ramkrishna mission ki sthapna
ramkrishna mission ki sthapna: हम आप लोगों को अपने इस पोस्ट में रामकृष्ण मिशन की स्थापना के बारे में बताने वाले हैं कि रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई और किसने की क्योंकि इसके बारे में बहुत से लोगों को पता नहीं होगा इसलिए हम आप लोगों को अपने इस पोस्ट में बहुत ही विस्तार से बताएंगे कि रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई और किसने की जिसे पढ़कर सभी लोग आसानी से जान सकते हैं क्योंकि हमने इस पोस्ट में बहुत ही शुद्ध तथा सरल भाषा का प्रयोग किया है जिसे पढ़कर सभी लोग आसानी से जान सकते हैं की रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई
और किसने की I आप लोगों को इससे संबंधित कई सवालों जैसे रामकृष्ण मिशन आश्रम, रामकृष्ण मिशन धर्म समाज, रामकृष्ण परमहंस जी के प्रेरणादायक अनमोल विचार, स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण मिशन, रामकृष्ण मिशन निबंध, राम कृष्ण मिशन दृष्टि आईएएस इन सभी के बारे में हम आप लोगों को अपने इस पोस्ट में बताएंगे जिसे पढ़कर आप लोग इन सभी चीजों के बारे में आसानी से जान सकते हैं क्योंकि बहुत से लोग रामकृष्ण मिशन की स्थापना से संबंधित और कोई भी सवाल के जवाब के बारे में नहीं जानते होंगे इसलिए हम आप लोगों को इस से संबंधित कई सवालों के जवाब बताने वाले हैं जिसे पढ़कर आप लोग आसानी से जान सकते हैं तो आइए हम आप लोगों को बताते हैं कि रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई और किसने की थी I
रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई = रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1 मई सन 1897 में हुई थी I
रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने की = रामकृष्ण मिशन की स्थापना रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद जी ने किया था I
रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब और किसने की /When and who founded the Ramakrishna Mission.

हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई और किसने की क्योंकि इसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते हो कि रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई और किसने की क्योंकि यह बहुत ही ऐतिहासिक बातें हैं जिसके बारे में बहुत से लोग नहीं जानते होंगे इसलिए हम आप लोगों को अपने इस पोस्ट में नीचे बताने वाले हैं कि रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई और किसने की जिसे पढ़कर आप लोग आसानी से जान सकते हैं क्योंकि नीचे हम आप लोगों को इसके बारे में बहुत ही विस्तार से तथा सरल शब्दों में बताएंगे I तो आइए हम आपको बताते हैं कि रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई और किसने की I
रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई = रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1 मई सन 1897 मे हुई I
रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने की = रामकृष्ण मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानंद की थी I
स्थापना | 1 मई 1897; 124 वर्ष पहले कोलकाता, भारत I |
सिद्धांत | आत्मनो मोक्षर्थ जगद्विताय च ( स्वयं के मोक्ष के लिए तथा जगत के हित के लिए) |
स्थान | 205 Branch Centres |
संबद्धता | नव वेदान्त I |
संस्थापक | स्वामी विवेकानन्द I |
मुख्यालय | बेलूड़ मठ, पश्चिम बंगाल, भारत I |
सेवित क्षेत्र | सम्पूर्ण विश्व I |
अध्यक्ष | स्वामी स्मर्णानंद I |
वैधानिक स्थिति | फाउण्डेशन I |
उद्देश्य | शैक्षणिक , पारमार्थिक, धार्मिक अध्ययन, आध्यात्मिकता I |
निर्देशांक | 22°22′ N 88°13′ E / 22.37° N 88.21° E |
प्रकार | धार्मिक संगठन I |
रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1 मई सन् 1897 को रामकृष्ण परमहंस के परम् शिष्य स्वामी विवेकानन्द ने की। इसका मुख्यालय कोलकाता के निकट बेलुड़ में है। इस मिशन की स्थापना के केंद्र में वेदान्त दर्शन का प्रचार-प्रसार है। रामकृष्ण मिशन दूसरों की सेवा और परोपकार को कर्म योग मानता है जो कि हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धान्त है।
रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई और किसने की / When was the Ramakrishna Mission established and by whom?
