालातों को सही करने का कार्य शुरू कर दिया. पंजाब राज्य के हालातों को देखते हुए इस राज्य के कई शहरों में ब्रिटिश सरकार ने मार्शल लॉ लगा दिया था. इस लॉ के तहत नागरिकों की स्वतंत्रता पर और सार्वजनिक समारोहों का आयोजन करने पर प्रतिबंध लग गया था.
मार्शल लॉ के अनुसार , जहां पर भी तीन से ज्यादा लोगों को इकट्ठा पाया जा रहा था, उन्हें पकड़कर जेल में डाला दिया जा रहा था. दरअसल इस लॉ के जरिए ब्रिटिश सरकार क्रांतिकारियों द्वारा आयोजित होने वाली सभाओं पर रोक लगाना चाहती थी. ताकि क्रांतिकारी उनके खिलाफ कुछ ना कर सकें.
12 अप्रैल को सरकार ने अमृतसर के अन्य दो नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया था और इन नेताओं के नाम चौधरी बुगा मल और महाशा रतन चंद था. इन नेताओं की गिरफ्तारी के बाद अमृतसर के लोगों के बीच गुस्सा और बढ़ गया था. जिसके कारण इस शहर के हालात और बिगड़ने की संभावना थी. हालातों को संभालने के लिए इस शहर में ब्रिटिश पुलिस ने और सख्ती कर दी थी.
जलियांवाला बाग हत्याकांड कहानी, वर्णन (Jallianwala Bagh Massacre History in hindi)
जालियांवाला बाग़ हत्याकांड कब हुआ
सन 1919 में 13 अप्रैल के दिन हजारों की संख्या में लोग इकट्ठे हुए उसी समय डायर ने अपने ऑफिसर्स को फायरिंग का आदेश दिया, और तब हुआ बहुत ही दिल दहला देने वाला हत्याकांड.
जालियांवाला हत्याकांड कैसे हुआ
13 अप्रैल को अमृतसर के जलियांवाला बाग में कई संख्या में लोगों इक्ट्ठा हुए थे. इस दिन इस शहर में कर्फ्यू लगाया गया था, लेकिन इस दिन वैशाखी का त्योहार भी था. जिसके कारण काफी संख्या में लोग अमृतसर के हरिमन्दिर साहिब यानी स्वर्ण मंदिर आए थे. जलियांवाला बाग, स्वर्ण मंदिर के करीब ही था. इसलिए कई लोग इस बाग में घूमने के लिए भी चले गए थे और इस तरह से 13 अप्रैल को करीब 20,000 लोग इस बाग में मौजूद थे. जिसमें से कुछ लोग अपने नेताओं की गिरफ्तारी के मुद्दे पर शांतिपूर्ण रूप से सभा करने के लिए एकत्र हुए थे. वहीं कुछ लोग अपने परिवार के साथ यहां पर घूमने के लिए भी आए हुए थे.
इस दिन करीब 12:40 बजे, डायर को जलियांवाला बाग में होने वाली सभा की सूचना मिली थी. ये सूचना मिलने के बाद डायर करीब 4 बजे अपने दफ्तर से करीब 150 सिपाहियों के साथ इस बाग के लिए रवाना हो गए थे. डायर को लगा की ये सभा दंगे फैलाने के मकसद से की जा रही थी. इसलिए इन्होंने इस बाग में पहुंचने के बाद लोगों को बिना कोई चेतावनी दिए, अपने सिपाहियों को गोलियां चलाने के आदेश दे दिए. कहा जाता है कि इन सिपाहियों ने करीब 10 मिनट तक गोलियां चलाई थी. वहीं गोलियों से बचने के लिए लोग भागने लगे. लेकिन इस बाग के मुख्य दरवाजे को भी सैनिकों द्वारा बंद कर दिया गया था और ये बाग चारो तरफ से 10 फीट तक की दीवारों से बंद था. ऐसे में कई लोग अपनी जान बचाने के लिए इस बाग में बने एक कुएं में कूद गए. लेकिन गोलियां थमने का नाम नहीं ले रही थी और कुछ समय में ही इस बाग की जमीन का रंग लाल हो गया था.
