तेनालीराम का जीवन परिचय/Biography of Tenaliram
tenali rama story in hindi: आज हम आप सभी लोगों को तेेनालीराम के जीवन परिचय के बारे में बताने वाले हैं जैसा कि बहुत से लोग पढ़ते हैं उन्हें पता होगा कि तेनालीराम का जीवन परिचय क्या है लेकिन बहुत से लोग अगर नहीं पड़ते हैं और उनको तेनालीराम की जीवन परिचय के बारे में जानना है तो वो लोग हमारे इस पोस्ट को पढ़कर जान सकते हैं इसलिए आज हम इस पोस्ट में तेनालीराम के जीवन परिचय के बारे में बताने वाले हैं आइए दोस्तों तेनालीराम के जीवन परिचय के बारे में आप सभी लोगों को बताने की कोशिश करते हैं या बताते हैं I
तेनालीराम का जन्म 16th Century में भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के गुंटूर जिले के गांव गरलापाडु में हुआ था I तेनालीराम एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार के घर जन्मे थे I वह पेशे से कवि थे वह तेलुगु साहित्य के महान ज्ञानी थे I अपने वर्कर चातुर्य के कारण वह काफी विख्यात थे I और उन्हें विकट कवि के उपनाम से संबोधित किया जाता था I तेनालीराम के पिता गरलापती रमैया , तेनाली राम गांव के राम लिंगेश्वरा स्वामी मंदिर के पुजारी हुआ करते थे I तेनालीराम जब आयु में युवा थे तभी उनके पिता गरलापती रमैया की मृत्यु हो गई थी I और उसके बाद उनकी माता उन्हें लेकर अपने गांव तेनाली अपने भाई के पास रहने चले गए थे I तेनालीराम शिव जी के भक्त थे I इसलिए उन्हें तेनालीराम लिंगा के नाम से भी पुकारा जाता था Iइतिहासकारों के मुताबिक कुछ समय के बाद उन्होंने वैष्णव धर्म अपना लिया था I
तेनालीराम को पाठशाला का विद्युत अभ्यास नहीं प्राप्त हुआ था पर उनकी सीखने की तेजी से इच्छा और ज्ञान के प्रति धुन के कारण उन्हें शिष्यावृति प्राप्त हुई थी I परंतु उनके पूर्व शिवभक्त होने के कारण उन्हें वैष्णो अनुयायियों द्वारा एक शिष्य की तरह स्वीकार नहीं किया गया था,फिर एक महान संत ने उन्हें काली की पूजा करने की सलाह दी अर्थात यह कि एक महान संत ने तेनालीराम को काली की पूजा करने की सलाह दी और ऐसा कहा जाता है कि संत की बात मानकर तेनालीराम ने काली देवी की खूब तपस्या कीऔर उसी के परिणाम स्वरूप तेनालीराम को देवी काली से उत्कृष्ट हास्य कवि बनने का वरदान मिला था I

तेनालीराम ने अपने आगे के जीवन में भागवत मेला मंडल के साथ जुड़ा किया अर्थात यह कि भगवत मेला मंडल के साथ जुड़ गए और 1 दिन भागवत मेला मंडल महाराज कृष्णदेव राय के दरबार में अपना कार्यक्रम प्रदर्शित करने के लिए पहुंचे Iउन्होंने अपने प्रभावशाली प्रदर्शन से राजा कृष्णदेव को बहुत प्रभावित कर दिया और कृष्ण देव राय तेनालीराम को अपने दरबार में आठवें स्कॉलर मंडल में हास्य कवि के पद पर शामिल कर लिया I
महाराज कृष्ण देव राय वर्ष 1509 से 1529 तक विजय नगर की राजगद्दी पर विराजमान थे तब तेनालीराम उनके दरबार में एक हास्य कवि और मंत्री सहायक की भूमिका में उपस्थित हुआ करते थे I इतिहासकारों का मानना है कि तेनालीराम एक हास्य कवि होने के साथ-साथ ज्ञानी और चतुर व्यक्ति थे Iतेनालीराम राज्य से जुड़ी बिकट परेशानियों से उभरने के लिए कई बार महाराज कृष्ण देव राय की मदद करते थे I 5 अगस्त सन 1528 ईसवी में तेनालीराम की मृत्यु हो गई थी I