रामकृष्ण मिशन की स्थापना 1897 में स्वामी विवेकानंद ने की थी। आगे चलकर इस मिशन ने समाज सेवा के लिए बहुआयामी कार्य किये। । रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय बेलूर मठ (हावड़ा) कलकत्ता पश्चिम बंगाल में स्थित है। रामकृष्ण परमहंस (1836-1886) 19वी शताब्दी के प्रमुख सन्त जाने जाते है, जो रामकृष्ण मिशन के आध्यात्मिक प्रवर्तक माने जाते। रामकृष्ण जी दक्षिणशेवर मंदिर के मुख्य पुजारी रहे। और उन्होंने बहुत से मठ में रहने वाले ग्रहस्थ जीवन/आश्रम में रहने वाले शिष्यों को अपनी और आकर्षित किया।
स्वामी विवेकानन्द बचपन का नाम नरेन्द्र नाथ दत्त जो कि बाद में विवेकानन्द जी के नाम से प्रसिद्ध हुए। परमहंस जी ने अपनी मृत्यु (सन् 1886) से ठीक पहले अपने सन्यासी वस्त्र, अपने नौजवान शिष्य विवेकानन्द जी को प्रदान किये और अपनी सन्यास की योजना बनाई।
रामकृष्ण जी को अपने प्रमुख शिष्य ‘‘स्वामी विवेकानन्द’’ जी से अत्यधिक लगाव था और उनकी इच्छा थी कि आगे की जिम्मेदारी विवेकानन्द जी ही संभाले। रामकृष्ण जी की मृत्यु के पश्चात 1886 ई. उनके शिष्यों ने प्रथम मठ की स्थापना बरंगारे (Barengare) में की।
रामकृष्ण मिशन की स्थापना कैसे और कब हुई, किसने इसकी स्थापना की, तथा किस तरह से धीरे.धीरे इसका प्रचार-प्रसार हुआ।
श्री रामकृष्ण, बंगाल के एक गृहस्थ संत थे। उनका जन्म 1836 में कामरपुकुर में हुआ था। 16 अगस्त, 1886 की सुबह उनकी मृत्यु हो गई थी। वे स्वयं, शुरू में दक्षिणेश्वर मंदिर के पुजारी रहे थे, किन्तु वे पुजारी की भूमिका से कहीं आगे निकल गये और एक योगी तथा सन्यासी के लक्षण उनके भीतर प्रतिबिम्बित हुए। यद्यपि शारदा देवी से उनका विवाह हुआ था किन्तु वे दोनों कभी भी पति-पत्नी की तरह नहीं रहे। रामकृष्ण की नजर में सभी धर्मों का ईश्वर, एक ही था, भले ही उसकी पूजा, उन धर्मों द्वारा स्वयं ही प्रस्तावित, अलग-अलग तरीकों से की जा सकती थी। श्री रामकृष्ण का संदेश यही था र्कि ईश्वर की प्राप्ति ‘‘औरत तथा स्वर्ण ‘‘ का त्याग करके ही संभव हो सकती है। रामकृष्ण के एकतावाद ने अन्य सभी विचारों व मार्गों को सत्य की एकता के अनुभव के रूप में घटाकर रख दिया। श्री रामकृष्ण मिशन ने स्वामी विवेकानन्द को सत्य के अनेक अनुभव प्रदान करके उन्हें अपने विचारों में ढाल दिया। उनकी मृत्यु के तुरत बाद ही, 1886 में श्री रामकृष्ण के नाम पर एक मठवादी व्यवस्था का गठन किया गया, जो कि कोलकाता के उत्तर में करीब तीन कि.मी. की दूरी पर बारानागौर में है। यह मठवादी व्यवस्था उनके सन्यासी शिष्यों द्वारा स्वामी विवेकानन्द के नेतृत्व में गठित की गई।
वास्तव में उन्होंने ही इस व्यवस्था की नीव रखी थी। गुरु रामकृष्ण ने स्वयं ही अपनी बीमारी के दौरान इसे स्थापित कर दिया था। उन्होंने स्वामी विवेकानन्द को इस आशय के निर्देश दिये थे कि इस व्यवस्था का गठन एवं संचालन किस तरह से किया जाना है। माँ श्री शारदा देवी, जो कि श्री रामकृष्ण की पत्नी थी, मठ और मिशन स्थापित करने के पीछे महान् आध्यात्मिक प्रेरणा उन्हीं ही की थी।
1899 में, मठ को कोलकाता के उत्तर के लगभग 6 कि.मी. की दूरी पर गंगा के उस पार बेलूर में स्थित मौजूदा स्थल पर ले. जाया गया।
1897 के साल का मई का महीना, भारत में आधुनिक धार्मिक आन्दोलनों के इतिहास में दर्ज रहेगा, जब कि स्वामी विवेकानन्द तथा उनके मुट्ठीभर सहयोगियों ने रामकृष्ण मिशन की शुरुआत की थी। 4 मई, 1909 को 1860 के अधिनियम, XXI, पंजीकरण संख्या 1917 आफ 1909.10 के साथ रामकृष्ण मिशन के नाम से यह पजीकृत हुआ।
रामकृष्ण मिशन drishti ias /Ramakrishna mission drishti ias.
हम आप लोगों को बताने वाले हैं तो रामकृष्ण मिशन Drishti IAS क्योंकि इसके बारे में सभी लोगों को पता नहीं होता है कि उसका मतलब क्या होता है इसलिए हम आप लोगों को बताने वाले हैं रामकृष्ण मिशन Drishti IAS का मतलब क्या होता है I मैंने आप लोगों को इस पोस्ट में रामकृष्ण मिशन के बारे में बहुत ही विस्तार से तथा इससे संबंधित कोई सवाल के जवाब बताए हैं और अब हम आप लोगों को रामकृष्ण मिशन Drishti IAS के बारे में बताने वाले हैं जिसे आप लोग आसानी से जान सकते हैं I आइए हम आपको नीचे विस्तार से रामकृष्ण मिशन Drishti IAS के बारे में बताते हैं I
स्वामी विवेकानंद के बारे में /About Swami Vivekananda
1.स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी, 1863 को हुआ तथा उनके बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत्त था।
2.वह रामकृष्ण परमहंस के एक मुख्य शिष्य और भिक्षु थे।
3.उन्होंने वेदांत और योग के भारतीय दर्शन का परिचय पश्चिमी दुनिया को कराया।
वेदांत दर्शन: /Vedanta philosophy
1.वेदांत में संसार से मुक्ति के लिये त्याग के स्थान पर ज्ञान के पथ को आवश्यक माना गया है और ज्ञान का अंतिम उद्देश्य संसार से मुक्ति के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति है।
2.वेदांत दर्शन उपनिषद् पर आधारित है तथा इसमें उपनिषद् की व्याख्या की गई है।
3.वर्ष 1897 में विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस की मृत्यु के पश्चात् रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। इस मिशन ने भारत में शिक्षा और लोकोपकारी कार्यों जैसे- आपदाओं में सहायता, चिकित्सा सुविधा, प्राथमिक और उच्च शिक्षा तथा जनजातियों के कल्याण पर बल दिया।
4.वेदांत दर्शन में ब्रह्म की अवधारणा पर बल दिया गया है, जो उपनिषद् का केंद्रीय तत्त्व है।
स्वामी विवेकानंद के दर्शन की मूल बातें- /Basics of Swami Vivekananda’s Philosophy.
