Top 5 पंचतंत्र की कहानी हिंदी में, Panchatantra Stories In Hindi - Rskg » Rskg

top 5 पंचतंत्र की कहानी हिंदी में, panchatantra stories in Hindi – rskg

नमस्कार दोस्तों मैं आप लोगों को आज panchatantra stories in Hindi के बारे में बताना चाहता हूं जो अपने आप में एक मिसाल के रूप में है मैं आप लोगों से बताना चाहता हूं कि इसके रचनाकार पंडित श्री विष्णु शर्मा जी अत्यंत महत्वपूर्ण्ण्ण कवियों में से एक उन्होंनेे अपनी कविता मेंंं कई प्रकाार की योजनाओं को उपलब्ध कराया है उन्होंने अपने गद्य तथाा पद्य दोनों दोनों प्रकार के रचनाओंं में अभूतपूर्व योगदान दिया है इस प्रकार से हम कह सकते हैं कि विष्णु शर्मा जी एक बहुत ही बुद्धिमान हो विद्वान पंडित थे मैं आपसे बता दो कि विष्णु शर्मा जी एक प्रसिद्ध संस्कृत लेखक थे वह अपने संस्कृत कहानियों तथा हिंदी कहानियों के लिए पूरे भारत में प्रसिद्ध थे हमें अपने काल्पनिक कहानियों तथा हिंदी की जीव जंतु के बारेे में लिखी गई कहानियां विश्व प्रसिद्ध है मैं आपसे बताना चाहता हूं कि उन्होंने संस्कृत नीति केेे संबंध मेंं एक पुस्तक लिखी जिसका ना पंचतंत्र है मैं आपसे बता दूं कि जब पंचतंत्र की कहानी का पूरा हुआ तो उनकी उम्रर लगभग 80 वर्ष की हो गई थी उन्होंने दक्षिण में एक महिला रूप नगर में रहते हैं

पंचतंत्र के बारे में विशेष जानकारीपंचतंत्र की विशेषता
पंचतंत्र कहानी के लेखक कौन थेविष्णु शर्मा जी
पंचतंत्र कहानी की भाषा क्या हैसंस्कृत निष्ठ हिंदी
विष्णु शर्मा जी का मृत्यु स्थानमहिलारोप्य नगर
पंचतंत्र कहानी के रसहास्य रस
विष्णु शर्मा जी का उम्र80 वर्ष
पंचतंत्र के बारे में विशेष जानकारी

मैं आपसे बताना चाहता हूं कि एक बार की बात है जब महिला रोग पर नगर के राजाअमर शक्ति के तीन मूर्ख पुत्र थे जिन्हें शिक्षा देने के लिए उस राज्य के सभी शिक्षकों तथा सभी बड़े विद्वानों को बुलाया गया लेकिन उन्हें कोई शिक्षा नहीं दे पाया तो उनके मंत्री तथा अन्य सलाहकार ने विष्णु शर्मा जी के बारे में बताया और उनके नाम पर उनको बुलवाया गया और यह कहा गया कि अगर आप हमारेे तीनों पुत्रोंं को और राजनीतिि में निपुण बनाा देंगेे तो मैं आप लोगों का बहुत आभार व्यक्तत करूंगा तथा मैं आपसे यह वादाा करता इस गांांांांव के सभी सोना चांदीीीी की वस्तुएं भेंट करूंगा इस प्रकाार की बात को सुनकर विष्णु प्रभाकर जी कहते हैं हमें सोनेे चांदी की जरूरत नहीं है अगर आप चाहते हैं कि मैं आपके तीनों पुत्रों को राजनीति की शिक्षा दो एवं उन्हेंं सभी प्रकार की नीतियोंों मे परिपूर्ण कर दूंं तो आप हमें कुछ देना या ना देनााा लेकिन मैं आप लोगों के सामने महिला आरोपी नगर में यह शपथ लेता हूंं कि मैं आज के दिन यह शपथ लेताा हूं कि मैं इन तीनों राजकुमारों को 6 महीने केेे भीतर ही राजनीति के सभी विद्याओंं मे एवंं शस्त्र शास्त्र के विद्याओं में परिपूूूर्ण कर दूंगाााा इस प्रकार से उन्होंने अपने शपथ को पूर्ण करते हुए यह सोचाा कि अगर मैं इन तीनों राजकुमारों को सभी राजकुमारोंं की तरह विद्या दूंगा तोोो यह कुछ

panchatantra stories in Hindi
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नहीं सीख पाएंगेइस प्रकार से उन्होंने यह सोचा कि मैं अगर इन तीनों राजकुमारों को जंतु कथाओं के माध्यम से विद्या दूंगा तो यह उसे सीखने में अत्यंत रोमांज महसूस करेंगे एवं खुशी-खुशी से सीखना चाहेंगे एवं अपने बुद्धि का प्रयोग करेंगे इसी प्रकार से पंडित विष्णु शर्मा जी ने उन राजकुमारों को ऐसी विद्या जंतुओं के कहानी के माध्यम से देने लगे और 6 महीने के भीतर ही में राजकुमार सभी विद्या में निपुण तथा राजनीति में सफल बन गए इस प्रकार से इन्हें जंतु कथाओं के माध्यम से ज्ञान देने का सबसे महत्वपूर्ण विद्वान माना जाता है क्योंकि उन्होंने अपने कल्पनाओं के माध्यम से जंतुओं एवं जीवो के ऊपर कहानियां लिखकर दुनिया को एक प्रेरणा के रूप में प्रदान किया इस प्रकार से मैं आप लोगों से कहना चाहता हूं कि विष्णु शर्मा जी से अन्य विद्वान कोई नहीं था उस समय इन्होंने संस्कृत तथा हिंदी दोनों भाषाओं में अपने काव्य तथा गद्य तथा कहानियों का विसर्जन किया है इस प्रकार मैं आप लोगों से कहना चाहता हूं कि विष्णु शर्मा जैसा विद्वान कोई नहीं है

ब्राह्मण का सपना( dream of Brahmin,) panchatantra stories in Hindi

एक गांव में एक बहुत ही दरिद्र पंडित रहता था ना उसके पास खाने का खाना ना उसको पहनने का कपड़ा एवं वह बहुत ही गरीब था वह फटे चिथड़े कपड़े पहनता था औरअपना जीवन भिक्षा मांग कर खाता था एक बार की बात है एक गांव में भिक्षा मांगने गया और उसे गांव के मुखिया ने बिछा के रूप में 1 किलो सत्तू दी और वह उस शब्दों में से थोड़ा सा खा कर और पूरा रख लिया और वह जब रात में सोने गया तो उसके मन में एक सपना आया कि अगर सत्तू महंगा हो जाएगा तो उसको मैं ₹100 किलो भेजूंगा और मैं इसके बदले में कुछ गाय लूंगा