पूरा नाम | तेनाली रामाकृष्ण |
जन्मतिथि | 16 वीं शताब्दी |
उपनाम | विकट कवि |
जन्म स्थान | गुंटुर जिल्ला आंध्र प्रदेश |
पिता का नाम | गलापती रमैया |
पेशा | कवि |
मृत्यु | 5 अगस्त 1528 |
हमने आप सभी लोगों को तेनालीराम के जीवन परिचय के बारे बता दिए हैं कि तेनालीराम का जन्म कब हुआ था तेनालीराम का जन्म कहां पर हुआ था इन सभी चीजों के बारे में आप सभी लोगों को ऊपर टिप्पणी के माध्यम से बता दिए हैं अगर आप सभी लोगों को यह नहीं पता है कि तेनालीराम का जन्म कब हुआ था तो हमने अपने इस पोस्ट में तेनालीराम के पूरे जीवन परिचय के बारे में बता दिया है इसलिए दोस्तों आप सभी लोग हमारे इस पोस्ट को पढ़ें जिससे आप सभी लोगों को तेनालीराम के जीवन परिचय के बारे में पता हो सके कि तेनालीराम का जन्म कब हुआ था कहां हुआ था और उनकी मृत्यु कब हुई तथा उनके पिता का क्या नाम था इन सभी चीजों के बारे में हमने विस्तार से बताया है मेरे दोस्तों अगर यह चीजों के बारे में जानकारी रखनी है तो हमारी इस पोस्ट को एक बार जरूर पढ़ें जिससे आप सभी लोगों को इसके बारे में जानकारी प्राप्त हो सके कि तेनालीराम का जीवन परिचय क्या है I
तेनालीराम की कहानी/Story of tenaliram
तेनालीराम की कहानी के बारे में बताने वाले हैं जैसा कि आप सभी लोगों को पता होगा कि तेनालीराम की कई सारी कहानियां है लेकिन हम आप सभी लोगों को तेनालीराम के कुछ महत्वपूर्ण कहानियों के बारे में बताने वाले हैं I दोस्तों तेनालीराम की कहानी को पढ़ने में बहुत ही आनंद आता है इसलिए दोस्तों तेनालीराम की कहानी को बहुत से लोग पढ़ते हैं क्योंकि तेनालीराम ने बहुत सारी कहानियां लिखी हैं कुछ कहानियों को पढ़कर आनंद आता है और कुछ कहानिया भूत प्रेत और स्वर्ग की खोज जैसी कहानियों को लिखा है इसलिए दोस्तों हम आप सभी लोगों को तेनालीराम की कुछ महत्वपूर्ण कहानियों को नीचे बताने वाले हैं जिससे आप लोग उस कहानी को पढ़ेंगे तो आप सभी लोगों को बहुत ही आनंद आएगा और अगर आप उस कहानी को पढ़ेंगे तो आप सभी लोगों को उस कहानी के बारे में पता रहेगा इसलिए दोस्तों आइए हम आप सभी लोगों को तेनालीराम की कुछ कहानियों के बारे में बताते हैं की कौन-कौन सी कहानी तेनालीराम ने लिखी है I
तेनालीराम की महत्वपूर्ण कहानी/Important story of Tenaliram
अब हम आप सभी लोगों को तेनालीराम की महत्वपूर्ण कहानी को नीचे बताने वाले हैं जैसा कि तेनालीराम ने बहुत सारी कहानियां लिखी हैं इसलिए हम आप सभी लोगों को तेनालीराम की कुछ महत्वपूर्ण कहानियों के बारे में बताने वाले हैं तो आइए हम नीचे उन कहानियों के बारे में विस्तार से बताते हैं यह बताने की कोशिश करते हैं I
1.स्वर्ग की खोज/Search for heaven
महाराज कृष्णदेव राय अपने बचपन में सुनी कथा अनुसार यह विश्वास करते थे कि संसार ब्रह्मांड की सबसे उत्तम और मनमोहक जगह स्वर्ग है I एक दिन अचानक महाराज को स्वर्ग देखने की इच्छा उत्पन्न होती है इसलिए दरबार में उपस्थित मंत्रियों से पूछते हैं कि बताइए स्वर्ग कहां है?
