हिंदुओं के पुराने ग्रंथ के बारे में मैं आप लोगों को सही जानकारी देने वाला हूं purano ki sankhya kitni hai तथा मैं आप लोगों को हर एक purano ki sankhya kitni hai के बारे में बताने वाला हूं यह हमारे हिंदू भाइयों के धर्मों में कितने पुराण होते हैं तथा यह कैसे प्रचलित हुए इसके बारे में मैं आज आप लोगों को पूरी जानकारी देने वाला हूं तो पूरी जानकारी पाने के लिए आप हमारे पोस्ट को पढ़ें इसमें आप लोगों को रोचक जानकारी मिलेगी भाषा लोग हिंदू भाइयों में सच कहते हैं कि पुराण कितने होते हैं सब लोगों को ढंग से मालूम नहीं रहता है
कि हमारे में कितने पुराण होते हैं कितनी धार्मिक ग्रंथ ए होती हैं तो इन्हीं सब बातों को हम आप लोगों के सामने लेकर आए हैं जो आप लोग जानकर अच्छे से अच्छे जानकारी देने का मैं प्रयास करूंगा तथा शुरू से लेकर अंत तक में जितने पुराण होते हैं उनके सारे पुराणों के बारे में मैं थोड़ा-थोड़ा करके सारे पुराणों के बारे में बताऊंगा जानकारी आप लोगों तक मेरा पहुंचाने का यही उद्देश्य है कि आप लोग कम से कम अपने धर्म और मजहब के बारे में जाने कि हमारा धर्म क्या है और मजहब क्या है
इसके बारे में मैं आप लोगों को आज पूरी व्याख्या के रूप में बताने वाला हूं जिससे आप लोग जानकर अपने पुराना और ग्रंथों के बारे में जानोगे हम लोग पुराना और ग्रंथों के बारे में ना जानते हुए आज सारे ऐसी कई जानकारियां है जिससे हम लोग नहीं जानते हैं और हम लोग यह नहीं जान पाते हैं कि हमारे धर्मों में कितना ग्रंथ है क्या इसका महत्व है तथा इन ग्रंथों का क्या मतलब था कि हमारे लिए इतनी ग्रंथ बनाए गए तो इनके सारी की सारी मैं आप लोगों को इन ग्रंथों में जितनी देवी देवताओं का वर्णन किया गया है उन सारी चीजों को हम आप लोगों को स्टेप बाय स्टेप बताने वाले हैं तो चलिए मैं आप लोगों उन ग्रंथों के बारे में मैं आप लोगों को बता देता हूं
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पुराणों की संख्या कितनी होती है || purano ki sankhya kitni hai
पुराणों की संख्या कितनी होती हैं अगर आप पुराणों की संख्या नहीं जानते हैं तो आप बिल्कुल मत परेशान हो मैं आज आप लोगों को पुराणों की संख्या कितनी होती है इसके बारे में मैं आप लोगों को बताने वाला हूं तो चलिए दोस्तों मैं आप लोगों का ज्यादा समय न लेते हुए मैं आप लोगों को बता देता हूं कि पुराणों की संख्या कितनी होती हैं वैसे तो पुराणों की संख्या 18 होती है लेकिन इसमें तीन और पुराण मिलाकर इसके संख्या को अट्ठारह कर दी गई है वह तीन पुराण है शिव पुराण देवी भागवत पुराण तथा विष्णुधर्मोत्तरा 3 पुराणों को मिलाकर लोगों ने 21 पुराण कर दिया है इन तीनों प्राणों को ज्यादा महत्त्व ना देकर इसलिए इन तीन पुण को बाद में जोड़ दिया गया है तो मेरी ही बताओ यह भी जानकारी आप लोगों को कैसा लगे आप लोग हमें नीचे कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताएं धनबाद

