shani chalisa
shani chalisa आज हम आप लोगों को श्री शनि चालीसा के बारे में जानकारी देना चाहते हैं और आप लोगों को बताना चाहते हैं कि आखिर सनी भगवान का पूजा करने वाले लोग शनि चालीसा को ज्यादाज्यादा मानते हैं और मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं कि शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा व्रत तथा उनके चालीसा का पठन-पाठन किया जाता है जिससे किलोगों को उनके बारे में जानकारी प्राप्त हो तथा उनके महानता के गुणगान को गाया जा सके और इस प्रकार से हम आप लोगों को आज शनि चालीसा के बारे में बताएंगे और नीचे मैं आप लोगों को शनि चालीसा दूंगा जिससे कि आप लोग भी पढ़ कर उसका आनंद उठा सकें धन्यवाद।\

Doha
जय गणेश गिरी सुवन, मंगल करण कृपाल।
दीन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुन विनय महाराज।
करहु कृपा हे सूर्य तनय, राखहु जन की लाज ॥
Chaupai
जयति जयति शनिदेव दयाला।
करत सदा भक्तिन प्रतिपाला
चारि बंता, तनु श्याम विराजै।
मै रतन कुटछबिजै॥
परम विशाल भाला।
टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विक्राला॥
कुण्डल श्रावण चमाचम चमके।
हिय माल मुक्त मणि धमके
कर में गदा त्रिशूल कुठारा।
पल बिच करन अरिंहंगा संहार॥
पिंगल, कृष्णो, श्वेत नन्दन।
यम, किंस्थ, रौद्र, दुखभंजन
सौरी, मण्ड, शनि, दश नामा।
भानु पूज
जा पर प्रसन्नता हो रही है।
रंखुँ रे
पर्वतहु तृण होई निहारत।
तृणहू को पर्वत करि डारती
राज मिलत बन रामहिंयो।
कैकेइहुँ की मति हरि लींयो॥
मृगकप दिखाई दे रहा है।
मातु जानकी पूरी तरह से
लखन व्यक्ति विक्लीकिडारा।
मचिगा दल में हाकारा॥
रान की गति-मती बौराई।
रामचन्द्र सों बैर
दियो की तरह कंचन लंका।
बजरंग बीर का डंस
नृप विक्रम पर तुहि पग धारा।
चित्रमयूर
डर्कलखा लागियो
पायर डरवायो तोरी॥
महान दशा निकृष्ट प्रदर्शितयो।
तेलिहिं
विनय दीपक महं कीन्यों।
खुशियों के लिए खुश खुशियाँ दीनय॥
हरिश्चन्द्र नृप नारी बिकानी।
घर घर पानी॥
तैसे नल पर दशा दशा।
भूंजी-मीन स्लड पानी॥
श्री शंकर अँग्रेज़ी
पार्वती को सती॥
तनिक विलोकत ही करि रीसा।
नभउलि गयो गौरीसुत सीसा॥
पांडव पर भैदस की स्थिति।
बची द्रौपदी होति उघारी॥
कैरव की गति गति मारयो।
युद्ध महाभारत करि
सूर्य कहँ मुख महँ धारी।
डिल्डि परोलो पाताल
शेष देव-लखि विनती लाई।
सूर्य को मुख्य टीवी टीवी
वाहन प्रभु के सात सुजाना।
जग गर्दभ मृग स्वान
जम्बुक सिंह आदि नख धारी।
सो फल सत्य कहतवादी॥
गज वाहन लक्ष्मी घर आवैं।
हय ते सुखी सम्पादित फसलें
गर्ल करै मल्टी काजा।
सिंह सिद्धकर राज सोसाइटी
जॅमबस्ट खराब कर रहा है।
मृग द अडच प्राण संहारै॥
जबाव व्यवस्था
प्रिय अन्य भयभय
तैसहि चारी चरण यह नाम।
सोने की चाँदी अरु ताम
जब तक प्रभु आवैं।
धन जन बर्बादी भुगतान॥
समता ताम्र शुभकारी।
गोल्डन सर्व सर्व सुखी मंगल
जो यह शनि वैशिष्ट्य नित गावै।
कबुं न दशा निकृष्ट सतवै॥
अविश्वसनीय नाथ चालं लीला।
शत्रु के नशि बली ॥
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।
विधि शनि ग्रह ग्रह॥
पीपल शनि दिन में।
दीप दिवस द्वि बहु सुख पावत
कहत राम सुन्दर दासा।
सन सुमित सुख प्रकाश प्रकाश
Doha
पाठ शनिश्चर देव को, ‘भक्त’ तैयारी।
करत पाठ चालीसवें दिन, हो भवसागर पर