सारे मंत्री गढ़ सिर खुजलाते बैठे रहते हैं पर चतुर तेनालीराम महाराज कृष्णदेव राय को स्वर्ग का पता बताने का वचन देते हैं I और इस काम के लिए 10,000 सोने के सिक्के और 2 माह का समय मांगते हैं I
महाराज कृष्णदेवराय तेनालीराम को सोने के सिक्के और 2 माह का समय दे देते हैं और शर्त रखते हैं कि अगर तेनालीराम ऐसा ना कर सके तो उन्हें कड़ा दंड दिया जाएगा I अन्य दरबारी तेनालीराम की कुशलता से काफी जलते हैं और इस बात से मन ही मन बहुत खुश होते हैं कि तेनालीराम स्वर्ग नहीं खोज पाएगा और सजा पाएगा I
2 माह की अवधि बीत जाती है तब महाराज कृष्ण देव राय तेनालीराम को दरबार में बुलाते हैं I तेनालीराम कहते हैं कि मैंने स्वर्ग ढूंढ लिया है और वे कल सुबह स्वर्ग देखने के लिए प्रस्थान करेंगे I
अगले दिन तेनालीराम, महाराज कृष्ण देव राय और उनके खास मंत्री गणों को एक सुंदर स्थान पर ले जाते हैं I जहां खूब हरियाली, चहचहाते पछी और वातावरण को शुद्ध करने वाले पेड़ पौधे होते हैं I उस जगह का सौंदर्य देखकर महाराज किस देवराय अति प्रसन्न होते हैं पर उनके अन्य मंत्री गण स्वर्ग देखने की बात महाराज कृष्णदेव राय को याद दिलाते रहते हैं I
महाराज कृष्णदेवराय तेनालीराम से उसका वादा निभाने को कहते हैं कि जो आपने वादा किया था उस वादे को निभाओ I उसके जवाब में तेनालीराम कहते हैं कि जब हमारी पृथ्वी पर फल, फूल, पेड़, पौधे, अनंत प्रकार के पशु, पक्षी और अद्भुत वातावरण और अलौकिक सौंदर्य है I फिर स्वावर्ग की कामना क्यों? जबकि स्वर्ग जैसी कोई जगह है भी इसका कोई प्रमाण नहीं है I
महाराज कृष्ण देव राय को चतुर तेनालीराम की बात समझ में आ जाती है और वो उनकी प्रशंसा करने लगते हैं I बाकी मंत्री जलन के मारे महाराज को 10000 सोने के सिक्कों की याद दिलाते हैं I तब महाराज के हिट देवराज तेनालीराम से पूछते हैं कि उन्होंने उन सिक्कों का क्या किया I तब तेनालीराम कहते हैं कि वह तो उन्होंने खर्च कर दिए I
तेनालीराम कहते हैं कि आपने जो 10,000 सोने के सिक्के दिए थे उनसे मैंने इस जगह के उत्तम पौधे और उच्च कोटि के बीच खरीदे हैं जिनको हम अपने राज्य विजयनगर की जमीन में प्रत्यरपित करेंगे,ताकि हमारा राज्य भी इस सुंदर स्थान के समीप आकर्षक और उपजाऊ बन जाए I
महाराज इस बात से और भी पसंद हो जाते हैं और तेनालीराम को ढेर सारे इनाम देते हैं और एक बार फिर बाकी मंत्री अपना मुंह बनाकर रह जाते हैं I और दोस्तों यहीं पर यह कहानी खत्म होती है I
हम तेनालीराम की दूसरी कहानी के बारे मेंबताने की कोशिश करते हैं तथा बताते हैं कि तेनालीराम की दूसरी कहानी कौन सी है क्योंकि हमने पहले कहानी आप सभी लोगों को ऊपर बता चुका हूं की पहली कहानी स्वर्ग की खोज है और अब हम आप सभी लोगों को दूसरी कहानी बताने की कोशिश करेंगे तो हम आप सभी लोगों को तेनालीराम की दूसरी कहानी के बारे में बताते हैं I
2.रसगुल्ले की जड़/Root of rosemary
लोगों को तेनालीराम की दूसरी कहानी के बारे में बताने वाले हैं दूसरी कहानी का नाम है रसगुल्ले की जड़ हम आप सभी लोगों को रसगुल्ले की जड़ कहानी के बारे में बताने वाले हैं तो आइए दोस्तों हम आप सभी लोगों को इसके बारे में बताते हैं यह बताने की कोशिश करते हैं दोस्तों या तेनालीराम की बहुत ही महत्वपूर्ण कहानी है तो हम इस कहानी को आप सभी लोगों को विस्तार से बताने की कोशिश करते हैं या बताते हैं I
मध्य पूर्वी देश से एक ईरानी शेख व्यापारी महाराज कृष्ण देव राय का अतिथि बनकर आता है I महाराज अपने अतिथि का सत्कार बड़े भव्य तरीके से करते हैं उसके अच्छे खाने और रहने का प्रबंध करते हैं और साथ ही कई अन्य सुविधाएं भी प्रदान करते हैं या अन्य सुविधाएं का भी प्रबंध करते हैं I
1 दिन भोजन पर महाराज का रसोईया शेख व्यापारी के लिए रसगुल्ले बना कर लाता है I व्यापारी कहता है कि उसे रसगुल्ले नहीं खाने हैं अर्थात यह कि व्यापारी कहता है कि रसगुल्ले मैं नहीं खाऊंगा I पर हो सके तो उन्हें रसगुल्ले की जड़ क्या है यह बताइए I रसोईया सोच में पड़ जाता है और अवसर आने पर महाराज कृष्ण देव राय को व्यापारी की मांग बताता है I महाराज रसगुल्ले की जड़ पकड़ने के लिए अपने चतुर मंत्री तेनालीराम को बुलाते हैं I
तेनालीराम झट से रसगुल्ले की जड़ खोजन की चुनौती का प्रस्ताव स्वीकार कर लेता है I वह खाली कटोरा और धार दार छुरी की मांग करते हैं और महाराज से 1 दिन का समय मांगते हैं I
अगले दिन रसगुल्ले की जड़ के टुकड़ों से भरे कटोरे को, मलमल से ढके कपड़े में लाकर राज दरबार में बैठे ईरानी शेख व्यापारी को देते हैं और उसे कपड़ा हटाकर रसगुल्ले की जड़ को देखने के लिए कहते हैं I ईरानी व्यापारी कटोरे में गन्ने के टुकड़े देख कर हैरान हो जाता है I और सारे दरबारी तथा महाराज कृष्णदेवराय तेनालीराम से पूछते हैं कि यह क्या है ?