उसे बेचकर मैं कुछ पैसे लूंगा उसके बाद में से बेचकर कुछ रुपए का सोना खरीद लूंगा और फिर मैं इस गांव का राजा बन जाऊंगा इस प्रकार का सोचते-सोचते उस ब्राह्मण का रात में ही सोचता रहा एवं जाटों में सपना देखता रहा इस प्रकार सपना देखते देखते उसने अपने सतवा को सोने के ऊपर वाले एक लकड़ी में लटका दिया था अचानक सपना देखते देखते उसने अपना पैर ऊपर उठाया और पर जाकर सर्वे में लगा और पुरातत्व गिरकर जमीन में गिर गया और फिर उसका सपना पूरा चूर चूर हो गया इस प्रकार कहा जाता है

कि बिना सोचे समझे कोई काम नहीं किया जाता सपने में राजा बनना कोई बड़ी बात नहीं लेकिन जल्दी में राजा बनना बड़ा कोई बात होता है इसीलिए कहा जाता है कि सपने में राजा बनना तो सब सोच सकते हैं लेकिन रियल में राजा बनना बहुत ही कठिन है इस प्रकार से उसने अपने मूर्खता का संपूर्ण उदाहरण दिया और यह कहा गया कि सपने वाला ब्राह्मण सपना देखने से कोई बड़ा आदमी नहीं बन जाता उसके लिए कार्य करना पड़ता है इसीलिए उसकी इस सोच पर लोगों ने खूब हंसा और इस कहानी से हमें यह सीख मिली कि सपना देखने से कुछ नहीं होता है कुछ करने के लिए कुछ होना चाहिए और कुछ करने के लिए कुछ करना पड़ता है इस प्रकार से हमें क्या सीख मिलती है कि हमें सपने में राजा नहीं बनना चाहिए रियल लाइफ में राजा बनना चाहिए

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दोसर वाला जुलाहा (do sar wala jhula)

गांव में एक जुलाहा रहता था वहअपने लकड़ी के मशीन से रोज डेली एक कपड़ा सिलता था एवं उसका जीवन चलता था उसके बीवी बच्चों का पूरा देख रहे उसी कपड़ा सिलने वाली मशीन से चल रहा था लेकिन दुर्भाग्य की बात एक बार एक दिन बाढ़ आ गया और पूरे गांव में पानी ही पानी हो गया और इस प्रकार से उस जुलाहे का मशीन खराब हो गया क्योंकि उसका मशीन लकड़ी का था इसीलिए उसका मशीन खराब हो गया और उसने यह सोचा कि अब वह क्या करेगा उसके बीवी बच्चे भूखे मर जाएंगे और वह अपने परिवार को क्या खिलाएगा इस प्रकार से उसकी सब कुछ उसकी मशीन ही थी इसीलिए उसने सोचा कि मैं मशीन बनाने के लिए जंगल से लकड़ी ले आओ तो शायद हमारा जीवन फिर से चालू हो जाएगा और वह इस सोच में जंगल को चल दिया हुआ चलते चलते जंगल में गया और बहुत देर तक ढूंढा बहुत देर तक अधूरा शाम होने वाला था लेकिन कोई ऐसा पेड़ नहीं दिखाई दिया

जिससे उसका मशीन तैयार हो जाए फिर वह ढूंढते ढूंढते एक पेड़ के पास गया और देखा कि उसमें उसका मशीन बन जाएगा तो उसने उस मशीन को बनाने के लिए उस पेड़ को काटने के लिए तैयार हो गया और उसने उसके टहनियों को मारने तथा काटने के लिए तैयार हुआ और उसने उस पेड़ के कहानियों को करना शुरू कर दिया तभी वहां पर एक वृक्ष देवता प्रकट हुए और उससे बोले आप हमारे बीच को नहीं काटी है क्योंकि हम इसमें रहते हैं आप हमारा घर मत बिगाड़ी ए तो जुलाहा बोला अगर मैं आपके वृक्ष नहीं करती तो मेरे बीवी बच्चे भूखे मर जाएंगे मेरे मशीन बनाने के लिए कोई लकड़ी जंगल में नहीं मिली केवल यही लकड़ी मिली है इसीलिए मैं आपसे कहना चाहता हूं कि आप हमें इसे काट लेने दीजिए जिससे हमारे परिवार को खाने पीने की सुविधा ना रहे इस प्रकार से स्नेह पेड़ को काटने की आगरा की तब पेड़ के देवता ने उससे कहा तुम हमारे पेड़ को मत काटिए इसके बदले में मैं तुम्हें वरदान देना चाहता हूं कि जो तुम मुझसे मांगोगे मैं तुम्हें वह दे दूंगा और इस प्रकार से आपका जीवन यापन भी हो जाएगा और

हमारा पेड़ का नुकसान भी नहीं होगा इस बात को सोचकर उसने कहा कि मैं अकेले नहीं हूं इसीलिए मैं आप से 1 दिन का टाइम लेता हूं मैं अपनी पत्नी से पूछ कर बताऊंगा कि मैं आपसे क्या मांगना चाहता हूं इस प्रकार से वह उस पेड़ को काटने से छोड़कर गांव की ओर चल देता है और रास्ते में उसे एक गडरिया मिलता है उस गली से वह पूछता है कि हमें 1 देवता से वरदान मांगने को कहा गया है तो उस गडरिया ने कहा कि तुम उससे एक राज्य का राजा मांग लो तो उसने कहा यह तो बहुत ही अच्छी बात है और गैलरी ने कहा तुम उस राज्य के राजा हो जाना और हमें उस राज्य का मंत्री बना लेना इस प्रकार से हम दोनों को बहुत अच्छा सुविधा मिल जाएगा लेकिन उस जुलाहे ने कहा कि मैं अपनी पत्नी से बिना पूछे इन बातों पर निर्णय नहीं ले सकता इसीलिए उसने अपनी पत्नी से पूछने गया तो उस पत्नी को गढ़दीवाला राय बताया तो उसने कहा कि इन राजपाट में बहुत परेशानी रहती है प्रजा का देखभाल करना पड़ता है इस राजाओं का काम है

या इससे उन्हें ही करने दो इस प्रकार कहकर उसने इस बात को टाल दी तो फिर जुलाहे ने कहा तो फिर मैं क्या मांगू तो उसकी पत्नी ने कहा कि आप बताइए अगर आपके पास एक शर्ट तथा दो हाथ है तो आप हमें इतना सुख देते हैंऔर हमें खाने पीने की सुविधा उपलब्ध कराते हैं अगर आपके पास दो सर तथा चार हाथ हो जाए तो आप उससे दुगना काम करेंगे और हमें और भी ज्यादा सुख सुविधा प्राप्त होगी इस प्रकार से उसने अपनी पत्नी की बात को मान लिया और ब्रिज देवता से जाकर ऐसे ही वरदान मांगा तो वृक्ष देवता ने भी उसे ऐसा ही वरदान दे दिया तो वह जब गांव की ओर चल पड़ा