कुल मारे गए लोग (How many people died in Jallianwala Bagh Massacre ?)
इस नरसंहार में 370 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, जिनमें छोटे बच्चे और महिलाएं भी शामिल थी. इस नरसंहार में सात हफ्ते के एक बच्चे की भी हत्या कर दी गई थी. इसके अलावा इस बाग में मौजूद कुएं से 100 से अधिक शव निकाले गए थे. ये शव ज्यादातर बच्चों और महिलाओं के ही थे. कहा जाता है कि लोग गोलियों से बचने के लिए कुएं में कूद गए थे, लेकिन फिर भी वो अपनी जान नहीं बचा पाए. वहीं कांग्रेस पार्टी के मुताबिक इस हादसे में करीब 1000 लोगों की हत्या हुई थी और 1500 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. लेकिन ब्रिटिश सरकार ने केवल 370 के करीब लोगों की मौत होने की पुष्टि की थी. ताकि उनके देश की छवि विश्व भर में खराब ना हो सके.
जालियांवाला बाग हत्याकांड क्यों हुआ
दरअसल जलियांवाला बाग़ हत्याकांड होने का मुख्य कारण अंगेजी सरकार द्वारा कर्फ्यू लगाने के बावजूद एक साथ एक जगह पर लगभग 20 हजार लोगों का एक साथ इकठ्ठा होना था. भारतीय एक साथ इसलिए इकठ्ठा हुआ थे क्योकि उस दिन वैसाखी का त्यौहार था. और लोग बैसाखी का त्यौहार मनाने के लिए स्वर्ण मंदिर गए थे और उसके पास में ही था यह जलियांवाला बाग़ जहाँ पर लोग भ्रमण करने गए थे. वहां पर एक शांतिपूर्ण सभा का भी आयोजन किया गया था. किन्तु अंग्रेजी सरकार को यह लगा कि वहां सरकार के खिलाफ साजिश की जा रही है. जिसकी वजह से यह हत्याकांड का हुआ.
जालियांवाला बाग हत्याकांड के बाद क्या हुआ (After Jallianwala Bagh Hatyakand)
डायर के फैसले पर उठे सवाल
इस नरसंहार की निंदा भारत के हर नेता ने की थी और इस घटना के बाद हमारे देश को आजाद करवाने की कवायाद और तेज हो गई थी. लेकिन ब्रिटिश सरकार के कुछ अधिकारियों ने डायर के द्वारा किए गए इस नरसंहार को सही करार दिया था.
बेकसूर लोगों की हत्या करने के बाद जब डायर ने इस बात की सूचना अपने अधिकारी को दी, तो लेफ्टिनेंट गवर्नर मायकल ओ ड्वायर ने एक पत्र के जरिए कहा कि डायर ने जो कार्रवाई की थी, वो एकदम सही थी और हम इसे स्वीकार करते हैं.
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने वापस की अपनी उपाधि
जलियांवाला बाग हत्याकांड की जानकारी जब रविन्द्रनाथ टैगोर मिली,तो उन्होंने इस घटना पर दुख प्रकट करते हुए, अपनी ‘नाइटहुड’ की उपाधि को वापस लौटाने का फैसला किया था. टैगोर ने लॉर्ड चेम्सफोर्ड, जो की उस समय भारत के वायसराय थे, उनको पत्र लिखते हुए इस उपाधि को वापस करने की बात कही थी. टैगोर को ये उपाधि यूएक द्वारा साल 1915 में इन्हें दी गई थी.
जलियांवाला बाग हत्याकांड कमेटी (Hunter Committee)
जलियांवाला बाग को लेकर साल 1919 में एक कमेटी का गठन किया गया था और इस कमेटी का अध्यक्ष लार्ड विलियम हंटर को बनाया गया था. हंटर कमेटी नामक इस कमेटी की स्थापना जलियांवाला बाग सहित, देश में हुई कई अन्य घटनाओं की जांच करने के लिए की गई थी. इस कमेटी में विलियम हंटर के अलावा सात और लोग थे जिनमें कुछ भारतीय भी मौजूद थे. इस कमेटी ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के हर पहलू की जांच की और ये पता लगाने की कोशिश कि, की डायर ने जलियांवाला भाग में उस वक्त जो किया था, वो सही था कि गलत.