चतुर तेनालीराम समझाते हैं कि हर एक मिठाई शक्कर से बनते हैं और शक्कर गन्ना से बनता है I इसलिए रसगुल्ले की जड़ गन्ना है I तेनालीराम के इस गणित से सारे दरबारी, ईरानी व्यापारी और महाराज कृष्ण देव राय बहुत खुश होते हैं और खुश होकर हंस पड़ते हैं I और तेनालीराम के तर्क से सहमत भी होते हैं I
और या कहानी यहीं पर खत्म होती है और आज हम आप सभी लोगों को तेनालीराम की और अन्य कहानी बताने वाले हैं I क्योंकि हमने आप सभी लोगों को तेनालीराम का जीवन परिचय सबसे ऊपर बताया है और उसके बाद में हमने तेनालीराम की कुछ कहानी बताई है और अब हम तेनालीराम की और कुछ कहानी बताने वाले हैं या बताते हैं कि तेनालीराम की और कौन सी कहानी है I
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3.सबसे बड़ा जादूगर/The greatest magician
तेनालीराम की असली कहानी के बारे में बताएंगे जो कहानी का नाम है सबसे बड़ा जादूगर जैसा कि मैंने आप सभी लोगों को तेनालीराम की जो कहानियों पर बता चुका हूं और अब मैं तेनालीराम की तीसरी कहानी के बारे में बताने वाला हूं तो आइए जानते हैं कि इस कहानी में क्या है कहानी का नाम ही सबसे बड़ा जादूगर है तो जादू के ऊपर ही इस कहानी को बनाया होगा तो आइए हम इस कहानी को जानते आप पढ़ते हैंI
एक बार की बात है राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक जादूगर आया Iउसने कहा कि वह देश विदेश में बहुत जगह जादू दिखा चुका है और उसको बहुत इनाम मिले हैं I राजा के कहने पर उसने अपना जादू दिखाना शुरू किया I उसने कहा कि यह जादू एक प्रकार की हाथों की सफाई होता है I अगर किसी की नजरें तेज हो तो वह इसको पकड़ भी सकता है I
आप सभी जादू को ध्यान से देखिए उसने एक कबूतर के ऊपर लाल कपड़ा डालकर उसको अंडे में बदल दिया I वह बोला किसी ने देखा मैंने कैसे कबूतर के अंडे में बदल दिया किसी को मेरे हाथ की सफाई का पता लगा मैंने यह कैसे किया I
यहां दरबार में सभी लोगों की आंखें कमजोर है I इसके बाद उसने उस अंडे के ऊपर लाल कपड़ा डाला और उसको सोने के सिक्के में बदल दिया इसके बाद भी उसने सभी लोगों से पूछा कि कोई भी मेरे हाथ की सफाई को पकड़ सका I
उसने तेनालीराम को कहा कि तुम तो बहुत बुद्धिमान हो I लेकिन इस जादू के खेल में बुद्ध माने काम नहीं आएगी तुमको तेज नजरों से इस को पकड़ना होगा फिर उस जादूगर नेे कहा ध्यान से देखनाा कैसे मैंं इस सोने के सिक्के को हवाा में गायब करता हूं I
इसके बाद उसने सोने के सिक्के ऊपर फेंका और वह गायब हो गया I जिससे दरबार के सभी लोग हैरान रह गए उसने तेनालीराम को कहा कि तुम्हारी आंखें भी कमजोर हैं तुम भी मेरा जादू नहीं पकड़ सके I
इसके बाद वह दरबार में मौजूद सभी लोगों को कहने लगा कि कोई ऐसा व्यक्ति जो मेरे जैसा कुछ करके दिखा सके Iउसके घमंड को देखते हुए तेनालीराम ने कहा कि मैं जो बंद आंखों से कर सकता हूं उसको तुम खुली आंखों से भी नहीं कर सकते हो I