तो उसे जानवर देखकर भागने लगते उससे आदमी देखकर भागने लगते बच्चे उससे डर कर भागने लगते इस प्रकार सेवा गांव जाते जाते वह गांव पहुंचा तो बहुत सारे लोगों ने उन्हें देखकर आश्चर्यचकित हो जाएगी 2 शब्द तथा चार हाथ वाला मनुष्य आ रहा है तथा कुछ लोगों ने उसे राशन की पदवी दे दी तथा उसे राक्षस कहकर लाठी लेकर पूरे गांव वालों ने उसे मार डाला और उसकी मृत्यु शरीर को देखकर उसे पत्नी ने कहा कि हमारे वजह से ही आपकी यह दुर्दशा हुई है इसीलिए कहा गया है कि बिना सोचे समझे किसी स्त्री या किसी का बात नहीं मानना चाहिए क्योंकि वह आपके जान के लिए घातक हो सकता है इसीलिए आप अपने विचारों को ही रखिए किसी दूसरे के विचारों के ऊपर ना चलिए अपने खुद के विचार पर अटल रहिए धन्यवाद

बोलने वाली गुफा(speaking cave)

जंगल में एक शेर रहता था वह अपने शिकार के लिए एक दूसरे और चलता रहता था वह रोज एक ना एक शिकार करता रहता था इसी की खोज मेवा एक दिन एक ऐसी जगह पर गया जहां उसने देखा कि एक गुफा बनी हुई है मैं आप लोगों की बताना चाहता हूं कि उस गुफा में एक खरगोश रहता था वह पूरे दिन शिकार करता था तथा रात में आकर उसी में रहता था इस प्रकार से वह रोज रात में उसी गुफा में निवास करता था तो शेर ने उस गुफा को देखकर यह सोचा कि इसमें कोई न कोई जानवर रहता होगा इसीलिए मैं क्यों ना इसी गुफा में जाकर छिप जाता हूं और उसके आने पर ही उसको मार कर खा जाऊंगा ऐसी सोच के साथ वह गुफा के अंदर जाकर बैठ गया जब खरगोश रात को अपने गुफा में सोने के लिए आया तो देखा कि शेर के पंजे का निशान बना हुआ था उसने बहुत ध्यान से देखा और परखा और सोचा कि या शेर केवल गुफा के अंदर गया ही था

या उससे बाहर निकला भी ऐसी सोच के साथ उसने देखा तो शेर का जो पंजे का निशान था वह केवल जाते समय का ही बना था निकलते समय का नहीं बना था तो खरगोश इतना चतुर था कि वह तुरंत समझ गया और उसने यह दिमाग लगाया कि हमें किस प्रकार यह पता करना होगा कि इसमें वास्तव में शेर है इसीलिए उसने यह सोचा कि किस प्रकार से हमें शेर के होने या ना होने का पता लगाया जाए तो उसने एक दिमाग सोचा कि उसने गुफा से या निवेदन करते हुए कहा क्यों गुफा जी आज तुम हमसे नाराज हो क्या बोल नहीं रहे हो कि जब मैं रोज आता था तो आप हम से निवेदन करते थे कि हां आ जाइए आप लेकिन आज नहीं बोलते हो यह सुनकर शेर के मन में एक विचार आया शायद या गुफा उसे रोज बुलाती होगी इसीलिए वह अंदर नहीं आ रहा है

तो उस शेर ने ही ऐसी मीठी आवाज में खरगोश को बुलाया कहा कि आओ मित्र आओ कोई दिक्कत नहीं है और ऐसी आवाज सुनकर खरगोश तुरंत समझ गया कि कुछ तो गड़बड़ है इस में शेर है और वह दूर भाग गया इस प्रकार से कहा जाता है कि अगर आपके पास बुद्धि तथा दिमाग है तो आप किसी भी समस्या से अपना समाधान पा सकते हैं और इस प्रकार से उसने अपने दिमाग को अजमेर का संपूर्ण प्रयोग किया और अपने आप को उस दुखद अवस्था से बाहर निकाला इस प्रकार से कहा जाता है कि इन सारी समस्याओं से समाधान पाने के लिए उसने एक ऐसा सोचा कि जिससे उसको पूरा समाधान मिल गया और इस प्रकार कहा जाता है कि बुद्धिमान व्यक्ति की हमेशा जीत होती है

ब्राह्मण और तीन ठग/Brahmin and three thugs

आप लोगों से बताना चाहता हूं कि जैसा कि आप लोग जानते हैं कि पहले ब्राह्मणों की जजमानी तीन चार गांव तथा 10 गांव में हुआ करती थी इसी प्रकार एक ब्राह्मण जीते उनका जजमानी 10 गांव में था और मैं अपने एक गांव से जजमानी कर कर दूसरे गांव में जा रहे थे और उसके यहां कुछ बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण फंक्शन था तो उसने ब्राह्मण जी को एक बकरी का बच्चा दिया और उस बकरी के बच्चे को उठाकर ब्राह्मण जी ले जा रहे थे तभी उस बकरी पर तीन ठगों की नजर पड़ी उसने सोचा कि तीनों ठगों ने यह सोचा कि हम किसी न किसी प्रकार से ब्राह्मण के इस बच्चे को ले लेंगे और हम इसे बेचेंगे और तीनों लोग बांट लेंगे इस प्रकार की सोच के साथ उन तीनों ने एक विचार बनाया कि हम तीनों लोग तीन जगह होकर ब्राह्मण जी से या कहीं कि यह बकरी नहीं है

ऐसी भावना के साथ विमल गुस्सा होकर उसे फेंक देगा और हम लोग उसे उठाकर भेज देंगे इस प्रकार इस सोच के साथ में तीनों अलग अलग हो गए और जंगल में जब ब्राह्मण पहुंचा तो पहला थक बोला जय राम जी पंडित जी पंडित बोले जय राम जजमान ऐसा कहकर पंडित जी जय कुत्ते का बच्चा आप कहां ले जा रहे हैं तो रहमान ने कहा यह कुत्ते का बच्चा नहीं है