1.विवेकानंद ने आंतरिक शुद्धता एवं आत्मा की एकता के सिद्धांत पर आधारित नैतिकता की नवीन अवधारणा प्रस्तुत की। विवेकानंद के अनुसार, नैतिकता और कुछ नहीं बल्कि व्यक्ति को एक अच्छा नागरिक बनाने में सहायता करने वाली नियम संहिता है।
2.विवेकानंद का विचार है कि सभी धर्म एक ही लक्ष्य की ओर ले जाते हैं, जो उनके गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस के आध्यात्मिक प्रयोगों पर आधारित है।
3.विवेकानंद एक मानवतावादी चिंतक थे, उनके अनुसार मनुष्य का जीवन ही एक धर्म है। धर्म न तो पुस्तकों में है, न ही धार्मिक सिद्धांतों में, प्रत्येक व्यक्ति अपने ईश्वर का अनुभव स्वयं कर सकता है। विवेकानंद ने धार्मिक आडंबर पर चोट की तथा ईश्वर की एकता पर बल दिया। विवेकानंद के शब्दों में “मेरा ईश्वर दुखी, पीड़ित हर जाति का निर्धन मनुष्य है I
4.उन्होंने जगदीश चंद्र बोस की वैज्ञानिक परियोजनाओं का भी समर्थन किया। स्वामी विवेकानंद ने आयरिश शिक्षिका मार्गरेट नोबल (जिन्हें उन्होंने ‘सिस्टर निवेदिता’ का नाम दिया) को भारत आमंत्रित किया ताकि वे भारतीय महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने में सहयोग कर सकें।
5.विवेकानंद ने युवाओं को आध्यात्मिक बल के साथ-साथ शारीरिक बल में वृद्धि करने के लिये भी प्रेरित किया।
6.स्वामी विवेकानंद ने इस बात पर बल दिया कि पश्चिम की भौतिक और आधुनिक संस्कृति की ओर भारतीय आध्यात्मिकता का प्रसार करना चाहिये, जबकि वे भारत के वैज्ञानिक आधुनिकीकरण के पक्ष में भी मजबूती से खड़े हुए I
7.स्वामी विवेकानंद ने ऐसी शिक्षा पर बल दिया जिसके माध्यम से विद्यार्थी की आत्मोन्नति हो और जो उसके चरित्र निर्माण में सहायक हो सके।
8.पश्चिमी राष्ट्रवाद के विपरीत विवेकानंद का राष्ट्रवाद भारतीय धर्म पर आधारित है जो भारतीय लोगों का जीवन रस है। भारतीय संस्कृति के प्रमुख घटक मानववाद एवं सार्वभौमिकतावाद विवेकानंद के राष्ट्रवाद की आधारशिला माने जा सकते हैं।
रामकृष्ण मिशन आश्रम /Ramakrishna Mission Ashram.
अब हम लोगों को बताने वाले हैं कि रामकृष्ण मिशन आश्रम का केंद्र कहां है तथा यह आश्रम कब गठन किया गया और किसके द्वारा किया गया इन सभी चीजों के बारे में हम नीचे बहुत ही विस्तार से तथा सरल शब्दों में बताएंगे जिसे पढ़कर आप लोग आसानी से जान सकते हैं I कि रामकृष्ण मिशन आश्रम का गठन किन लोगों ने किया था तथा कब किया था और कहां हुआ था I यह बहुत ही कुरान ऐतिहासिक बातें हैं जिसके बारे में बहुत से लोगों को पता नहीं है इसलिए हम आप लोगों को इसके बारे में बताएंगे जिससे आप लोग को भी पता हो सके कि रामकृष्ण मिशन आश्रम की स्थापना कब हुई थी तथा किन लोगों ने किया था I तो आइए हम आप लोगों को बताते हैं कि रामकृष्ण मिशन आश्रम का गठन कब हुआ था तथा किसने किया था I
यह केंद्र 1985 में अबुझमार के आदिवासी लोगों के उत्थान के लिए शुरू किया गया था। 1198 छात्रों के साथ एक आवासीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, जिसमें ज्यादातर आदिवासी हैं।एक बहुउद्देशीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण केंद्र, जिसने 24 ग्रामीणों को मोटर यांत्रिकी, ड्राइविंग, टेलरिंग, बढ़ईगीरी आदि का प्रशिक्षण दिया। एक कृषि प्रशिक्षण-सह-प्रदर्शन इकाई, जिसने 3868 किसानों को प्रशिक्षित किया। इस इकाई द्वारा आयोजित किसान मेला (किसान मेला) में लगभग 15,000 आदिवासी किसानों ने भाग लिया। इसके अलावा, आदिवासी किसानों के लिए शैक्षिक दौरे भी आयोजित किए गए।
13,481 पुस्तकों और 67 पत्रिकाओं और समाचार पत्रों के साथ एक केंद्रीय पुस्तकालय।365 आदिवासी छात्रों के साथ अबुझमार में दो आवासीय जूनियर स्कूल।289 आदिवासी छात्रों के साथ इरकभट्टी, कच्छपाल और कुतुल गांवों में तीन प्राथमिक स्कूल।10 ट्रेडों के साथ एक निशुल्क औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान 305 लड़कों को प्रशिक्षित करता है।2007 के आदिवासी छात्रों के लिए नि: शुल्क कोचिंग की सुविधा, जो स्टेशनरी, वर्दी, भोजन और परिवहन सुविधाओं के साथ प्रदान की गई थी।
विवेकानंद आरोग्य धाम, 30 बिस्तरों वाला अस्पताल, जिसमें 3405 रोगियों और 57,658 बाह्य रोगियों (156 टीबी के मामलों सहित) का इलाज किया गया।एक मोबाइल मेडिकल यूनिट, जिसमें 9481 मरीजों का इलाज किया गया।
कुतुल, इरकभट्टी, कुंडला, कच्छपाल और अकबेडा गांवों में पांच स्वास्थ्य पद हैं, जिसमें 20,383 मरीजों का इलाज किया गया। छह उचित मूल्य की दुकानें और विभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रम जैसे भूमि की मरम्मत, तालाबों की खुदाई, आदि। गाँवों में 210 हैण्ड पम्पों की स्थापना। श्री रामकृष्ण, पवित्र माँ श्री शारदा देवी, स्वामी विवेकानंद और अन्य संतों के जन्मदिन का उत्सव।
Ramakrishna mission Indian religious society
You will tell people that Ramakrishna Mission India was done by which religion because many people will not know that by which religion Ramakrishna Mission was formed in India, so we will tell you that which religion was formed Ramakrishna Mission. was done in India by so that you can also easily know that by which religion the Ramakrishna Mission was formed in India, so that if someone asks you that by which religion the Ramakrishna Mission was formed in India, then you To tell them easily that the Ramakrishna Mission in India was formed by the Hindu Dharma Samaj, let us tell you in detail below that by which religion the Ramakrishna Mission was formed in India.