पुराणों की संख्या कितनी होती है तथा पुराणों का नाम
लिस्ट के बारे में आप लोगों को मैं लिस्ट की सहायता से बताने जा रहा हूं कि हमारे कौन-कौन है उसके लिए आप लोगों को अट्ठारह पुराणों लिस्ट बना कर बताता हूं
ब्रह्मा पुराण | ब्रह्मा जी की महिमा |
पद्मा पुराण | पद्मा जी की महिमा |
विष्णु पुराण | विष्णु जी की महिमा |
वायु पुराण | वायु जी की महिमा |
भगवत पुराण | भगवत जी की महिमा |
नारद पुराण | नारद जी की महिमा |
मार्कंडेय पुराण | मार्कंडेय जी की महिमा |
अग्नि पुराण | अग्नि जी की महिमा |
भविष्य पुराण | भविष्य जी की महिमा |
ब्रह्मा वैवर्त पुराण | ब्रह्मा वैवर्त जी की महिमा |
लिङ्ग पुराण | लिङ्ग जी की महिमा |
वाराह पुराण | वाराह जी की महिमा |
स्कंद पुराण | स्कंद जी की महिमा |
वामन पुराण | वामन जी की महिमा |
कुकर्म पुराण | कुकर्म जी की महिमा |
मत्स्य पुराण | मत्स्य जी की महिमा |
गरुड़ पुराण | गरुड़ जी की महिमा |
ब्रह्मांड पुराण | ब्रह्मांड जी की महिमा |
यह पसंद अगर हमारे हिंदू भाई अपने कंठस्थ कर लेते हैं तो भगवान उनको परेशानियों को दूर कर देता है यदि सारे लोग सारे पड़ा का ज्ञान जान जाएं तो उनकी सारी परेशानियां दूर हो जाएगी तथा वह खुश हो जाएंगे तब उनका जीवन धन्य हो जाएगा जो अठारह पुराणों का ज्ञान उनको प्राप्त हो जाए तो सीधे उनसे परमेश्वर से उनका मिलन होगा तो यदि आप ईश्वर का नमन और उनका दर्शन पाना चाहते हो तो आप 18 पुराणों का रोज सुबह उठकर कंठस्थ करना होगा आपको धन्यवाद
ब्रह्म पुराणBrahma Purana
ब्रह्मपुराण के बारे में बताने वाले हैं की इन पुराणों में कितने श्लोक होते हैं तथा इनका पूर्व भाग और उत्तर भाग्य में क्या होता है इसके बारे में मैं आप लोगों को कुछ बताने वाला हूं पूरा तो ब्रह्म पुराणों का वर्णन में नहीं कर सकता हूं लेकिन मैं कुछ उसमें छोटी से छोटी बड़ी जानकारी हम आप लोगों को बताने आते हैं जब आप लोग जब आप लोग ब्रह्म पुराण को कंफ्यूज करेंगे तो उसमें आप लोग ब्रह्मा जी की उत्पत्ति के बारे में बताया गया तथा मन के बारे में बताया गया तथा महापुराण ब्रह्म पुराण में ब्रह्मा जी का उल्लेख बताया गया है आप इसमें संसार की उत्पत्ति कैसे हुई है इसके बारे में महापुराण के बारे में बताया गया है
पद्मा पुराणPadma Purana
पद्मा पुराण में कमल का उल्लेख किया गया है कमल का तत्पर है ब्रह्मा जी के बैठने का आसन इस पुराण में श्री कृष्ण पता श्री राम के बारे में उल्लेख किया गया है और इसमें विष्णु जी के पूरे अवतार के बारे मैं बखान किया गया है इसमें सृष्टि का भी उल्लेख किया गया है तथा श्री राम और श्री कृष्ण जी का जीवन का पूरा उल्लेख पद्मा पुराण में बताया गया है
विष्णु पुराण Vishnu Purana
विष्णु पुराण में विष्णु जी का वर्णन किया गया है तथा इनमें आश्रम में जैन के वर्णन के बारे में बताते हैं और आकाश नल के बारे में बताया गया है और इसमें श्री राम जी का भी इस पुराण के अंतर्गत राजाओ की मृत्यु तथा भगवान विष्णु के परम भक्त तो बालक ध्रुव राकेश अवतार का होम पुराण में पढ़ने और सुनने के लिए मिलता है