यह बकरी का बच्चा है तो फिर चल दिए तो दो-तीन किलोमीटर बाद एक दूसरा ठग मिला उसने कहा कि जयराम पंडित जी पंडित बोले जयराम जजमान ऐसा कहने पर तीसरे ठग ने कहा पंडित जी यह कुत्ते का बच्चा आप कहां ले जा रहे हैं लाडके बड़ा प्यारा बच्चा है ऐसा कहने पर पंडित जी को बड़ा क्रोध आया और अपने क्रोध को संभालना सके और उसको अनाप-शनाप करने लगे लेकिन अपने बकरे के बच्चे को फेंका नहीं था जो 3 किलोमीटर चलने के बाद उन्हें तीसरा ठग मिला और उसने भी इसी प्रकार की वाणी से पंडित जी का क्रोध और बढ़ा दिया और इस प्रकार से पंडित जी सोचे तीन आदमी मिले जो भी मिलता हमसे यही कहता है या कुत्ते का बच्चा है हो सकता है या कुत्ते का बच्चा हो जजमान ने हमें मूर्ख बनाया हो ऐसा कहने पर उसने तुरंत बकरी के बच्चे को फेंक दिया और चल दिया उसको तुरंत तीनों ठाकुर ने उठाया और बेच दिया ₹600 में दो ₹200 पा गए इस प्रकार से क्या कहा जाता है कि आप अपने विचार का प्रयोग कीजिए किसी दूसरे के विचारों पर भरोसा ना कीजिए कोई दूसरा अगर किसी चीज को नहीं मानता है तो आप अपने दिमाग का इस्तेमाल कीजिए और दूसरे की बातों में ना आए इसी प्रकार से इस कहानी का सारांश निकलता है कि आप दूसरों की बुद्धि की मदद ना लें

शेर और गीदड़ की कहानी (lion and jackal story)

एक जंगल में एक शेर और एक शेर नहीं रहते थे वह आपस में एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे इसीलिए एक दूसरे के साथ जंगल में रहते थे शेरनी के दो बच्चे भी थे मैं दोनों का बहुत प्यार करते थे और शेर शेरनी के लिए शिकार करके लाता था और शेर के बच्चे तथा शेरनी खाते थे ऐसा होने पर वह एक दिन शेर शिकार के लिए जंगल में गया था बहुत देर तक ढूंढने पर उसे कुछ नहीं मिला जब शाम को वह लौट रहा था तो उसेएक गीदड़ का बच्चा दिखाई दिया तो वह से दया आ गया और उस गीदड़ के बच्चे को छोड़ दिया और वह उस बच्चे को शेरनी के पास ले आया तो शेरनी को भी उस पर दया आ गया और उसने भी उस बच्चे को नहीं खाया और वह दोनों बच्चों के साथ खेलने लगा धीरे-धीरे उसके बच्चे बड़े होते गए तो गीदड़ भी बड़ा होता गया और वह दोनों के साथ साथ खेलते खेलते एक बार की बात है कि मैं शेर के दोनों बच्चे तथा गिरल का बच्चा खेलने गए थे तो देखा हाथियों का झुंड जा रहा था तो शेर के बच्चों ने कहा चलो भैया शिकार करते हैं तो गीदड़ ने कहा नहीं वह हमसे ज्यादा ताकतवर है

हम उनका शिकार नहीं करने जाएंगे और गीदड़ नैना तो शेर के बच्चे को शिकार करने दिया और ना तो खुद ही किया इसी लिए दोनों भूखा ही रह गए इसलिए वह रास्ते भर दोनों छोटे भाई शेर के बच्चे उस गीदड़ का मजाक उड़ाते रहे ऐसा देखकर बहुत गुस्सा आ रहा था और वह शेरनी के पास पहुंचते ही आया और बताया कि शेरनी आज यह दोनों भाई हमारा बहुत मजाक उड़ा रहे थे हमें बहुत लज्जित कर रहे थे ऐसा सुनकर दोनों भाइयों को समझाया और के बच्चे को भी समझाया लेकिन गीदड़ का बच्चा नहीं मान रहा था उसको बार-बार गुस्सा आ रहा था तो शेरनी को भी गुस्सा आ गया और उसे अकेले में लेकर गई और कहा कि तुम गीदड़ के बच्चे हो तुम्हें केवल शेर से डरना ही आता है तुम हमारे कुल कि नहीं हो इसीलिए तुम्हारे सारे लोग डरते हैं ऐसा कहा कि तुम सच्चाई सबको पता चल जाए इससे पहले तुम अपने लोगों के साथ चले जाओ यहां से भाग जाओ ऐसा कहने पर वह तुरंत की दरों के झुंड में भाग गया और वहीं रहने लगा से यह पता चलता है कि गीदड़ के कुल में जन्म लेने वाला कभी शेर जैसा शिकार नहीं कर सकता इसे अब तक चलता है कि जो इसका कुल है वह वही कर सकता है धन्यवाद

ब्राह्मण चोर और दानव(Brahmin thief and demon)

एक गांव में एक बहुत ही दरिद्र ब्राह्मण रहता था वह अपना जीवन यापन के लिए गांव में भिक्षा मांगता था इस प्रकार वह अपना जीवन यापन करता था एक बार की बात है वह एक राजा के दरबार में गया और वहां पर कविता सुनाया और उसे एक सोने का सिक्का मिला उसने उसने किसीको कर बेचकर एक बैल खरीदा और वह किसानी के क्षेत्र में उतर पड़ा और उसने अपने बेल के ऊपर बहुत समय देता था और उसे खाना बहुत अच्छा खिलाता था इसीलिए उसका बैल बहुत बलवान हो गया और उसके बलवान बैल को देखकर बहुत लोग को हिस्सा होती थी तथा

उस गांव के कुछ चोरों को भी उनकी बहुत इच्छा होने लगी थी तो उस पंडित के बैल को देखकर कुछ चोरों ने यह फैसला किया कि क्यों ना हमहम लोग इसके बैल को चुराकर के बेच दे तो हमें काफी फायदा मिल जाएगा और हमें बहुत पैसा मिल जाएगा इस प्रकार की सोच के साथ उन चोरों ने उनके बैल को चुराने का निश्चय किया और रात को निकल पड़े तो रास्ते में उन्हें एक भयंकर दानों दिखा तो दानों ने पूछा तुम लोग कहां जा रहे हो तो उस चोरों ने बताया कि डालो मैं आपसे या छुपा नहीं सकता कि मैं तथा हम लोग बैलों पंडित के बैल को चुराने जा रहे हैं