Ramakrishna Mission, Hindu religious society that carries out extensive educational and philanthropic work in India and expounds a modern version of Advaita Vedanta—a school of Indian philosophy—in Western countries. It and its sister organization, the Ramakrishna Math, constitute two different but related branches of the Ramakrishna Order.
The society was founded near Calcutta (now Kolkata) by Vivekananda in 1897 with a twofold purpose: to spread the teachings of Vedanta as embodied in the life of the Hindu saint Ramakrishna (1836–86) and to improve the social conditions of the Indian people. Ramakrishna, as a direct result of his own spiritual experiences with various religious disciplines, including Christianity and Islam, fully endorsed the Hindu tenet that all religions are paths to the same goal. In his lifetime there grew about him a small but devoted band of disciples, among whom the young Narendranath Datta (who later took the name Vivekananda) was outstanding and was chosen by Ramakrishna as his successor. These disciples were also the nucleus of the Ramakrishna math (“monastery”) established at Belur, on the banks of the Ganges near Calcutta, and consecrated in 1898. The Sri Sarada Math, begun in Calcutta in 1953, was made a completely separate organization in 1959, following the earlier wishes of Vivekananda; together with its sister organization, the Ramakrishna Sarada Mission, it operates a number of centres in different parts of India. Several Ramakrishna Mission centres specifically serving women were turned over to the Ramakrishna Sarada Mission.
The Vedanta Society of the City of New York, incorporated in 1898, is the oldest branch of the Ramakrishna Mission in the United States. It grew out of classes held by Vivekananda while on a visit to the United States to speak before the 1893 World’s Parliament of Religions in Chicago.In the early 21st century more than 20 branches were operating in the United States, and there were also centres in Argentina, Australia, Bangladesh, Brazil, Canada, Fiji, France, Germany, Japan, Malaysia, Mauritius, the Netherlands, Russia, Singapore, South Africa, Sri Lanka, Switzerland, and the United Kingdom. In India mission centres carry on various philanthropic activities, including medical service, educational work, publications, and relief work.
रामकृष्ण परमहंस जी के प्रेरणादायक अनमोल विचार /Inspirational priceless thoughts of Ramkrishna Paramhans ji.
हम आप लोगों को रामकृष्ण परमहंस जी के प्रेरणादायक अनमोल विचार के बारे में बताने वाले हैं क्योंकि बहुत से लोग रामकृष्ण परमहंस जी के अनमोल विचार नहीं जानते होंगे इसलिए हम आप लोगों को इनके अनमोल विचार बताएंगे जिससे आप लोगों को भी आसानी से पता हो सके कि रामकृष्ण परमहंस जी का प्रेरणादायक गायक अनमोल विचार क्या है I इन्होंने बहुत ही प्रेरणादायक अनमोल विचार बताए हैं जिन्हें हम आप लोगों को नीचे पॉइंट के आधार पर बताएंगे जिसे आप लोग आसानी से पढ़कर जान सकते हैं क्योंकि हमने रामकृष्ण परमहंस जी के प्रेरणादायक अनमोल विचार बहुत ही शुद्ध तथा सरल भाषा में बताएं हैं तो आइए आप लोगों को रामकृष्ण परमहंस जी के प्रेरणादायक अनमोल विचार के बारे में बताते हैं I
रामकृष्ण परमहंस जी एक महान योगी व् उच्च कोटि के विचारक थे. उन्होंने अपने प्रेरणादायक विचारो से समाज कल्याण में काफी योगदान दिया. साथ ही इन महान संत के महान शिष्य स्वामी विवेकांनद जी ने समस्त संसार में अपने गुरु की दी गयी शिक्षा का प्रचार किया I आज हम आपके लिए रामकृष्ण परमहंस जी के बताये प्रेरणादायक अनमोल विचार से सम्बंधित महत्वपूर्ण लेख लेकर आये है. हम पुरे विश्वास से कह सकते है ये प्रेरणादायक अनमोल विचार आपके जीवन में बहुत काम आ सकते है. तो देर न करते हुए चलिए जानते है I
रामकृष्ण परमहंस जी के प्रेरणादायक अनमोल विचार /Inspirational priceless thoughts of Ramkrishna Paramhans ji.