वायु पुराण Vayu Purana
वायु पुराण को कुछ लोग शिव पुराण और ब्रह्मा पुराण का हिस्सा मानते हैं लेकिन नारद पुराण में देगी प्राणों की सूची इसके अंतर्गत माना जाता है किस में हुई वायु देव का वर्णन किया गया है तथा इसमें धर्म का उपदेश दिया गया है इसलिए इसे वायु प्राण कहा जाता है और इनमें राजाओं के गुण दोष गंगा का व्याख्या तथा त्रिपुरी सुंदरी तथा विश्वामित्र जी का वर्णन इस पुराण के अंतर्गत हम लोगों को सुनने और देखने को मिलता है
शिव पुराण Shiva Purana
शिव पुराण में शंकर जी कारण हमें मिलता है तथा इनमें अलग-अलग शंकर जी के रूपों तथा लिंगों के बारे में जानकारी हमें मिलता है तथा इसमें शंकर जी को अलग-अलग नाम हो और उनके व्याख्यान ओं का यह उल्लेख बताया गया है कि वाकई में शंकर जी के जो जो नाम थे वह वाकई में वैसे थे और इनमें शंकर जी के बड़े-बड़े भक्तों तथा शुभ विवाह और उनके पुत्र गणेश उनके दो बेटे थे उनका भी वर्तमान इस पुराण के माध्यम से हमें पढ़ने को मिलता है
भगवत पुराण Bhagavata Purana
विद्वानों के द्वारा बताए गए वेदव्यास जी के पुराणों की रचना की तो मन में बड़ी बेचैनी थी उन्होंने देव ऋषि नारद से इसका कारण जाना तो नारद मुनि ने उन्हें हर विश्व का पुराण लिखने की प्रेम की विषय के बारे में बताएं और कृष्ण के अवतार में नहीं थे इसलिए इसमें महर्षि वेद जी का भागवत पुराण रचना थी इस पुराण के अंतर्गत श्री कृष्ण जी का जन्म और प्रेम और महाभारत का युद्ध देवतद्वारका तथा यदुवंशियों के नाश का संपूर्ण वर्णन श्री भागवत गीता में हम लोगों को देखने और सुनने को मिलता है
नारद पुराण अग्नि पुराणNarada Purana Agni Purana
हमें नारद पुराण को महापुराण भी कहा जाता है इस पुराण में 18 पुराण का चार दिया गया है जिसमें ज्योति मंत्र सिद्धि मृत्यु पश्चात के क्रिया कर्म और विधि विधान के बारे में और संगीत के सभी सात सुरों के बारे में इस नारद पुराण के अंतर्गत बना बताया गया है
मार्कंडेय पुराण Markandeya Purana
मार्कंडेय पुराण का प्राचीनतम पुराण नाना क्या इस पुराण में वैदिक देवताओं इंद्र अग्नि और सूर्य सहित अन्य लोगों का उल्लेख किया गया है इस पुराण के अंतर्गत गृहस्थ श्राद्ध धर्म वक्त और उत्सव हरीश में माता अनसूया का पवित्रा के बारे में और दुर्गा जी का महिमा वर्णन मार्कंडेय पुराण के अंतर्गत हमें पढ़ने को मिलता है
अग्नि पुराणAgni Purana
अग्नि पुराण वक्ता श्रोता पर आधारित है इनके प्रवक्ता अग्नि और श्रोता वरिष्ठ माना जाता है इसलिए इसमें अग्नि पुराण की संज्ञा दी गई है इसमें विष्णु जी के अवतार हो सहित शिवलिंग दुर्गा गणेश सूर्य प्राण प्रतिष्ठा के बारे में बताया गया है इसके अलावा में भूगोल गणित ज्योतिष शिव विवाह नृत्य शगुन विंध्या दिन चार्य नीतिशास्त्र युद्ध विद्या धर्मशास्त्र छंद का व्याकरण और आयुर्वेद के बारे में इस पुराण के अंतर्गत हमें बताया गया है
