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प्रकाश का अपवर्तन, परिभाषा एवं नियम (prakash ka apvartan in hindi) – rskg

प्रकाश का अपवर्तन

प्रकाश का अपवर्तन: प्रकाश की किरणें जब तिर्यक रूप से आपतित होकर एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती हैं तो दूसरे माध्यम में प्रकाश किरणों के पथ में परिवर्तन होता है। इस घटना को ‘प्रकाश का अपवर्तन‘ कहते हैं। वस्तुतः यह घटना माध्यम में परिवर्तन से प्रकाश की चाल में परिवर्तन होने से होती है

दूसरे शब्दों में

जब प्रकाश की किरण एक रोकने आपतित होकर माध्यम से दूसरे माध्यम की ओर जाती है तो दूसरे माध्यम की किरण के रास्ते को परिवर्तित करता है इस घटना को हम प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं इस घटना के माध्यम में प्रकाश की चाल में परिवर्तित हो जाती है इसे हम प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं

उदाहरण

एक कांच के गिलास में पानी भरिए और पानी भरने के बाद उसमें एक सिक्का टू बय जब हुआ सिक्का पानी में डालते हैं तो वह लड़का आता हुआ पानी में जाता है और वह गिलास के तल को कुछ हल्का छोड़ रखता है इस घटना को हम प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं

प्रकाश के अपवर्तन का नियम

  • स्नेल महोदय ने अपने प्रयोगों के आधार पर अपवर्तन के संबंध में निम्नलिखित है
  • आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा दोनों माध्यमों के पृष्ठ के आपतन बिंदु पर अभिलंब सभी एक ही तल में होते हैं
  • आपतन कोण की ज्या (Sine) तथा अपवर्तन कोण की ज्या (Sine)का अनुपात स्थिर रहता है

prakash ka apvartan in english

When the rays of light pass from one medium to another after incident obliquely, then there is a change in the path of light rays in the other medium. This phenomenon is called ‘refraction of light’. In fact, it is a change in the speed of light due to a change in the incident medium.

in other words

When a ray of light passes from one medium to another medium, then it changes the path of the ray of the other medium, this phenomenon we call refraction of light, this incident is converted into the speed of light in the medium. we call the refraction of light

Example

Fill water in a glass glass and after filling the water, when a coin is put in the water, then that boy comes and goes into the water and he leaves the bottom of the glass a little lighter, we call this phenomenon the phenomenon of light. refraction is called

law of refraction of light

  • On the basis of his experiments, Mr. Snell has the following regarding refraction
  • The incident ray, the refracted ray and the normal at the point of incidence of the surfaces of both the media are all in the same plane.
  • The ratio of the sine of the angle of incidence (Sine) and that of the angle of refraction remains constant.

prakash ka apvartan class 10th in hindi

प्रकाश की किरणें जब तिर्यक रूप से आपतित होकर एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती हैं तो दूसरे माध्यम में प्रकाश किरणों के पथ में परिवर्तन होता है। इस घटना को ‘प्रकाश का अपवर्तन‘ कहते हैं। वस्तुतः यह घटना माध्यम में परिवर्तन से प्रकाश की चाल में परिवर्तन होने से होती है

दूसरे शब्दों में

हम इस संसार में अपने चारों और अनेक प्रकार की वस्तुएं देखते हैं तथापि किसी अंधेरे कमरे में हम कुछ भी देखने में असमर्थ हैं कमरे को प्रकाशित करने पर चीजें दिखाई देने लगती है वह क्या है जो वस्तु को दृश्य महान बनाता है दिन के समय सूर्य का प्रकाश वस्तुओं को देखने में हमारी सहायता करता है कोई वस्तु उस पर पड़ने वाले प्रकाश को परावर्तित करती है यह pravartit Prakash jab hamare aankhon dwara grahan Kiya jata hai तो हमें वस्तु को देखने योग बनता है हम किसी पारदर्शी के माध्यम से बार-बार देख सकते हैं क्योंकि प्रकाश इसमें आर पार हो जाता है प्रकाश से संबंधित अनेक सामान्य तथा अद्भुत घटनाएं हैं जैसे दर्पण द्वारा प्रतिबिंब का बनना तारों का टिमटिमाना इंद्रधनुष के सुंदर रंग किसी माध्यम द्वारा प्रकाश को मोड़ना दिया प्रकाश के गुणों का अध्ययन इन अन्वेषण के हमारी सहायता करेगा प्रकाश के गुणों का अध्ययन इनके अन्वेषण हमें हमारी सहायता करेगा अपने चारों और कुछ सामान प्रकाशिक परी घटनाओं को देखकर हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि प्रकाश सरल रेखाओं में जाता है और यह प्रतीत होता है या तथ्य की एक छोटा प्रकाश स्रोत किसी पारदर्शी वस्त्र की तीक्ष्ण छाया बनता है प्रकाश की एक सरल रेखीय पथ की ओर इंगित करता है जिसे पराया प्रकाश किरण कहते हैं