1.बिना स्वार्थ के कर्म करने वाले इन्सान वास्तव में खुद के लिए अच्छा कर्म करते है I
2.जब तक हमारे मन में इच्छा है, तब तक हमे ईश्वर की प्राप्ति नही हो सकती है I
3.अपने विचारों से इमानदार रहें. समझदार बने, अपने विचारों के अनुसार कार्य करें, आप निश्चित रूप से सफल होंगे. एक ईमानदार और सरल हृदय के साथ प्रार्थना करो, और आपकी प्रार्थना सुनी जाएगी I
4.ईश्वर सभी इंसानों में है लेकिन सभी इंसानों में ईश्वर का भाव हो ये जरुरी हो नही है, इसलिए हम इन्सान अपने दुखो से पीड़ित है I
5.जब तक हमारा जीवन है हमे सीखते रहना चाहिए I
6.दुनिया वास्तव में सत्य और विश्वास का एक मिश्रण है I
7.ईश्वर दुनिया के हर कण में विद्यमान है और ईश्वर के रूप को इंसानों में आसानी से देखा जा सकता है इसलिए इंसान की सेवा करना ईश्वर की सच्ची सेवा है I
8.अगर तुम पूर्व की ओर जाना चाहते हो तो पश्चिम की ओर मत जाओ I
9.नाव जल में रहे, लेकिन जल नाव में नहीं रहना चाहिए, इसी प्रकार साधक जग में रहे, लेकिन जग साधक के मन में नहीं रहना चाहिए I
10.जिस प्रकार गंदे शीशे पर सूर्य की रौशनी नही पड़ती ठीक उसी प्रकार गंदे मन वालो पर ईश्वर के आशीर्वाद का प्रकाश नही पढ़ सकता I
11.जिस व्यक्ति में ये तीनो चीजे हैं, वो कभी भगवान को प्राप्त नहीं कर सकता या भगवान की द्रष्टि उस पर नहीं पड़ सकती. ये तीन हैं लज्जा, घृणा और भय I
12.भगवान की तरफ विशुद्ध प्रेम बेहद जरूरी बात है और बाकी सब असत्य और काल्पनिक है I
13.जब फूल खिलता है तो मधुमक्खी बिना बुलाये आ जाती है ठीक इसी प्रकार जब हम प्रसिद्ध होंगे तो लोग बिना बताये हमारा गुणगान करने लगेगे I
14.वह मनुष्य व्यर्थ ही पैदा होता है, जो बहुत कठिनाईयों से प्राप्त होने वाले मनुष्य जन्म को यूँ ही गवां देता हैं और अपने पुरे जीवन में भगवान का अहसास करने की कोशिश ही नहीं करता I
15.पानी और उसका बुलबुला एक ही चीज है उसी प्रकार जीवात्मा और परमात्मा एक ही चीज है अंतर केवल यह है कि एक परीमीत है दूसरा अनंत है एक परतंत्र है दूसरा स्वतंत्र है I
16.जिसने आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर लिया उस पर काम और लोभ के विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता I
स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण मिशन /Swami Vivekananda Ramakrishna Mission.
स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण मिशन के बारे में हम आप लोगों को बताने वाले हैं कि इस मिशन में स्वामी विवेकानंद का क्या रोल है अर्थात रामकृष्ण मिशन में स्वामी विवेकानंद जी का क्या महत्व है इसके बारे में हम आप लोगों को बहुत ही विस्तार से बताएंगे क्योंकि बहुत से लोग को नहीं पता होगा कि रामकृष्ण मिशन में स्वामी विवेकानंद जी का क्या महत्व है इसलिए हम आप लोगों को इसके बारे में नीचे बहुत विस्तार से बताने वाले हैं जिसे पढ़कर आप लोग इसके बारे में बहुत ही आसानी से जान सकते हैं क्योंकि हमने इसके बारे में बहुत ही शुद्ध तथा सरल भाषा में बताया है कि राम कृष्ण मिशन में स्वामी विवेकानंद जी का क्या महत्व है आइए हम इसके बारे में आप लोगों को नीचे विस्तार से बताते हैं जिसे पढ़कर आप लोग जान सकते हैं कि रामकृष्ण मिशन में स्वामी विवेकानंद जी का क्या महत्व है I
स्वामी विवेकानंद एक हिंदू भिक्षु थे और भारत के सबसे प्रसिद्ध आध्यात्मिक नेताओं में से एक थे I वह सिर्फ एक अध्यात्मिक दिमाग से अधिक था वह एक प्रखर विचारक महान वक्ता और भावुक देशभक्त थे I स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के स्वतंत्र चिंतन को एक नए प्रतिमान में आगे बढ़ाया I उन्होंने गरीबों और जरूरत मंद लोग की सेवा में अपने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया समाज की भलाई के लिए अथक प्रयास किया I
स्वामी विवेकानंद का जन्म मकर संक्रांति पर्व के दौरान 12 जनवरी 1963 को ब्रिटिश भारत की राजधानी कोलकाता में 3 गौर मोहन मुखर्जी स्ट्रीट में उनके पैतृक घर में एक बंगाली परिवार में नरेंद्र नाथ दत्ता के रूप में हुआ था I वह एक पारंपरिक परिवार से था और नौ भाई बहनों में से एक था I उनके पिता विश्वनाथ दत्ता कोलकाता उच्च न्यायालय में एक वकील थे I
दुर्गा चरण दत्ता नरेंद्र नाथ दत्ता के दादा एक संस्कृत और फारसी के विद्वान थे I जिन्होंने अपना परिवार छोड़ दिया और 25 साल की उम्र में एक भिक्षु बन गए I उनकी मां भुवनेश्वरी देवी एक भक्ति ग्रहणी थी I नरेंद्र के पिता और उनकी मां के धार्मिक स्वभाव के प्रगतिशील, तर्कसंगत रवैया से उनकी सोच और व्यक्तित्व को आकार देने में मदद की I
नरेंद्रनाथ कम उम्र से ही आध्यात्मिकता में रुचि रखते थे, और शिव, राम , सीता और महावीर हनुमान जैसे देवताओं के छाबियो के सामने ध्यान करते थे I वह तपस्वीयो और भिक्षुओ को भटकते देखते हुए मोहित हो जाते थे I नरेंद्रनाथ एक बच्चे के रूप में शरारती और बेचैन था, और उसके माता-पिता को अक्सर उसे नियंत्रित करने में कठिनाई होती थी I उनकी मां ने कहा मैंने शिव से 1 पुत्र के लिए प्रार्थना की और उन्होंने हमें अपना एक भूत भेजा है I
रामकृष्ण मिशन \Ram krishna mission.