भविष्य पुराण Bhavishya Purana
इस पुराण में सूर्य का महत्व दिया जाता है इस पुराण में 12 महीने कार्य हमें उल्लेख बताया गया है तथा इस पुराण में सांपों की पहचान और 20 विश्व दशम की संपूर्ण जानकारी इस पुराण के अंतर्गत हमें मिलती है तथा इस पुराण में राजा के 1:00 सौ का आने वाले नंदवंशी मौर्यवंशी मुगल वंश छत्रपति शिवाजी और महारानी विक्टोरिया का तथा विक्रम बोतल और बेताल 25 की कथा इस भविष्य पुराण के अंतर्गत हमें आप लोगों को देखने और पढ़ने को मिलता है
ब्रह्म वैवर्त पुराण Brahma Vaivarta Purana
ब्रह्मवैवर्त पुराण को हम वैद्य मार्ग दसवां प्राण माना गया है किस पुराण के अंतर्गत भगवान श्री कृष्ण के लीला और राधा जी के वियोग और गोपियों के बारे में बताया गया है तथा इस पुराण में श्री कृष्ण के सृष्टि का भी वर्णन हमें ब्रह्मवैवर्त पुराण के अंतर्गत पढ़ने और सुनने को मिलता है
लिंग पुराण Linga Purana
लिंग पुराण में हमें शंकर जी के 28 अवतारों का संपूर्ण वर्णन मिलता है इस पुराण को सुनने से मनुष्य के हृदय मैं पाप नष्ट हो जाता है जियो जीवन मरण के भय से मुक्त होकर शिव में लीन हो जाता है इसमें लिंगो द्रव और रुद्रावतार कभी हमें पढ़ने को मिलता है तथा इस पुराण में श्रवण के मृत्यु के समय कष्ट भोगना पड़ता है और शिव धाम की प्राप्ति होती है इस पुराण के माध्यम से हमें इसमें पढ़ने और सुनने को मिलता है
वराह पुराण Varaha Purana
इस पुराण में भगवान विष्णु जी का वार है अवतारों के बारे में बताया गया इस पुराण में संबंधी सभी कथाओं का वर्णन मिलता है इस पुराण को सुनने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और सभी कष्ट का निवारण होता है इसके अलावा इसमें भागवत गीता भी उल्लेख है वराह पुराणों में श्राद्ध पद्धति सूर्य के उत्तरायण दक्षिणायन अमावस्या और पूर्णमासी के बारे में बताया गया है
स्कंद पुराण Skanda Purana
इस पुराण में हमें शिव जी के बड़े पुत्र कार्तिकेय के बारे में बताया गया है इनमें उनका ही स्कंध है इसका अर्थ होता है विनाश का क्षरण कीर्ति के जी को सहायक शास्त्र और शब्द के रूप में माना जाता है इसमें 27 नक्षत्रों अट्ठारह नदियां भारत के 12 ज्योतिर्लिंग गंगावतरण सहित पर्वत श्रृंखलाओं का हमें देखने और कन्याकुमारी मंदिर के साथ-साथ सोमदेव तारा उनके पुत्र बुध ग्रह की बारे में इस स्कंदन पुराण में वर्णन किया गया है
वामन पुराण Vamana Purana
वामन पुराण में श्री हरि जी का वर्णन किया गया है इसमें वामन अवतार शिवलिंग पूजा गणेश स्कंदन आख्यान शिव पार्वती जी का कथा के बारे में हमें पढ़ने और सुनने को मिलता है नारायण भगवती दुर्गा पहलाद श्री दामा शिव लीला कामदेव दहन हरि का खालो रूप लक्ष्मी का हमें वामन पुराण के अंतर्गत पढ़ने को मिलता है
कुर्म पुराणKurma Purana