19 नवंबर साल 1919 में इस कमेटी ने डायर को अपने सामने पेश होने को कहा और उनसे इस हत्याकांड को लेकर सवाल किए. इस कमेटी के सामने अपना पक्ष रखते हुए डायर ने जो बयान दिया था उसके मुताबिक डायर को सुबह 12:40 पर जलियांवाला बाग में होने वाली एक बैठक के बारे में पता चला था, लेकिन उस समय उन्होंने इस बैठक को रोकने के लिए कोई भी कदम नहीं उठा. डायर के मुताबिक 4 बजे के आसपास वो अपने सिपाहियों के साथ बाग जाने के लिए रवाना हुए और उनके दिमाग में ये बात साफ थी, कि अगर वहां पर किसी भी तरह की बैठक हो रही होगी, तो वो वहां पर फायरिंग शुरू कर देंगे.
कमेटी के सामने डायर ने ये बात भी मानी थी, कि अगर वो चाहते तो लोगों पर गोली चलाए बिना उन्हें तितर-बितर कर सकते थे. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. क्योंकि उनको लगा, कि अगर वो ऐसा करते तो कुछ समय बाद वापस वहां लोग इकट्ठा हो जाते और डायर पर हंसते. डायर ने कहा कि उन्हें पता था कि वो लोग विद्रोही हैं, इसलिए उन्होंने अपनी ड्यूटी निभाते हुए गोलियां चलवाईं. डायर ने अपनी सफाई में आगे कहा कि घायल हुए लोगों की मदद करना उनकी ड्यूटी नहीं थी. वहां पर अस्पताल खुले हुए थे और घायल वहां जाकर अपना इलाज करवा सकते थे.
8 मार्च 1920 को इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट को सार्वजनिक किया और हंटर कमेटी की रिपोर्ट में डायर के कदम को एकदम गलत बताया गया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि लोगों पर काफी देर तक फायरिंग करना एकदम गलत था. डायर ने अपनी सीमों को पार करते हुए ये निर्णय लिया था. इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया था, कि पंजाब में ब्रिटिश शासन को खत्म करने की कोई में साजिश नहीं की जा रही थी. इस रिपोर्ट के आने के बाद 23 मार्च 1920 को डायर को दोषी पाते हुए उन्हें सेवानिवृत कर दिया गया था.
विंस्टन चर्चिल जो उस समय सेक्रेटरी ऑफ स्टेट फॉर वॉर थे, उन्होंने इस नरसंहार की आलोचना की थी और साल 1920 में हाउस ऑफ कॉमन्स में कहा था कि जिन लोगों की गोली मार कर हत्या की गई थी, उनके पास कोई भी हथियार नहीं थे, बस लाठियां थी. जब गोलियां चली तो ये लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे. ये लोग जब अपनी जान को बचाने के लिए कोनो पर जाकर छुपने लगे तो, वहां पर भी गोलियां चलाई गई. इसके अलावा जो लोग जमीन पर लेट गए उनको भी नहीं बक्शा गया और उनकी भी हत्या कर दी गई. चर्चिल के अलावा ब्रिटेन के पूर्व प्रधान मंत्री एच एच एच एस्क्विथ ने भी इस नरसंहार को गलत बताया था.