इसीलिए हम लोग इतनी रात को जा रहे हैं ऐसा कहने पर दानों ने कहा कि तुम लोग पंडित के बैल को चुराना और मैं पंडित को खा लूंगा इस प्रकार हम दोनों लोगों का काम हो जाएगा तो दानों की बात सुनकर चोरों को यह योजना समझ गया और वह चोर तथा दानों साथ साथ चल दिए दोनों जब पंडित के घर पहुंचे तो दानों पहले कहने लगा कि मैं पंडित को खा लेता हूं तब तुम लोग बैल की चोरी करना तो ऐसा करने पर जोर बोले नहीं पंडित जब जाएगा तो हम लोग बैल की चोरी नहीं कर पाएंगे और चोर कहते मैं पहले चोरी कर लेता हूं बाद में आप पंडित को खा लेना ऐसा कहने पर दोनों में झगड़ा होने लगा और तब पंडित जाग गया और उसने पूछा तुम लोग क्यों लड़ाई कर रहे हो तो चोरों ने कहा पंडित जी हम आप लोगों की रक्षा करने के लिए आए हैं

या दानों आपको खाना चाहता है इसी का जवाब देते हुए दानों ने कहा नहीं पंडित जी हम आपको खाने नहीं हम आपके बैल की रक्षा करने आए हैं यह चोर हैं यह अपने तथा आपके बैल को यह चुराने आए हैं ऐसा कहने पर पंडित ने लाठी उठाई और दोनों को खेत दिया इस प्रकार कहा जाता है कि अगर आप अपने विचार नहीं है तो आप सॉरी भी नहीं कर सकते इसीलिए इन चीजों पर विचार किया गया है कि बिना विचारे जो काम करेगा वह बाद में बहुत पछताएगा ऐसे लोगों का साथ भी नहीं करना चाहिए जिससे आप लोग को हानि हो जाए

सांप नेवला और ब्राह्मण की पत्नी(Snake weasel and Brahmin’s wife)

एक पंडित जी एक गांव से अपने निर्माण के यहां से आ रहे थे तो अचानक उन्हें एक नेवले का बच्चा दिखा जो अपनी मां की मृत्यु शरीर के ऊपर चिपका हुआ रो रहा था उसकी ऐसी दुखद पीड़ा देखकर पंडित जी को बड़ी दया आई और उसने से उठाकर उसे घर ले आए और उसको अपने यहां रखने लगे और इस प्रकार से उसने पंडित जी के साथ साथ रहना पसंद किया और उस नेवले को उनके पूरे परिवार के साथ बहुत लगाव हो गया था और मैं आपसे बता दूं कि नेवला इतना अच्छा था कि वह पंडित जी के यहां बहुत प्यार से रहता था एक बार की बात है

कि वाह पंडित जी जजमानी के लिए चले गए और उनकी औरत अपने बच्चे को पालने में छोड़कर पानी लेने कुए पर गई तो वह बहुत दूर था तो उन्हें आने में बहुत देरी हो गई तो अचानक एक नाव उस चारपाई के अंदर पंडित जी के घर में घुस गया तो मेला वहां पर अकेले था और उसने देखा कि 7 बच्चे की ओर आ रहा है तो वह तुरंत साफ से लड़ गया और सांप को काट काट कर अलग अलग कर दिया और इस प्रकार से उसने सांप को मार डाला और बच्चे को सुरक्षित रखा और वह खुशी के मारे इतना खुश था कि अभी हमारी मालकिन आएंगी तो हमें बहुत अच्छा उपहार देंगी उनकी उसे सांप को मारकर वह भागा भागा मालकिन के पास हुए की ओर जा रहा था तभी मालकिन ने देखा कि नेवले के पंजे तथा मुंह में खून ही खून है तो पढ़ता

इनके मन में एक दुर्व्यवहार आया कि शायद इस नेवले ने हमारे बच्चे को मार डाला है इसीलिए उस पड़ता इनमें उस नेवले के ऊपर पानी से भरा हुआ मटका पटक दिया और नेवला मर गया औरदौड़ दौड़ कर घर में आई तो देखा कि उनका बच्चा सुरक्षित था और एक सांप मृत्यु पड़ा हुआ था ऐसा देखकर पंडित जी की औरत को बहुत दुख हुआ और उन्हें बहुत पश्चाताप हुआ इसी प्रकार से जब पंडित जी आए तो उन्हें बहुत बड़ा दुख हुआ और उन्होंने अपनी जान को बहुत डांटा इस प्रकार से कहा जाता है कि

बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए अब पछताए का हुई जब सबकुछ गया बिलाय

इस प्रकार से कहा गया है कि आप बिना किसी बात को सोचे समझे या देखे हुए किसी अन्य विचार पर बिना समझे हुए इसी काम को करना उचित नहीं होता है इसीलिए आप बिना सोचे विचारे किसी काम को ना करें इससे नुकसान ही होता है फायदा नहीं इसीलिए आप क्रोध में कोई काम तो बिल्कुल ना कीजिए क्योंकि क्रोध में किया गया काम पूरा उल्टा होता है इसीलिए कहा जाता है किसी काम को करने के लिए आपके पास क्रोध नहीं होना चाहिए और आपके पास अगर क्रोध होगा तो आप अपना ही विनाश कर बैठेंगे इसीलिए रोड के बारे में कहा गया है

साधु और चूहा(monk and mouse)

एक जंगल में एक साधु महात्मा जी रहते थे वह रोज बहुत ही पूजा पाठ करते एवं एक नियमित रूप से भगवान की भजन करते वह कुटिया बनाकर भगवान का भजन किया करते थे वहां पर 10 से 5 गांव के लोग रोज आते औरवहां राशन पानी का पूरा भंडारण करके चले जाते वहां खाने पीने का कोई दिक्कत नहीं होता था इस प्रकार से पंडित जी तथा साधु जी एक दिन अपने खाने को थोड़ा खाए और थोड़ा रात को रख दिया कि सुबह खा लेंगे और मैं अपने शिकार जैसा कि गांव में होता है एक बारी में लकड़ी बांधकर उसे लटकाया जाता है उसमें खाना-वाना रख दिया जाता है जिससे वहां पर जानवर नहीं पहुंचते हैं इसी प्रकार से साधु जी ने भी एक शिकार बनाया और उसमें अपना बासी भोजन रख दिया तो सुबह उठे और देखा कि उसमें खाना नहीं था

ऐसा ही 10 15 दिन 20 दिन तक होता रहा तो साधु जी बहुत परेशान हो गए और अपनी परेशानी को बहुत ही दिमाग लगाकर सोचने समझने लगे तो उन्होंने एक दिन देखा एक चूहा उसके रोटी को लेकर जा रहा था जंगल की ओर उसी प्रकार बाहर हो जाता है और उनके खाने को लेकर चला जाता वह सोचते कि यह इतनी दूर कैसे उछल जाता है और हमारे खाने को पा जाता है ऐसा सोचते हुए उन्होंने एक दिन दिमाग लगाया और एक दिन एक लकड़हारा उस जंगल में आया तो देखा कि महाराज जी बहुत परेशान थे तो उसने पूछा महात्मा जी आपको क्या दिक्कत हो गई है तो उन्होंने बताया कि एक चूहा आता है और हमारे खाने को रोज लेकर चला जाता है ऐसा कहने पर उस लकड़हारे ने महात्मा जी के साथ कहा कि चलो हम लोग देखते हैं कि आप अपने खाने को कहां ले जाता है