इस पुराण के अंतर्गत हमें चारों वेदों का संपूर्ण सार मिलता है मंथन के समय मद्रा चल गिरी को समुंदर में स्थिति रखने के लिए देवी देवताओं का प्रार्थना पर भेद भगवान विष्णु के कर्म अवतार के बारे में बताया गया है और इसमें उपदेशों का वर्णन बताया गया है साथ ही साथ ब्रह्मा विष्णु शिव पृथ्वी और गंगा की और मानव जीवन के चारो आश्रम धर्म की जानकारी हमें इस पुराण में देखने को मिलती है
मत्स्य पुराण Matsya Purana
मत्स्य पुराण का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है इसमें जल प्रलय से होकर कलयुग के राजाओ और श्री हरि विष्णु के बारे में इस पुराण को सरवाड़ करने से मनुष्य के कामों में धन दौलत में वृद्धि होती है आयु में वृद्धि होती है मनुष्य के बापू का नष्ट किस पुराण के अंतर्गत हो जाता है
गरुड़ पुराण Garuda Purana
इस पुराण में 8400000 योनियों के नर्क स्वरूपी जीवन के बारे में बताया गया है इसमें भगवान विष्णु के अलग-अलग सभी अवतारों का वर्णन मिला है और इसमें और इसमें मनुष्य की मृत्यु हो जाने के बाद उसमें उसके आत्मा का क्या दशा होता है इस पुराण के माध्यम से हमें बता पता चलता और इसमें धर्मशास्त्र नीतिशास्त्र ज्योतिषी शास्त्र योगी के बारे में हमें इस महापुराण के माध्यम से देखने को मिलता है
शिव पुराण में कितने अध्याय हैं How many chapters are there in Shiv Purana?
लोगों को शिव पुराण में कितने अध्याय तथा कितने श्लोक हैं इसके बारे में मैं आप लोगों को बताने वाला हूं तो आप लोगों को मैं अच्छी से अच्छी जानकारी तथा प्राणों से जुड़ी सारी संबंधी के बारे में आप हमें बता सकते हैं तो चलिए दोस्तों मैं आप लोगों को शिव पुराण में कितने अध्याय होते हैं इसके बारे में बताता हूं शिव महापुराण में 11 खंड 7 साहित्य है 24000 इस लोग हैं और बुद्धेश्वर दूध शत रुद्री उमा कैलाश और भाई साहित्य शिव पुराण के अंतर्गत आते हैं इस पुराण में हमें कितने श्लोक हैं कितने खंड है कितने साहित है यह जानने को हमें जानकारी इस शिवपुराण के माध्यम से हमें पता चलता है
शिवपुराण की कथा कितने दिन की होती है how many days is the story of shivpuran
शिव पुराण की कथा कितने दिन में समाप्त होती है इसके बारे में मैं आप लोगों को बताने वाला हूं तो आप लोगों को अच्छे से अच्छे जानकारी पाने के लिए कृपया इस पोस्ट को पूरा नीचे से ऊपर तक पड़ेगा आप लोगों को अच्छे से अच्छे जानकारी इसमें मैं देने वाला हूं चलिए मैं आप लोगों को बताता हूं कि शिवपुराण की कथा कितने दिन में समाप्त होती है सूर्य से आरंभ करके 3 या 4 कथा कहने वाले को शिव पुराण कथा बोलनी चाहिए मध्यकाल में दो घड़ी तक कथा बंद रखनी चाहिए तथा श्रोता कार्य कर सकें
शिवपुराण को कैसे पढ़ना चाहिएhow to read shivpuran