और इस प्रकार से तुमने आप लोगों को श्री सनी जी महाराज के बारे में जानकारी दिया और श्री शनि चालीसा का पाटन करने के लिए मैंने आप लोगों को उनका श्री शनि चालीसा आप लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया हमें आशा है कि आप लोगों को या श्री शनि चालीसा बहुत ही अद्भुत तथा बहुत ही अच्छा लगेगा और आप पढ़ कर इसे अपने प्रभु के प्रति भक्ति की भावना प्रकट करेंगे जिससे कि आप लोगों को बहुत आनंद मिलेगा और हमें आशा है कि आप लोगों को या श्री शनि चालीसा बहुत ही अच्छा लगेगा धन्यवाद।
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भगवान शनि जी के बारे में जानने के लिए तथा उनके महिमा का गुणगान करने के लिए आज हम लोगों के बीच में शनि चालीसा के रूप में एक बहुत ही महान तथा बहुत ही महत्वपूर्ण पुस्तक शनि चालीसा के रूप में उपलब्ध है जो कि भगवान शनि जी के बारे में अच्छी-अच्छी जानकारी देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है एवं उनके बारे में जानकारी प्रोवाइड करवाता है हमें आशा है कि आप लोग उनके बारे में जानने के लिए
अब हम आप लोगों को नीचे पीडीएफ के माध्यम से शनि चालीसा का पठन कराएंगे जो कि नीचे लिंक के माध्यम से आप लोग पढ़ सकते हैं
बृहस्पति व्रत की कथा, पूजा बिधि, तथा नियम
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श्री शनि चालीसा के बारे में मैंने आप लोगों को जैसे बताया है उसी प्रकार में आप लोगों को नीचे भी उसके बारे में अधिक जानकारी दूंगा और मैं आप लोगों को शनि चालीसा की पूरी पुस्तक नीचेउपलब्ध करवाता हूं इन के माध्यम से आप लोग शनि चालीसा के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे और नीचे दिए गए शनि चालीसा को पढ़कर आप बहुत ही अच्छा महसूस करेंगे तो नीचे दिया गया।
श्री शनि चालीसा
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुःख दूर करि , कीजै नाथ निहाल ॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु , सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय , राखहु जन की लाज ॥
जयति जयति शनिदेव दयाला । करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै । माथे रतन मुकुट छवि छाजै ॥
परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥
कुण्डल श्रवन चमाचम चमके । हिये माल मुक्तन मणि दमके ॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं शत्रु संहारा ॥
पिंगल, कृष्णो, छायानन्दन । यम, कोणस्थ, रौद्र, दुःखभंजन ॥
सौरी, मन्द, शनि, दश नामा । भानु पुत्र पूरहिं सब कामा ॥
जापर प्रभु प्रसन्न हो जाहीं । राव करैं रंकहि क्षण माहीं ॥
पर्वतहू तृण होई निहारत । तृणहू को पर्वत सम करि डारत ॥
राज मिलत बन रामहिं दीन्हो | कैकेई की मति हरि लीन्हो ||
बन में मृग कपट दिखाई । मातु जानकी गई चुराई ॥
रावण की मति गई बौराई । रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई ॥
दियो झारि करि कंचन लंका । बाज्यो बजरंग बीर का डंका ॥
लछमन विकल शक्ति के मारे| रामादल चिंतित भए सारे॥
नृप विक्रम पर दशा जो आई | चित्र मयूर हार गा खाई ||
हार नौलखा की लगि चोरी | हाथ पैर डरवायो तोरी ||
अति निन्दामय बीता जीवन | तेली सेवा लायो नृप तन ||
विनय राग दीपक महं कीन्हो | तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हो ||
हरिश्चन्द्र नृप नारी बिकानी | राजा भर्यो डोम घर पानी ||
वक्र दृष्टि जब नल पर आई | भुंजी मीन जल पैठी जाई ||
श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई | जगजननी कह भस्म कराई ||