और इस प्रकार से उसने खाने को देखा तो वह एक दिल में छुपा रहा था तो लगा हारे तथा साधु जी दोनों ने मिलकर उसके खाने को पूरा निकाल लिया और जब चूहा उस दिल में आया तो देखा उसका संपूर्ण था ना वहां से नष्ट हो गया है तो उसने देखा कि ऐसा हुआ है तो उसका आत्मबल टूट गया इसीलिए वह बहुत घबरा गया और बहुत रोने चिल्लाने लगा तब फिर उसने सोचा कि मैं फिर क्यों ना खाना इकट्ठा करता हूं

तो जब उसके अंदर आत्मविश्वास नहीं था आत्मबल नहीं था तो वह गया तो जब छलांग लगाया तो खाने तक नहीं पहुंचा इस प्रकार से इस कहानी से यहां से मिलता है कि अगर आपके पास आत्मबल तथा आत्मविश्वास नहीं है तो आप किसी कार्य को कर नहीं सकते इसीलिए आप अपने आप विश्वास को टूटने मत दीजिए अपने आत्मबल को टूटने ना दीजिए तो आप बहुत लंबी छलांग लगा सकते हैं इस प्रकार से पंचतंत्र के माध्यम से हमारे पंडित विष्णु शर्मा जी ने एक ऐसी बात कही जो कि आज के दिनों में बहुत ही अच्छी लगती है और बहुत ही लाभदायक है आप लोगों के भविष्य के लिए क्योंकि अगर आपके अंदर इतना आत्मविश्वास रहेगा आप इतनी लंबी छलांग लगा सकेंगे और इस प्रकार से उन्होंने इस कार्य को साकार कर दिया

कुम्हार की पंचतंत्र की कथा( The story of the potter’s Panchatantra)

गांव में एक युधिष्ठिर नाम का कुमार रहता था वह रोज अपना बर्तन बनाता है और उसी से जीवन यापन करता था एक बार की बात है उसे एक मटका बनाते समय उसके माथे मेंएक छोटा सा पत्थर लग गया और उसके माथे में घाव हो गया बहुत ज्यादा दूर तक दवा दुरूद कराने के बाद भी उसके घाव ठीक नहीं हुआ और उसके गांव के गांव में उसका इलाज नहीं हो पाया उसका इलाज कराने के लिए दूर-दूर तक गया और तब जाकर उसका घाव ठीक हुआ लेकिन मैं आपसे बता दूं कि उसका गांव तो ठीक हो गया लेकिन उसके माथे से दाग नहीं गया और उसके माथे से दाग नहीं गया तो आप बहुत परेशान रहता था और इधर-उधर घूम रहा था तो एक राज दरबार में गया तो वहां के राजा ने उसके माथे पर ऐसा निशान देखा तो सुबह समझ गया कि या कोई बहुत ही महान सूर्यवीर है

किसी ना किसी युद्ध में इसे जरूर अस्त्र-शस्त्र लग गए होंगे और इसे चोट आ गई होगी इसीलिए उसने इसे सेना में भर्ती कर लिया और क्या कहने लगा कि तुम बहुत महान भी रहो तुम्हें चोट लग गई थी इसीलिए तुम्हारे माथे पर ऐसा निशान है लेकिन कुमार तो जानता था कि ऐसा कुछ नहीं हुआ है उसके साथ हुआ चोट खाया हुआ इसीलिए मैं परेशान तो राजा के ऊपर तत्वों ने हमला कर दिया तो उसने भी ऐलान कर दिया तो सारे सैनिक तैयार हो रहे थे हाथियों के पीठ पर उसके बैठने के स्थान सैनिकों के बैठने के लिए व्यवस्था हो रही थी घोड़े तैयार हो रहे थे पैदल सैनिक चल रहे थे

तथा अस्त्र-शस्त्र बन रहे थे इसी में वह राजा उस कुंभार युधिष्ठिर के पास पहुंचता है और पूछता है बताओ मित्र तुम्हें या घाव किस युद्ध में तथा किस युद्ध के द्वारा लग गया था तुम बताओ कि यह किस संग्राम में तुम्हें चोट लगा था इस संदर्भ में बात करते हुए तो कुमार ने बताया कि शायद हमें यह सच्चाई बता देना चाहिए जिससे राजा हमें क्षमा कर देगा लेकिन अगर बाद में बताएंगे तो यह मैसेज सामान नहीं करेगा लेकिन यह बताते हुए युधिष्ठिर आता लेकिन डरते डरते उसने बताया कि महाराज में कोई योद्धा नहीं हूं मैं कुमार हूं मुझे चोट लग गई थी और मेरे हाथ पर ऐसा हो गया था इसीलिए मैं आपके यहां पर आया था नौकरी करने के लिए तो राजा ने ऐसी बात सुनकर उसे तुरंत दखल कर दिया और उसे भगा दिया अपने राज्य से तो हमें इस कहानी से जा सीख मिलती है कि हमें किसी के ऊपर विश्वास नहीं करना चाहिए बिना उसके पराक्रम तथा बुद्धि का जांच की हुई धन्यवाद

चार विद्वान ब्राह्मणों की कथा(The story of four learned brahmins)

एक समय की बात है एक नगर में चारमित्र रहते थे जिनमें से तीन बहुत बड़े विद्वान तथा एक बहुत बुद्धिमान ब्राह्मण रहता था उन चारों में बहुत घनिष्ठ मित्रता थी उन चारों ने योजना बनाई कि हम लोग यहां से दूसरे देश में जाकर काफी पैसा कमा सकते हैं और हम लोगों का बहुत लाभ हो सकता है ऐसा सोचने पर उन चारों लोगों ने या निश्चय लिया कि हम लोग विदेश चलते हैं तो चारों ने पैदल ही चल दिया तो चलते चलते एक जंगल में पहुंचे तो उन्होंने देखा कि एक शेर की मृत्यु शरीर पड़ी हुई है तो उन मित्रों ने तीनों विद्वानों ने सोचा कि क्यों ना हम लोग इस शेर को जिंदा कर देते हैं