पवित्र पवित्र ग्रंथ है तथा हमें किस प्रकार कर बैठ कर तथा में क्या नहीं करना चाहिए शिव पुराण पढ़ने के के लिए तथा हमें अपने तन मन को किस तरह साफ करना चाहिए शिवपुराण को पढ़ने के लिए तो चलिए मैं आप लोगों को शिवपुराण कैसे पढ़ाते हैं इसके बारे में मैं आप लोगों को बताने वाला हूं शिवपराण को पढ़ने से पूर्व हमें अपने तन मन को साफ कर कर अर्थात स्नान कर कर बैठना चाहिए नए तथा स्वच्छ वस्त्रों को पहन कर हमें शिव पुराण का पाटन करना चाहिए मन में भगवान शिव को याद करके बैठना चाहिए और हमें किसी के प्रति दिवेश नहीं होना चाहिए अर्थात हमें दूसरे के प्रति मन में छल कपट नहीं रखना चाहिए और हमें किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए और हमें दूसरे के प्रति चुगली ना करना चाहिए अन्यथा पूरे समाप्त हो जाते हैं तो दोस्तों मैं आप लोगों को यह बताने का प्रयास करता हूं कि आप जब भी शिव पुराण का पाठ करें तो आप अपने मन से छल कपट तथा दूसरों के प्रति बुराइयां सोचना बंद कर दें ऐसा करने से आपके मन को शांति योग समृद्धि प्राप्त होगी तथा आप ईश्वर के प्रति भावुक हो जाएंगे और आपको ईश्वर धन दौलत से ऊपर कर देगा इन सब बातों को ध्यान में रखकर हमें शिव पुराण का पाठ करना चाहिए तभी हमें भोलेनाथ दर्शन देंगे धन्यवाद
शिव पुराण का सार क्या है What is the essence of Shiva Purana
पवित्र ग्रंथ शिव पुराण के बारे में बताने वाला हूं की शिव पुराण में कितने साल होते हैं तो चलिए मैं आप लोगों को भगवान शिव की विधियों के रूप में तथा अवतारों ज्योति अंगों भक्त और भक्ति के विशद वर्णन किया गया है शिव पुराण का संबंध सहमत से है इस पुराण में शिव के भक्त और शिव की महिमा का प्रचार प्रसार बहुत ही विस्तार रूप से है और सभी पुराणों में शिव पुराण का त्याग तपस्या वात्सल्य तथा करोड़ा की मूर्ति के बारे में बताया गया है
गरुड़ पुराण कब पढ़ना चाहिए When to read Garuda Purana
गरुड़ पुराण कब पढ़ना चाहिए इसके बारे में मैं आप लोगों को बताने वाला हूं गरुड़ पुराण हमारे सल्तनत धर्मों से चलता आ रहा है जिसको पढ़ने से हमारे मन में शांति तथा मन को शांति मिलती इसका हमें श्रवण करने से पहले हमें अपने मन को एकत्रित कर लेना चाहिए तो था
गरुड़ पुराण घर में रखने से क्या होता है What happens if you keep Garuda Purana in the house?
घर पर घर में रखने से लोगों का माना जाता है कि घर में अशोक घटना घटती है लेकिन ऐसा नहीं है कि गरुड़ पुराण के पाठ करने से हमारे घर की दुख दूर हो जाते हैं तथा हमारे घरों में सुख और शांति का समृद्ध चारों तरफ दिखाई देता है इसलिए हमें गरुड़ पुराण का पाटन हमें सुबह उठकर प्रतिदिन गरुण पुराण का पाठ पढ़ना चाहिए ऐसा करने से हमारे मन में शांति तथा हमारा मन एकत्रित रहेगा
विष्णु पुराण कब पढ़ना चाहिए When to read Vishnu Purana
विष्णु पुराण का पाठ कब करना चाहिए इसके बारे में मैं आप लोगों को बताने वाला हूं दोस्तों विष्णु पुराण का गठन करने के लिए हमें सबसे पहले स्नान करना चाहिए और अपने मन को स्वच्छ कर लेना चाहिए तथा विष्णु पुराण का पाटन हमें सुबह होने से पहले करना चाहिए ऐसा करने से हमारे घर की सारी परेशानियां दूर हो जाएंगे और हमारे घरों में रोशनी और खुशी आ जाएगी
अग्नि पुराण में कितने श्लोक हैं How many verses are there in Agni Purana?