आइए कल्पना करें

यदि प्रकाश के पथ में रखिए अपारदर्शी वस्तु अत्यंत छोटी हो तो प्रकाश सरल लेखन में चलने की बजाय इसके किनारों पर मोड़ने की प्रवृत्ति दर्शाता है इस प्रभाव को प्रकाश का विवर्तन कहलाता है तब वह प्रकाश किए जिसमें सरवर रेखे व्यवहार के आधार पर किरणों का उपयोग करते हैं असफल होने लगती हैं विवर्तन जैसी परी घटनाओं की व्याख्या करने के लिए प्रकाश का तरंग के रूप में माना जाता है जिसका विस्तारित अध्ययन आप उच्च कक्षाओं में करेंगे पुनः बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में यह स्पष्ट हो गया है कि प्रकाश के दर्द के साथ अन्य निगरानी क्रिया के विवेचना में प्रकाश का तरंग सिद्धांत अपर्याप्त है तथा प्रकाश प्राय आंकड़ों के व्यवहार की बात व्यवहार करता है प्रकाश के सही प्राकृतिक के बारे में यह उलझन कुछ वर्षों तक चलती रहे जब तक कि प्रकाश का आधुनिक क्वांटम सिद्धांत उभर कर सामने नहीं आता है जिसमें प्रकाश को ना तो तरंग माना गया है नाही कल माना गया है इस नए सिद्धांत ने प्रकाश के करण के संबंध है गुणों तथा तरंग प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित किया गया है

prakash ka apvartan 10th class ncert

प्रकाश की किरणें जब तिर्यक रूप से आपतित होकर एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती हैं तो दूसरे माध्यम में प्रकाश किरणों के पथ में परिवर्तन होता है इस घटना को ‘प्रकाश का अपवर्तन‘ कहते हैं वस्तुतः यह घटना माध्यम में परिवर्तन से प्रकाश की चाल में परिवर्तन होने से होती है

prakash ka apvartan ke niyam

प्रकाश के किरणें जब एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है, तो वह अपने पूर्व पथ से विचलित हो जाती है। यह घटना ही प्रकाश का अपवर्तन कहलाती है।

प्रकाश के अपवर्तान नियम=: प्रकाश के अपवर्तन के निम्न दो नियम है :किन्हीं दो माध्यमों के लिए आपतन कोण की ज्या और अपवर्तन कोण की ज्या में एक निश्चित अनुपात होता है

आपतित किरण, अपवर्तित किरण एवं आपतन बिंदु पर खींचा गया अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं

prakash ka apvartan ka chitra

प्रकाश का अपवर्तन, परिभाषा  एवं  नियम (prakash ka apvartan in hindi) - rskg

किसी पारदर्शी माध्यम में प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है जब प्रकाश एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे में प्रवेश करता है तो क्या होता है क्या यह सब भी सरल रेखा में चलता है या अपनी दिशा बदलता है हम अपने प्रति दिन के कुछ अनुभव को दोहराएंगे आपने आपने देखा होगा कि पानी में भरे किसी टैंक अथवा थालिया पोखरे की तली रुके हुए प्रतीत होती है इसी प्रकार जब कोई मोटा कांच इस्लाम किसी मुद्रित सामग्री पर रखा जाता है तो कांच के असलम के ऊपर देखने पर अक्षर उठे हुए प्रतीत होता है ऐसा क्यों होता है क्या आपने किसी कांच के बर्तन में रखें पानी मैं आसन के रूप से दुबई पेंसिल कोमोड़े हुई घटना के विचार करें पेंसिल के बाहर भाग की तुलना में विभिन्न ई दिशा में आता हुआ प्रतीत होता है इस कारण पिल्सेन मुड़ी हुई प्रतीत होती है इन्हीं कारणों से जब अक्षर अक्षरों के ऊपर कांच का स्लैब रखा देखते हैं तो वह उठे हुए प्रतीत होता है यदि पानी के स्थान पर हम कोई अनदर वजह से और ओसेनिया तारपीन का तेल का प्रयोग करें क्या तब या पेंसिल उतनी ही मुड़ी हुई दिखेगी यदि हम कांच के स्लैब को पारदर्शी प्लास्टिक के स्लैब में प्रतिस्थापित कर दे तो क्या तब भी अक्षर से ऊंचाई तक का विस्तार अलग अलग है यह परीक्षण सूचित करते हैं कि प्रकाश सभी माध्यम में एक ही दिशा में घमंड नहीं करता है ऐसा प्रतीत होता है कि जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में तिरछा होकर जाता है तो दूसरे माध्यम में इस के संचरण की दिशा विपरीत हो जाती है इस परिघटना को को हम प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं

प्रकाश का परावर्तन नियम

उच्च कोटि की पालिश किया हुआ पृष्ठ जैसे कि दर्पण अपने पर पड़ने वाले अधिकांश प्रकाश को परावर्तित कर देता है आप प्रकाश के परावर्तन के नियम से पहले ही परिचित हैं आइए हम आप लोगों को प्रकाश के परिवर्तन के नियम लोगों को बताते हैं

  • आपतन कोण परावर्तन कोण के बराबर होता है तथा
  • आपतित किरण दर्पण के आपतन बिंदु पर अभिलंब तथा परावर्तित किरण सभी एक ही तल में होते हैं

परावर्तन के नियम गोलिए पृष्ठों सहित सभी प्रकार के प्रवर्तक पृष्ठों के लिए लागू होते हैं आप समतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब के बनने से परिचित हैं प्रतिबिंब की क्या विशेषता है समतल दर्पण द्वारा बना प्रतिबिंब सदैव आभासी तथा सीधा होता है प्रतिबिंब का साइज बिम्ब या वस्तु के साइज के बराबर होता है प्रतिबिंब दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर दर्पण के सामने बिंब रखा होता है इसके अतिरिक्त प्रतिबिंब वस्तु में परिवर्तित होता है यदि परावर्तक पृष्ठ वकृत्व हो तो प्रतिबिंब कैसे बनेगा

चमकदार चम्मच की वक्तृत्व पृष्ठ एक वकृत्व दर्पण की भाति माना जाता है सबसे अधिक उपयोग में लाने वाले सामान्यता वक्ता दर्पण का प्रारूप गोलीय दर्पण है इस प्रकार के दर्पण के परावर्तक पृष्ठ किसी गोले की पृष्ठ का एक भाग माना जा सकता है ऐसे दर्पण जिनका परावर्तक पृष्ठ गोलीय है गोलीय दर्पण कहलाते हैं अब हम गोलीय दर्पण के बारे में आप लोगों को कुछ विस्तार से बताते हैं

गोलीय दर्पण किसे कहते हैं

गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ अंदर की ओर या बाहर की ओर विकृत हो सकता है गोलीय दर्पण जिनका परावर्तक पृष्ठ अंदर की और अर्थात गोले के केंद्र की ओर व कृत है वह अवतल दर्पण कहलाता है वह गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर व कृत है उत्तल दर्पण कहलाता है

अवतल दर्पण मुख्य फोकस किसे कहते हैं

अवतल दर्पण पर मुख्य अक्ष के समांतर कुछ किनारे आपतित हो रही हैं परावर्तित किरण का अपेक्षा कीजिए वह सभी दर्पण की मुख्य चुके एक प्रतिबिंब बिंदु पर मिल रही प्रतीक्षा द है यह बिंद अवतल दर्पण मुख्य फोकस कहलाता है

उत्तल दर्पण के उपयोग

उत्तल दर्पण का उपयोग समानता वाहनों के पासे दृश्य दर्पण के रूप में किया जाता है यह दर्पण वाहन के साइड में लगे होते हैं तथा इनमें ड्राइवर अपने पीछे के वाहन को देख सकते हैं जिसमें वह सुरक्षित रूप से वाहन चला सके उत्तल दर्पण को इसी लिए भी प्राथमिकता देते हैं क्योंकि यह सदैव सीधा प्रतिबिंब बनाते हैं यद्यपि वह छोटा होता है इनका दृष्ट क्षेत्र भी बहुत अधिक है क्योंकि यह बाहर की ओर वक्तत्व होते हैं अतः समतल दर्पण की तुलना में उत्तल दर्पण ड्राइवर को अपने पीछे के बहुत बड़े क्षेत्र को देखने में समर्थ होता है

अवतल दर्पण के उपयोग

अवतल दर्पण का उपयोग समानता टॉर्च सर्च लाइट तथा वाहन के आगे मैं प्रकाश के शक्तिशाली समांतर किरण पुंज प्राप्त करने के लिए किया जाता है इन्हें पराया चेहरे का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए सेविंग दर्पण के रूप में उपयोग करते हैं दंत विशेषज्ञ अवतल दर्पण का उपयोग मरीजों के दांतो का बड़ा प्रतिबिंब देखने के लिए करते हैं और सर भर्तियों में सर के प्रकाश को केंद्रित करने के लिए बड़े अवतल दर्पण का उपयोग किया जाता है