जिससे हमारे विद्या का परीक्षण भी हो जाएगा और इसका जीवन भी बच जाएगा इस प्रकार की सोच के साथ उन्होंने या निश्चय कर लिया तीनों लोगों ने कि हम लोग इस से जिंदा कर देंगे लेकिन उनके चौथे बुद्धिमान मित्र ने कहा कि नहीं मित्र आप लोग ऐसा मत कीजिए क्योंकि अगर शेर जिंदा हो गया तो हम लोगों को ही खा जाएगा लेकिन उसकी बातों को किसी ने ना सुना और अपने विद्या का परीक्षण करने लगे एक मित्र ने उसकी हड्डियों को इकट्ठा किया दूसरे ने उसके ऊपर खाल चढ़ाया और तीसरे ने उसके शरीर में जान डाला और इस प्रकार से शेर जिंदा ही होने वाला था तब उसके चौथे मित्र ने कहा मित्र मैं आप लोगों से यह कहना चाहता हूं कि आप लोग जिंदा करिए शेर को लेकिन मुझे वृक्ष पर जाने दीजिए उसके बाद जिंदा करिए जब चौथा मित्र ब्रिज पर चल गया तो उन तीनों ने उसे जिंदा किया जिंदा करते ही शेर बहुत भूखा प्यासा था उसने सबसे पहले उन्हीं पर आक्रमण किया इसीलिए कहा जाता है कि अपने विद्या का प्रयोग ऐसे चीजों में नहीं करना चाहिए जो आप लोगों के लिए ही घातक हो जाए इसीलिए कहा जाता है कि अपने विद्या का उपयोग उस जगह पर कीजिए जहां पर किसी का लाभ हो आपका नुकसान नहीं धन्यवाद

पढ़ा-लिखा गधा( educated donkey)

जैसा कि आप लोग जानते हैं कि पुराने समय में जादूगर लोग गांव गांव आकर तमाशा दिखाते थे उसी प्रकार एक जादूगर पहले के जमाने में जब राजाओं महाराजाओं का शासन चलता था एवं राजतंत्र की व्यवस्था थी उसी समय एक जादूगरगधे को लेकर एक राजा के शासन में पहुंचा और उसने कहा कि हमारा गधा भी बहुत पढ़ा लिखा है या किताबों को पड़ सकता है एवं सभी चीजों को समझ सकता है ऐसा कहने पर राजा को बहुत आश्चर्य हुआ कि आज के जमाने में पूरे मनुष्य हमारे पृथ्वी पर पढ़े-लिखे नहीं है लेकिन इसका गधा कैसे पढ़ा लिखा हो सकता है ऐसा कहने पर उसने चुनौती दे दिया कि अगर आपका गधा पढ़ा-लिखा रहेगा तो मैं आप लोगों को तथा आपको कुछ सोने का सिक्का दान में दे दूंगा ऐसा कहने पर उस जादूगर ने कहा ठीक है

महाराज मैं आपसे यह वचन देता हूं कि मेरा गधा पढ़ा लिखा है ऐसा मैसेज कर सकता हूं ऐसा कहने पर राजा ने उसे आदेश दिया या सिद्ध करने के लिए कि आपका पढ़ा पढ़ा लिखा है या नहीं तो उस जादूगर ने एक किताब खोली और गधे के सामने रख दिया तो गधा उसके पन्ने को उलट-पुलट कर देख रहा था तो ऐसा करने पर उसे सब लोग समझ रहे थे कि वह उसे पढ़ रहा है लेकिन ऐसा कुछ नहीं था जब उसे इनाम मिल गया तो राजा ने पूछा इसे आपने कैसे सिखाया तो उस जादूगर ने कहा कि महाराज इसमें या कोई पढ़ा लिखा नहीं है क्योंकि या तो जानवर है लेकिन मैंने इसे एक ट्रेनिंग दिया है उसी के माध्यम से यह ऐसा काम कर रहा है ऐसा कहने पर राजा ने कहा क्या आप इसे बता सकते हैं तो उसने कहा जी महाराज और उसने दिखाया कि वह किताब के बीच में घास रख देता था थोड़ा थोड़ा वह घास खाने के लिए ही उसे पलट देता था और वह देखकर सब लोग समझते थे कि वह पढ़ रहा है लेकिन ऐसा कुछ नहीं था ऐसा बताने पर राजा ने बहुत अच्छा किया और उसे कुछ और भी अनाम दिया इस प्रकार से कहा जाता है कि आपके पास अगर दिमाग है तो आप कैसे भी पैसा कमा सकते हैं इसीलिए उसे धन्यवाद कहां गया

बंदर और मगरमच्छ(monkey and crocodile)

एक नदी के किनारेएक बंदर एक जामुन के पेड़ पर रहता था वह जामुन के फलों को रोज खाता था और वहीं पर अपना निवास करता था ऐसा देखकर वहां के नदी के एक मगरमच्छ निकल कर आता और उसके पेड़ के नीचे बैठ जाता और जामुन के गिरे हुए फलों को खाता तो बहुत अच्छा लगता है ऐसा करने पर धीरे-धीरे वारो जाने लगता और बंदर से बातचीत करता तो बंदर ने भी अपने परिवार की कहानी पूरे मगरमच्छ को बता दी और मगरमच्छ ने भी अपनी पूरी कहानी बंदर को बता दी ऐसा कहने पर दोनों में बहुत घनिष्ठ मित्रता हो गई और जब मगरमच्छ पेड़ के नीचे आता तो बंदर उसकी डालो को हिला देता और बहुत सारा जामुन गिर जाता जिसे खाकर मगरमच्छ बहुत अच्छा महसूस कर रहा था एक दिन वह अपने परिवार में जाकर मगरमच्छ अपनी पत्नी से कहता है कि हमारा एक मित्र है जो हमें बहुत अच्छे-अच्छे जामुन खिलाता है अगर हमारी बहुत मदद करता है तो ऐसा कहने पर उसकी पत्नी ने कहा कि जब उस बंदर के फल इतने मीठे हैं तो जो दिन भर पूरे दिन जामुन ही खाता है तो उसका मांस कितना मीठा होगा ऐसा कह कर वह अपने पति से ठंड ठान लेती है

और कहती है हमें उसका बंदर का मांस चाहिए चाहे कैसे भी हो ऐसा कहने पर मगरमच्छ कहता है वह हमारा मित्र है उसने हमारे ऊपर एहसान किया है मैं ऐसा नहीं कर सकता ऐसा कहने पर उसकी पत्नी को नाराज हो जाती है और कहती है आपको ऐसा करना ही पड़ेगा नहीं तो वाह बहुत गुस्सा हो जाएगी ऐसा कहने पर मगरमच्छ तैयार हो जाता है और बहुत दुखी मन से बंदर के पास जाता है और कहता है मित्र आज आपकी भाभी ने आप को घर पर बुलाया है दावत दिया है तो क्या आप हमारे साथ चलेंगे तो बंदर हंसते हुए कहता है मित्र मैं पानी में कैसे जा सकता हूं तो मगरमच्छ ने कहा आप हमारे पीठ के ऊपर बैठ जाएगा और मैं आपको वहां पहुंचा दूंगा ऐसा कहने पर बंदर तैयार हो जाता है और वह उसके पीठ पर बैठकर चल देता है लेकिन मगरमच्छ जब बिजी धारा में पहुंचता है