उसकी बात सुनकर जादूगर बोला जो तुम बंद आंखों से करोगे अगर मैं खुली आंखों से भी नहीं कर सका तो मैं तुम्हारा गुलाम बन जाऊंगा I यदि मैंने वह कर लिया तो तुम मेरे गुलाम बन जाओगे जब यह बात तो हो गई तो तेनाली राम के कहने पर एक सैनिक लाल मिर्च का पाउडर लेकर आया I सब तेनालीराम ने अपनी आंखें बंद की और उन पर एक मुट्ठी लाल मिर्च पाउडर डाल दिया I फिर थोड़ी देर में उन्होंने मिर्ची पाउडर को झटक कर कपड़े से आंखें पोछी और जल से अपने मुंह को धो डाला I और फिर जादूगर से कहा कि अब तुम खुली आंखों से यह करतब करके दिखाओ तो मैं मान लूं कि तुम एक जादूगर हो I
घमंडी जादूगर को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह तेनालीराम से माफी मांगी और हाथ जोड़कर राजा के दरबार से चला गया I
राजा कृष्णदेवराय तेनालीराम के इस चतुराई से बहुत ही प्रभावित हुएउन्होंने तुरंत तेनालीराम को पुरस्कार देकर सम्मानित किया I
4.अंगूठी चोर/Ring thief
तेनालीराम की अगली कहानी के बारे में बताने वाले हैं जो कहानी का नाम है अंगूठी चोरस्ता हम आप सभी लोगों को इस कहानी के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश करते हैं या बताते हैं I
महाराज जी से देवराज एक कीमती रत्न जड़ित अंगूठी पहना करते थे I जब भी वह दरबार मैं उपस्थित होते तो अक्सर उनकी नजर अपनी सुंदर अंगूठी पर जाकर टिक जाती थी I राजमहल में आने वाले मेहमानों और मंत्री गणों से भी वह बार-बार अपनी उस अंगूठी का जिक्र किया करते थे या अपनी अंगूठी की बढ़ाई किया करते थे I
एक बार राजा कृष्णदेव राय उदास होकर अपने सिंहासन पर बैठे थे I तभी तेनालीराम वहां पर पहुंचे उन्होंने राजा की उदासी का कारण पूछा I तब राजा ने बताया कि उनकी पसंदीदा अंगूठी खो गई है , और उन्हें पक्का शक है कि उसे उनके 12 अंग रक्षकों में से किसी एक व्यक्ति ने चुराया है I
राजा कृष्णदेव राय का सुरक्षा घेरा इतना होता था कि कोई भी चोर चक्का यह सामान्य व्यक्ति उनके नजदीक नहीं जा सकता था I तेनालीराम ने तुरंत महाराज से कहा कि
मैं अंगूठी वाले चोर को बहुत जल्द पकड़ लूंगा
यह बात सुनकर राजा कृष्णदेव राय बहुत प्रसन्न हुए उन्होंने तुरंत अपने अंग रक्षकों को बुलवा लिया I
तेनालीराम बोले , राजा की अंगूठी आप बार अंगरक्षक में से किसी एक ने चुराई है I लेकिन मैं इसका पता बड़ी आसानी से लगा लूंगा I जिसनेे चोरी नहींं की है उसे डरने की कोई जरूरत नहींं है और जो चोर है वह कठोर दंड भोगनेे के लिए तैयार हो जाए I
तेनालीराम ने बोलना जारी रखा आप सब मेरे साथ आइए हम सबको काली मां के मंदिर ले जाएंगे I
राजा बोले- यह कर रहे हो तेनाली हमें चोर का पता लगाना है मंदिर के दर्शन नहीं करने है I
महाराज आप धैर्य रखिए जल्द ही चोर का पता चल जाएगा तेनालीराम ने राजा को सब रखने को कहा I मंदिर पहुंच गए तेनालीराम पुजारी के पास गए और उन्हें कुछ निर्देश दिए I इसके बाद उन्होंने अंग रक्षकों से कहा, आप सब को बारी-बारी से मंदिर में जाकर मां काली की मूर्ति के पैर छूने हैं और तुरंत बाहर निकल आना है I ऐसा करने से मां काली आज रात सपने में मुझे कुछ दूर का नाम बता देगी जिसने चोरी की है I
अब सारे अंगरक्षक बारी बारी से मंदिर में जाकर माता के पैर छूने लगे I जैसे ही कोई अंगरक्षक पैर छूकर बाहर निकलता तेनालीराम उसका हाथ सॉन्ग ते और एक कतार में खड़ा कर देते थे कुछ ही देर में सभी अंगरक्षक एक कतार में खड़े हो गए I
महाराज बोले- चोर का पता तो कल सुबह लगेगा तब तक इनका क्या किया जाए?