लेंस किसे कहते हैं

अपने किसी घड़ी साज को बहुत छोटे पुरुषों को देखने के लिए छोटे आवर्धक लेंस का उपयोग करते देखा होगा क्या आप अपने आवर्धक लेंस के पृष्ठ को अपने हाथों से छूकर देखा है क्या आप इसका संथालिया बकरीद है क्या यह बीच से मोटा है या किनारे से चश्मे में हमें लेंसों का उपयोग करते हैं घड़ी साज के आवर्धक में भी लेंस लगा होता है लेंस क्या है यह प्रकाश किरणों को किस प्रकार मोड़ता है इस विषय पर हम आप लोगों को आज बताएंगे दोनों पृष्ठों से गिरा हुआ कोई पारदर्शी माध्यम जिसका एक या दोनों पृष्ठ गोलिए हैं लेंस कहलाता है

इसका अर्थ यह है कि लंच का कम से कम एक पृष्ठ गोलिए होता है ऐसे लेंसों मैं दूसरे पृष्ठ समतल हो सकता है किसी लेंस में बाहर की ओर भरे दो गोली पृष्ठ हो सकते हैं ऐसे लोगों को दिए उत्तल लंच कहते हैं इसे केवल उत्तल लेंस भी कहते हैं यह किनारे की अपेक्षा बीच से मोटा होता है तब लेंस प्रकाश किरण में दर्शाए अनुसार अभी साबित करता है इसलिए उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस भी कहते हैं इस प्रकार एक दल अवतल लेंस अंदर की ओर वकृत्व दो गोली एक लिस्ट से घिरा होता है यह बीच की अपेक्षा किनारे से मोटा होता है ऐसे लेंस प्रकाश की किरण में दर्शाए अनुसार अब साबित करते हैं ऐसे लेंस को अपसारी लेंस कहते हैं

फोकस किसे कहते हैं

उत्तल लेंस प्रमुख अक्षय के समांतर प्रकाश की बहुत से किरण आपतित हैं यह किरण लेंस से अपवर्तन के पश्चात मुख्य अक्ष पर एक बिंदु पर आधारित हो जाती हैं मुख्य अक्ष पर यह बिंद लंच का मुख्य फोकस कहलाती है

लेंस की छमता

आप जानते हैं कि किसी लेंस की प्रकाश किरणों को अभिसारी तत्व अपहृत करने की क्षमता उस की फोकस दूरी पर निर्भर करती है उदाहरण के लिए कम फोकस दूरी का एक उत्तल लेंस प्रकाश किरणों को बड़े गौर से मोड़कर उन्हें प्रकाशिक केंद्र के निकट फोकस कर देता है इसी प्रकार कम फोकस दूरी का एक अवतल लेंस अधिक फोकस दूरी के लेंस की अपेक्षा प्रकाश किरणों को अधिक आप साबित करता है किसी लेंस द्वारा प्रकाश किरण को अभिसरण या अपहरण करने की क्षमता या डिग्री को उसकी क्षमता के रूप में व्यक्त किया जाता है इसे अक्षर P द्वारा निरूपित किया जाता है कि यह फोकस दूरी के लेंस की

गाड़ी के दोनों साइड कौन सा शीशा लगा होता है

गाड़ी के दोनों तरफ उत्तल दर्पण का शीशा लगा होता है

अभिसारी लेंस किसे कहते हैं

यह किनारों की अपेक्षा बीच से मोटा होता है उत्तल लेंस प्रकाश किरण को दर्शाए अनुसार विस्तारित करता है इसलिए उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस भी कहते हैं

फोकस दूरी किसे कहते हैं

किसी लेंस के मुख्य फोकस की प्रकाशिक केंद्र से दूर फोकस दूरी कहलाती है

उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब कैसे बनता है

हमने अवतल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब बनने के बारे में अध्ययन किया है अब हम उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिंब के बारे में आप लोगों को बताएंगे कोई उत्तल दर्पण लीजिए इसमें एक हाथ में पकड़ी है दूसरे हाथ में एक सीधी खड़ी पेंसिल पकड़िए दर्पण में पेंसिल का प्रतिबिंब देखिए प्रतिदिन सीधा या उल्टा है क्या यह छोटा है अथवा बड़ा है

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Written by Santosh Yadav

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