डायर की हत्या /Dyer’s murder
डायर सेवानिवृत होने के बाद लदंन में अपना जीवन बिताने लगे. लेकिन 13 मार्च 1940 का दिन उनकी जिंदगी का आखिरी दिन साबित हुआ. उनके द्वारा किए गए हत्याकांड का बदला लेते हुए उधम सिंह ने केक्सटन हॉल में उनको गोली मार दी. सिंह एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता थे और कहा जाता है कि 13 अप्रैल के दिन वो भी उस बाग में मौजूद थे जहां पर डायर ने गोलियां चलवाईं थी और सिंह एक गोली से घायल भी हए थे. जलियांवाला बाग की घटना को सिंह ने अपनी आंखों से देखा था. इस घटना के बाद से सिंह डायर से बदला लेने की रणनीति बनाने में जुट गए थे और साल 1940 में सिंह अपनी रणनीति में कामयाब हुए और उन्होंने जलियांवाला बाग में मारे गए लोगों की मौत का बदला ले लिया I
उधम सिंह के इस कदम की तारीफ कई विदेशी अखबारों ने की थी और हमारे देश के अखबार ‘अमृता बाजार पत्रिका’ ने कहा था कि हमारे देश के आम लोग और क्रांतिकारी, उधम सिंह की कार्रवाई से गौरवान्वित हैं. हालांकि इस हत्या के लिए उधम सिंह को लंदन में साल 1940 में फांसी की सजा दी गई थी. वहीं कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखते हुए सिंह ने कहा था, कि डायर को उन्होंने इसलिए मारा, क्योंकि वो इसी के लायक थे. वो हमारे देश के लोगों की भावना को कुचलना चाहते थे, इसलिए मैंने उनको कुचल दिया है. मैं 21 वर्षों से उनको मारने की कोशिश कर रहा था और आज मैंने अपना काम कर दिया है. मुझे मृत्यु का डर नहीं है, मैं अपने देश के लिए मर रहा हूँ I
उधम सिंह के इस बलिदान का हमारे देश के हर नागिरक ने सम्मान किया और जवाहर लाल नेहरू जी ने साल 1952 में सिंह को एक शहीद का दर्जा दिया था I
जलियांवाला बाग पर बनी फिल्म /Film on Jallianwala Bagh
इस घटना के ऊपर साल 1977 में एक हिंदी फिल्म भी बनाई गई थी और इस फिल्म का नाम जलियांवाला बाग रखा गया था. इस फिल्म में विनोद खन्ना और शबाना आजमी ने मुख्य भूमिका निभाई थी. इसके अलावा भारत की आजादी पर आधारित लगभग हर फिल्म में (जैसे, लेजेंड ऑफ भगत सिंह, रंग दे बसंती) जलियांवाला बाग हत्याकांड को जरूर दृश्या जाता है I
इसके अलावा इस हत्यकांड के ऊपर कई सारी किताबों भी लिखी गई है. साल 1981 में आया उपन्यास मिडनाइट्स चिल्ड्रन में 13 अप्रैल की इस घटना का जिक्र किया गया था. ये उपन्यास सलमान रुश्दी ने लिखा था. साल 2012 में इस उपन्य़ास के ऊपर एक फिल्म भी बनाई गई थी जिसमें की इस हत्याकांड को भी दर्शाया गया था. इसके अलावा साल 2017 में आई फिल्लौरी फिल्म में भी इस घटना को दिखाया गया था और बताया गया था कि किसी तरह से इस हत्याकांड का असर कई लोगों की जिंदगी और मारे गए लोगों से जुड़े परिवारवालों पर पड़ा था I
जलियांवाला बाग का शहीदी कुआं /Shaheedi well of Jallianwala Bagh
जलियांवाला बाग गोलीकांड में ताबड़तोड़ की गयी गोलीबारी में इतनी भयंकर भगदड़ मची कि निहत्थे लोग अपनी जान बचाने के लिए बाग में ही स्थित एक कुएं में कूदते गए। काफी लोगों की तो इस कुए में कूदने से ही मृत्यु हुई।
दरअसल जलियांवाला बाग से बाहर जाने के लिए एक संकरा मार्ग था और चारों ओर मकान थे। जब लोगों को भागने का कोई रास्ता नहीं मिला तो बाग में स्थित इस कुएं में कूदते गए और कुछ ही देर में यह कुआं लाशों से भर गया।
जलियांवाला बाग हत्याकांड में कितने लोग मारे गए थे/How many people were killed in the Jallianwala Bagh massacre