नहीं वहां राजपूतों पता तो लग चुका है I सातवें स्थान पर खड़ा अंगरक्षक ही चोर है ऐसा सुनते ही वह अंगरक्षक भागने लगा पर वहां मौजूद सिपाहियों ने उसे पकड़ लिया और कारागार में डाल दिया I
राजा और बाकी सभी लोग आश्चर्यचकित थे तेनालीराम ने बिना स्वप्न देखे कैसे पता कर लिया कि चोर वही है I
तेनालीराम सब की जिज्ञासा शांत करते हुए बोले मैंने पुजारी जी से कह कर काली मां के पैरों पर तेज सुगंधित इत्र छिड़कवा दिया था I जिसके कारण जिसने भी मां के पैर छुए उसके हाथ में वही सुगंध आ गई लेकिन जब मैंने सातवें अंगरक्षक के हाथ सुंघे तो उसके हाथ में कोई खुशबू नहीं थी उसने पकड़े जाने के डर से मां काली की मूर्ति के पैर को नहीं छुआ I इसलिए यह साबित हो गया कि उसी के मन में पाप है और वही चोर है I
राजा कृष्णदेव राय एक बार फिर तेनालीराम की बुद्धिमत्ता से बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें स्वर्ण मुद्राओं से सम्मानित किया I
तो यह कहानी यहीं पर खत्म होती है अगर हम अभी आप सभी लोगों को आगे बहुत सी कहानी के बारे में बताने वाला हूं जिसे पढ़कर आप सभी लोगों को बहुत ही आनंद आएगा और जैसा कि लोग कहते हैं कि कहानी को पढ़ना चाहिए क्योंकि कहानी को पढ़ने से आनंद मिलता है इसलिए कहानी को पढ़ना चाहिए चाहिए I
5.जादूगर का घमंड/Sorcerer’s vanity
सभी लोगों को तेनालीराम की अगली कहानी के बारे में बताने वाले हैं अगली कहानी का नाम है जादूगर का घमंड इस कहानी में एक जादूगर रहता है और उसके पास बहुत ही घमंड रहता है तो उस घमंड को तेनालीराम बहुत ही आसानी से चकनाचूर कर देते हैं तो आइए हम आप सभी लोगों को इस कहानी को विस्तार से बताते हैं I
एक बार राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक जादूगर आया I उसने बहुत देर तक अपना जादू और करतब दिखाया जिससे दरबार में बैठे सभी लोगों ने मनोरंजन किया फिर जाते समय राजा से ढेर सारी उपहार लेकर अपनी कला के घमंड में सब को चुनौती दे डाली –
क्या कोई वक्त मेरे जैसा अद्भुत करतब दिखा सकता है I क्या कोई मुझे यहां टक्कर दे सकता है I
इस खुली चुनौती को सुनकर सारे दरबारी चुप हो गए परंतु तेनालीराम को इस जादूगर का यह अनुमान अच्छा नहीं लगा Iवह तुरंत उठकर खड़े हुए और बोले कि मैं तुम्हें चुनौती देता हूं कि जो करता मैं अपनी आंखें बंद करके दिखा दूंगा वह तुम खुली आंखों से भी नहीं कर पाओगे I अब बताओ क्या तुम मेरी चुनौती स्वीकार करते हो ?