तनिक विलोकत करी कुछ रीसा | नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा ||
पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी । अपमानित भई द्रौपदी नारी ॥
कौरव कुल की गति मति हारी । युद्ध महाभारत भयो भारी ॥
रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला । कूदि परयो सहसा पाताला ॥
शेष देव तब विनती किन्ही । मुख बाहर रवि को कर दीन्ही ॥
वाहन प्रभु के सात सुजाना | दिग्गज, गर्दभ, मृग, अरुस्वाना ||
जम्बुक, सिंह आदि नखधारी | सो फल ज्योतिष कहत पुकारी ||
गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं | हय ते सुख सम्पति उपजावैं ||
गर्दभ हानि करै बहु काजा | सिंह सिद्ध कर राज समाजा ||
जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै | मृग दे कष्ट प्राण संहारे ||
जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी | चोरी आदि होय डर भारी ||
तैसहि चारि चरण यह नामा | स्वर्ण लौह चांदी अरु तामा ||
लौह चरण पर जब प्रभु आवैं | धन जन सम्पति नष्ट करावैं ||
समता ताम्र रजत शुभकारी | स्वर्ण सदा शुभ मंगलकारी ||
जो यह शनि चरित्र नित गावै | दशा निकृष्ट न कबहुँ सतावै ||
नाथ दिखावै अद्भुत लीला | निबल करै जैहे बलशीला ||
जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई | विधिवत शनि ग्रह कराई ||
पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत | दीप दान दै बहु सुख पावत ||
कहत ‘रासुन्दर’ प्रभु दासा | शनि सुमिरत सुख होत प्रकासा ||
पाठ शनिश्चर देव को, कीन्हो ‘विमल’ तैयार | करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार ||
shani chalisa lyrics
आजकल लोगों को बहुत ही अच्छे से शनि चालीसा का पाठ करते हुए पिता श्री शनि चालीसा साढेसाती तथा श्री शनि चालीसाको दशा नियमित रूप से पाठ करने के लिए और सारे लोगों ने बात की है और उसके बारे में चर्चा किया है और उसके बेनिफिट तथा उसके फायदे के बारे में जानकारी दिया है आज हम आप लोगों को श्री शनि चालीसा लिरिक्स कैसे करें इसके बारे में जानकारी देते हैं और नीचे शनि चालीसा दिया गया है जिसे पढ़कर आप लोग आनंद उठा सकते हैं धन्यवाद अब हम आप लोगों को एक टेबल के माध्यम से शनि चालीसा को बताएंगे और जिसके माध्यम से आप लोग उस का आनंद उठाएंगे।
श्री शनि देव चालीसा लिरिक्सShree Shani Dev Chalisa Lyrics |
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जय जय जय श्री शनिदेव प्रभु सुनहु विनय महाराज। करो कृपा हे रवि तनय राखो लाज हमारी।। |
जयति-जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तिन प्रतिपाला।। चारि बंत तन श्याम विराजै। मै रट कुट इमेजिनेशन।। परम विशाल भाला। टेढ़ी भृकुटि विक्राला।। |
कुण्डल श्रवण चमाचम चमकै। हिये माल मुक्तन मणि दमकै।। कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल विच करैं अरिहिं संहारा।। पिंगल कृष्णो छाया नन्दन। यम कोणस्थ रौद्र दुःख भंजन।। |
सौरि मन्द शनी दश नामा। भानु पुत्रा पूजहिं सब कामा।। जापर प्रभु प्रसन्न हों जाहीं। रंकहु राउ करें क्षण माहीं।। पर्वतहूं तृण होई निहारत। तृणहंू को पर्वत करि डारत।। राज मिलत बन रामहि दीन्हा। |
कैकइहूं की मति हरि लीन्हा।। बनहूं में मृग कपट दिखाई। मात जानकी गई चुराई।। लषणहि शक्ति बिकल करि डारा। मचि गयो दल में हाहाकारा।। दियो कीट करि कंचन लंका। बजि बजरंग वीर को डंका।। |