अग्नि पुराण में कितने श्लोक हैं इसके बारे में मैं आप लोगों को बताने वाला हूं तो चलिए दोस्तों मैं आप लोगों को बताता हूं कि अग्नि पुराण में कितने श्लोक होते हैं अग्नि पुराण में अग्नि देवता का ही उल्लेख बताया गया है तथा इस पुराण में 15000 श्लोक हैं
निष्कर्षConclusion
संपूर्ण पोस्ट को पढ़ने के बाद तथा सभी पुराणों के बारे में जानकारी लेने के बाद ऐसे मत से पुराण शिव पुराणजितने 18 पुराण हैं जिनमें से सभी का तुलना करने पर यह पता लगा कि पुराणों में जो है वह वैज्ञानिक तरीकों के हिसाब से बात की गई है तथा सभी सच वैज्ञानिक हैं इससे पता चलता है कि हमारे पुराने जमाने के लोग भी वैज्ञानिक तर्क पर विश्वास करते थे और इस प्रकार से हमने आप लोगों को पुराणों की संख्या के बारे में विस्तृत जानकारी दिया है और आप लोग इस जानकारी को भरी भाग एकत्रित करेंगे तथा आप लोग भी इसमें अपनी रूचि रखेंगे
purano ki sankhya kitni hai
पुराणों की संख्या कितनी होती है?
पुराणों की संख्या मुख्यता अट्ठारह होती हैब्रह्म पुराण, पद्म पुराण, विष्णु पुराण, शिव पुराण (वायु पुराण), भागवत पुराण, (देवी भागवत पुराण), नारद पुराण, मार्कण्डेय पुराण, अग्नि पुराण, भविष्य पुराण, ब्रह्म वैवर्त पुराण, लिंग पुराण, वाराह पुराण, स्कन्द पुराण, वामन पुराण, कूर्म पुराण, मत्स्य पुराण, गरूड़ पुराण और ब्रह्माण्ड पुराण
18 पुराणों के नाम?
विष्णु, पद्म, ब्रह्म, शिव, भागवत, नारद, मार्कंडेय, अग्नि, ब्रह्मवैवर्त, लिंग, वाराह, स्कंद, वामन, कूर्म, मत्स्य, गरूड़, ब्रह्मांड और भविष्य।
पुराणों के रचयिता कौन है?
जैसा कि आप लोग जानते हैं कि पुराणों के रचयिता जितने भी प्राण हैं उसके रचयिता अलग-अलग हैं लेकिन विष्णु पुराण के रचयिता वेदव्यास जी है।
वेदों की संख्या कितनी है?
वेदों की संख्या मुख्यता 4 है जिसमें सामवेद अर्थ वेद यजुर्वेद अथर्ववेद।
उपपुराणों की संख्या कितनी है?
पुराणों की संख्या मुख्यता 24 जिसमें से यह मुख्य
आदि पुराण (सनत्कुमार द्वारा कथित)
नरसिंह पुराण
नन्दिपुराण (कुमार द्वारा कथित)
शिवधर्म पुराण
आश्चर्य पुराण (दुर्वासा द्वारा कथित)
नारदीय पुराण (नारद द्वारा कथित)
कपिल पुराण
मानव पुराण
उशना पुराण (उशनस्)
ब्रह्माण्ड पुराण
वरुण पुराण
कालिका पुराण
माहेश्वर पुराण
साम्ब पुराण
सौर पुराण
पाराशर पुराण (पराशरोक्त)
मारीच पुराण
भार्गव पुराण
विष्णुधर्म पुराण
बृहद्धर्म पुराण
गणेश पुराण
मुद्गल पुराण
एकाम्र पुराण
दत्त पुराण।