जादूगर अपने अहम मे अंध था मतलब हुआ बहुत घमंडी था I उसने तुरंत इस चुनौती को स्वीकार कर लिया I
तेनालीराम ने रसोईया को बुलाकर उसके साथ मिर्ची का पाउडर मंगवाया I अब तेनालीराम ने अपनी आंखें बंद की और उन पर एक मुट्ठी लाल मिर्च का पाउडर डाल दिया Iफिर थोड़ी देर में उन्होंने मिर्ची पाउडर झटक कर कपड़े से आंखें पोछकर शीतल जल से अपना चेहरा धो लिया I और फिर जादूगर से कहा कि अब तुम खुली आंखों से यह करतब करके अपनी जादूगरी का नमूना दिखाओ तब हम समझे कि आप जादूगर हैं I
घमंडी जादूगर को अपनी गलती समझ में आ गई और उसने तेनालीराम से माफी मांगी और हाथ जोड़कर राजा के दरबार से चला गया I
राजा कृष्णदेव राय अपने चतुर मंत्री तेनालीराम की इस चतुराई से बहुत ही प्रभावित हुए उन्होंने तुरंत तेनालीराम को पुरस्कार देकर सम्मानित किया और राज्य की इज्जत रखने के लिए धन्यवाद भी दिया I
6.लालची ब्राह्मण/Greedy brahmin
हम को तेनालीराम की एक और कहानी के बारे में बताने वाले हैं उस कहानी का नाम है लालची ब्राह्मण इस कहानी में लालची ब्राह्मण और महाराज कृष्णदेव राय से संबंधित यह कहानी है तो आइए हम आप सभी लोगों को इस कहानी के बारे में विस्तार से बताते हैं I
राजा कृष्णदेव राय की माता बहुत धार्मिक महिला थी उन्होंने देश के सभी तीर्थ स्थलों की यात्रा की थी और बहुत सा दान भी दिया था I
एक बार उन्होंने किस देवराय से दान में आम देने की इच्छा जाहिर की I राजा ने अपनी मां की इच्छा को पूरा करने के लिए रत्नागिरी से बहुत से आम की पेटी मंगवाई लेकिन जिस दिन दान करना चाहा था उससे पहले ही कृष्णा देव राय की माता की मृत्यु हो गई I
राजा ने पूरे नियम के साथ अपनी माता का क्रिया क्रम किया I जब उनको अपनी मां की आम दान करने की इच्छा याद आती है तो उन्होंने ब्राह्मण को बुलाकर उनसे पूछा कि मेरी मां की अंतिम इच्छा नाम दान करने की थी I
अब उनको क्या करना चाहिए I जो ब्राह्मण आए थे वह लालची थे Iउन्होंने राजा से कहा कि उनको अपनी मां की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए सोने से बने आम ब्राह्मण को दान करना चाहिए या ब्राह्मण को देना चाहिए I
राजा ने ब्राह्मण को सोने के बने आम दान में दिए I जब तेनालीराम को यह पता चला तो उन्होंने भी अपनी मां की आत्मा की शांति के लिए उन्हें तीन ब्राह्मणों को बुलाया जब तीनों ब्राह्मण घर में आ गए तो तेनालीराम ने सभी खिड़की दरवाजे बंद कर दिए I
इसके बाद तेनालीराम ने लोहे के गर्म सरिये को अपने हाथ में ले लिया Iजब ब्राह्मणों ने तेनालीराम से पूछा कि तुम क्या कर रहे हो तब तेनालीराम ने कहा कि मेरी मां की अंतिम इच्छा क्या थी कि मैं गर्म सरिए को उनके घुटने में लगा दू जिससे उनका घुटना ठीक हो जाए इसलिए मैं गर्म सरिए को घुटने में लगाना चाहता हूं I
मेरी मां मर चुकी है इसलिए मैं यह आपके साथ यह करके अपनी मां की आत्मा की शांति करना चाहता हूं ब्राह्मणों ने कहा कि यह तुम गलत कर रहे हो I
तेनालीराम ने कहा जिस तरह आपने सोने के आम लेकर राजा की मां की आत्मा की शांति की थी I वैसे ही आप इस तरीके से मेरी मां की आत्मा की शांति भी कर दो I तेनालीराम की आवाज सुनकर ब्राह्मणों ने तेनालीराम से और राजा से माफी मांगता सोने के आम राजा को वापस कर दिए I