नृप विक्रम पर जब पगु धारा। चित्रा मयूर निगलि गै हारा।। हार नौलखा लाग्यो चोरी। हाथ पैर डरवायो तोरी।। भारी दशा निकृष्ट दिखाओ। तेलिहुं घर कोल्हू चलवायौ।। विनय राग दीपक महं कीन्हो। तब प्रसन्न प्रभु ह्नै सुख दीन्हों।। |
हरिशचन्द्रहुं नृप नारि बिकानी। आपहुं भरे डोम घर पानी।। वैसे नल पर दशा सिरानी। भूंजी मीन कूद गई पानी।। श्री शकंरहि गहो जब जाई। पारवती को सती कराई।। तनि बिलोकत ही करि रीसा। नभ उड़ि गयो गौरि सुत सीसा।। |
पाण्डव पर ह्नै दशा तुम्हारी। बची द्रोपदी होति उघारी।। कौरव की भी गति मति मारी। युद्ध महाभारत करि डारी।। रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।पाण्डव पर ह्नै दशा तुम्हारी। बची द्रोपदी होति उघारी।। कौरव की भी गति मति मारी। युद्ध महाभारत करि डारी।। रवि कहं मुख महं धरि तत्काला। |
लेकर कूदि पर्यो पाताला।। शेष देव लखि विनती लाई। रवि को मुख ते दियो छुड़ाई।। वाहन प्रभु के सात सुजाना। गज दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना।। जम्बुक सिंह आदि नख धारी। सो फल ज्योतिष कहत पुकारी।। गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं। हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं।। |
गर्दभहानि करै बहु काजा। सिंह सिद्धकर राज समाजा।। जम्बुक बुद्धि नष्ट करि डारै। मृग दे कष्ट प्राण संहारै।। जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी। चोरी आदि होय डर भारी।। तैसहिं चारि चरण यह नामा। |
स्वर्ण लोह चांदी अरु ताम्बा।। लोह चरण पर जब प्रभु आवैं। धन सम्पत्ति नष्ट करावैं।। समता ताम्र रजत शुभकारी। स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी।। जो यह शनि चरित्रा नित गावै। कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै।। |
अद्भुत नाथ दिखावैं लीला। करैं शत्राु के नशि बल ढीला।। जो पंडित सुयोग्य बुलवाई। विधिवत शनि ग्रह शान्ति कराई।। पीपल जल शनि-दिवस चढ़ावत। दीप दान दै बहु सुख पावत।। कहत राम सुन्दर प्रभु दासा। शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा।। |
shani chalisa benefits
सनी देव महाराज का प्रार्थना करने से तथा उनके चालीसा का पठन-पाठन करने से घर में सुख समृद्धि आती है और पूरे घर के लोग प्रसन्न रहते हैं तथा शनि देव जी का महाराज का आशीर्वाद पाने के लिए उनका प्रार्थना करने के बाद बहुत सारे कार्यक्रम में बहुत ही अच्छे से होते हैं तथा उनके चालीसा का पठन-पाठन करने से जिस घर में उस घर में बहुत अधिक खुशियां होती हैं तथा धन धन की कमी नहीं होती है अब हम आप लोगों को शनि चालीसा के कुछ फायदे के बारे में जानकारी देना चाहते हैं जो नीचे एक लिस्ट के माध्यम से दिए जाएंगे और आप लोग उसे बहुत ही अच्छे से उन सारी चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे जो कि शनि चालीसा के पाटन से फायदा होता है और हमें आशा है कि आप लोगों को बहुत ही अच्छे से घर करेंगे।
How can i satisfy Shani Dev through Shani Chalisa
ऐसे कई तरीके हैं जिनसे शनिदेव को संतुष्ट किया जा सकता है, जो नीचे सूचीबद्ध हैं
- हर शनिवार शनि देव के दर्शन के लिए जाएं और उन्हें सरसों का तेल और तिल चढ़ाएं और ऊपर बताए गए शनि मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
- काले रंग की सामग्री जैसे काले जूते, छाते, कपड़े आदि का दान करें।