रामकृष्ण मिशन एक हिंदू धार्मिक और आध्यात्मिक संगठन है, जो विश्वव्यापी आध्यात्मिक आंदोलन का मूल रूप है जिसे रामकृष्ण आंदोलन या वेदांत आंदोलन के रूप में जाना जाता है I इस मिशन का नाम भारतीय संत रामकृष्ण परमहंस के द्वारा रखा गया है और 1 मई सन 1897 को राम कृष्ण के मुख्य से स्वामी विवेकानंद के द्वारा स्थापित किया गया था I यह संगठन मुख्य रूप से वेदांत अद्वैत वेदांत और चार योगिक आदर्शो ज्ञान,भक्त , कर्म के हिंदू दर्शन का प्रचार करता है I
धार्मिक और आध्यात्मिक शिक्षण के अलावा संगठन भारत में व्यापक शैक्षिक और परोपकारी कार्य करता है I यह अन्य हिंदू आंदोलन की विशेषता बन गया है I यह मिशन कर्म योग के सिद्धांतों भगवान के प्रति समर्पण के साथ किए गए निस्वार्थ कार्य के सिद्धांतों पर आधारित है I रामकृष्ण मिशन के दुनिया भर में केंद्र हैं और कई महत्वपूर्ण हिंदू ग्रंथों का प्रकाशन किया जाता है I यह मठ संगठन रामकृष्ण मठ संबंध है जिसके साथ इसके सदस्य है I
सभी अलग अलग धार्मिक विचारों में एक ही लक्ष्य के लिए अलग-अलग तरीके हैं, रामकृष्ण का संदेश था I वह (भगवान) एक और कई दोनों हैं I उसका रूप है और उसके बिना भी है I यह संदेश एक महान सार्वभौमिक भावना के साथ साथ प्रतीकों का एक तारामंडल है I
रामकृष्ण मिशन निबंध /Ramakrishna mission essay
अब हम आप लोगों को रामकृष्ण मिशन के निबंध के बारे में बताएंगे क्योंकि निबंध का मतलब होता है किसी भी टॉपिक पर ज्यादा से ज्यादा विचार विमर्श किया जाए तथा उस टॉपिक के बारे में ज्यादा से ज्यादा लिखा जाए उसे निबंध कहते हैं जैसा कि जब लोग हाईस्कूल या इंटर का पेपर देने जाते हैं तो हिंदी में कोई भी टॉपिक पर आ जाता है कि निबंध लिखो तो बच्चे उस टॉपिक के बारे में बहुत ही बड़ चढ़ाकर अर्थात उस टॉपिक के बारे में ज्यादा से ज्यादा लिखने की कोशिश करते हैं I
इसलिए हम आप लोगों को रामकृष्ण मिशन निबंध के बारे में बताएंगे हम इस निबंध में रामकृष्ण मिशन से रिलेटेड कई सवालों के जवाब बताएंगे जिसे पढ़कर आप लोग रामकृष्ण मिशन से संबंधित और भी कई सवालों के जवाब के बारे में जान सकते हैं क्योंकि बहुत ही कम लोग रामकृष्ण मिशन के बारे में थोड़ा बहुत जानते हैं इसलिए हम आप लोगों को इस निबंध के माध्यम से रामकृष्ण मिशन के बारे में बहुत ही विस्तार से बताएंगे जिसे पढ़कर आप लोग रामकृष्ण मिशन से संबंधित बहुत सारी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तो आइए हम आप लोगों को नीचे रामकृष्ण मिशन निबंध के बारे में बताते हैं I
स्वामी विवेकानन्द ने भारतीय संस्कृति, धर्म एवं समाज की अच्छाईयों को विश्व के सामने रखा. राम कृष्ण मिशन के संस्थापक स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 ई को बंगाल के विश्वनाथ दत्त के परिवार में हुआ था. इनके बचपन का नाम नरेंद्र नाथ दत था I
विवेकानंद जी पर अपनी माता भुवनेश्वरी देवी का विशेष प्रभाव था. भारतीय दर्शन के अध्ययन के साथ ही उन्होंने पश्चिमी विचारों का भी अध्ययन किया. प्रारम्भ से ही आध्यात्म के प्रति उनकी गहरी रूचि थी.सन 1881 में विवेकानंदजी की दक्षिणेश्वर में उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस से भेट हुई, जिन्होंने उनकों ईश्वर की अनुभूति करवाई तभी से स्वामीजी रामकृष्ण परमहंस के भक्त हो गये थे I
राम कृष्ण मिशन की स्थापना /Establishment of Ram Krishna Mission