जलियांवाला बाग हत्याकांड में कितने लोग मारे गए थे इसके बारे में हम आप लोगों को विस्तार से बताने वाले हैं क्योंकि अगर किसी से पूछ लिया जाए कि जलियांवाला बाग हत्याकांड में कितने लोग मारे गए थे तो बहुत से लोग नहीं बता पाएंगे इसलिए हम नीचे बताने वाले हैं कि जलियांवाला बाग हत्याकांड में कितने लोग मारे गए थे इसे पढ़कर सभी लोग जान सकते हैं कि जलियांवाला बाग हत्याकांड में कितने लोग मारे गए थे I तो आइए हम सभी लोगों को नीचे विस्तार से बताते हैं कि जलियांवाला बाग हत्याकांड में कितने लोग मारे गए थे I
इस नरसंहार में 370 से अधिक लोगों की मौत हुई थी, जिनमें छोटे बच्चे और महिलाएं भी शामिल थी. इस नरसंहार में सात हफ्ते के एक बच्चे की भी हत्या कर दी गई थी. इसके अलावा इस बाग में मौजूद कुएं से 100 से अधिक शव निकाले गए थे. ये शव ज्यादातर बच्चों और महिलाओं के ही थे. कहा जाता है कि लोग गोलियों से बचने के लिए कुएं में कूद गए थे, लेकिन फिर भी वो अपनी जान नहीं बचा पाए. वहीं कांग्रेस पार्टी के मुताबिक इस हादसे में करीब 1000 लोगों की हत्या हुई थी और 1500 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. लेकिन ब्रिटिश सरकार ने केवल 370 के करीब लोगों की मौत होने की पुष्टि की थी. ताकि उनके देश की छवि विश्व भर में खराब ना हो सके I
जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय गवर्नर जनरल कौन था
हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय भारत का गवर्नर जनरल कौन था क्योंकि ज्यादा से ज्यादा लोग नहीं जानते होंगे कि जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय भारत का गवर्नर जनरल कौन था I हम आप लोगों को नीचे विस्तार से बताएंगे कि जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय भारत का गवर्नर कौन था तथा उसको यह पद कब दिया गया था I और यह भी बताएंगे कि वह जब तक अपने पद पर रहा तब तक भारत में कौन सी महत्वपूर्ण घटना हुई थी इन सभी चीजों को विस्तार से नीचे बताने वाले हैं I
जलियांवाला हत्याकांड के समय भारत का गवर्नर जनरल लॉर्ड चेम्सफोर्ड था। लॉर्ड चेम्सफोर्ड को मार्च 1916 में लॉर्ड हार्डिंग के उत्तराधिकारी के रूप में भारत का वायसराय नियुक्त किया गया। उसके शासनकाल में लखनऊ संधि (1916), चंपारण सत्याग्रह (1917), माॅन्टेग्यू की अगस्त घोषणा (1917), भारत सरकार अधिनियम (1919), रौलट एक्ट (1919), जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) और असहयोग और खिलाफत आंदोलन की शुरुआत जैसी महत्वपूर्ण घटनाऐं हुई। रौलट एक्ट के विरोध में हुई गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 13 अप्रैल, 1919 ई. को बैसाखी के दिन एक जनसभा अमृतसर में ‘जलियांवाला बाग’ में आयोजित की गई थी। अमृतसर के सैनिक शासन के प्रतिनिधि कमांडर जनरल डायर ने इस सभा को घेर कर निहत्थी भीड़ पर बिना पूर्व सूचना के अंधाधुन्ध गोलियां चलवा दीं। जिसमें लगभग 379 व्यक्ति मारे गए और 2000 घायल हुए थे। जबकि कांग्रेस के अनुसार यह संख्या 800 से 1000 के मध्य थी I
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के समय भारत का गवर्नर कौन था ?
लार्ड चेम्स्फोर्ड I
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड के जाँच के लिए कौन सी कमेटी बनाई गई थी ?
हंटर कमीशन I
जालियांवाला बाग़ हत्याकांड कब हुआ ?
13 अप्रैल, सन 1919 को I
जालियांवाला बाग़ कहां स्थित है ?
अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के पास स्थित है I
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड का जिम्मेदार कौन था ?
गेडियर जनरल आर.ई.एच डायर I
जालियांवाला बाग़ हत्याकांड में कितने लोग मारे गए ?
करीब 1 हजार लोग मारे गए थे I
जलियांवाला बाग़ हत्याकांड क्यों हुआ था ?
क्योकि उस दिन कर्फ्यू लगा हुआ था और एक साथ इतने सारे लोग एक जगह इकट्ठे हुए थे I
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