- हर दिन शनि चालीसा का जाप भी कर सकते हैं और विशेष रूप से शनि मंदिर में शनि प्रतिमा के सामने हर शनिवार को 11 बार शनि चालीसा का जाप कर सकते हैं।
- हर शनिवार को शनिदेव का व्रत भी रख सकते हैं।
- व्रत के दौरान आपको केवल एक सात्विक भोजन (तेल और मसालेदार बिना शाकाहारी भोजन) और वह भी बिना नमक का खाना चाहिए।
- कृपया ध्यान दें कि जो रोगी उच्च या निम्न रक्तचाप से पीड़ित हैं, उन्हें अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए और चिकित्सा विशेषज्ञ के अनुसार आहार/नमक लेना चाहिए।
- शनिदेव अनुष्ठान या शनि चालीसा को परीक्षा या मौज-मस्ती के लिए नहीं लेना चाहिए, अन्यथा यह आपको गंभीर परिणाम देगा।
- मेरे उत्साही अनुयायियों और पाठकों के लिए, मैं आप सभी को सलाह देता हूं कि प्रतिदिन कम से कम एक बार शनि चालीसा का जाप करें, भले ही आपको कोई बाधा या साढ़े साती न हो, व्यक्ति को नियमित रूप से शनि चालीसा का जाप करना चाहिए।
नोट – जो भक्त शनि चालीसा में देवनागरी लिपि को पढ़ने में असमर्थ हैं, वे शनि चालीसा का गहरा अर्थ भी पढ़ सकते हैं जो शनि चालीसा को पढ़ने के समान ही परिणाम देगा।
shani chalisa image
अब हम आप लोगों को श्री शनि चालीसा इमेजभी दिखाएंगे जो आप लोगों के लिए तीन महत्वपूर्ण होगा और आप लोग उसको देखकर उसमे शनि चालीसा के बारे में बताया गया है और भगवान का इमेज भेज नीचे दिया गया।

shani chalisa in hindi pdf
अब हम आप लोगों को शनि चालीसा इन हिंदी पीडीएफ के बारे में जानकारी देंगे तथा उसके भावार्थ को भी आप लोगों को समझाएंगे कि आखिर शनि चालीसा का पठन-पाठन तो करते हैं लेकिन उसका अर्थ क्या होता है इन सारी चीजों पर मैं आपको बताने जा रहा हूं जो आप लोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा जो लोगों ने चेकजो नीचे एक सामान्य क्वालिटी से लिखा गया है और उसे आप पढ़ कर बहुत ही आनंद उठाएंगे धन्यवाद।
जय गणेश गिरी सुवन, मंगल करण कृपाल। दीन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥
अर्थ – हे पार्वती भाव गणपति ! आपकी जय हो। मंगल ताता और करुणा के सागर। हे नाथ, दीन दुखों के कष्ट दूर हैं और हम सदैव स्वस्थ रहते हैं।
जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुन विनय महाराज। करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज
भावार्थ – हे शनिदेव आपकी जय हो। हे सूर्यपुत्र!
जयति जयति शनिदेव दयाला। करत सदा भक्तिन प्रतिपाला॥
भावार्थ – दया के सागर ! हे शनिदेव ! 🙏
चारि बंता, तनु श्याम विराजै। मै रतन कुटछबिजै॥
भावार्थ – हे शनिदेव ! . आपके शरीर पर तेज गति से तेज गर्मी है ।
परम विशाल भाला। टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विक्राला॥
भावार्थ – हे शनिदेव ! मेरे मन को मोहित कर: आपकी दृश्य वृक्ति और आंख की भोहे विकराल है ।
कुण्डल श्रावण चमाचम चमके। हिय माल मुक्त मणि धमके
Tags
कर में गदा त्रिशूल कुठारा। पल बिच करन अरिंहंगा संहार॥
भव-संतुलन-संतुलित त्रिशूल और कुठारा तापमान में भी शक्तिशाली हो गए।
पिंगल, कृष्णो, श्वेत नन्दन। यम, किंस्थ, रौद्र, दुखभंजन
सौरी, मण्ड, शनि, दश नामा। भानु पूज
भावार्थ – हे शनिदेव ! आप, यम के नाश करने वाले पिंगल, कृष्ण, श्या नंदन, कनस्थ और रुद्रा, सौरी, मंदार, शनि, और सूर्यपुत्र यह सब आपके 10 नाम हैं। इन 10 मनोविश्लेषक मनोविश्लेषणों में .