स्वामी विवेकानंदजी ने अपने गुरु रामकृष्ण की शिक्षाओं के व्यापक प्रसार के लिए कोलकाता के बेल्लूर के पास 5 मई 1897 में ‘राम कृष्ण मिशन’ की स्थापना की. इसकी शाखाएँ देश विदेश में फैली हुई है. इससे पूर्व 1887 में तारानगर में राम कृष्ण मिशन की स्थापना की गई थी.मठों के माध्यम से राम कृष्ण मिशन का संगठन तथा प्रचार कार्य स्वामीजी ने प्रारम्भ कर दिया था. लेकिन राम कृष्ण मिशन का वैधानिक स्वरूप उनकी मृत्यु के बाद 1903 में अस्तित्व में आया, जब इन्हें एक समुदाय के रूप में पंजीकृत करा लिया गया.राम कृष्ण मिशन भारत के विभिन्न प्रान्तों तथा अमेरिका, फिजी, मारीशस आदि देशों में शाखाएं है. राम कृष्ण मिशन ऐसे आदर्शों एवं सिद्धांतो का प्रचार करता है जिसे सभी धर्म एवं संस्कृतियों के लोग अपना सके. इस मिशन के माध्यम से उपदेश, शिक्षा, चिकित्सा, अकाल, बाढ़, भूकम्प व सक्रामक रोगों से पीड़ितो की सहायता का कार्य भी किया जाता है.स्वामी विवेकानंद का मानव सेवा में महत्वपूर्ण स्थान है. वे रूढ़िवादिता, अंधविश्वास, निर्धनता के कटु आलोचक थे. छुआछुत एव वर्गभेद को नही मानते थे. “राम कृष्ण मिशन” के माध्यम से इन्होने जन कल्याण की भावना को प्रोत्साहित किया I
स्वामी विवेकानंद के कार्य / Works of Swami Vivekananda
1.हिन्दुओं में आत्म गौरव की भावना विकसित करना I
2.उनका पहला कार्य था, धर्म की ऐसी व्याख्या करना, जो सर्वमान्य हो I
3.पाश्चात्य शिक्षा के कारण भारतियों के प्रति श्रद्धा कम हो गई थी. इस दृष्टि से हिन्दू धर्म के प्रति हिन्दुओं की श्रद्धा को पुनर्स्थापित करना I
स्वामी विवेकानंद के विचार /Thoughts of Swami Vivekananda
स्वामीजी वेदांत दर्शन के अध्येता थे. उनकी मान्यता थी कि वेदांत हमारे आत्मबल को जाग्रत करता है. स्वामी जी ने अज्ञानता तथा गरीबी को दूर करने तथा अनाथों की सहायता करने पर जोर दिया I
उन्होंने भारत की राष्ट्रीयता का भी पोषण किया और भारत माँ की पूजा के लिए प्रेरित किया. युवकों को देश के प्रति समर्पण भाव रखने की प्रेरणा दी I
स्वामी विवेकानंद के अनुसार धर्म /Religion according to Swami Vivekananda.
धर्म मनुष्य के भीतर निहित देवत्व का विकास है, धर्म न तो पुस्तकों में है और न ही धार्मिक सिद्धांतो में, वह तो केवल अनुभूति में निवास करता है I
स्वामीजी ने सन 1891 से भारत के विभिन्न स्थानों पर भ्रमण किया तथा भारतीयों की निर्धनता एवं दयनीय दशा का प्रत्यक्ष अनुभव किया. आपकों 1893 ई में शिकागो अमेरिका में विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लेने का भी अवसर मिला I
विश्व धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानंद /Swami Vivekananda at the World Conference of Religions.
कई बाधाओं को पार करते हुए स्वामी विवेकानन्द धर्म सम्मेलन में पहुचे. स्वामीजी ने अपने भाषण से विश्व को अवगत करवाया कि विश्व का कोई भी कार्य भारत के सामर्थ्य से बाहर नही है.बौद्धिक, धार्मिक, चारित्रिक, आध्यात्मिक एवं दार्शनिक दृष्टि से भारत जितना समर्द्ध है उतना विश्व का कोई अन्य देश नही.स्वामीजी ने अपने आत्मीय उद्बोधन से लोगों का मन मोह लिया, अगले दिन वहां के समाचार पत्र हैरल्ड में उनके बारे में लिखा ”धर्म की इस महान संसद में विवेकानंद ही सबसे महान है.उनका भाषण सुनने के बाद लगता है कि ऐसें ज्ञानी देश को सुधारने के लिए विदेशी धर्म प्रसारकों को भेजना कितनी मुर्खता की बात है I
रामकृष्ण मिशन के सिद्धांत /Principles of Ramakrishna Mission.