तेनालीराम ने राजा को समझाया कि इस तरह लालची ब्राह्मणों के चक्कर में भरकर राजकोष को खर्च ना करें I और यह कहानी यहीं पर खत्म होती है अगर राजा कृष्ण देव राय के पास तेनालीराम जैसे चतुर मंत्री नहीं होते तो महाराज कृष्ण देव राय का सारा राजकोष खाली हो जाता I क्योंकि महाराज कृष्णदेव राय को तेनालीराम ने बहुत बार बचाया और समझाया जैसे कि आप इस कहानी से समझ सकते हैं कि लालची ब्राह्मण ने महाराज कृष्ण देव राय से सोने के आम मांगे और कृष्णदेव राय ने ब्राह्मण को सोने के आम दे दिए अगर तेनालीराम नहीं होता तो वह आम ब्राह्मण ले जाता और सारा खर्च महाराज की सदैव राय को उठाना पड़ता I आप लोग यह समझो कि अगर महाराज ने सोने का आम ब्राह्मण को दिया था तो वह आम कितने रुपए का होगा इसलिए महाराज को बहुत ही हानि पहुंचती I लेकिन तेनालीराम ने वह शाम को महाराज को वापस दिला दिया अपनी बुद्धि और चतुराई से इसलिए तेनालीराम की चतुराई पर बहुत सारी कहानियां हैं और तेनालीराम ने बहुत सारी कहानियां लिखी और बनाई है जिनमें से हम कुछ महत्वपूर्ण कहानियों को आप सभी लोगों को बताने की कोशिश करते हैं या बताते हैं I
7.जादू की शक्ति/Spell power
लोगों को तेनालीराम की अगली कहानी के बारे में बताने वाले कहानी का नाम है जादू की शक्ति क्योंकि हमने आप सभी लोगों को तेनालीराम की कुछ कहानियां ऊपर बता चुका हूं जिससे आप समझ सकते हैं कि तेनालीराम कितना चतुर व्यक्ति था और अब आइए हम आप सभी लोगों को जादू की शक्ति कहानी के बारे में विस्तार से बताने की कोशिश करता हूं I
एक बार विजयनगर राज्य में बहुत गर्मी पड़ रही थी I तेनालीराम राजा कृष्णदेव राय से 15 दिन की छुट्टी लेकर अपने गांव चले गए थे I 15 दिन बीत जाने के बाद भी तेनालीराम घर से नहीं लौटे तो राजा को चिंता होने लगी और राजा अपने सैनिकों को तेनालीराम के गांव भेजा I
तेनालीराम की अनुपस्थिति मैं कुछ मंत्री राजा को तेनालीराम के खिलाफ भड़काने की कोशिश कर रहे थे I तेनालीराम 1 महीने के बाद खुद ही दरबार में उपस्थित हो गए Iराजा ने तेनालीराम से कहा कि तुमने 15 दिन के बाद लौटने को बोले थे और तुम एक महीना बाद वापस आए हो I
इस पर तेनालीराम ने कहा कि महाराज 15 दिन के बाद मैं गांव में ही एक जादूगर से जादू सीखने लग गया था इसलिए आने में देर हो गई I अब मुझे बहुत अच्छा जादू आता है I मैं अब नदी नाहर गायब कर सकता हूं इतना जादू मेरे अंदर आ गया है या मैं इतना जादू जानता हूं I
तेनालीराम की यह बात सुनकर राजा और सभी दरबारी हंसने लगे I तेनालीराम ने फिर से कहा यदि आप लोगों को मेरी बातों पर भरोसा ना हो तो मैं इसको साबित कर सकता हूं Iराजा ने कहा ठीक है कल हम तुम्हारे साथ चलेंगे और देखेंगे कि तुम नदी नहर कैसे गायब करते हो I
अगले दिन तेनालीराम राजा और कुछ मंत्रियों के साथ विजयनगर राज्य में चले गए I वहां पहुंचने के बाद तेनालीराम ने राजा से कहा की महाराज मैंने चार नहान गायब कर दी है याद आपको भरोसा ना हो रहा हो तो आप अपने मंत्रियों से पूछ लीजिए I
अपने साथ ना हारे बनाने को कहा था लेकिन अभी यहां केवल तीन नहर हैं अर्थात या कि आप साथ नाहर बनवाए थे लेकिन अब यहां केवल तीन ही नहर है I इस बात को सुनकर राजा को पता चल गया कि मंत्री ने बेईमानी की है सही से नहरे, नदी बनाने का काम नहीं किया है I मंत्री इस बात पर बहुत शर्मिंदा हुआ और राजा से माफी मांगने लगा I
राजा ने उसको कारावास की सजा सुनाई I तेनालीराम ने राजा से कहा महाराज मैं 15 दिन के बाद गांवों का दौरा कर रहा था I जिससे मुझे यह पता लगा कि गांव में बहुत सी नहरे, नदी खुदाई का काम नहीं हुआ है I राजा ने तेनालीराम को इस बात पर प्रसन्न होकर इनाम दिया और यह कहानी यहीं पर खत्म होती है इसलिए इस कहानी से आप सभी लोग समझ सकते हैं कि तेनालीराम तेनालीराम कितना बुद्धिमान व चतुर व्यक्ति था I
तेनाली राम का जन्म कब हुआ था?
तेनाली राम का जन्म 16वी शताब्दी में हुआ था I
तेनालीराम का पुत्र कौन था?
तेनालीराम का पुत्र भास्कर था I
तेनालीराम की मृत्यु कब हुई थी ?
मनाली राम की मृत्यु 5 अगस्त सन 1528 ईसवी में हुई थी I
तेनाली राम का जन्म कहां हुआ था ?
तेनाली राम का जन भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के गुंटूर जिले के गांव गरलापाडू में हुआ था I
तेनालीराम की मृत्यु कैसे हुई थी ?
तेनालीराम की मृत्यु सांप काटने से हुई थी I