जा पर प्रसन्नता हो रही है। रंखुँ रे
भावार्थ – हे शनिदेव ! आप जिस मनुष्य या भक्त पर प्रसन्न हो जाते हो, वह चाहे रंक हो वह भी क्षण मात्र में राजा बन जाता है।
पर्वतहु तृण होई निहारत। तृणहू को पर्वत करि डारती
भावार्थ – हे शनिदेव ! आपकी दृष्टि पढ़ते ही पर्वत चूर चूर हो जाते है और यदि आप इच्छा मात्र से केवल माटी का एक छोटा सा कण भी पर्वत बन जाता है।
राज मिलत बन रामहिंयो। कैकेइहुँ की मति हरि लींयो॥
भगवान श्री रामचंद्र जी का राज्याभिषेक होने वाला था कैं ही ने माता कैकेयी की मती को नष्ट कर दिया और प्रभु श्री राम जी को वनवास में डाल दिया।
मृगकप दिखाई दे रहा है। मातु जानकी पूरी तरह से
आपके वन में स्वर्ण मृग (श्रृंखला) का निर्माण जो सीता माता का बना हुआ था।
लखन व्यक्ति विक्लीकिडारा। मचिगा दल में हाकारा॥
भावार्थ – श्री शनिदेव ! आपके ही शक्ति प्रहार से फिर लश्मन जी विजयी होने वाले थे जब सेना के लिए श्री रामचंद्र जी की लहर दौड़ रही थी।
रान की गति-मती बौराई। रामचंद्र सों बैर
भावार्थ – आप ही रॅंक जैसे महापंडित का बुद्धि भ्रष्ट कर दिया बदलेंगे जैसे कि वैष्णव श्री रामचंद्र जी के साथ वैभव उत्पन्न हुआ।
दियो की तरह कंचन लंका। बजरंग बीर का डंस
भावार्थ – आपने रोकन की लंका को पल भर में मात्रा में चकनाचूर कर दिया और श्री राम भक्त- हनुमान जी का गुरु में वृद्धि कर दी।
नृप विक्रम पर तुहि पग धारा। चित्रमयूर
भावार्थ – राजा वीर विक्रमादित्य आपकी दृष्टि तो दीवार पर अंकित मोर रानी का आकाश हो गया।
डर्कलखा लागियो पायर डरवायो तोरी॥
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महान दशा निकृष्ट प्रदर्शितयो। तेलिहिं
यह बदलते समय के लिए उपयुक्त है।
विनय दीपक महं कीन्यों। खुशियों के लिए खुश खुशियाँ दीनय॥
रिएक्टर में विक्रमादित्य ने दीपक में डॉक्टर की पेशकश की।
हरिश्चन्द्र नृप नारी बिकानी। घर घर पानी॥
वैभव – आपकी कुदृष्टि के लिए उपयुक्त बिजली के फोन के रूप में, शुद्र के घर में ही फोन का एक काम होगा।
तैसे नल पर दशा दशा। भूंजी-मीन स्लड पानी॥
मछली पकड़ने में – असामान्य रूप से असामान्य मौसम में भोजन के लिए भोजन में मछली पकड़ने के लिए।
श्री शंकर अँग्रेज़ी पार्वती को सती॥
वैष्णु – सुकुमारशंकर पर लगने वाली दृष्टि स्त्री की स्त्री माता पार्वती को हवन कुंद में भस्म भी भी।
तनिक विलोकत ही करि रीसा। नभउलि गयो गौरीसुत सीसा॥
गौरी नंदन भवन श्री गणेश के विशेष रूप से उड़ने वाले कीट दृष्य दृषिट पोषाहार वायु में उड़ने वाले वायु में उड़ने वाले होते हैं।
पांडव पर भैस दशा। बची द्रौपदी होति उघारी॥
महाभारत काल में जब देखने की दृष्टि में यह दृश्य में सती का था।
कैरव की गति गति मारयो। युद्ध महाभारत करि
अपने भविष्य के समय में बदलाव किया गया था।
सूर्य कहं मिखं धरि. डिल्डि परोलो पाताल
भाव – आपके उत्पाद के लिए आपका आपका श्री सूर्य देव को आपके द्वारा ढूंढ़ा गया है।
शेष देव-लखि विनती लाई। सूर्य को मुख्य टीवी टीवी
🙏
वाहन प्रभु के सात सुजाना। जग गर्दभ मृग स्वान
र्थ – आप सात प्रकार के वाहन – हिरण, वाघ है, दैव, लेमॅर और ।
जंजीबुक सिंह आदि नख धारी। सो फल सत्य कहतवादी॥
भविष्य – यह सभी प्रकार के पौधे के फल भिन्न-भिन्न होते हैं।
गज वाहन लक्ष्मी घर आवैं। हय ते सुखी सम्पादित फसलें
भावार्थ – हेसु शनि देव ! जब आप हाथी के ऊपर आरूढ़ (बैठे हो) होते हैं, घर में संपत्ति प्राप्त होती है। जब आप घर के सदस्य के साथ जुड़ते हैं तो संपत्ति में वृद्धि होती है ।
गर्ल करै मल्टी काजा। सिंह सिद्धकर राज सोसाइटी
हेप्रूव्ड
जॅमबस्ट खराब कर रहा है। मृग द अडच प्राण संहारै॥
भावार्थ – हेसु शनि देव ! जब आप लोमड़ी के ऊपर आरूढ़ (बैठे हो) होते हैं।
जबाव व्यवस्था प्रिय अन्य भयभय
भावार्थ – हेसु शनि देव ! .