1.हिन्दू धर्म के समस्त अंग सच्चे तथा रक्षणीय है तथा हिन्दू सभ्यता अति प्राचीन, सुन्दर एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण है।
2.आत्मा अजर अमर हैं।
3. ज्ञान और भक्ति एक ही लक्ष्य की ओर ले जाने वाले दो मार्ग है।
4.पाश्चिमी सभ्यता भौतिकवा और छल से युक्त हैं। अतः हिन्दूओं को अपने धर्म जाति समाज को पाश्चिमी सभ्यता से दूर रखना चाहिए।
5.ईश्वर एक है और आध्यात्मवाद का अनुसरण कर ब्रह्म मे लीन हो जाना ही मनुष्य का परम धर्म हैं।
6.हिन्दू धर्म का आधार वेदान्त धर्म है। वेदान्त के आधार पर ही धर्म के स्वरूप को समझा जा सकता है।
7.प्रेत्यक व्यक्ति को अपने धर्म मे रहना चाहिए और उसी से प्रेम करना चाहिए।
aims and objectives of ramakrishna mission
विवेकानंद शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान (RKMVERI) (यूजीसी अधिनियम 1956 की धारा -3 के तहत भारत सरकार द्वारा घोषित डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटी) स्वामी विवेकानंद के जीवन-निर्माण के मौलिक शैक्षिक विचारों को व्यवहार में लाने का एक विनम्र प्रयास है, पूर्व और पश्चिम के सर्वोत्तम तत्वों को मिलाकर मानव-निर्माण और चरित्र-निर्माण की शिक्षा। उन्होंने एक ऐसी शिक्षा प्रणाली की कल्पना की, जिसमें हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत, ज्ञान की पवित्रता, श्रद्धा, सत्य के प्रति समर्पण आदि जैसे मूल्यों की अपनी पुरानी परंपरा के साथ, आधुनिक विज्ञान और मुख्य रूप से पश्चिमी मूल्यों जैसे वैज्ञानिक स्वभाव के साथ मिश्रित हो। दृष्टिकोण की तर्कसंगतता, भौतिक दुनिया की प्रकृति में निडर और वस्तुनिष्ठ जांच, तकनीकी कौशल, कार्य कुशलता, टीम वर्क, आदि।
स्वामी विवेकानंद के लिए, “उचित प्रकार की शिक्षा’ का अर्थ ‘मानव-निर्माण’, ‘चरित्र-निर्माण’ शिक्षा है और न केवल मस्तिष्क में ऐसी जानकारी संग्रहीत करना है जिसका जीवन से कोई संबंध नहीं होगा। ऐसी शिक्षा कैसे दी जाए? गुरुकुल प्रणाली द्वारा, जिसमें छात्रों को परिवार के सदस्यों के रूप में, स्टर्लिंग चरित्र के शिक्षकों के साथ, मूर्त आध्यात्मिकता के साथ रहना होता है। लेकिन गुरुकुलों को एक साथ संख्या में शुरू नहीं किया जा सका, उचित धन और कुशल शिक्षकों के लिए आवश्यक थे।
संस्थान कला, विज्ञान और आध्यात्मिक अध्ययन के विषयों में शिक्षा और अनुसंधान के अवसर प्रदान करना है। कला में मानविकी और सामाजिक विज्ञान शामिल होंगे; विज्ञान में प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग सहित सभी श्रेणियों के मौलिक और अनुप्रयुक्त विज्ञान शामिल होंगे। आध्यात्मिक अध्ययन में अंतर्निहित सद्भाव दिखाने के लिए अपने व्यापक रूप में तुलनात्मक धार्मिक अध्ययन सहित नैतिक, नैतिक और मूल्य शिक्षा शामिल होगी। इन तीन विषयों के पूरक और अन्योन्याश्रित चरित्र पर इस विश्वविद्यालय में विशेष जोर दिया जाएगा। इसलिए मूल्य शिक्षा सभी पाठ्यक्रमों में एक अनिवार्य घटक होगी।
कला, विज्ञान और आध्यात्मिक अध्ययन में हमारे डिग्री कार्यक्रमों के अलावा, हम दो प्रकार के पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। सबसे पहले, हम पेशेवर विकास पाठ्यक्रम, आवश्यकता-आधारित और नौकरी-उन्मुख प्रदान करते हैं, जिसका उद्देश्य अनिवार्य रूप से समाज के जनता और हाशिए के वर्गों को संबोधित करना है – ऐसे पाठ्यक्रम जो बड़े पैमाने पर उन्हें नौकरी की तलाश करने के बजाय खुद को नौकरी देने में सक्षम बनाते हैं। दूसरों से और, स्वामी विवेकानंद के शब्दों में, “उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने में सक्षम बनाने के लिए।” दूसरा, हम माता-पिता सहित शिक्षा के क्षेत्र में सभी हितधारकों को संबोधित करने के उद्देश्य से सांस्कृतिक, नैतिक और नैतिक रूप से समृद्ध मूल्य-उन्मुख पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं।
आखिरकार, आरकेएमवीईआरआई मूल दृष्टि को बरकरार रखते हुए जैव प्रौद्योगिकी, नैनो-विज्ञान और नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-सूचना विज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान, सूचना और संचार विज्ञान और प्रौद्योगिकी आदि जैसे नए और उभरते क्षेत्रों में जाकर अपने दायरे का विस्तार करेगा।
रामकृष्ण के आदेश पर स्वामी विवेकानन्द ने प्रथम मठ की स्थापना कहाँ की थी?
स्वामी विवेकानंद ने 1 मई 1897 में कलकत्ता में रामकृष्ण मिशन और 9 दिसंबर 1898 को गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की थी।
रामकृष्ण मिशन की स्थापना कब हुई?
1 मई 1897 में I
रामकृष्ण मिशन के संस्थापक कौन थे ?
रामकृष्ण मिशन के संस्थापक स्वामी विवेकानंद जी हैं जो रामकृष्ण परमहंस के शिष्य थे। 1 मई 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना हुई थी।
स्वामी विवेकानंद ने शादी क्यों नहीं की?
सांसारिक भोग और विलासिता से उपर उठकर जीने की उनकी चेतना ने आकार लेना शुरू कर दिया था, इसलिए शादी के प्रस्ताव पर ‘ना’ ही करते रहे।
रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय कहाँ है?
कोलकाता के निकट बेलुड़ में है।
स्वामी विवेकानंद की मृत्यु कब हुई?
4 जुलाई 1902 में I
स्वामी विवेकानंद के गुरु का क्या नाम था?
रामकृष्ण परमहंस था।
news | click here |
rskg | click here |