तो कहता है कि मैं आपको दावत खिलाने नहीं ले जा रहा हूं आपकी भाभी ने आपको खाने के लिए मांगा इसीलिए मैं आपको ले जा रहा हूं ऐसा कहने पर बंदर को बहुत दुख हुआ और उसने कहा कि अगर आप कहते तो मैं अपना दिल कटोरे में निकालकर उसमें जामुन के फल भरकर रख देता और तुम्हें खाने के लिए दे देता लेकिन आपने तो हमें बताया ही नहीं सही तो मगरमच्छ ने कहा ऐसा हो सकता है क्या मित्र तो बंदर ने कहा क्यों नहीं हो सकता है तो वह फिर लौट गया जब वह नदी के किनारे पहुंचा तो झट से मगरमच्छ के पेट से उतर कर तुरंत पेड़ पर चढ़ गया और कहा मुर्ख मगरमच्छ तुम नहीं जानते कि क्या दिल शरीर से अलग हो सकता है ऐसा कहकर मुर्ख मगरमच्छ की पदवी देकर उसे बहुत ही दुख लगा और ऐसा बंदर की चालाकी पर बहुत नाज हुआ इसी प्रकार कहा जाता है कि मित्रता केवल उन्हीं लोगों से करना चाहिए जो मित्रता के लायक हूं जो आपके जानकी भूखे ना हो जो आपकी जान को बचा सके ना कि ऐसे लोगों से जो आपकी जान ले सके

शेर और चतुर खरगोश( lion and clever rabbit)

जंगल में एक बहुत ही खतरनाक शेर रहता था जो ना जाने कितने जानवरों को रोज नाजायज मार डालता था उसकी ऐसी दूर साहसी को देखकर पूरे जंगल के जानवर बहुत ही परेशान थे और वह उससे कुछ कह नहीं पाते थे और ऐसे में 1 लोगों ने पूरे जानवरों को निमंत्रण दिया और कहा कि आप लोग पूरा एक साथ होकर शेर से कहिए कि हम लोग उसे 1 दिन में एक जानवर देंगे लेकिन वह ऐसे जानवरों को ना मार डाले जिससे वह खाता भी नहीं है

और व्यर्थ में मार डालता है इससे उसे शिकार भी नहीं जाना पड़ेगा और उसे घर बैठे शिकार मिल जाया करेगा ऐसा कहने पर सभी जानवर शेर के पास गए और उससे यह प्रस्ताव रखा तो शेर ने कहा ठीक है लेकिन मैं आप लोगों को बता देता हूं अगर 1 दिन भी ऐसा गया और लेट हुआ तो मैं पूरे जानवर को मार डालूंगा ऐसा कहने पर पूरे जानवर और भी परेशान हो गए और रेगुलर एक एक जानवर उसके पास भेजने लगे और वह उनसे बहुत खुश हो गया और बैठे-बैठे खाने लगा इस प्रकार से एक दिन एक छोटे चूहे की बारी आई और वह शेर के पास बहुत धीरे-धीरे गया और बहुत टाइम बाद गया कम से कम दो चार घंटा लेट हो गया तो शेर को बड़ा क्रोध आया और कहा एक तो तुम पिद्दी भर के जानवर और एक इतने लेट से आए हो तो खरगोश ने कहा नहीं महाराज हम एक ही नहीं थे

हम 6 लोग थे एक साथ आए थे लेकिन पांच लोगों को एक और शेर जंगल में आ गया है उसने मारकर खा लिया है ऐसा कहने पर शेर को बहुत क्रोध आया और कहा कि चलो बताओ कहां है वह दूसरा शेर तो उसने दूसरे सेल की ओर संकेत करते हुए एक कुएं में गया और दिखाया तो कुएं में केवल उसकी छाया प्रति ही देखकर व कुएं में कूद गया और गिर के मर गया इस प्रकार से कहा जाता है कि बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए और या भी कहा जाता है कि खरगोश बहुत चतुर जानवर होता है इस प्रकार से खरगोश की चतुर्था से पूरे जंगल के जानवरों को लाभ मिला और मैं खुशी-खुशी रहने लगे और जंगल को शेर के आतंक से फायदा मिला

निष्कर्षConclusion

और हम लोगों ने इसपंचतंत्र कहानी के माध्यम से विष्णु प्रभाकर जी के जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर ली है और मैंने आप लोगों को पंडित विष्णु शर्मा जी के सभी कथित कहानियां तथा उनके रचनाओं के बारे में अच्छी जानकारी दी है और मैंने संपूर्ण पोस्ट को देख कर यह निष्कर्ष निकाला है कि इसमें विष्णु शर्मा जी की कहानियों का “किया गया

पंचतंत्र के लेखक कौन हैं

पंचतंत्र के लेखक पंडित विष्णु शर्मा जी हैं

पंचतंत्र की कहानी किस विधा पर आधारित है

पंचतंत्र की कहानी जानवरों के ऊपर तथा कहानी विधा पर आधारित है या संस्कृत में हिंदी बोली है

पंचतंत्र की कहानी का माध्यम किन पर रखा गया है

पंचतंत्र की कहानी का माध्यम जीव-जंतुओं पर रखा गया है उन्हीं के ऊपर कहानी लिखी गई है

पंडित विष्णु शर्मा जी का जन्म कब हुआ था

पंडित विष्णु शर्मा जी का जन्म एक गरीब ब्राह्मण परिवार में महिला रोक नगर में हुआ था एवं उनका बहुत गरीब परिवार था

पंडित विष्णु शर्मा जी के कुछ ग्रंथों का नाम

कुछ ग्रंथ का नाम पंचतंत्र चार खंडों में विभक्त किया गया है इनके ग्रंथों को

पंडित विष्णु शर्मा जी कहां रहते थे

पंडित विष्णु शर्मा जी महिलारुप्या नगर में रहते थे

पंडित विष्णु शर्मा जी की जो रचना है उसकी भाषा क्या थी

पंडित विष्णु शर्मा जी की रचना की भाषा संस्कृत निष्ठ हिंदी थी

पंचतंत्र कहानियों में मुख्यता कौन कौन से रस है

पंचतंत्र कहानियों में मुख्यतः सिंगार तथा हास्य रस है

पंचतंत्र कहानी के लेखक विष्णु शर्मा जी का मृत्यु स्थान

पंचतंत्र कहानी के लेखक विष्णु शर्मा जी का उम्र 80 वर्ष के बाद मृत्यु हो गई

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