तैसहि चारी चरण यह नाम। सुनहरी मज़बूत अरु तमा
भावार्थ – हेसु शनि देव ! .
जब तक प्रभु आवैं। धन जन बर्बादी भुगतान॥
भावार्थ – हेसु शनि देव ! आपके लोहे (लोखंड) धातु के गुण संपत्ति और संपत्ति आदि सर्वदा नाश हो जाते हैं .
समता ताम्र शुभकारी। गोल्डन सर्व सर्व सुखी मंगल
भावार्थ – हेसु शनि देव ! मामा और टच गुणों के लिए हानिकारक हैं .
जो यह शनि वैशिष्ट्य नित गावै। कबुं न दशा निकृष्ट सतवै॥
भविष्य – इस विशेषता का चरित्र जो बदल सकता है उस स्थिति में स्थिति खराब हो सकती है।
अविश्वसनीय नाथ चालं लीला। शत्रु के नशि बली ॥
भावार्थ – हे प्रभु ! आक्रमणकारी इन अविश्वसनीय लीलाओं को आप सभी को शत्रुओं के साथ आक्रमण करेंगे।
जो पंडित सुयोग्यता. विधि शनि ग्रह ग्रह॥
भविष्य – यजमान, उचित पंडित या घर पर उचित हों, शनिदेव की शांति का पुर्वता है।
पीपल शनि दिन में। दीप दिवस द्वि बहु सुख पावत
सुबह के दिन पीपल के पेड़ पर अप्रभावित तापमान और तेल में दीपदान कई प्रकार के होते हैं।
कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥
भावार्थ – प्रभु के सेवक, श्री राम सुंदर जी का कहना है , जो सूर्य सुंदर जी का कहना है, वे सभी का सुख प्राप्त करते हैं और सुखी प्रकृति के सभी लक्षण होते हैं।
दोहा
पाठ शनिश्चर देव को, ‘भक्त’ तैयारी। करत पाठ चालीसवें दिन, हो भवसागर पर
भावार्थ – भक्त प्रसाद! इनहोने, इस शनि चालीसा का मंगल ग्रह है। 400 तक शेष शेष (शनि चालीसा ) का अतिरिक्त पाठ , वह भवसागर पारा है ।
मुझे बताएं, आपको शनि चालीसा पर यह ब्लॉग कैसा लगा?
सादर,
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आजकल के जमाने में मोबाइल तथा ऑडियो सिस्टम को जमाना है लोग किसी भी भक्ति चालीसा अथवा भक्ति दोहे को ऑडियो के माध्यम से सुनना चाहते हैं इसीलिए मैं आप लोगों को शनि चालीसा MP3 डाउनलोड करने के लिए लिंक दूंगा तथा नीचे में आप लोगों को उसका वीडियो भी लिंक भेज दूंगा जिससे कि आप लोग बहुत ही अच्छे से उन सारी चीजों के बारे में देख ले और सुन ले जो आप लोगों को अच्छा लगता है इस प्रकार से नीचे वीडियो दिया गया है MP3